फ्रांस में नए श्रम कानूनों को देशव्यापी विरोध का सामना करना पड़ रहा है. इस दौरान पेरिस में पुलिस तथा नकाबपोश युवकों के बीच संघर्ष की घटनाएं भी सामने आई हैं. तेल रिफाइनरियों, परमाणु बिजलीघरों, बंदरगाहों और परिवहन केंद्रों के कर्मचारियों के हड़ताल में शामिल होने से स्थिति और खराब हो गई है. कर्मचारी यूनियनों के अनुसार, नए श्रम कानूनों के अंतर्गत कंपनियों को अपनी मर्जी से नौकरी देने और निकालने का अधिकार होगा. कंपनियां काम के घंटे प्रति सप्ताह 35 से बढ़ाकर 46 घंटे तक कर सकती हैं. कंपनियों को वेतन कम करने की भी अधिक आजादी देने का प्रावधान है. सार्वजनिक व कानूनी छुट्टियों में कर्मचारियों की सहमति से कटौती के भी अधिकार देने की बात है. फ्रांस यूरो फुटबॉल चैंपियनशिप, 2016 का आयोजक है. ऐसे में फ्रांसीसी सरकार अत्यधिक दबाव के बावजूद नए श्रम कानून को लागू करने पर अड़ी है.