‘हम चाहते हैं कि आम जनता भी बदलाव ला सके’

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चेंज डॉट ओआरजी को हिंदी में शुरू करने का फैसला क्यों किया गया जबकि आज लोग अंग्रेजी में संवाद करना अधिक पसंद करते हैं?

भारत की इंटरनेट आबादी का 47 प्रतिशत वो हिस्सा है जो अंग्रेजी के अलावा भी किसी एक सामान्य भाषा को तरजीह देता है. ऐसी आशा है कि भविष्य में देश में इंटरनेट के विकास में क्षेत्रीय भाषाओं की अहम भूमिका रहने वाली है. मैं मानती हूं कि चेंज डॉट ओआरजी में काफी संभावनाएं हैं भारत में बदलाव लाने की. लेकिन यह लक्ष्य तब तक हासिल नहीं किया जा सकता जब तक कि क्षेत्रीय भाषाओं को दरकिनार किया जाता रहेगा. हिंदी देश के एक तिहाई हिस्से में बोली जाती है. चालीस करोड़ लोगों की यह भाषा है इसलिए हमने सामाजिक बदलावों की गति बढ़ाने के लिए सबसे व्यापक रूप में बोले जाने वाली भाषा के साथ शुरुआत करने का फैसला किया.

 भारत में चेंज डॉट ओआरजी वेबसाइट की शुरुआत के पीछे क्या पृष्ठभूमि रही?

चेंज डॉट ओआरजी का मकसद दुनियाभर में लोगों को उन बदलावों को लाने के लिए मजबूत बनाना है जो कि वह लाना चाहते हैं. भारत भी उन कुछ देशों में से एक था जहां 2012 में चेंज डॉट ओआरजी की शुरुआत की गई. एक खुले मंच के रूप में हम चाहते थे कि भारत की आम जनता भी ऑनलाइन याचिकाओं के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर बदलाव ला सके. बदलाव लाने वाले केवल वे लोग नहीं हों जो स्वयं को एक्टिविस्ट मानते हैं या जो राजनीतिक समझ रखते हैं या फिर किसी क्षेत्र विशेष से हैं.

क्या याचिका और याचिकाकर्ता के लिए कोई शर्त भी होती है?

हम लोगों के लिए बदलाव लाने वाली याचिका लगाने का एक माध्यम उपलब्ध कराते हैं. यह फेसबुक की तरह ही है जो अपने यूजर्स को सोशल नेटवर्किंग का एक माध्यम उपलब्ध कराता है. फेसबुक ऐसे कोई मापदंड निर्धारित नहीं करता कि लोगों को क्या पोस्ट करना है और क्या नहीं. वैसे ही चेंज डॉट ओआरजी पर भी याचिका की शुरुआत करने वाला ही अभियान को आगे बढ़ाता है. हम केवल यह चेतावनी देते हैं कि चेंज डाॅट ओआरजी का उपयोगकर्ता कोई भी आपत्तिजनक सामग्री न डाले या हिंसा को बढ़ावा देने वाला कोई काम न करे.

 एक याचिका को जब पर्याप्त समर्थक मिल जाते हैं तो अगला कदम क्या होता है? निर्णायकों से बदलाव की कैसे मांग की जाती है?

अलग-अलग याचिकाकर्ता अलग-अलग रणनीति अपनाते हैं. सोशल मीडिया के द्वारा अपनी याचिका पर फैसला लेने वाले निर्णायकों तक  पहुंचकर अपनी याचिका को मिले समर्थन को दिखाना, मीडिया में प्रचार करना या निर्णायकों के पास प्रत्यक्ष जाकर याचिका और उस पर समर्थन में किए गए हस्ताक्षर उन्हें सौंपना, कुछ सबसे लोकप्रिय नुस्खे हैं. मीडिया और सोशल मीडिया में याचिका की लोकप्रियता ही निर्णायकों के कान खड़े करने   के लिए काफी होती है. उनकी नजर बनी रहती है कि संबंधित याचिका को कितना समर्थन मिल रहा है? उन्हें जवाब देने का एक विकल्प भी उपलब्ध कराया जाता है और याचिका पर हस्ताक्षर करने वालों से संवाद स्थापित करने का भी.

एक महीने में औसतन आप कितनी याचिकाएं पाते हैं और इनमें से कितनी सफल हो पाती हैं?

हर महीने औसतन 1,200 याचिकाएं चेंज डॉट ओआरजी पर लगाई जाती हैं. वे एक हस्ताक्षर भी पाती हैं और तीन लाख से अधिक भी पा सकती हैं. साइट पर मौजूद तीस लाख उपयोगकर्ताओं में से एक तिहाई कम से कम एक सफल याचिका का हिस्सा रहे हैं.

 किसी याचिका को रोकने का निर्णय कब लिया जाता है?

ज्यादातर याचिका लगाने वाले जब अपना लक्ष्य पा लेने में सफल हो जाते हैं तो अपनी जीत घोषित कर देते हैं. अर्थात जब उनकी याचिका पर निर्णायकों द्वारा आवश्यक कदम उठा लिए जाते हैं . याचिकाकर्ता अपने लक्ष्य की प्राप्ति न होने तक लोगों का समर्थन जुटाने के लिए जब तक चाहे अपनी याचिका लोगों के हस्ताक्षर के लिए खुली रख सकता है. उसके पास यह भी विकल्प होता है कि यदि वह अपनी याचिका को आगे बढ़ाना जरूरी न समझे तो बंद कर दे.

 क्या कभी ऐसा हुआ कि आपकी ओर से विज्ञापित किसी याचिका का विरोध हुआ हो?

चेंज डाॅट ओआरजी एक खुला मंच हैं, हम किसी याचिका का विज्ञापन नहीं करते. चेंज डॉट ओआरजी पर आप देखोगे कि जो लोग क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर बदलाव लाने के लिए प्रयासरत हैं वे याचिकाओं की शुरुआत करते हैं.

यहां राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर ही नहीं बल्कि खेल, मनोरंजन और संस्कृति से भी संबंधित याचिकाएं लगाई जाती हैं. चेंज डॉट ओआरजी विपरीत परिस्थितियों में भी बदलाव के लिए जूझ रहे लोगों के कठोर प्रयासों की तस्वीर प्रस्तुत करता है. कई बार एक ही मुद्दे पर विरोधी याचिका भी लग जाती है. लेकिन चेंज डॉट ओरजी का मानना है कि विरोधाभास होना और उन पर बहस सामाजिक बदलाव के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है.