बजट, राजनीति और चुनाव

यह संयोग ही है कि जिस दिन केंद्रीय बजट आया उसी दिन राजस्थान में लोक सभा की दो सीटों और एक विधानसभा सीट पर उपचुनाव के नतीजे भी आये। भाजपा जिस युवा वर्ग की बात करती है उसका एक बड़ा वर्ग मिडल क्लास का प्रतिनिधित्व करता है। इसी मिडल क्लास को भाजपा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने राहत न देकर झटका दे दिया। फिर भी आंकड़ों के आधार पर इसे गरीबों और  किसानों का बजट बताया। टीवी चैनलों पर भाजपा के प्रवक्ता जब बजट का गुणगान का रहे थे तो लगभग उसी समय खबर आई कि राजस्थान के तीनों उपचुनाव भाजपा बुरी तरह हार गयी। राजस्थान में इसी साल के आखिर में विधानसभा के चुनाव होने हैं। सवाल यह है कि इस बजट और उपचुनाव के नतीजों को देखते हुए भाजपा या मोदी-शाह की जोड़ी इसी साल लोक सभा के चुनाव करवाने की हिम्मत करेगी? इसका जवाब है, हाँ !
केंद्र सरकार के इस बार के बजट को भाजपा ने ”न्यू इंडिया का बजट” बताया है। भाजपा का दावा है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट में किसानों और ग्रामीणों का का खासा ध्यान रखा है। वैसे पहले से आर्थिक मोर्चे पर दबाव झेल रहे माध्यम वर्ग की चिंता बजट ने और बढ़ा दी है। नया बजट आम आदमी के घर का पूरा हिसाब किताब बिगाड़ने वाला है। टैक्स के मोर्चे पर कोई राहत नहीं और लगातार बढ़ रही महंगाई पर लगाम के लिए कोइ ऐलान नहीं। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में महंगाई और बढ़ सकती है। रसोई गैस, पेट्रोल-डीजल की कीमतें लगातार बाद रही हैं जिसका असर दैनिक उपभोग की चीजों पर पडेगा और उनकी कीमतें बढ़ेंगी।
ट्विटर और सोशल मीडिया पर यदि जेटली के बजट की खिल्ली उड़ी है तो इसके पीछे कहीं न कहीं लोगों में इस बजट के प्रति निराशा रही होगी। ट्वविटर पर तो कुछ यूजर्स ने इसे ‘पकौड़ा बजट” बताया। यहां तक कि भाजपा जिस राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अभिन्न अंग है उसी ने इस बजट को  खारिज कर दिया। संघ ने बजट के विरोध में देश भर में प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है।
सोशल मीडिया पर युवाओं की बड़ी संख्या है और इनका अवलोकन करने से लगता है कि ज्यादातर ने बजट पर निराशा जताई है। बजट में कई वस्तुएं सस्ती हुईं तो कई के लिए आम लोगों को अब ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे। बजट 2018 में टीवी सेट, लैपटॉप और मोबाइल महंगे हो गए हैं। कस्टम ड्यूटी बढ़ने से आयातित कई वस्तुएं महंगी हो जाएंगी। खासकर विदेशों से लग्जरी कार मंगवाना महंगा हो जाएगा। रॉ काजू पर कस्टम ड्यूटी घटाकर 2.5 फीसद कर दी गई है, लिहाजा यह सस्ता हो जाएगा। पॉलिशड कलर्ड स्टोन पर इंपोर्ट ड्यूटी 5 से घटाकर 2.5 फीसद कर दिया गया है। गोल्ड पर कस्टम ड्यूटी में कोई बदलाव नहीं किया गया है, लेकिन सेाना-चांदी के आयात पर तीन फीसद सोशल वेलफेयर सरचार्ज लगा दिया गया है। अनब्रांडेड पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी प्रति लीटर 4.48 रुपये से घटाकर दो रूपये कर दिया गया है। वहीं, अनब्रांडेड डीजल पर एक्साइज ड्यूटी 6.33 रुपए से घटाकर 2 रुपए प्रति लीटर कर दिया गया है। पेट्रोल और डीजल के आयात पर भी 3 फीसद सोशल वेलफेयर सरचार्ज लगेगा। इसके अलावा भी कई अन्य वस्तुओं पर लगने वाले टैक्स को बढ़ा दिया गया है।
बजट में समर्थन मूल्य बढ़ाने से देश में फसल के दामों में इजाफा होगा, जिसकी वजह से महंगाई बढ़ने की आशांका है। समर्थन मूल्य के इस फैसले से केंद्र सरकार के खजाने पर भी काफी बोझ बढ़ेगा और आम आदमी को गेंहू, दाल, चावल और तिलहन समेत कई चीजें निर्धारित दामों से अधिक पर मिलेेगी। जिसके चलते आम आदमी के किचन पर काफी असर होगा। बजट में सरकार ने मोबाइल फोन समेत आयात किए जाने वाले कई उत्पादों पर कस्टम ड्यूटी बढ़ा दी है। कस्टम ड्यूटी घटने या बढ़ने से कुछ आइटमों के दाम महंगे और सस्ते हुए हैं। वित्त मंत्री ने बताया कि मोबाइल और टीवी जैसे आइटमों पर सीमा शुल्क (कस्टम ड्यूटी) 15 पर्सेंट से बढ़ाकर 20 पर्सेंट किया गया है। वहीं काजू पर कस्टम ड्यूटी 5 प्रतिशत से 2.5 प्रतिशत की गई है। कस्टम ड्यूटी बढ़ने का नुकसान आम आदमी को झेलना पड़ सकता है। कस्टम ड्यूटी में बढ़ोतरी होने से भारत में आयात करने वाली कंपनियों की लागत बढ़ जाती है। कंपनियां इस लागत का भारत आम आदमी पर डालती है। तो इसलिए आम आदमी को टीवी और फ्रीज खरीदना महंगा पड़ सकता है। आज के ज़माने में इन चीजों को ”लग्जरी” में नहीं गिना जाता है।
मोदी सरकार ने बजट में टैक्स पर भी आम आदमी को कोई राहत नहीं दी  इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है। आम आदमी को उम्मीद थी कि उसे इस बजट में टैक्स के मोर्चे पर कम से कम 50 हजार रुपये की राहत मिलेगी लेकिन सरकार ने इसमें कोई बदलाव नहीं किया है और इन्हें पुराने टैक्स स्लैब में ही रखा है। मौजूदा समय में आपको आपकी आय के मुताबिक 5 से 30 फीसदी तक टैक्स चुकाना पड़ता है। वित्त वर्ष 2018-19 के लिए अगर आपकी इनकम 2.5 लाख रुपए तक है, तो कोई टैक्स नहीं देना होगा। 2.5 से 5 लाख पर 5 फीसदी, 5 लाख-10 लाख पर 20 फीसदी और 10 लाख से अधिक पर आपको 30 फीसदी टैक्स देना पड़ता है।
यही नहीं आम आदमी के लिए झटके की बात करें तो स्वास्थ्य और शिक्षा में सेस को 3 फीसदी से बढ़ाकर 4 फीसदी कर दिया गया है। इससे सरकार को व्यक्तिगत करदाताओं से 11,000 करोड़ रुपये ज्यादा हासिल होंगे। इस सेस को अब स्वास्थ्य और शिक्षा सेस नाम दिया गया है। बजट में बुजुर्गों के लिए राहत भरी खबर है। सीनियर सिटीजन के लिए हेल्थ इंश्योरेंस छूट 1 लाख रुपए होगी। बैंकों डिपॉजिट में ब्याज से हुई आमदनी पर 10 हजार रुपये से छूट बढ़ाकर 50 हजार रुपये करने का प्रस्ताव है। साथ ही जो लोग माता-पिता की सेवा करते हैं उन्हें छूट दी जाएगी।

बजट भाषण में 70 लाख नई नौकरियां पैदा करने की बात वित्त मंत्री ने कही है। उन्होंने कहा कि इस बजट में नौकरियां पैदा करने की क्षमता है और रोजगार बढ़ाने के ज्यादा मौकों पर ध्यान दिया जाएगा। टेक्सटाइल, लेबर और फुटवियर क्षेत्र में 50 लाख युवाओं को 2020 तक प्रशिक्षण दिए जाने की बात भी वित्त मंत्री ने कही। लेकिन यहाँ दिलचस्प यह है कि भाजपा ने सत्ता में आने से पहले रोजगार के जो वाडे किये थे उसके आसपास भी सरकार नहीं पहुँची है। उलटे जानकारों के मुताबिक नोटबंदी ने लाखों की नौकरी छीन ली है। इससे युवाओं में निश्चित ही आने वाले समय में गुस्सा बाद सकता है।
संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के ईपीएफ योगदान पर वित्त मंत्री ने महत्वपूर्ण घोषणा की। फॉर्मल सेक्टर में रोजगार बढ़ाने के लिए सरकार नए कर्मचारियों के ईपीएफ में 12 फीसद का अंशदान, अगामी तीन वर्षों तक करेगी। ईपीएफ में महिला कर्मचारियों द्वारा दिए गए योगदान को 12 फीसद से कम कर 8 फीसद पर लाने का ऐलान भी किया। साथ ही मेटर्निटी लीव को 12 सप्ताह से 26 सप्ताह का किया गया है। स्टार्ट-अप इंडिया का जिक्र करते हुए जेटली ने कहा कि तीन साल पहले शुरू की गई इस योजना के अच्छे परिणाम सामने आए हैं। बजट में छोटे उद्योगों के लिए 3794 करोड़ खर्च करने की योजना है। साथ ही मुद्रा योजना के लिए 3 लाख करोड़ के फंड का ऐलान किया गया है जिससे लोगों को अपना कारोबार शुरू करने में आर्थिक मदद मिल सके।

वित्त मंत्री ने किसानों के लिए कई घोषणाएं की हैं। अब किसानों को सभी फसलों का न्यूनतम समर्थम मूल्य मिलेगा, अभी कुछ ही फसलों का मिलता है। वहीं ग्रामीण बाजार ई-नैम का भी ऐलान किया गया। इसके अलावा 42 मेगा फूड पार्क भी बनाए जाएंगे। किसानों के कर्ज के लिए 11 लाख करोड़ रुपए का फंड अलॉट किया गया है। शिक्षा के क्षेत्र में भी कई घोषणाएं की गई हैं। प्री नर्सरी से 12वीं तक की शिक्षा पर जोर दिया जाएगा। 24 नए मेडिकल कॉलेज खोल जाएंगे।  बडोदरा में रेलवे यूनिवर्सिटी बनेगी। आदिवासियों के लिए एकलव्य विद्यालय बनाए जाएंगे। मेडिकल की बात करें तो वित्त मंत्री ने कहा कि देश की 40 फीसदी जनता के इलाज का खर्च सरकार उठाएगी। वहीं शेयर बेचने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स 10 फीसदी होगा। नए कर्मचारियों के ईपीएफ में सरकार 12 फीसदी देगी। दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण से निपटने के लिए नई स्कीम लाई जाएगी।
इस बजट के बाद राजनीतिक जानकार कयास लगा रहे हैं कि क्या अब भाजपा इस साल लोक सभा के चुनाव करवा सकती है ? कई का कहना है कि वह ऐसा कर सकती है।  इस का कारण है इस साल कुछ बड़े प्रदेशों में विधानसभाओं के चुनाव हैं। यदि भाजपा इन चुनावों में हारती है तो देश भर में भाजपा के खिलाफ सन्देश जाएगा। मोदी की चुनाव जीता सकने वाली छवि पर भी इसका विपरीत सर पड़ेगा। यदि अगले साल चुनाव करवाए तो एक साल से भी काम बक्त में भाजपा को हो सकता है सँभालने का अवसर न मिले। ऐसे में लोक सभा के चुनाव में उसके लिए बड़ी दिक्क्तें पैदा हो सकती हैं। लिहाजा विश्लेषक मानते हैं कि साल के आखिर में बड़े प्रदेशों में विधानसभाओं के चुनाव के साथ लोक सभा के चुनाव करवाने का दांव भाजपा खेल सकती है। राजनैतिक विश्लेषक एसपी शर्मा ने ”तहलका” को बताया कि गुजरात विधानसभा और राजस्थान की तीन उपचुनाव नतीजे भाजपा के लिए शुभ संकेत नहीं देते। ”भाजपा अगले साल तक राजनीतिक मोर्चे पर और दिक्क्तें झेल सकती है। हो सकता है वह साल के बीच में माध्यम वर्ग के लिए राहत की कोइ बड़ी घोषणा कर दे जिसे इस बजट में उसने कोइ राहत नहीं दी है।”
इस संकेतों को देखते हुए इसी साल लोक सभा के जल्दी चुनाव की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता।  देखना है आने वाले महीनों में राजनीति किस कार्बेट बैठती है। अगले महीने होने वाले चार विधानसभाओं के चुनाव क्या नतीजे लेकर आते है। और फिर अभी १० महीने हैं जब और विधानसभाओं के चुनाव होने हैं। इस बीच राजनीति के कई रंग दिखेंगे !