चांदनी चौक, दिल्ली

chandni-chowkकहते हैं कि 17वीं सदी में महान मुगल शासक शाहजहां ने चांदनी चौक को आबाद किया. सोच भले ही उनकी रही हो, लेकिन इस इलाके की रूपरेखा शाहजहां की बेटी जहांआरा ने बनाई थी. तब इसकी मुख्य सड़क के बीच से एक नहर बहती थी. चांदनी रात के दौरान आसमान में रोशन चांद और नीचे नहर में बहता पानी एक दूसरे से मिलकर पूरे इलाके में झिलमिलाती चांदनी का खूबसूरत नजारा बिखेर देते थे. ऐसा माना जाता है कि इसी सुंदरता से प्रभावित होकर इलाके का नाम चांदनी चौक रख दिया गया.

हालांकि आज स्थिति इसके बिल्कुल उलट है. आज के चांदनी चौक में सड़कों पर केवल वाहनों का रेला दिखता है. सड़क के दोनों तरफ एक के बाद एक दुकानंे दिखती हैं और इधर से उधर आते-जाते ठेला गाड़ी और रिक्शे भी. आज का चांदनी चौक व्यापार, जामा मस्जिद और पतली गलियों के लिए जाना जाता है.

इलाके के इतिहास और वर्तमान पर एक नजर मारने के बाद यहां का चुनावी गणित देखा जाए. यहां से कांग्रेस, भाजपा और आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार मैदान में हैं. भारतीय जनता पार्टी ने इस सीट पर अपने प्रदेश अध्यक्ष डॉ. हर्षवर्धन को उतारा है तो कांग्रेस ने अपने अनुभवी नेता और केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल को. कपिल सिब्बल ने 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को इस क्षेत्र से जीत दिलाई है. उधर, आम आदमी पाटी ने पत्रकार से नेता बने आशुतोष को मैदान में उतारा है.

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