जीएसटी पर गतिरोध

GST-2015gggggक्या है वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी)?

वस्तु एवं सेवा कर एक अप्रत्यक्ष कर है यानी ऐसा कर जो सीधे ग्राहकों से नहीं वसूला जाता लेकिन जिसकी कीमत अंत में ग्राहक से ही ली जाती है. इसे आजादी के बाद टैक्स प्रणाली में सुधार का सबसे बड़ा कदम माना जा रहा है. जीएसटी लागू होने पर देश के राज्यों में सभी चीजों पर टैक्स की दर एक समान रहेगी. मौजूदा कर व्यवस्था में वस्तुओं और सेवाओं पर अलग-अलग दर से टैक्स लिया जाता है. जीएसटी लागू होने के बाद केवल तीन टैक्स वसूले जाएंगे. पहला सीजीएसटी जिसे केंद्र सरकार वसूल करेगी. दूसरा एसजीएसटी यानी स्टेट जीएसटी जिसे राज्य सरकार वसूल करेगी. यह टैक्स राज्य के कारोबारियों से वसूला जाएगा. लेकिन यदि दो राज्यों के बीच कारोबार होता है तो उस पर आईजीएसटी (इंटीग्रेटेड जीएसटी) लिया जाएगा. इसे केंद्र वसूल करके दोनों राज्यों में समान रूप से बांट देगा.

जीएसटी पर कांग्रेस को क्यों है आपत्ति?

जीएसटी के मुद्दे पर 27 नवंबर को प्रधानमंत्री ने सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह से मुलाकात की. जीएसटी लागू करने को लेकर कांग्रेस ने तीन शर्तें रखी हैं. पहली, जीएसटी की दर को 18 प्रतिशत रखा जाए. दूसरी, जीएसटी डिसप्यूट सेटलमेंट अथॉरिटी का गठन किया जाए. तीसरा, उत्पादक राज्यों के लिए एक फीसदी लेवी यानी कर के प्रावधान को हटाया जाए. मगर मोदी सरकार जीएसटी की दर 20 से 22 प्रतिशत तक रखना चाहती है. कांग्रेस का कहना है कि सरकार को इन मांगों पर ध्यान देना चाहिए और हड़बड़ी में संवैधानिक संशोधन नहीं करना चाहिए.

जीएसटी लागू होने से क्या फायदा होगा?

फिलहाल एक ही चीज अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग दाम पर बिकती है क्योंकि सब राज्यों में अलग कर प्रणाली है. अब हर चीज पर जहां उसका निर्माण हो रहा है, वहीं जीएसटी वसूल लिया जाएगा. उसके बाद उसके लिए आगे कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा. इससे पूरे देश में वह चीज एक ही दाम पर मिलेगी. कई राज्यों में टैक्स की दर बहुत ज्यादा है. ऐसे राज्यों में वो चीजें सस्ती होंगी. जीएसटी के जरिये सिंगल टैक्स स्ट्रक्चर होगा, कागजी कार्यवाही में कमी होगी और इसे समझना आसान होगा. इससे टैक्स जमा करना  आसान होगा, कारोबारी टैक्स भरने में रुचि दिखाएंगे जिससे रेवेन्यू में बढ़ोतरी होगी. जीएसटी लागू होने के बाद जीडीपी ग्रोथ में करीब दो फीसदी उछाल का अनुमान है.