अरुणाचल प्रदेश विवाद

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क्या है मसला?

सुप्रीम कोर्ट ने 13 जुलाई को अपने फैसले में अरुणाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार को बहाल करने का आदेश दिया. जनवरी 2016 को प्रदेश की तत्कालीन नबाम तुकी सरकार के गिरने के लिए जिम्मेदार राज्यपाल ज्योति प्रसाद राजखोवा के सभी फैसलों को रद्द करते हुए अदालत ने कहा कि ये फैसले संविधान का उल्लंघन करने वाले थे. राज्य में तब राजनीतिक संकट गहरा गया था जब 60 सदस्यीय विधानसभा में सत्तापक्ष कांग्रेस के 47 में से 21 विधायकों ने मुख्यमंत्री को हटाने की मांग की थी. गतिरोध को देखते हुए केंद्र सरकार ने 24 जनवरी को वहां राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर दी थी. कई सप्ताह चली राजनीतिक उठापटक के बाद राज्यपाल राजखोवा ने कांग्रेस के बागी गुट के नेता कालिखो पुल को 19 फरवरी को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई थी. कालिखो को भाजपा के 11 विधायकों का समर्थन हासिल है.

क्याें छिड़ा विवाद?

पिछले साल नवंबर में कांग्रेस विधायकों ने राज्यपाल से विधानसभा उपाध्यक्ष को हटाने के लिए प्रस्ताव पेश करने की मंजूरी मांगी. वहीं भाजपा विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष को हटाने के लिए प्रस्ताव पेश करने की इजाजत मांगी. इसके बाद नौ दिसंबर को राज्यपाल ने विधानसभा सत्र 14 जनवरी, 2016 के स्थान पर करीब एक महीने पहले 16 दिसंबर को बुलाया. इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष नबाम रेबिया ने कांग्रेस के 21 बागी विधायकों में से 14 की सदस्यता समाप्त करने का नोटिस जारी किया. इस पर विधानसभा उपाध्यक्ष ने 21 में से 14 विधायकों की सदस्यता समाप्त करने का आदेश खारिज किया. इसके बाद नबाम तुकी सरकार ने विधानसभा भवन पर ताला जड़ा. विधानसभा की बैठक दूसरे भवन में हुई, जिसमें 33 विधायकों ने हिस्सा लिया. रेबिया को विधानसभा अध्यक्ष के पद से हटाने का प्रस्ताव पारित किया गया. बागियों ने होटल में विधानसभा सत्र बुलाया, तुकी के खिलाफ मतदान किया और कालिखो पुल को मुख्यमंत्री चुना. मामला गुवाहाटी हाई कोर्ट पहुंच गया. बाद में 26 जनवरी को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की. इसके खिलाफ तुकी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. 19 फरवरी को कोर्ट ने शक्ति परीक्षण संबंधी कांग्रेस की याचिका खारिज की जिसके बाद राष्ट्रपति शासन समाप्त हो गया और 20 फरवरी को पुल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. अब 13 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के फैसले को असंवैधानिक बताया और कांग्रेस सरकार की बहाली का आदेश दिया.

आगे क्या होगा?

अरुणाचल प्रदेश में संवैधानिक स्थिति स्पष्ट हो चुकी है लेकिन राजनीतिक स्थिति दुविधापूर्ण बनी हुई है. प्रदेश के मुख्यमंत्री नबाम तुकी ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया है. वहीं कांग्रेस विधायक दल ने पेमा खांडू को नेता चुन लिया है. खांडू ने कहा कि उन्होंने राज्यपाल के सामने सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है. पेमा अभी तक बागी गुट में शामिल थे. वे पूर्व मुख्यमंत्री दोरजी खांडू के पुत्र हैं. अरुणाचल के प्रभारी राज्यपाल तथागत रॉय ने कहा कि वे दाखिल किए गए कागजात का अध्ययन करेंगे और उसी के अनुसार शपथ ग्रहण का दिन तय किया जाएगा.