
हाल के दिनों में कश्मीर के पूर्व पृथकतावादी नेता सज्जाद लोन की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात बड़ी चर्चा में रही. लोन कश्मीर के उन पृथकतावादियों में से रहे हैं जिन्हें भाजपा कुछ समय पहले तक देशद्रोही और पाकिस्तानी एजेंट जैसे विशेषणों से नवाजती रही है. इनसे मिलना और चाय-पानी तो दूर, भाजपा के लिए इनसे बातचीत करना भी देशद्रोह की श्रेणी में आता था. खैर, लोन प्रधानमंत्री मोदी से मिले और मोदी प्रेम में कुछ ऐसे रंगे कि बड़े से बड़ा मोदी समर्थक झेंप जाए. लोन ने कहा कि मोदी उन्हें उनके बड़े भाई की तरह लगे. लोन अपनी मुलाकात के बारे में बताते हैं, ‘ऐसा लग रहा था मानों मैं प्रधानमंत्री हूं और अपने बड़े भाई से बात कर रहा हूं.’
गद्दारी के आरोपों से गलबहियां तक का यह सफर भाजपा की रणनीति में आए बदलाव और उसकी नई व्यूह रचना का संकेत है. 25 नवंबर से शुरू होने जा रहे जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा ने बिल्कुल अलग तरीके की व्यूह रचना की है. भाजपा इस बार डल झील में कमल खिलाने को लेकर हद दर्जे तक बेचैन है.
कुछ समय पहले ही पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने प्रदेश के विधानसभा चुनावों को लेकर टिप्पणी की थी कि इस बार चुनाव में पीडीपी का मुकाबला भाजपा से है. जिस राज्य की आधी से ज्यादा सीटों पर भाजपा का कोई नामलेवा नहीं था उस प्रदेश में अगर भाजपा ने यह हैसियत बना ली है कि पीडीपी जैसी पार्टी नेशनल कॉंफ्रेंस और कांग्रेस की बजाय उसे अपना मुख्य प्रतिद्वंदी मानने लगी है तो इससे जम्मू-कश्मीर में भाजपा की बढ़ी हुई सियासी ताकत का पता चलता है.
जम्मू कश्मीर के राजनीतिक रंगमंच पर भाजपा का सितारा हाल फिलहाल में बड़ी तेजी से चमका है. इसके पीछे एक बड़ी वजह पिछले लोकसभा चुनाव में उसे मिली सफलता है. पार्टी पिछले चुनाव में प्रदेश की 6 लोकसभा सीटों में से तीन पर भगवा फहराने में कामयाब रही. लद्दाख की लोकसभा सीट तो उसने अपने राजनीतिक इतिहास में पहली बार जीती है. इन सीटों की जीत से ज्यादा जिस तथ्य से उसकी आंखों में चमक आई है वह है जम्मू क्षेत्र की 37 विधानसभा क्षेत्रों में से 30 पर वह पहले नंबर पर रही. इसी तरह जिस लद्दाख लोकसभा की सीट भाजपा ने पहली बार जीती है उस संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली चार विधानसभा सीटों में तीन पर वो पहले नंबर पर रही. कुल मिलाकर देखें तो पिछले विधानसभा चुनाव में जो पार्टी 11 सीटें जीत पायी थी वह इस बार 33 विधानसभा क्षेत्रों में सबसे आगे दिख रही है.
भाजपा देश के दूसरे हिस्सों में रहने वाले कश्मीरी पंडितों को प्रोत्साहित कर रही है कि वे चुनाव के समय राज्य में आकर उसके पक्ष में मतदान करें
भाजपा को इस विधानसभा चुनाव में कुछ कर दिखाने की प्रेरणा इन्हीं आकड़ों से मिली है. पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर एक व्यापक रणनीति बनाकर काम कर रही है. जम्मू के भाजपा नेता दिवाकर शर्मा कहते हैं, ‘हमारी रणनीति बहुत साफ है. हमें जम्मू और लद्दाख की कुल 41 सीटों को हर हाल में जीतना है. हम ऐसा करने में सफल होंगे. इस बार चूकने का कोई मौका नहीं है. जनता ने लोकसभा चुनावों में बता दिया है कि वह किससे साथ है. कश्मीर घाटी में स्थिति थोड़ी अलग है लेकिन हम वहां भी इस बार अपना खाता जरूर खोलेंगे.’
लोकसभा चुनाव के परिणामों का पार्टी पर कितना गहरा असर पड़ा है वो इस बात से भी जाहिर होता है कि अचानक से भाजपा ने जम्मू-कश्मीर में अगला मुख्यमंत्री किसी हिंदू को बनाने का दांव चल दिया है. हिंदू मुख्यमंत्री का कार्ड जम्मू क्षेत्र में भाजपा के पक्ष में ध्रुवीकरण की बड़ी वजह बन सकता है. कुछ समय पहले ही जम्मू क्षेत्र में एक रैली को संबोधित करते हुए पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा, ‘अगली बार इस प्रदेश का मुख्यमंत्री भाजपा का होगा. आप लोग एक बार सोच कर तो देखिए अगर हमने एक भाजपा कार्यकर्ता को यहां का मुख्यमंत्री बना दिया तो पूरी दुनिया में उसका कितना बड़ा संदेश जाएगा. हमें इस बार यह कर दिखाना है.’
केंद्र में भाजपा सरकार बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चार बार जम्मू कश्मीर के दौरे पर जा चुके हैं. लगभग इतनी बार ही अमित शाह भी प्रदेश का दौरा कर चुके हैं. इन हाई प्रोफाइल दौरों से भाजपा के कैडर में चुनाव से पहले जरूरी उत्साह का माहौल बन गया है. दिवाकर कहते हैं, ‘ पहले भी पार्टी यहां चुनाव लड़ती थी लेकिन इश तरह की आक्रामकता नहीं थी. कोई मजाक में भी नहीं सोचता था कि प्रदेश में भाजपा का सीएम होगा. लेकिन इस बार हमारे मन में इसके अलावा कोई सोच नहीं है.’
भाजपा मिशन 44 प्लस को लेकर कितनी गंभीर है इस बात का पता उन मीडिया रिपोर्ट्स से भी चलता है जिसमें बताया गया है कि भाजपा जम्मू कश्मीर से पलायन करके देश के अन्य हिस्सों में रह रहे कश्मीरी पंडितों की सूची तैयार कर रही है. उन्हें पार्टी से जोड़ने और अगले चुनाव में जम्मू कश्मीर आकर भाजपा के लिए वोट करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. कश्मीरी पंडितों को अपने पाले में लाने की भाजपा की रणनीति से कांग्रेस भी दबाव में है. कांग्रेस कोटे से राज्य सरकार में मंत्री श्यामलाल ने बयान देकर जम्मू कश्मीर का अगला मुख्यमंत्री किसी हिंदू को बनाने की मंशा जाहिर की है.