दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ‘ओवर-द-टॉप’ (ओटीटी) सेवाएं जैसे वॉट्सएप, स्काइप, वीचैट इत्यादि के नियमन के लिए जल्दी ही एक कंसल्टेशन पेपर जारी कर सकता है ताकि इस आधार पर एक नीति तैयार की जा सके.
पिछले काफी समय से दूरसंचार कंपनियां इन सेवाओं को उपलब्ध करवाने वालीं ‘ओवर-द-टॉप’ (ओटीटी) कंपनियों पर नियमन की मांग कर रही थीं. ओटीटी सेवाएं देने वाली कंपनियां फोन पर मुफ्त में मैसेज और वॉइस मेल की सुविधा देती हैं. इसके लिए दूरसंचार उपभोक्ताओं को सिर्फ इंटरनेट सुविधा के लिए पैसा देना होता है.
दूरसंचार कंपनियों का कहना है कि वॉट्सएप और स्काइप जैसी सेवाओं की वजह से उनके मैसेज व वॉयस मेल जैसी सेवाओं का उपयोग कम हो गया है और उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है. जबकि वैश्विक स्तर पर इंटरनेट संचालन से जुड़ी कंपनियां ओटीटी कंपनियों पर किसी भी तरह के नियंत्रण का विरोध कर रही हैं. उनका कहना है कि इससे ऑनलाइन सेवाएं महंगी हो सकती हैं और लोगों की सूचनाओं से पहुंच दूर हो जाएगी.
पिछले काफी समय से देश में ब्रॉडबैंड की धीमी गति पर भी बहस चल रही है. ट्राई इस विषय पर भी कुछ महत्वपूर्ण फैसले करने वाला है. इस बारे में संस्था के चेयरमैन राहुल खुल्लर कहते हैं, ‘ हमें उम्मीद है कि ब्रॉडबैंड सेवाओं पर परामर्श लेने के लिए हम अगले महीने के आखिर आम लोगों से सुझाव के लिए प्रक्रिया शुरू कर देंगे.’ इस संबंध में खुल्लर ने नेशनल ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क की उस वृहद् परियोजना का भी जिक्र किया जिसके माध्यम से देश की ढाई लाख पंचायतों को तीव्र गति की इंटरनेट सेवा से जोड़ा जाना है. यह परियोजना सन 2017 तक पूरी होनी है.
ट्राई के प्रावधानों के मुताबिक अपनी नीतियों में किसी तरह के बदलाव के पहले उसे आम जनता की राय लेना अनिवार्य है और इसी के आधार पर वह सरकार को अपनी नई नीति भेजता है. ब्रॉडबैंड सेवा और ओटीटी के लिए भी ट्राई यही प्रक्रिया शुरू करने वाला है.