राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) के गठन और कॉलेजियम सिस्टम को हटाने के लिए संविधान संशोधन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल सुनवाई करने से इनकार कर दिया है. पिछले दिनों इस तरह की चार याचिकाएं कोर्ट में दाखिल की गई थीं.
जस्टिस एआर दवे की अध्यक्षता बनी तीन जजों की बेंच ने 121 वें संविधान संशोधन और एनजेएसी विधेयक की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर कहा कि इन्हें अभी से दाखिल करना जल्दबाजी है और याचिकाकर्ता इन्हीं आधारों पर याचिकाएं दोबारा दाखिल कर सकते हैं. इस बेंच का गठन विशेषतौर पर इस मामले की सुनवाई के लिए हुआ था. बेंच ने इस मामले पर आज डेढ़ घंटे तक सुनवाई की लेकिन विधेयक पर चल प्रक्रिया के बीच में इस में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया.
जजों की नियुक्ति करने वाली कॉलेजियम व्यवस्था को हटाने से जुड़े 121 वें संविधान संशोधन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चार जनहित याचिकाएं दायर की गई थीं. ये याचिकाएं पूर्व अतिरिक्त महा न्यायाधिवक्ता बिश्वजीत भट्टाचार्य, एडवोकेट आरके कपूर व मनोहर शर्मा और सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड असोसिएशन की ओर से दायर की थीं.
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि संविधान में 121 वां संशोधन विधेयक और एनजेएसी विधेयक 2014, असंवैधानिक हैं क्योंकि ये संविधान के बुनियादी ढांचे में बदलाव करते हैं.
उनका यह भी तर्क है कि न्यायपालिका और कार्यपालिका को संविधान की धारा 50 के मुताबिक स्पष्ट रूप से अलग-अलग किया गया है और इससे न्यायप्रणाली को स्वतंत्र होकर कार्य करने की ताकत मिलती है. याचिकाओं के मुताबिक संविधान में राज्य के नीति निर्देशक प्रावधानों के तहत यह अनुच्छेद निचली अदालतों के साथ-साथ ऊपरी अदालतों तक बराबरी से लागू होता है.
याचिकाकर्ताओं में से एक भट्टचार्य का कहना है कि संविधान भारत के मुख्य न्यायाधीश को सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति का अधिकार देता है. वे तर्क देते हैं, ‘ अब यह अधिकार एनजेएसी को दिया जा रहा है. आयोग में शामिल चीफ जस्टिस और उनके साथ दो और जस्टिसों की राय को कानून मंत्री वीटो पावर के इस्तेमाल से कभी-भी नकार सकते हैं. इससे न्यायपालिका की स्वतंत्रता बाधित होती है और यह संविधान की उस मूल भावना, जिसके तहत न्यायपालिका को अलग से अधिकार दिए गए हैं, के खिलाफ है.’
राज्य सभा में बीते 14 अगस्त को ही 121वें संविधान संशोधन और एनजेएसी विधेयक को पारित किया है और इससे एक दिन पहले यह लोकसभा में पारित हुआ था.