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मुद्दों को लेकर सड़कों पर उतरे युवाओं की राय महत्वपूर्ण, लोकतंत्र में उनकी आस्था दिल छूने वाली : प्रणव मुखर्जी

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी के खिलाफ देश भर में चल रहे प्रदर्शनों, खासकर छात्रों के प्रदर्शन पर कहा है कि मुद्दों को लेकर बड़ी संख्या में सड़कों पर निकले युवाओं की राय भी महत्वपूर्ण है और उन्हें सुना जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश के युवाओं की लोकतंत्र के प्रति आस्था दिल को छू लेने वाली है।

दिल्ली में चुनाव आयोग के एक कार्यक्रम में वरिष्ठ नेता ने कहा कि लोकतंत्र में सभी की बात सुनने, विचार व्यक्त करने, विमर्श करने, तर्क वितर्क करने और यहां तक कि असहमति की भी महत्वपूर्ण जगह है। उन्होंने कहा – ‘मेरा मानना है कि देश में शांतिपूर्ण आंदोलनों की मौजूदा लहर एक बार फिर हमारे लोकतंत्र की जड़ों को गहरा और मजबूत बनाएगी। सहमति और असहमति लोकतंत्र के मूल तत्व हैं।”

पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र को बार-बार परखा गया है। कहा कि पिछले कुछ महीनों में लोग बड़ी संख्या में सड़कों पर निकले, विशेष रूप से युवा। मुखर्जी ने कहा – ”वे उन मुद्दों पर अपने विचार रखने के लिए निकले जो उनकी राय में महत्वपूर्ण हैं। संविधान में इनकी आस्था दिल को छूने वाली बात है।”

प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भारत की लोकतंत्र के साथ कोशिश एक ऐसी कहानी है, जिसे बार-बार बताने की जरूरत है। शालीनता से सत्ता हासिल करने की प्रवृत्ति बढ़ती है। मुखर्जी ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में लोग, विशेष रूप से युवा बड़ी संख्या में सड़कों पर निकले हैं ताकि मुद्दों पर अपने विचारों को आवाज़ दे सकें “जो उनके विचार में महत्वपूर्ण हैं।”

पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र का बार-बार परीक्षण किया गया है और आम सहमति ही लोकतंत्र की जिंदगी है। संविधान में उनका (विरोध करने वाले युवा) विश्वास दिल को छूने वाला है। पूर्व राष्ट्रपति ने कहा – ”लोकतंत्र सुनने, विचार-विमर्श, चर्चा, बहस और यहां तक कि असंतोष पर चलता है।”

भाजपा प्रत्याशी मिश्रा की नजर में दिल्ली विधानसभा चुनाव ‘भारत, पाकिस्तान के बीच मुकाबला’

वैसे तो भाजपा नेता पाकिस्तान को ”पिद्दी” और क्या-क्या नहीं कहते, लेकिन पाकिस्तान को ”हीरो” बनाने में भी भाजपा के नेता पीछे नहीं रहते। अब विधानसभा के चुनाव तो दिल्ली में हो रहे हैं, भाजपा के एक प्रत्याशी कपिल मिश्रा ने इन चुनावों को ”भारत-पाकिस्तान के बीच मुकाबला” बता दिया है।

मिश्रा की यह ब्यान देने के पीछे क्या मंशा रही है यह तो वे ही जानें, इसपर विवाद  जरूर पैदा हो गया है। एक ट्वीट कर कपिल मिश्रा ने कहा – ”आठ फरवरी को दिल्ली की सड़कों पर हिंदुस्तान और पाकिस्तान का मुकाबला होगा।”

एक और ट्वीट कर मिश्रा ने यह भी कहा – ”पाकिस्तान की एंट्री शाहीन बाग में हो चुकी हैं। दिल्ली में छोटे-छोटे पाकिस्तान बनाये जा रहे हैं। शाहीन बाग, चांद बाग, इंद्रलोक में देश का कानून नहीं माना जा रहा। पाकिस्तानी दंगाइयों का दिल्ली की सड़कों पर कब्जा है।”

पहले आप में रह चुके कपिल मिश्रा अब भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं और कुछ समय पहले जनसंख्या की समस्या को मुस्लिम समाज से जोड़ने वाला ब्यान भी दे चुके हैं। उनके उस ब्यान पर भी ख़ासा विवाद हो गया था। वैसे तो भाजपा के तमाम बड़े नेता भी पाकिस्तान को हर मुद्दे पर सामने ले आते हैं। पिछले कई चुनावों में भी भाजपा नेता ऐसे ब्यान देते रहे हैं।

कपिल मिश्रा का ट्वीट –

Kapil Mishra

@KapilMishra_IND
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8 फरवरी को दिल्ली की सड़कों पर हिंदुस्तान और पाकिस्तान का मुकाबला होगा

कोरोना वायरस से चीन में १७ की मौत

चीन में फैले कोरोना वायरस से अब तक १७ लोगों की मौत हो गयी है। इसके बाद अन्य देशों ने भी ऐहतियाती कदम उठाते हुए अपने नागरिकों से सावधानी बरतने को कहा है। चीन में कोरोना फैलने के बाद वहां पूरे देश को अलर्ट पर रखा गया।

रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन ने वुहान शहर से बाहर जाने वाली उड़ानों और ट्रेनों को निलंबित कर दिया है और लोगों को बिना इमरजेंसी शहर नहीं छोड़ने को कहा है।

वहां अभी भी ५५० से ज्यादा लोग इस वायरस से संक्रमित बताए गए हैं जबकि १७ लोगों की जान जा चुकी है। यही नहीं अमेरिका में भी इस वायरस का एक मामला  सामने आया है। अमेरिका, हांगकांग, मकाओ और मैक्सिको से भी घातक निमोनिया के मामले सामने आए हैं।

याद रहे कोरोना एक ऐसा वायरस है जो आम सर्दी से लेकर तीव्र श्वसन सिंड्रोम तक की बीमारियों का कारण विकसित होता है। कोरोन वायरस वायरस के सामान्य लक्षणों में बुखार, खांसी, सांस की तकलीफ और सांस लेने में तकलीफ जैसे श्वसन लक्षण शामिल हैं।

उधर चीन के अधिकारियों ने चेतावनी जारी की है कि छुट्टियों के मौसम में यह संक्रमण और फैल सकता है क्योंकि इस दौरान लाखों लोग स्वदेश या विदेश में यात्रा करते हैं। बीमारी के मुख्य केंद्र वुहान शहर के लोगों को सलाह दी गई है कि वो शहर से बाहर न जाएं। मध्य चीन के हूपेइ प्रांत की राजधानी वूहान समेत कुछ इलाकों में नए कोरोना वायरस संक्रमित न्यूमोनिया के मामले सामने आए हैं।

वायरस से निपटने के लिए चीनी सरकार और विभिन्न स्थानीय विभागों ने युद्ध स्तर पर  कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। चीन के क्वांगतोंग, पेचिंग और शांगहाई आदि जगह व्यापक तौर पर रोकथाम और नियंत्रण कार्य की व्यवस्था करने के लिए तेज प्रतिक्रिया उठाई गई है।

नीतीश नाराज है प्रशांत किशोर और पवन से, कर सकते हैं उन्हें बाहर

जनता दल यूनाइटेड (जदयू) में खटपट बढ़ती जा रही है। वरिष्ठ नेता प्रशांत किशोर को खुलकर सीएए और एनआरसी के खिलाफ बोल ही रहे हैं, एक और वरिष्ठ नेता पवन वर्मा के भी इस मसले पर खुले विरोध में आ जाने से जेडीयू में झगड़ा बढ़ गया है। मुख्यमंत्री और जेडीयू सर्वेसर्वा नीतीश कुमार ने अब इस तरह की टिप्पणियों को लेकर कहा है कि वो (पवन) जाना चाहें (दूसरी पार्टी में) तो जा सकते हैं।

गौरतलब है कि प्रशांत पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पवन राष्ट्रीए महासचिव हैं। दरअसल नीतीश कुमार के सीएए और एनआरसी पर ढुलमुल स्टैंड को लेकर तो पार्टी के बीच सुगबुगाहट है ही, दिल्ली के विधानसभा चुनाव में जेडीयू के भाजपा के साथ गठबंधन पर भी पार्टी में असंतोष जैसी स्थिति है। खुल कर इनका विरोध होने से नीतीश कुमार ऐसे नेताओं से नाराज हैं।

अब उन्होंने एक तरह से भाजपा के साथ को पुष्ट करते हुए अपने ही नेताओं को टारगेट पर कर लिया है जो विरोधी तेवर अपना रहे हैं। महासचिव पवन कुमार की
चिट्ठी पर नीतीश कुमार ने पवन को कड़ा जवाब देते हुए गुरूवार को कहा कि ”वह (पवन) जा सकते हैं और किसी भी पार्टी में शामिल हो सकते हैं, जिसे वह पसंद करते हैं। उन्हें मेरी शुबकामनाएं।”

नीतीश कुमार ने कहा – ”अगर किसी के पास कोई मुद्दा है तो वह पार्टी या पार्टी की बैठकों में इस पर चर्चा कर सकता है, लेकिन इस तरह के सार्वजनिक बयान आश्चर्यजनक हैं।”

सीएम की टिप्पणी पर पवन ने भी जवाब देने में देरी नहीं की और कहा कि वह नीतीश कुमार के इस बयान का स्वागत करते हैं कि पार्टी में बहस की जगह है। उन्होंने कहा – ”फिलहाल मैं अपने पत्र के जवाब का इंतजार कर रहा हूं और जवाब आने के बाद ही आगे की राह तय करूंगा।”

हालात से जाहिर होता है कि नीतीश कुमार भाजपा को किसी सूरत में नाराज नहीं करना चाहते भले अपने नेताओं को उन्हें बाहर करना पड़े। ऐसे संकेत हैं कि नीतीश प्रशांत किशोर और पवन कुमार की बलि चढ़ा सकते हैं।

नीतीश के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह भी दोनों नेताओं पर एक्शन लेने के लिए सीएम से बात करने की बात कह रहे हैं जिससे जाहिर होता है कि दोनों को बाहर करने की पृष्ठभूमि तैयार की जा चुकी है।

चंडीगढ़ में ट्रिपल मर्डर

चंडीगढ़ के मनीमाजरा में परिवार के तीन सदस्यों की हत्या कर दी गयी है। परिवार के मुखिया को गंभीर हालत में पीजीआई में दाखिल किया गया है। वह एक डेरी चलाता है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक यह घटना चंडीगढ़ के हाऊसिंग बोर्ड कॉम्प्लेक्स, मनीमाजरा  की है जहां बुधवार देर रात एक हर में एक महिला, उसकी बेटी और बेटे का शव बरामद हुआ। तीनों के शवों पर धारदार हथियार के निशान हैं। घर के मालिक संजय अरोड़ा पीजीआई में दाखिल हैं।

ख़बरों में बताया गया है कि वारदात स्थल पर पहुंची पुलिस को  घर में रहने वाली  सरिता (४५) , बेटी सांची (२१) और बेटे अर्जुन (१६) के खून से लथपथ शव मिले हैं। तीनों के सिर और गर्दन को तेज धार हथियारों से रेता गया है।

अभी तक की ख़बरों के मुताबिक अज्ञात लोगों ने मॉर्डन कॉम्प्लेक्स के मकान नंबर ५०१२ में इन लोगों की हत्या की। वास्तव में इन हत्याओं की पीछे कौन है, इसे लेकर पुलिस ने अभी कुछ नहीं बताया है। पुलिस ने शव कब्जे में लेकर तफ्तीश शुरू कर दी है। घटना की जानकारी मिलते ही थाना पुलिस, क्राइम ब्रांच, फॉरेंसिक टीम और एसएसपी नीलांबरी जगदाले भी पहुंचे। संजय पंचकूला सेक्टर ९ में कृष्णा नाम से डेयरी चला रहा है।

मेरी दुनिया मेरे लोग…

नासिरा शर्मा शाहीन बाग में आंदोलनकारी ‘दादी’ के साथ।

शाहीन बाग की वह रात मेरे लिए बोलने की नहीं, महसूस करने की रात साबित हुई। जामिया मिल्लिया इस्लामिया की बुनियाद, स्वतंत्रता संग्राम की तारीख़ और अपने अध्यापन काल के वह चंद साल जैसे अपने को दोहराने लगे थे। वह सारी बातें और यादें मेरे ज़हन की बंद सीपियों से खुलकर अचानक मोतियों की तरह जगमगाने लगी थीं।

जो आँखों के सामने था वह वर्तमान था। उससे तालमेल बिठाती मैं काफ़ी देर तक खोई खोई सी रही। ज़बान से शब्द ग़ायब हो चुके थे और दिल और दिमाग़ जज़्बात के भंवर में फंस चुके थे।

अचानक मेरे अहसास की दुनिया मुझसे मुख़ातिब हुई, नहीं पहचाना? यह अजनबी नहीं तुम्हारी कहानियों के किरदार हैं। तुम्हारे अपने जिनके लिए तुमने आज का सपना बुना था। देखो वह चुप्पी टूट गई।

मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट दौड़ गई। मैंने इत्मिनान की सांस ली जैसे यहां कोई अब मेरे लिए अजनबी न रहा। औरतों के बैठने के घेरे के पीछे खड़ी मर्दों की बाउंड्री वाल पर नजऱ पड़ती है तो मुझे हर चेहरे में ‘सरहद के इस पार’ का रेहान नजऱ आता है जिसे देश का बंटवारा लानत लगता था।

‘पत्थर गली ‘की फऱीदा, ‘ताबूत ‘की हुमैरा, ’ठीकरे की मँगनी‘ की महरूख़ सचमुच वहां बूढ़ी होकर असमां खा़तून, बिलक़ीस बेगम और सरवरी के रूप में बैठी थीं। नजंरें घुमाईं तो पीछे की क़तार में ‘चार बहनें शीश महल ‘की अधेड़ अवस्था में बैठी दिखीं जिन्होंने चूड़ी के झाबों में छुपी बन्दूकों को हाथो में उठा लिया था और यहां उसी तेवर और आत्मविश्वास से संविधान पर अड़ी बैठी हैं।

अपनों के पहलू से लगे कमसिन लडक़े-लड़कियां जो चुपचाप बैठे ठीक अपने दादा, नाना के गुजऱे बचपन की तरह तारीख़ की दूसरी करवट के गवाह बने स्टेज से होती बातों को ग़ौर से सुन रहे थे। मुझे सबीना के चालीस चोर की कहानी की उस मासूम बच्ची की याद दिला गए जो मरदुम शुमारी के लगाए गए नम्बरों को सिर्फ इस लिए मिटाती है कि कहीं यह चालीस चोरों ने न लगाएं हों। वह तय करती है कि मुझे मरजीना बन इन चोरों से सबको बचाना है।

जवान मांएं गोद में दूध पीते बच्चों को लिए बैठी थीं। कुछ दोशीज़ाएं सामने से गुजरीं जिनमें खुदा की वापसी की फऱज़ाना भी खड़ी नजऱ आई जो उनसे कह रही थीं ‘मैं तो जाहिल मुल्ला की दाढ़ी ग़ुस्से में आकर कुतरना चाहती थी मगर तुम लोगों ने तो कमाल कर डाला उन्हें सिरे से ही नकार दिया?’

‘करना पड़ा आपा वरना इन सब के चक्कर में तो हम एक सदी और पीछे चले जाते।’

‘अपने कानून को दूसरों के मुंह से सुनने से अच्छा है ख़ुद से पढऩा, समझना और अपने अधिकार के लिए लडऩा’ ‘वही तो किया आपा हमारी मां व नानी, दादी ने बिना किसी नेता के हम अब ख़ुद अपने रहबर बन बैठे हैं।’ वह हंसी।

मुझे याद आया मैंने कहीं लिखा था ‘इन्सान दो बार पैदा होता है। पहली बार अपनी मां की कोख से और दूसरी बार हालात की मार से।’

आज महसूस हुआ जब मौत और जि़न्दगी सामने आन खड़ी हो तो इन्सान जीने की तमन्ना करता है।
वह रात बीत गई।

सुबह नमूदार हुई तो समां ही बदल चुका था।

शाहीन परिन्दे को ऊंची उड़ान भरने से कौन रोक सका जो अब कोई रोकता? शाहीन मोहल्लों, शहरों के ऊपर से उड़ान भरता रहा। लोगो के दिलों में उड़ान की ललक भरता हुआ। यह जानते हुए भी कि हम ख़तरे की तरफ़ बढ़ रहे, मगर सर पर सवार सौदा कहता है कि क्या फर्क पड़ता है कि हम $खतरे की तरफ बढ़ रहे हैं या $खतरा हमारी तर$फ बढ़ रहा है।

साझी भारतीय सभ्यता में सांस लेने वाले मेरे सारे किरदार एक बार फिर सामने थे चाहे वह ‘आमोख़ता’ के वीरजी हों या फिर ‘इन्सानी नस्ल’ की सविता हो या फिर ‘चांद तारे की शतरंज’ का पतंग बनाने वाला या फिर ‘उसका लडक़ा’ का मूंगफली बेचने वाला या फिर अफ़सर शाही की ‘शालमली’ हो या फिर ‘अक्षयवट’ का मुरली हो या फिर ‘कुइयांजान’ का डॉ. कमाल हो या फिर ‘ज़ीरो रोड’ का बेकारी झेलता एमए पास सिद्धार्थ हो या फिर ‘पारिजात’ के प्रो. प्रह्लाद दत्त या फिर ‘जि़न्दा मुहावरा का’ इमामउद्दीन जिसने देश के बंटवारे के बाद नए बने देश में जाने की जगह अपने वतन में रहना पसन्द किया। वह सब के सब जमा हो रहे हैं आज़ादी की चाह में हम क़दम, हम आवाज़ हो उठे हैं।

यही तो हमारा भारतीय समाज का ताना-बाना है। जो कोशिशों के बाद भी नहीं टूट पाता है।

क्योंकि हम जान चुके हैं कि हम एक दूसरे के बिना न रह सकते हैं न जी सकते हैं। यही हमारा सच है। यही हमारी पहचान है। यही हमारा ईमान है। यही हमारा संविधान है।

 

(लेख हिंदीवाणी ब्लॉग से साभार)

केंद्र की क्यूरेटिव पिटीशन दायर करने की समयसीमा तय करने को याचिका

केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल कर क्यूरेटिव पिटीशन की  समय सीमा तय करने की मांग की है। बुधवार को केंद्र ने यह याचिका दायर की है।

निर्भया मामले में दोषियों को मौत की सजा मिलने में देरी को देखते हुए केंद्र ने यह याचिका दायर की है। केंद्र ने अपनी याचिका में कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय   दोषियों को क्यूरेटिव पिटीशन दायर करने के लिए एक निश्चित समयसीमा तय करे। साथ ही यह भी तय किया जाए कि मौत की सजा की घोषणा हो जाने के सात दिन के अंदर दोषी दया याचिका दायर कर सकें।

केंद्र सरकार ने ये भी मांग की है कि कोर्ट के साथ-साथ राज्य सरकार और जेल अधिकारी को भी डेथ वारंट जारी करने का अधिकार दिया जाए। फिलहाल सिर्फ मजिस्ट्रेट ही डेथ वारंट जारी कर सकते हैं। सरकार का याचिका में कहना है कि मोटर की सजा में दया याचिका दायर करने की समयसीमा को १४ दिन से घटाकर सात दिन कर दिया जाए।

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से यह मांग भी रखी है कि इन मामलों में रिव्यू और क्यूरेटिव पिटीशन दायर करने के लिए भी एक समयसीमा निर्धारित की जाए। अपनी याचिका में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से साल २०१४ में शत्रुघ्न चौहान केस में दिए फैसले में बदलाव करने का अनुरोध किया है।

गौरतलब है कि चौहान मामले में कोर्ट ने दया याचिका को सालों तक लटकाए जाने पर नरम रुख अपनाया था। साथ ही कहा था कि यह इंतजार कैदी के लिए एक सजा ही है। कोर्ट ने जेल प्रशासन को आदेश दिया था कि यह सुनिश्चित किया जाए कि दया याचिका के खारिज होने और फांसी दिए जाने के दिन के बीच १४ दिन का अंतर हो।

ममता ने दार्जिलिंग में सीएए विरोधी रैली में कहा, केन्द्र केवल गैर-भाजपा शासित राज्यों में सीएए को आगे बढ़ाने की कोशिश में  

नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और प्रस्तावित एनआरसी (एनआरसी) के खिलाफ अपना विरोध तेज करते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को दार्जिलिंग में एक बड़ी रैली में हिस्सा लिया। करीब पांच किलोमीटर लंबे मार्च में लोग हाथों में तिरंगा थामे थे और सीएए और एनआरसी के खिलाफ नारे बुलंद कर रहे थे।

रिपोर्ट्स के मुताबिक रैली में सैकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया। पहाड़ी क्षेत्र में रहने वाले गोरखा और अन्य समुदाय के लोगों ने मार्च में हिस्सा लिया। लोग हाथों में तिरंगा थामे हुए थे। भानुभक्ता भवन से चौक बाजार से शुरू होकर रैली पहाड़ी गलियों से भी गुजरी। ममता की इस रैली में टीएमसी कार्यकर्ताओं का साथ गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) के बिनय तमांग गुट ने भी हिस्सा लिया।

ममता की इस रैली को उत्तर बंगाल के पहाड़ी क्षेत्र के कुछ दलों का भी समर्थन अहा, हालांकि उन्होंने इसमें हिस्सा नहीं लिया। विरोध मार्च का नेतृत्व करने के बाद चौक बाजार में  रैली को संबोधित करते हुए ममता ने कहा कि केन्द्र सरकार केवल गैर-भाजपा शासित राज्यों में सीएए को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा – ”भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार के भय से पश्चिम बंगाल को छोड़कर सभी राज्य नयी दिल्ली में एनपीआर को लेकर हुई बैठक में शामिल हुए थे।”

दिलचस्प बात यह रही कि ममता ने अपना संबोधन हिंदी में किया। ममता ने कहा – ”हर दिन केंद्रीय गृह मंत्री नए उपदेश दे रहे हैं। कल उन्होंने कहा कि हम (विपक्षी पार्टियां) लोगों को गुमराह कर रहे हैं। मैं उनसे यह स्पष्ट करने के लिए कहना चाहूंगी कि क्या किसी व्यक्ति को पहले विदेशी घोषित किया जाएगा और उसके बाद उसे सीएए के तहत नागरिकता के लिए आवेदन की अनुमति होगी।’’

टीएमसी नेता ने कहा कि पश्चिम बंगाल में सीएए, एनपीआर और एनआरसी की किसी भी सूरत में अनुमति नहीं दी जायेगी। उन्होंने कहा – ”किसी भी नागरिक को राज्य से बाहर करने के लिए पहले भाजपा को मुझे बाहर फेंकना होगा।”

वर्ल्ड डेमोक्रेसी इंडेक्स में भारत दस पायदान लुढ़का, ५१वें नंबर पर

भारत विश्व डेमोक्रेसी इंडेक्स में १० पायदान नीचे खिसक गया है। साल २०१९ की इकोनॉमिस्ट इंटेलीजेन्स यूनिट की रिपोर्ट में भारत का नंबर ४१ था जो अब कमजोर होकर ५१ हो गया है। देश और दुनिया भर में भारत में हाल में लागू किये गए कुछ कानूनों के विरोध को इसका जिम्मेवार माना जा रहा है। कुल १६७ देशों में उत्तर कोरिया सबसे निचली पायदान पर है।

रिपोर्ट का अध्ययन करने से जाहिर होता है कि २०१९ की तरह नार्वे इस बार भी डेमोक्रेसी इंडेक्स २०२० में टॉप पर बना हुआ है। अमेरिका इस रिपोर्ट में २५वें जबकि ब्रिटेन १४वें पायदान पर है। यदि भारत के पड़ौसी मुल्कों की बात की जाए तो पाकिस्तान कमजोर १०८वें, श्रीलंका ६९वें और बांग्लादेश ८०वें नंबर पर है।

यह माना जा रहा है कि भारत में पिछले कुछ समय से जारी आंदोलन इस पायदान के नीचे जाने का एक बड़ा कारण हैं। पहले जम्मू कश्मीर में धारा ३७० ख़त्म करने को लेकर भारत में ही नहीं, कई अन्य देशों में भी विरोध प्रदर्शन हुए। बहुत से जानकारों का मानना है कि इससे भारत की एक स्वस्थ लोकतंत्र वाली छवि को धक्का लगा है। भारत के विपक्षी दलों ने मोदी सरकार के इस फैसले का कड़ा विरोध किया है।

अब इसके बाद नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं जो अब तक जारी हैं। विदेशों में भी विरोध प्रदर्शन होने से यहाँ भी भारत की सभी धर्मों को लेकर साथ चलने वाली छवि को चोट पहुँची है।

अब यह रिपोर्ट सामने आने के बाद निश्चित ही नागरिकता क़ानून अदि का विरोध करने वाले इसे मोदी सरकार के खिलाफ एक हथियार बनाने की कोशिश करेंगे। छात्रों का आंदोलन अभी भी जारी है। वे और विपक्षी राजनीतिक दल पहले ही देश में लोकतंत्र को ”ख़त्म” करने का आरोप मोदी सरकार लगा रहे हैं।

डेमोक्रेसी इंडेक्स २०२० में पहले पांच स्थानों पर नार्वे, आयरलैंड, स्वीडन, न्यूजीलैंड और फिनलैंड हैं, जो भारत जैसे देशों के मुकाबले बहुत छोटे देश हैं। इस रिपोर्ट में ब्रिटेन का १४वां नंबर है जबकि भारत से एक पप्पायदान पहले ५० पर जमैका है।

अन्य देशों में अमेरिका २५वें नंबर पर है। हमारे एक पड़ोसी चीन का इस इंडेक्स में बहुत कमजोर १५३वाँ नंबर है। पाकिस्तान को इसमें १०८वें और श्रीलंका को ६९वें पायदान पर रखा गया है। नार्वे इस सूची में २०१९ में भी सबसे ऊपर था। उत्तर कोरिया इसमें १६७वें पायदान पर है जो सबसे निचली पायदान है।

बीवी-बच्चे को छोड़ अपनी ही सास से कर ली शादी

ऐसी खबरें तो बहुत पढ़ी होंगी की फलां शख्स ने अपनी उम्र से इतने कम साल की लड़की से शादी कर ली। 70 साल के आदमी ने 25 साल की युवती से शादी की वगैरा-वगैरा। पर हम यहां एक ऐसी खबर दे रहे हैं जिससे आप भी चौंक जाएंगे। एक शादीशुदा शख्स ने अपनी सास के लिए बीवी और अपने बच्चे को छोड़ दिया।
‘डेली मेल’ की खबर के मुताबिक, लंदन में रहने वाली लॉरेन वॉल के पति ने शादी के कुछ समय के  बाद ही उसे छोड़ दिया था और उसकी मां यानी अपनी सास जूली से शादी करके उसी के साथ रहने लगा। इस अनूठे धोखे के बाद लॉरेन वॉल लंबे समय तक सदमे में चली गई।
लॉरेन वॉल ने अपने साथ 15 साल पहले हुए इस धोखे के बारे में खुलकर बात की। लॉरेन ने बताया, ‘मां ने मेरी शादी पर 15,000 पाउंड (करीब 14 लाख रुपये)  खर्च किए थे और इस वजह से मैं उन्हें  हनीमून पर अपने साथ लेकर गई थी। पर उन्होंने मेरे साथ जो किया उसके लिए मैं उन्हें कभी माफ नहीं कर सकूंगी।’
दरअसल, लंदन में रहने वाले लॉरेन और पॉल ने एक दूसरे को प्यार करते थे। शादी से पहले दोनों ने करीब 2 साल साथ बिताए थे। इसी बीच लॉरेन ने एक बच्ची को भी जन्म दिया था। लॉरेन ने बताया कि उस वह तब महज 19 साल की थी और उसका बढ़िया जीवन व्यतीत हो रहा था। लॉरेन और पॉल ने शादी भी  अगस्त 2004 में कर ली, पर महज 8 हफ्ते बाद ही पॉल ने उसे तलाक दे दिया था। इसके करीब 9 महीने बाद ही लॉरेन की मां और पॉल की सास जूली ने पॉल के बेटे को जन्म दिया। बच्चे के जन्म के साथ ही दोनों ने घोषणा की थी कि वे एक साथ हैं।
लॉरेन ने बताया कि ‘पॉल हमेशा ही मां से काफी अच्छे से बात करता था लेकिन मुझे यह कभी अजीब नहीं लगा।’ कभी यह अहसास ही नहीं हुआ कि दोनों ही मुझे धोखा दे रहे हैं।
सास जूली के बच्चे को जन्म देने के कुछ समय के बाद दोनों ने शादी कर ली।
अपने पति के साथ मां की शादी में पहुंची लॉरेन
जूली और पॉल ने 15 अगस्त 2009 को शादी की। इतना ही नहीं, मां ने दामाद के साथ अपनी शादी में लॉरेन को भी निमंत्रण भेजा। और मज़े की बात ये है कि लॉरेन शादी में गई भी। उसने कहा, अपनी मासूम बेटी के लिए मैं उन दोनों की शादी में गई। मैंने मां को उसी पॉल से शादी करते हुए देखा, जिससे मैंने 5 साल पहले शादी की थी। हालांकि, लॉरेन ने भी अब अपने लिए एक पार्टनर ढूंढ लिया है और वह उसके साथ रह रही है।