किन कारणों से इतनी बड़ी संख्या में सीरियाई नागरिक यूरोप की ओर पलायन कर रहे हैं? आप क्या सोचते हैं, इसके लिए कौन जिम्मेदार है?
सबसे पहले मैं आपसे ये पूछना चाहता हूं कि इस समस्या के पीछे कौन है? शरणार्थी संकट की वजह क्या है? सीरिया में यह समस्या तब शुरू हुई जब अमेरिका, सऊदी अरब, तुर्की, कतर और कुछ दूसरे देशों ने मिलकर यहां हमारे लोगों को मारने और हमारे देश काे नष्ट करने के लिए भाड़े के सैनिक भेजे. तुर्की ने इन लोगों के समर्थन में अपनी सीमा खोल दी ताकि ये लोग सीरिया में प्रवेश कर सकें. सीरिया में यह समस्या आतंकवाद के कारण शुरू हुई और इस समस्या को बनाने में शीर्ष स्थान पर कौन हैं? ये वही देश थे, जिनके बारे में मैंने ऊपर बताया है.
अपना घर कौन छोड़ना चाहता है? कोई अपना देश नहीं छोड़ना चाहता. इससे पहले हमारे यहां यह समस्या (शरणार्थी संकट) नहीं थी. शरणार्थियों का इस तरह पलायन कोई सहज बात नहीं है. उन्होंने हमारे देश में समस्या खड़ी की, अब यह समस्या खुद उनके देशों की ओर बढ़ रही है. उनका उद्देश्य सीरिया को बर्बाद करना है और सैन्य शक्ति के दम पर यहां की सत्ता में परिवर्तन करना है. 2011 में जब युद्ध शुरू हुआ और उसके बाद जो कुछ भी हुआ, ये सारी गतिविधियां सीरिया के शासन को अस्थिर करने के लिए पश्चिम की चाल है. तुर्की ने अपनी सीमाओं को खुला छोड़ रखा है और वह भाड़े के सैनिकों को सीरिया में घुसने के लिए सहयोग कर रहा है. तुर्की पश्चिम को यह बता रहा है, ‘देखो, तुम्हें मुझसे मदद की गुहार लगानी पड़ेगी. अगर तुम मुझसे मदद के लिए नहीं कहते हो तो मैं सीमा खुली छोड़ दूंगा.’ तुर्की के राष्ट्रपति तैयप इरडोगन का उद्देश्य सीरिया में ‘नो फ्लाई जोन’ बनाना है. तो इस तरह उनकी मंशा है कि यदि आप मुझे ‘नो फ्लाई जोन’ बनाने में मदद नहीं करते तो मैं अपने दरवाजे (सीमा) खुले छोड़ दूंगा. पश्चिम सीरियाई शरणार्थियों का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए करना चाहता है. धर्म को सीरिया के विरूद्ध इस्तेमाल करना पश्चिम का उद्देश्य है. सीरियाई लोगों के जेहन को वे इस कदर बदल देना चाहते हैं कि अगर भविष्य में सीरिया में राष्ट्रपति के चुनाव हों तो लोग बशर अल असद के खिलाफ वोट करें.
तुर्की के समुद्री किनारे पर बहकर आई ऐलन कुर्दी की लाश की तस्वीरों ने सारी दुनिया के लोगों को हिलाकर रख दिया. तो अगर मैं आपसे पूछूं कि ऐलन कुर्दी को किसने मारा तो आपका जवाब क्या होगा?
इसके लिए वही लोग जिम्मेदार हैं, जिन्होंने सीरिया समेत सारी दुनिया में अशांति फैला रखी है. सारी दुनिया में आत्मघाती बम धमाके वहाबियों (इस्लाम की एक शाखा, जिसका स्वभाव अत्यन्त कट्टर माना जाता है) के द्वारा ही किए जा रहे हैं. उन्हें समर्थन कौन दे रहा है? आतंक की एक भी घटना किसी गैर-वहाबी व्यक्ति द्वारा नहीं की गई है. चाहे वह न्यूयार्क में 9/11 का हमला हो, 2004 का मैड्रिड रेल धमाका हो, 2005 में लंदन बम धमाका या फिर 2015 में पेरिस में ‘चार्ली हेब्दो’ टेबलॉयड के दफ्तर पर किया गया हमला हो, ये सभी वहाबियों द्वारा किए गए हैं. आपको एक उदाहरण देता हूं. इसी साल जनवरी में पेरिस के सुपर मार्केट में हुए हमले में दशहतगर्द अमेदी कौलीबली की पत्नी हयात बौमेद्दीन के बारे में कथित रूप से खबर आई थी कि वह तुर्की के रास्ते सीरिया भाग गई थी. इसमें किसने उसकी मदद की? सीरिया सीमा पार आतंकवाद का सामना कर रहा है और इस वजह से भी पलायन बढ़ रहा है. शरणार्थी उन इलाकों से निकलकर आ रहे हैं जहां आतंकी समूह सक्रिय हैं. सभी शरणार्थी सीरियाई नहीं हैं. कुछ इराकी हैं, कुछ एरिट्रियाई (अफ्रीका महाद्वीप में स्थित एरिट्रिया देश के नागरिक) और कुछ दूसरे देशों से भी हैं. कुछ लोगों के बारे में खबर मिली है कि उन्होंने यूरोप में प्रवेश करने के लिए नकली सीरियाई पासपोर्ट का इस्तेमाल किया है. इनमें से तकरीबन 25 प्रतिशत आईएस के लोग हैं. पहले उन्होंने हमारे देश में खराब सामान भेजा, अब वे अपने देश में खराब सामान पा रहे हैं. सीरिया में उनके काम का यही प्रभाव या प्रतिक्रिया है.
इस्लामिक स्टेट का मूल सूत्र क्या है?
यह सब जानते हैं कि किस तरह अमेरिका और सऊदी अरब जैसे उसके साथी देशों ने मिलकर अफगानिस्तान में सोवियत संघ को हराने के लिए अलकायदा को खड़ा किया. उन्होंने इस्लामी देशों से लोगों को भर्ती किया और उन्हें नास्तिकों के खिलाफ लड़ाई में लगाया. यह तरीका उस समय सफल रहा. कुछ समय बाद इराक और अफगानिस्तान पर अमेरिका का कब्जा हो गया. जब इराक में बड़ी संख्या में अमेरिकी सैनिक अपनी जान गंवाने लगे और इराक पर अमेरिका अपना कब्जा जारी नहीं रख सका तो उसे एक नया विचार आया यह अफगानिस्तान मॉडल की ही तर्ज पर था और फिर उसने इस्लामिक स्टेट तैयार किया.
इस्लामिक स्टेट पश्चिमी एशिया में अलकायदा की ही एक शाखा है, जिसे अमेरिका का पूरा समर्थन है और सीधे सऊदी अरब से अनुदान मिल रहा है. इस्लामिक स्टेट वहाबीवाद ही है. दूसरी ओर पश्चिमी एशिया में किसी भी जमीन पर कब्जा करने के लिए, किसी भी सत्ता को बर्बाद करने, अमेरिकी नीतियों को लागू करने और अपने हित साधने के लिए अमेरिका भाड़े के सैनिकों की पूरी सेना का नेतृत्व कर रहा है. सीरिया एक धर्मनिरपेक्ष देश है, जो पूरी तरह अमेरिकी योजनाओं के खिलाफ है और अमेरिकी कैंप का अनुयायी नहीं बनना चाहता. अगर अमेरिकी लोकतंत्र इराक और यमन को बर्बाद करता है तो हम ऐसे अमेरिकी लोकतंत्र में यकीन नहीं करते! इस वजह से सीरिया, इराक, ईरान के खिलाफ वह इस्लामिक स्टेट का इस्तेमाल कर रहा है. ये हर उस देश के खिलाफ हैं, जो अमेरिकी नीतियों के अनुयायी नहीं बनना चाहते. यही वास्तविकता है.
यह कैसे हुआ कि इस्लामिक स्टेट इतना मजबूत संगठन बन गया? इस्लामिक स्टेट को समर्थन कौन दे रहा है? यह वही देश है जो हमारा कच्चा तेल चुराता है और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में बेच देता है. आपको क्या लगता है, इस्लामिक स्टेट के प्रशिक्षण शिविर कहां हैं? ये तुर्की में हैं. आप यह क्यों नहीं देखते कि इस्लामिक स्टेट द्वारा अपहृत हर आदमी को मार दिया जाता है लेकिन तुर्की राजदूतों को नहीं मारा गया जिनका अपहरण इस्लामिक स्टेट ने इराक में किया था. ऐसा कैसे है कि इस्लामिक स्टेट ने सीरिया की सभी पुरानी मजारों को तोड़ दिया है, सिवाय सुलेमान शाह की मजार के, जो कि ऑटोमन साम्राज्य (तुर्की साम्राज्य) के संस्थापक ओसमान प्रथम के दादा थे. (इस साल की शुरुआत में तुर्की शासन ने सुलेमान शाह की मजार को उसके मूल स्थान से हटाकर तुर्की-सीरिया सीमा पर बनाया था). इस्लामिक स्टेट ने कथित रूप से एक नक्शा जारी किया है जिसमें भारतीय उपमहाद्वीप को शामिल किया गया है. इस्लामिक स्टेट भारत तक पहुंच चुका है लेकिन इसने तुर्की की एक सेंटीमीटर जमीन तक को नक्शे में शामिल नहीं किया है, क्यों? अगर यह इस्लाम और इसकी अस्मिता का मसला है तो इस्लामिक स्टेट अल अक्सा मस्जिद (इसी मस्जिद से इस्लाम धर्म की उत्पति मानी जाती है. माना जाता है कि इसी स्थान से इस्लाम धर्म के पैगम्बर मोहम्मद साहब ने जन्नत के लिए प्रस्थान किया था.) के लिए क्यों नहीं लड़ता, जिस पर इस्राइल का कब्जा है.
हम नहीं चाहते कि कोई देश इस्लामिक स्टेट के खिलाफ लड़े. यदि पश्चिम सचमुच इस्लामिक स्टेट से टकराने के लिए गंभीर है तो उन्हें ये कदम उठाने चाहिए; पहला- आईएस को अनुदान देना बंद करें. दूसरा- सीरिया के साथ लगी तुर्की की सीमा को बंद करना चाहिए. एक बार ऐसा हो जाने पर सीरियाई सेना सीरिया की सीमा के भीतर इस्लामिक स्टेट को हराने की अपनी जिम्मेदारी को सफलतापूर्वक निभाएगी. यह बहुत सरल है. पश्चिम इस्लामिक स्टेट के खिलाफ अपनी लड़ाई को सीरिया की सरकार को अस्थिर करने के लिए इस्तेमाल कर रहा है.
क्या सीरिया में गृहयुद्ध की समस्या का कोई शांतिपूर्ण हल निकलने के आसार हैं? यदि हैं तो आप कैसे इस दिशा में बढ़ेंगे?
यदि मीडिया की कुछ रिपोर्टों पर भरोसा किया जाए तो सीरिया के संकट का राजनीतिक हल निकालने के लिए चर्चा की जा रही है. रूस और अमेरिका के बीच कुछ बातचीत चल रही है. कोई भी युद्ध हमेशा नहीं चलता लेकिन सीरिया के भीतर आतंकवाद का जो असर पड़ा है उससे इस क्षेत्र के सभी देश प्रभावित होंगे.
आप ‘ब्रिक्स’ समूह की भूमिका को किस प्रकार देखते हैं, जिसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं. रूस के विदेश मंत्री सरगेई लावरोव ने कहा है कि सीरिया को सैन्य हथियारों और सैनिकों समेत सैन्य सहयोग देते रहेंगे. आप सीरिया और रूस के बीच द्विपक्षीय संबंधों की वर्तमान स्थिति और सीरिया-रूस गठबंधन के भविष्य को कैसे देखते हैं?
इस संकट का राजनीतिक हल तलाशने और सैन्य शक्ति के इस्तेमाल के खिलाफ ब्रिक्स द्वारा लिए गए पक्ष का हम सम्मान करते हैं. हम भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वकतव्य की भी प्रशंसा करते हैं जिसमें उन्होंने कहा है कि आतंकवादी अच्छे या बुरे नहीं होते.
सीरिया में शांति के लिए अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं जैसे संयुक्त राष्ट्र संघ, यूरोपियन यूनियन और लीग ऑफ अरब स्टेट जैसी स्थानीय संस्थाओं द्वारा निभाई गई भूमिका से संतुष्ट हैं?
लीग ऑफ अरब स्टेट एक बदतर संगठन है. यह अपने खुद के सदस्यों का बचाव नहीं करता. इसने इराक, यमन, लीबिया या सीरिया के लिए क्या किया है? इस लीग का सबसे सशक्त प्रभाव यही है कि इसके कारण अरब देश बर्बाद हो गए हैं. जहां तक संयुक्त राष्ट्र संघ का सवाल है, वह अमेरिकी नीतियों का ही अनुयायी है.
क्या सरकार नियंत्रित सीरिया और इस्लामिक स्टेट नियंत्रित सीरिया के बीच का विभाजन अब लगभग स्थायी हो चुका है? क्या यह विभाजन पूर्ण हो चुका है?
ऐसा एक भी इलाका नहीं है, जहां सीरिया की सेना प्रवेश नहीं कर सकती. सभी मुख्य शहर सीरियाई सेना के नियंत्रण में हैं. सेना जहां प्रवेश करना चाहती है, वहां प्रवेश कर सकती है. सीरिया के भीतर लगभग चालीस लाख लोगों ने इस्लामिक स्टेट और जभात अल नूसरा जैसे आतंकी समूहों के कारण अपना आवास स्थानांतरित किया है. आंतरिक रूप से विस्थापित ये लोग अब सीरियाई सेना द्वारा नियंत्रित इलाकों में जा रहे हैं.