एक बड़े अंतराल के बाद कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी लोकसभा के भीतर हमलावर अंदाज में दिखे. सांप्रदायिक हिंसा बिल पर चर्चा कराने की मांग को लेकर वे अपनी पार्टी के सांसदों के साथ सदन के वेल में पहुंच गए और हंगामा करने लगे. इसके बाद उन्होंने तानाशाही नहीं चलेगी और प्रधानमंत्री जवाब दो जैसे नारे लगाए. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सदन में मौजूद थे. हंगामा थमता न देखकर लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सदन की कार्रवाई 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी. हालांकि कार्रवाई दोबारा शुरू होने पर भी हालात में कोई फर्क नहीं आया. कांग्रेस, राजद, जदयू, और आम आदमी पार्टी के सदस्य अध्यक्ष के आसन के पास नारेबाजी करते रहे. बाद में संवाददाताओं से बात करते हुए राहुल गांधी ने इशारों ही इशारों में लोकसभा अध्यक्ष महाजन पर पक्षपात का आरोप लगाया. उनके मुताबिक संसद में ऐसी भावना है कि देश में किसी बात पर केवल एक व्यक्ति की ही बात मायने रखती है. उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि उसने किसी भी चर्चा को स्वीकार न करने की मानसिकता बना ली है.
उधर, भाजपा ने राहुल गांधी के इस व्यवहार को अर्यादित बताया. पार्टी नेता राजीव प्रताप रूडी का कहना था कि राहुल गांधी बोलना चाहते हैं, यह ठीक है, लेकिन इसकी एक तय प्रक्रिया होती है जिसका उन्हें पालन करना चाहिए. पार्टी नेता अरुण जेटली ने चुटकी लेते हुए कहा कि राहुल गांधी अगर कुछ करते हुए दिखना ही चाहते हैं तो पहले अपनी पार्टी में कुछ करते हुए दिखें जो कई नेताओं के विद्रोही तेवरों के चलते संकट का सामना कर रही है.