पूर्व केंद्रीय मंत्री हरमोहन धवन, पूर्व सांसद सतपाल जैन और चंडीगढ़ इकाई के भाजपा अध्यक्ष संजय टंडन चंडीगढ़ सीट से भाजपा के दावेदार थे. तीनों ही अपने-अपने स्तर से टिकट पाने के भरसक प्रयास भी कर रहे थे. लेकिन कुछ दिन पहले जब चंडीगढ़ सीट से किरण खेर का नाम भाजपा प्रत्याशी के रूप में घोषित हुआ तो तीनों दावेदार ठगे से रह गए. हरमोहन धवन और संजय टंडन ने तो संयुक्त रूप से पार्टी हाईकमान को यह भी कहा कि टिकट उन दोनों में से किसी को भी दे दिया जाए तो वे एक-दूसरे का पूरा समर्थन करेंगे. लेकिन भाजपा ने किरण खेर के नाम पर ही अंतिम मोहर लगाई. नतीजा यह है कि यहां भाजपा सबसे ज्यादा भितरघात की शिकार हो रही है.
इस सीट का चर्चाओं में आने का एक कारण कांग्रेस द्वारा पवन बंसल को टिकट दिया जाना भी है. बंसल यहां से चार बार सांसद रह चुके हैं. लेकिन पिछले साल रेलवे रिश्वत कांड में उन पर आरोप लगे थे और उन्हें रेल मंत्री के पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा था. भले ही सीबीआई ने उन्हें क्लीन चिट दे दी थी लेकिन उनका भांजा विजय सिंगला ही इस घूसकांड का मुख्य आरोपित है. बंसल को टिकट दिए जाने से भी दिलचस्प यह है कि आज भी उनके जीतने की संभावना भाजपा से कहीं ज्यादा मानी जा रही है. चंडीगढ़ उच्च न्यायालय के अधिवक्ता मनीष बाली बताते हैं, ‘भाजपा अब टक्कर में ही नहीं रह गई है. यहां के सभी मुख्य चेहरे बाहरी व्यक्ति को टिकट दिए जाने से नाराज हैं. कार्यकर्ता ही भाजपा के साथ नहीं हैं. इसका सीधा फायदा पवन बंसल को है. बंसल का मुकाबला अब आप से है.’
आप ने यहां से युवा और चर्चित चेहरे गुल पनाग को उतारा है. 5.87 लाख मतदाताओं वाली इस सीट में 2.65 लाख महिलाएं हैं. लगभग 50 प्रतिशत मतदाता यहां 45 साल से कम उम्र के हैं जिनमें से लगभग दो लाख 30 से भी कम उम्र के हैं. युवाओं से भरी इस सीट पर गुल पनाग को सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा है. एबीपी न्यूज-नील्सन सर्वे ने भी यह सीट गुल पनाग के नाम ही की है. गुल पनाग अपना चुनाव प्रचार भी बिलकुल यहां के युवाओं के अनुसार ही कर रही हैं. बुलेट पर सवार होकर अपने युवा साथियों के साथ वे जहां भी जा रहीं हैं उनको जबरदस्त जनसमर्थन मिल रहा है.