अपनी पेंसिल के जरिए लंबे समय से आम आदमी की आवाज को बुलंद करते आ रहे कार्टूनिस्ट आर के लक्ष्मण नहीं रहे. 93 साल के लक्ष्मण लम्बे अरसे से किडनी से संबंधित रोग से जूझ रहे थे. बीते कई दिनों से वह जीवन रक्षक प्रणाली (लाईफ स्पोर्ट सिस्टम) पर थे. उनका निधन 26 जनवरी को देर शाम पुणे के दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल में हुआ.
परिवार में सबसे छोटे और प्रसिद्ध उपन्यासकार आरके नारायण के भाई लक्ष्मण का जन्म 1921 में मैसूर में हुआ था. उन्होंने छोटी उम्र से ही मालगुडी को चित्रांकित करना शुरू कर दिया था. 1940 में उन्होंने बतौर कार्टूनिस्ट काम करना शुरू किया और स्वतंत्र भारत में ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ से जुड़े, जिसने पांच दशकों तक उनके ‘कॉमन मैन’ को ‘यू सेड इट’ नामक कॉलम में जगह दी.
आश्चर्यजनक सत्य यह भी है कि भारत के सफलतम कार्टूनिस्ट रहे लक्ष्मण को प्रसिद्ध जेजे कालेज ऑफ आर्ट्स, बम्बई ने दाखिला देने से मना कर दिया था. आवेदन को वापस करते हुए जेजे कालेज ने कहा था कि उनके अंदर ‘दाखिले के लिए जरूरी न्यूनतम प्रतिभा की कमी है.’
लक्ष्मण अपने कार्टूनों में अचूक कटाक्ष और व्यंग्य के लिए जाने जाते हैं. सात दशकों तक कार्टून की दुनिया पर राज करने वाले कॉमन मैन के जनक लक्ष्मण लगातार राजनेताओं की गलतियों को अपनी पेंसिल से रेखांकित करते आए थे. शायद ही कोई राजनेता रहा हो जो लक्ष्मण के व्यंग्यात्मक कार्टून से बच सका हो. लक्ष्मण ने एक बार तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर तंज कसते हुए एक हास्य चित्र बनाया था, जिसके बाद खुद नेहरू ने उन्हें पत्र लिखा था. उस पत्र में नेहरू ने शिकायत नहीं, बल्कि लक्ष्मण से गुजारिश की थी कि वह अपने हस्ताक्षर के साथ चित्र की कॉपी उन्हें भेजें.
इंदिरा गांधी भी लक्ष्मण के हास्य चित्रों का निशाना रही थीं. आपातकाल के दौरान तो उन पर लक्ष्मण के हमले और तीखे हो गए थे. सेंसरशिप जब अपने चरम पर थी, तब उन्होने अपने कॉमन मैन को अखबार के नीचे सिर छिपाए हुए दिखाया था, जिस पर ‘वेरी गुड, वेरी हैप्पी’ के शीर्षक लगे थे.
जनता की आवाज माने जाने वाले लोकनायक जयप्रकाश नारायण भी लक्ष्मण के व्यंग्यों से बचने में नाकामयाब रहे थे.
दशकों तक राजनैतिक कार्टूनों के जरिए खुद को अभिव्यक्त करने वाले लक्ष्मण ने बदली राजनीतिक पृष्ठभूमि पर कहा था, ‘मुझे नहीं लगता कि राजनेता आम आदमी का प्रतिनिधत्व करते हैं. वे आम आदमी को भूल चुके हैं, उन्हें लगता है कि आम आदमी उनके लिए है, उनकी सेवा के लिए है.’
लक्ष्मण के कार्टून केवल राजनीति तक ही सीमित नहीं थे. दूरदर्शन के दर्शकों के दिलों पर लंबे समय तक राज करने वाले धारावाहिक ‘मालगुडी डेज’ की पहली झलक आरके लक्ष्मण के बनाए ‘कॉमन मैन’ के साथ शुरू होती थी. फिल्म अभिनेता सलमान खान के विवादित ‘हिट एंड रन’ मामले पर भी लक्ष्मण ने अपने खास अंदाज में टिप्पणी की थी.
साल 2005 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था. इसी साल उन्हें मैसूर विश्वविद्यालय ने डॉक्टरेट की उपाधि भी दी थी. इससे पहले उन्हें 1971 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था. वह साल 1984 में मैग्सेसे अवार्ड से सम्मानित हुए थे.
लक्षमण ने दो विवाह किए थे और दोनों पत्नियों का नाम कमला था. पहली पत्नी भरतनाट्यम नर्तकी और फिल्म अदाकारा थी और दूसरी पत्नी लेखिका थी.
आम आदमी के अलावा एशियन पेंट्स का प्रसिद्ध मैस्कॉट ‘गटू’ भी उनकी पेंसिल से ही निकला था. 2003 के पैरालिसिस अटैक में लक्ष्मण के शरीर के बायें हिस्से ने काम करना बंद कर दिया था जिससे वह कभी पूरी तरह उबर नहीं सके.
उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी सहित कई जानी-मानी हस्तियों ने ट्वीट के जरिए शोक प्रकट किया है.