बिलकिस मामला : सुप्रीम कोर्ट का गुजरात सरकार को नोटिस, जवाब तलब किया

सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को बिलकिस बानो सामूहिक दुष्कर्म और अन्य की हत्या के दोषियों को रिहा करने के गुजरात सरकार के फैसले के खिलाफ दायर याचिका के मामले में सुनवाई करते हुए गुजरात सरकार को नोटिस जारी कर पूरे मामले पर जवाब तलब किया है। सर्वोच्च अदालत ने दोषियों को पक्षकार बनाने के भी निर्देश दिए हैं। इस मामले में अगली सुनवाई अब दो हफ्ते बाद होगी। इस बीच कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने बिलकिस मामले में दोषियों की रिहाई पर मोदी सरकार पर हमला बोला है।

सुनवाई के दौरान बिलकिस की तरफ से वकील कपिल सिब्बल ने सवाल किया कि 14 लोगों की हत्या और गर्भवती महिला से सामूहिक दुष्कर्म के दोषियों को छोड़ दिया गया। हम चाहते हैं कि रिपोर्ट यहां मंगाई जाए और देखा जाए कि कमेटी ने कैसे रिहाई की सिफारिश की ?

दोषियों के वकील ने इसका विरोध किया और कहा कि याचिकाकर्ता तीसरा पक्ष हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को सभी दोषियों को पक्षकार बनाने के निर्देश दिए। साथ ही अब सुप्रीम कोर्ट बिलकिस के 11 दोषियों की रिहाई का परीक्षण करेगा। इस बाबत गुजरात सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है।

सुनवाई के दौरान जस्टिस अजय रस्तोगी ने कहा कि सवाल यह है कि गुजरात के नियमों के तहत दोषी छूट के हकदार हैं या नहीं? मैंने कहीं पढ़ा है कि लिखा था कि सुप्रीम कोर्ट ने रिहा करने का आदेश दिया था। लेकिन नहीं, हमने केवल गुजरात को कानून के अनुसार आगे बढ़ने के लिए कहा था।

बता दें हाल में गुजरात सरकार ने सभी 11 दोषियों को एक ही दिन समय से पहले रिहा कर दिया था जिसका देश भर में जबरदस्त विरोध देखने को मिला है। कई सामाजिक संगठनों और जानी मानी हस्तियों ने इस फैसले का सख्त विरोध किया और अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है।

इस बीच कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने गुजरात दंगों की पीड़िता बिलकिस को न्याय की मांग की और कहा कि 2002 के सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सात लोगों की हत्या के मामले में दोषी करार दिए गए 11 लोगों की रिहाई पर सरकार ने चुप्पी साधकर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है।

राहुल गांधी ने कहा – ‘बेटी बचाओ जैसे खोखले नारे देने वाले, बलात्कारियों को बचा रहे हैं।’ प्रियंका गांधी ने एक ट्वीट में कहा – ‘बलात्कार की सजा पा चुके 11 लोगों की रिहाई, कैमरे पर उनके स्वागत-समर्थन में बयानबाजी पर चुप्पी साधकर सरकार ने अपनी लकीर खींच दी है।’