2013 में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में हुए दंगों की जांच के लिए बने आयोग के अध्यक्ष जस्टिस विष्णु सहाय ने दंगों की रिपोर्ट उत्तर प्रदेश के राज्यपाल को हाल ही में सौंप दी. जांच रिपोर्ट को सार्वजानिक तो नहीं किया गया है पर सूत्रों की मानें तो रिपोर्ट में सपा और भाजपा के नेताओं को दंगों के लिए जिम्मेदार बताया गया है, साथ ही कुछ नौकरशाहों और पुलिस अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठे हैं.
गौरतलब है कि अगस्त 2013 में एक लड़की से छेड़छाड़ के बाद एक मुस्लिम युवक की हत्या से भड़की हिंसा ने सांप्रदायिक दंगों का रूप ले लिया और दंगों की आंच आसपास के इलाकों में भी पहुंच गई थी. दंगों में 60 से ज्यादा जानें गईं और 50,000 से ज्यादा लोग बेघर हुए. दो साल में तैयार 775 पृष्ठों की जांच रिपोर्ट में 478 लोगों के बयान दर्ज किए गए हैं, जिसमें 101 बयान अधिकारियों और बाकी 377 जनता केे हैं.
रिपोर्ट में सपा और भाजपा के नामों का कयास लगते ही राजनीति शुरू हो गई है. जहां भाजपा के लोग इसे ‘राजनीतिक उद्देश्यों’ से प्रेरित बता रहे हैं, वहीं कांग्रेस प्रवक्ता वीरेंद्र मदान का कहना है, ‘उस समय लोकसभा चुनाव कुछ ही समय दूर थे इसीलिए भाजपा में ये दंगे करवाए. सत्ता में होते हुए भी सपा ने इस पर कोई कदम नहीं उठाया. दंगों में इन दोनों दलों की भूमिका थी.’ इस बीच भाजपा सांसद संगीत सोम, जिन पर इन दंगों को भड़काने के आरोप हैं, का कहना है, ‘हमें इस जांच का हिस्सा नहीं बनाया गया है, ये रिपोर्ट पूरी तरह से एकपक्षीय है.’