नई दिल्ली : भारतीय रेलवे ने सफर के दौरान यात्रियों को आसानी से सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने के लिए 61 स्टेशनों पर प्रधानमंत्री जन भारतीय औषधि केंद्र खोलने का निर्णय लिया है। इसका मकसद ‘करोड़ों यात्रियों को इमरजेंसी के दौरान रेलवे स्टेशन पर सस्ती कीमत पर दवाएं मिल सके’ है।
पिछले कुछ महीनों में 50 स्थानों पर प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र सफलतापूर्वक कार्य शुरू कर चुके हैं। इन 50 केंद्रों में पूर्व मध्य रेलवे में पटना जंक्शन, दरभंगा और पं. दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन पर प्रधानमंत्री जन भारतीय औषधि केंद्र कार्य कर रहे हैं। अब इस पहल की सफलता और लोगों के उत्साह को देखते हुए भारतीय रेलवे ने 61 अन्य स्थानों पर प्रधानमंत्री जन भारतीय औषधि केंद्र के स्टॉल खोलने का निर्णय लिया है। इनमें बिहार के आरा, हाजीपुर, समस्तीपुर, छपरा एवं भागलपुर स्टेशन शामिल हैं। जहां प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र खोले जाएंगे।
इन स्टेशनों पर प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र के स्टॉल खोलने के इच्छुक लोगों से निविदा आमंत्रित किए जा चुके हैं। चयनित निविदाकर्ता को अगस्त के पहले सप्ताह तक आउटलेट का निर्माण पूरा करते हुए सौंप दिया जाएगा। इस महत्वपूर्ण निर्णय से न केवल रोजगार के अवसर पैदा होंगे, बल्कि लोगों को सस्ती कीमतों पर दवाइयां भी मिलेगी।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्रों का उद्देश्य सभी लोगों, विशेषकर गरीबों और वंचितों के लिए किफायती मूल्य पर गुणवत्तापूर्ण दवाइयां उपलब्ध कराना है। जिससे स्वास्थ्य देखभाल में जेब से होने वाले खर्चे को कम किया जा सके। प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र के तहत विभिन्न उत्पादों में 1963 दवाइयां और 293 सर्जिकल उपकरण शामिल हैं, जो सभी प्रमुख चिकित्सीय समूहों जैसे कार्डियोवैस्कुलर, एंटी-कैंसर, एंटी-डायबिटिक्स, एंटी-इंफेक्टिव्स, एंटी-एलर्जिक, गैस्ट्रो-आंत्र संबंधी दवाइयां, न्यूट्रास्युटिकल्स आदि को कवर करते हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र में कई आयुर्वेदिक उत्पादों को भी शामिल किया गया है और यह लोगों के लिए सस्ती कीमतों पर आसानी से उपलब्ध हैं।
नई दिल्ली : सरकारी महिला कर्मी सरोगेसी (किराये की कोख) के जरिए बच्चा होने की सूरत में 180 दिन का मातृत्व अवकाश ले सकती हैं। केंद्र सरकार ने इस संबंध में 50 साल पुराने नियम में संशोधन की घोषणा की है। केंद्रीय सिविल सेवा (अवकाश) नियमावली, 1972 में किए बदलावों के अनुसार, ‘अधिष्ठाता मां’ (सरोगेसी के जरिए जन्मे बच्चे को पालने वाली मां) बच्चे की देखभाल के लिए अवकाश ले सकती है और साथ ही ‘अधिष्ठाता पिता’ 15 दिन का पितृत्व अवकाश ले सकता है।
कार्मिक मंत्रालय द्वारा अधिसूचित संशोधित नियमों में कहा गया है, सरोगेसी की दशा में, सरोगेट के साथ ही अधिष्ठाता मां को, जिसके दो से कम जीवित बच्चे हैं, एक अथवा दोनों के सरकारी सेवक होने की स्थिति में 180 दिन का मातृत्व अवकाश दिया जा सकता है। अभी तक सरोगेसी के जरिए बच्चे के जन्म की सूरत में सरकारी महिला कर्मियों को मातृत्व अवकाश देने के लिए कोई नियम नहीं था।
नए नियमों में कहा गया है, सरोगेसी के माध्यम से बच्चा होने के मामले में अधिष्ठाता पिता, जो सरकारी सेवक है, जिसके दो से कम जीवित बच्चे हैं, उसे बच्चे के जन्म की तारीख से छह माह के भीतर 15 दिन का पितृत्व अवकाश दिया जा सकता है।
इन नियमों को 18 जून को अधिसूचित किया गया। इसमें कहा गया है कि सरोगेसी की दशा में, अधिष्ठाता मां, जिसके दो से कम जीवित बच्चे हैं, उसे शिशु देखभाल अवकाश दिया जा सकता है। मौजूदा नियमों से ‘‘किसी महिला सरकारी सेवक और एकल पुरुष सरकारी सेवक’’ को दो सबसे बड़े जीवित बच्चों की देखभाल के लिए जैसे कि शिक्षा, बीमारी और इसी तरह की जरूरत होने पर पूरे सेवाकाल के दौरान अधिकतम 730 दिन का शिशु देखभाल अवकाश (चाइल्ड केयर लीव) दिया जा सकता है।
नई दिल्ली: 18वीं लोकसभा के पहले सत्र का मंगलवार को दूसरा दिन है। पीएम मोदी आज लोकसभा स्पीकर के उम्मीदवार का प्रस्ताव रखेंगे। इसके लिए मंगलवार दिन में 12 बजे तक नाम देना है। अकेले दम पर बहुमत से दूर भाजपा एनडीए के सहयोगी दलों से विचार-विमर्श कर रही है। सदन में ताकत बढ़ने से उत्साहित विपक्षी गठबंधन इंडिया भी सभी विकल्पों पर विचार करते हुए सियासी संदेश देने के लिए चुनावी मुकाबले की स्थिति बना सकता है। ऐसा हुआ तो यह देश के संसदीय इतिहास में पहली बार हाेगा, जब स्पीकर पद का चुनाव हो। आजादी के बाद से अब तक लोकसभा स्पीकर का चयन सर्वसम्मति से होता रहा है।
दरअसल, गठबंधन सरकार में स्पीकर की भूमिका अहम होती है। ऐसे में विपक्ष ही नहीं, एनडीए के बड़े सहयोगी दल भी सावधानी से आगे बढ़ रहे हैं। सोमवार देर रात तक इसे लेकर असमंजस बनी रही थी। केंद्रीय मंत्री के. राममोहन नायडू ने कहा, ‘अंतिम फैसला आंध्र के सीएम चंद्रबाबू नायडू और गठबंधन के नेता करेंगे। एनडीए के एक अन्य सहयोगी दल भाजपा से विचार-विमर्श होने की बात कही है। सूत्रों के अनुसार इस पद के लिए ओम बिरला फ्रंट रनर हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद राधामोहन सिंह, आंध्र से भाजपा सांसद डी. पुरंदेश्वरी और प्रोटेम स्पीकर बने भर्तृहरि महताब का नाम भी चर्चा में है।
नई दिल्ली :जुलाई महीना शुरू होते ही क्रेडिट कार्ड से बिल पेमेंट करने वाले लोगों के लिए बड़े अपडेट आ रहे हैं। 1 जुलाई से क्रेडिट कार्ड बिल पेमेंट को लेकर RBI के कुछ नियम लागू होने वाले हैं जिनका सीधा असर उन लोगों पर पड़ेगा जो क्रेडिट कार्ड के जरिए बिल पेमेंट का इस्तेमाल करते हैं। इसका मकसद पेमेंट के प्रोसेस को सुव्यवस्थित करना और इसकी सुरक्षा बढ़ाना है। कुछ प्लेटफॉर्म के जरिये क्रेडिट कार्ड बिल पेमेंट में मुश्किल हो सकती है। इनमें क्रेड, फोनपे, बिलडेस्क जैसे कुछ प्रमुख फिनटेक शामिल हैं।
नई दिल्ली : पेट्रोल-डीजल को लंबे समय से जीएसटी के तहत लाने की मांग की जा रही है। अगर ऐसा होता है तो देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बड़ी कमी आ सकती है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को हुई जीएसटी परिषद की बैठक के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए पेट्रोल-डीजल को जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज) के तहत लाने के सवाल पर कहा कि केंद्र सरकार पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाना चाहती है। अब राज्यों को इसके बारे में फैसला लेना है और वे साथ आकर दरें तय करें।
दरअसल, पेट्रोल और डीजल पर केंद्र सरकार की ओर से एक्साइज ड्यूटी लगाई जाती है। वहीं, राज्य सरकार द्वारा वैट वसूला जाता है। इसके अलावा ट्रांसपोर्टेशन लागत और डीलर कमीशन मिलाकर अंतिम कीमत आती है। उदाहरण के लिए मौजूदा समय में दिल्ली में पेट्रोल का बेस प्राइस 55.46 रुपये है। इस पर 19.90 रुपये की एक्साइज ड्यूटी, 15.39 रुपये का वैट लगता है। इसके बाद ट्रांसपोर्टेशन लागत और डीलर कमीशन क्रमश: 20 पैसे और 3.77 रुपये लगता है। ऐसे में अंतिम कीमत 94.72 रुपये निकलकर आती है।
वहीं, दिल्ली में डीजल का बेस प्राइस 56.20 रुपये है। इस पर 15.80 रुपये की एक्साइज ड्यूटी, 12.82 रुपये का वैट लगता है। इसके बाद ट्रांसपोर्टेशन लागत और डीलर कमीशन क्रमश: 22 पैसे और 2.58 रुपये लगता है। ऐसे में अंतिम कीमत 87.62 रुपये होती है। अगर पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है तो काफी फायदा होगा, क्योंकि जीएसटी की अधिकतम दर 28 प्रतिशत है।
दिल्ली में पेट्रोल का बेस प्राइस 55.46 रुपये है। इस पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगा दी जाए तो टैक्स 15.58 रुपये बनता है। अगर ट्रांसपोर्टेशन लागत और डीलर कमीशन क्रमश: 20 पैसे और 3.77 रुपये जोड़ दिए जाए तो अंतिम कीमत 75.01 रुपये बनती है। ऐसे में पेट्रोल 19.7 रुपये प्रति लीटर सस्ता हो सकता है।
काबूल : पूर्वी अफगानिस्तान के पक्तिया प्रांत के एक गांव में भूस्खलन से कम से कम सात लोगों की मौत हो गई है। सरकारी समाचार एजेंसी बख्तार ने सोमवार को यह जानकारी दी।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की खबर के अनुसार, प्रांत के जनिखैल जिले के जकोरगोर गांव में रविवार रात आई प्राकृतिक आपदा में एक घर बह गया। अफगानिस्तान के सुदूर इलाकों में आज भी ज्यादातर लोग मिट्टी के घरों में रहते हैं। इस कारण भारी बारिश, हिमपात और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं के समय उन्हें नुकसान की आशंका बनी रहती है।
श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर शहर में 10वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस कार्यक्रम के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को लोगों के बीच पहुंच गए और उनसे बातचीत की।
बारिश के चलते योग का कार्यक्रम शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (एसकेआईसीसी) में कराया गया। योग कार्यक्रम की अगुवाई खुद पीएम मोदी ने की। कार्यक्रम समाप्त होने के बाद कन्वेंशन सेंटर के लॉन में पीएम मोदी पहुंच गए जहां करीब 40 मिनट तक उन्होंने लोगों से बात की।
प्रधानमंत्री जब लोगों से बातचीत करने के लिए बाहर आए तो बारिश भी रुक गई।
जब वे लोगों के बीच से गुजरे तो लोगों ने उनका जोरदार स्वागत किया। पंक्तियों के बीच से चलते हुए वो कई बार रुके और लोगों के अभिवादन का मुस्कुरा कर जवाब दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान कुछ युवाओं के साथ सेल्फी भी ली।
श्रीनगर में सुबह हुई बारिश के बावजूद योग दिवस समारोह शानदार तरीके से मनाया गया।
प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार के ऐतिहासिक कार्यक्रम में जम्मू-कश्मीर से 50,000 से 60,000 लोगों की भागीदारी पर खुशी जताई।
– परीक्षाओं में धाँधली से ख़राब हो रहा युवाओं का भविष्य
नेशनल एलिजिबिलिटी एंट्रेंस टेस्ट (नीट) यूजी के रिजल्ट से इस परीक्षा को पास करने वाले विद्यार्थियों, ख़ासकर टॉपर्स को जो ख़ुशी मिली, वह चिन्ता में बदल गयी है। देश भर में नीट की परीक्षा में हुई धाँधली पर उठे सवालों और रिश्वत की बात सामने आने से साफ़ लगता है कि यह एक घोटाला है। इस घोटाले की सीबीआई जाँच की माँग भी उठ रही है। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुँचा, तो सुप्रीम कोर्ट ने एनटीए से तीखे सवाल पूछे। अब 1,563 विद्यार्थियों के ग्रेस मार्क्स रद्द करके एनटीए उनकी फिर से 23 जून को परीक्षा लेगा।
पेपर लीक ऐसे समय में हुआ, जब देश में लोकसभा चुनाव चल रहे थे और ख़ुलासा तब हुआ, जब केंद्र में एनडीए की मोदी के नेतृत्व वाली सरकार तीसरी बार बन रही थी। अब बैसाखियों के सहारे सरकार बन चुकी है। ऐसे में सवाल यह है कि सबसे ज़्यादा परीक्षा घोटाले कराने को लेकर कथित रूप से बदनाम भाजपा और रोज़गार ख़त्म करने को लेकर बदनाम केंद्र सरकार क्या इस परीक्षा में हुई गड़बड़ी को लेकर कोई उचित क़दम उठाएगी?
हैरानी की बात है कि नीट परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक पर 67 विद्यार्थियों ने परीक्षा टॉप की। इन सभी विद्यार्थियों ने 720 में 720 अंक हासिल किये, जिनमें 53 लड़के और 14 लड़कियाँ शामिल हैं। कई विद्यार्थियों को 719, 718 और 117 अंक भी मिले, जो असंभव है। 720 अंक पाने वाले 67 विद्यार्थियों में से छ: एक ही सेंटर के विद्यार्थी हैं। टॉप करने वाले सबसे ज़्यादा 11 विद्यार्थी राजस्थान के रहे। इसके अलावा कट ऑफ 137 अंकों से बढ़कर 164 अंकों पर पहुँच गयी। नीट 2024 के लिए परीक्षा देने वाले कुल 23,33,000 विद्यार्थियों में से कुल 13,16,000 विद्यार्थियों ने नीट परीक्षा पास की है। सवाल यह है कि नीट की परीक्षा में इतनी बड़ी संख्या में विद्यार्थी टॉप कैसे कर गये? जबकि यह परीक्षा न सिर्फ़ कठिन होती है, बल्कि इस परीक्षा को एक या दो विद्यार्थी ही टॉप करते हैं। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने जिस तरह से नीट परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों को 717 से 720 अंक तक दिये हैं, वह असंभव है।
किसी एक-दो विद्यार्थी के इतने अंक आना फिर भी समझ में आता; लेकिन 67 विद्यार्थियों को 720 अंकों में 720 अंक मिलना गले नहीं उतरता। अब ख़बरें आ रही हैं कि परीक्षा से एक दिन पहले नीट का पेपर लीक हुआ था, जिसके लिए 40 लाख तक रिश्वत लेने के आरोप लग रहे हैं। पटना पुलिस ने इस मामले में ज़िला परिषद के जूनियर इंजीनियर और विद्यार्थियों समेत 13 लोगों को गिरफ़्तार किया। आरोप है कि पटना में विद्यार्थियोंं को बाक़ायदा पेपर दिखाकर पेपर में दिये प्रश्नों के उत्तर रटने के कहा गया। पटना में शास्त्री नगर थाना क्षेत्र के एक लॉज में रहकर नीट की तैयारी करने वाले ललित कुमार नाम के एक विद्यार्थी ने नीट परीक्षा में कम अंक आने पर फाँसी लगाकर आत्महत्या कर ली। विद्यार्थी भोजपुर ज़िले के झाझर गाँव का निवासी था।
परीक्षा दोबारा कराने के फ़ैसले से कुछ दिन पहले ही एनटीए के महानिदेशक सुबोध कुमार सिंह, उच्च शिक्षा सचिव के. संजय मूर्ति और सूचना प्रसारण मंत्रालय के सचिव संजय जाजू ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके नीट परीक्षा में लगे आरोपों को ख़ारिज कर दिया था। एनटीए के महानिदेशक सुबोध कुमार सिंह ने कहा था कि हमने सभी चीज़ों का सावधानीपूर्वक विश्लेषण किया है। नीट का पेपर 23 लाख से ज़्यादा विद्यार्थियों ने 4,750 सेंटर्स में दिया है, जबकि पेपर लीक का मामला सिर्फ़ 1,600 विद्यार्थियों और छ: सेंटर्स का ही है। ग्रेस मार्क्स के मामले में एक चार सदस्यीय समिति गठित की गयी है, जो एक सप्ताह में रिपोर्ट सौंपेगी। समिति की रिपोर्ट के हिसाब से फ़ैसला लिया जाएगा। फ़िलहाल परीक्षा रद्द करने का सवाल नहीं उठता है। विद्यार्थियों को ग्रेस मार्क्स देने से नीट के नतीजों या क्वालीफाइंग क्राइटएरिया पर कोई फ़र्फ़ नहीं पड़ रहा है।
नीट परीक्षा में बड़ी संख्या में टॉपर्स होने की हैरतअंगेज स्थिति और पेपर लीक मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वालों का तर्क है कि नीट के पेपर लीक मामला संविधान के अनुच्छेद-14 में वर्णित समानता के अधिकार का उल्लंघन है। सवाल यह है कि क्या सुप्रीम कोर्ट इस मामले में दोषियों को सज़ा देगा? सुप्रीम कोर्ट के अलावा अलग-अलग राज्यों में हाई कोर्ट्स में भी नीट परीक्षा में धाँधली के ख़िलाफ़ याचिकाएँ दायर की गयी हैं।
एनटीए के महानिदेशक ने भले ही नीट परीक्षा के मामले में सफ़ाई दे दी; लेकिन एनटीए पर जमकर सवाल उठ रहे हैं और धाँधली के आरोप लग रहे हैं। शुरू से ही ग्रेस मार्क्स पाने वाले विद्यार्थी दोबारा परीक्षा से डर रहे थे और फेल हुए विद्याथी, जिनमें ज़्यादातर निम्न और मध्यम वर्ग के हैं, दोबारा परीक्षा की माँग कर रहे थे। लेकिन अब परीक्षा उन्हीं की होगी, जिन्हें ग्रेस मार्क्स मिले हैं? लेकिन पूरे देश में नीट परीक्षा में हुई कथित धाँधली और कथित घोटाले के ख़िलाफ़ प्रदर्शन हो रहे हैं। गुजरात के पंचमहल ज़िले के गोधरा में आयोजित नीट परीक्षा में गड़बड़ी का ख़ुलासा होने पर यहाँ लोगों में नाराज़गी है।
आरोप है कि गुजरात में नीट परीक्षा देने से पहले विद्यार्थियों को अच्छे अंकों से पास कराने के लिए रिश्वतख़ोरी हुई थी। आरोप यहाँ तक है कि गुजरात के गोधरा ज़िला कलेक्टर की निगरानी से घोटाला हुआ है, जिसमें ख़ुद ज़िला शिक्षाधिकारी ने तीन लोगों के ख़िलाफ़ पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज करायी है। एफआईआर के मुताबिक, ज़िला कलेक्टर ने दावा किया है कि उन्हें 05 मई को होने वाली नीट परीक्षा में घोटाला होने की सूचना मिली, जिसके आधार पर ज़िला कलेक्टर ने ज़िला शिक्षा अधिकारी को इसकी जानकारी दी। घोटाला करने की साज़िश का पर्दाफ़ाश करने के लिए ज़िला शिक्षा अधिकारी ने गोधरा जलाराम स्कूल पहुँचकर छापे मारे, जिसमें छ: विद्यार्थी नक़ल करते पकड़े गये। ज़िला अधिकारी ने डिप्टी सेंटर सुपरिटेंडेंट तुषार भट्ट के मोबाइल पर हुई व्हाट्सएप चैट से पूरे मामले का भंडाफोड़ किया।
जाँच रिपोर्ट में कहा गया है कि तुषार भट्ट के व्हाट्सएप नंबर पर परशुराम रॉय नाम के एक शख़्स ने क़रीब 16 विद्यार्थियों के नाम और रोल नंबर भेजे थे, जिनमें से कुछ के नाम बाद में कैंसिल के लिए भी मार्क किये गये थे। जब इस मामले में ज़िला शिक्षाधिकारी ने तुषार भट्ट से पूछताछ की, तो उन्होंने परशुराम रॉय के साथ परीक्षा में एक विद्यार्थी को अच्छे अंकों से पास कराने के बदले 10 लाख रुपये रिश्वत लेने की डील की बात स्वीकार की। कई विद्यार्थियों ने परीक्षा से पहले दलाल रॉय को एडवांस भी दे दिया था। आरिफ़ नाम के एक विद्यार्थी ने तुषार भट्ट को एडवांस में सात लाख रुपये दिये थे। पुलिस ने इन पैसों और मोबाइल को जाँच टीम ने ज़ब्त करके तुषार भट्ट, परशुराम रॉय और आरिफ़ वोरा के ख़िलाफ़ धोखाधड़ी, विश्वासघात की धाराओं के तहत केस दर्ज किया है। मामले की जाँच चल रही है।
आरोप लग रहे हैं कि जिन-जिन राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं, उन-उन राज्यों में नीट परीक्षा में धाँधली हुई है। आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है कि गुजरात, मध्य प्रदेश, बिहार और हरियाणा में नीट परीक्षा में बड़ा घोटाला हुआ है। कुछ लोग उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड में भी धाँधली का आरोप लगा रहे हैं। कांग्रेस की नेशनल स्टूडेंट्स विंग ऑफ इंडिया के प्रभारी कन्हैया कुमार ने नीट परीक्षा में कथित घोटाले को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर कहा कि स्टूडेंट्स आत्महत्या कर रहे हैं। आज 600 अंक लाने के बाद भी स्टूडेंट असमंजस में हैं कि उसे सीट मिलेगी या नहीं। एनटीए के इस नीट घोटाले की जाँच सर्वोच्च न्यायिक अधिकारियों से कार्रवाई जानी चाहिए और प्रभावित स्टूडेंट्स को उचित न्याय दिया जाना चाहिए।
बता दें कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, हरियाणा पेपर लीक के लिए बदनाम राज्य हैं। पिछले 10 वर्षों में इन राज्यों में न सिर्फ़ पेपर लीक के कई मामले उजागर हुए हैं, बल्कि ये मामले कोर्ट तक भी पहुँचे हैं। जब 05 मई, 2024 को नीट की परीक्षा हो रही थी, उसी समय राजस्थान के एक परीक्षा केंद्र पर पेपर लीक की ख़बरें सामने आयी थीं। यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुँचा, जिसकी सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई का समय दिया। लेकिन बीच में ही नीट का रिजल्ट आने पर कथित घोटाले की एक बड़ी फ़ेहरिस्त खुल गयी। साल 2015 में एमबीबीएस, बीडीएस एडमिशन के लिए नेशनल लेवल मेडिकल प्रवेश परीक्षा ऑल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट (एआईपीएमटी) में पेपर लीक के आरोप लगे थे। फरवरी, 2024 में उत्तर प्रदेश में पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में पेपर लीक हुआ। इसके बाद मई, 2023 में गुजरात में विद्युत सहायक भर्ती परीक्षा घोटाला सामने आया। जुलाई, 2023 में मध्य प्रदेश में पटवारी भर्ती घोटाला हुआ। सितंबर, 2022 में सीबीआई ने एसएससी भर्ती घोटाले के किया। सितंबर, 2022 में ही उत्तराखण्ड में यूकेएसएसएससी का पेपर लीक हुआ। मई 2016 में बिहार स्कूल परीक्षा घोटाला सामने आया।
इस तरह हर साल हर छोटी-बड़ी परीक्षा के पेपर लीक या उनमें नक़ल कराने के ख़ुलासे लगातार हुए हैं; लेकिन आज तक किसी भी परीक्षा घोटाले में कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की गयी। धाँधली करने के नाम पर किसी-किसी परीक्षा में कुछ लोगों गिरफ़्तार किया गया, लेकिन आगे के परीक्षा में धाँधली नहीं रोकी गयी। इससे पहले से ही कड़ी मेहनत करके तमाम परेशानियों और अभावों में परीक्षा देने वाले ईमानदार विद्यार्थियों के करियर पर ख़राब असर पड़ा है। आज करोड़ों की संख्या में बेरोज़गार घूम रहे विद्यार्थी महँगी पढ़ाई और कई-कई साल की कड़ी मेहनत के बावजूद रोज़गार से वंचित हैं, जिसके चलते हर साल सैकड़ों विद्यार्थी आत्महत्या कर रहे हैं।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आँकड़ों के मुताबिक, साल 2021 में देश में 13,089 विद्यार्थियों ने आत्महत्या की थी। आत्महत्या करने वाले विद्यार्थियों की साल 2020 में संख्या 12,526 थी। साल 2021 में आत्महत्या करने वाले विद्यार्थियों में लड़कों की संख्या 56.54 फ़ीसदी, जबकि लड़कियों की संख्या 43.49 फ़ीसदी थी। ये आँकड़े बताते हैं कि भारत में शिक्षा और परीक्षा का स्तर बहुत ख़राब है और विद्यार्थियों पर करियर बनाने का तनाव और माँ-बाप से लेकर समाज का प्रेशर होता है, जिनके चलते फेल होने या परीक्षा क्लियर न कर पाने की सोच से कई छात्र आत्महत्या जैसा घातक क़दम उठा बैठते हैं।
2024 के लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद उत्तर प्रदेश की चर्चा हर खास-ओ-आम कर रहा है। सबसे ज्यादा चर्चा रामपुर सीट पर पहली बार में ही लोकसभा सीट पर जीते मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी की हो रही है। हालांकि इसमें कोई दोराय नहीं कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की शानदार जीत के पीछे भले ही कई कारण हों, लेकिन मुसलमानों का भरपूर साथ मिलना इस उपलब्धि के लिए एक बड़ी बात रही। आज समाजवादी पार्टी सीटों की संख्या के हिसाब से देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है। उत्तर प्रदेश की 80 संसदीय सीटों में से समाजवादी पार्टी के 37 सांसद चुनकर संसद पहुंचे हैं। इन्हीं 37 सांसदों में से एक हैं- सांसद मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी। सांसद मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी दिल्ली के पार्लियामेंट मस्जिद के इमाम भी हैं। इससे भी बड़ी बात है कि आजाद हिंदुस्तान की तारीख में मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी ऐसे पहले सांसद हैं, जो किसी मस्जिद के इमाम भी हैं। अलग बात यह है कि मौलाना मोहिबुल्लाह का राजनीतिक सफर उसी रामपुर से शुरू हुआ है, जो रामपुर आजम खान और उनके खानदान की सियासत का गढ़ रहा है। जानकार कह रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में भाजपा की योगी सरकार से नाखुश रामपुर के ज्यादातर लोगों, खासतौर पर समाजवादी पार्टी के समर्थकों और मुसलमानों की एकतरफा वोटिंग का फायदा मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी को मिला। आजकल सांसद मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी का एक इंटरव्यू बहुत ज्यादा चर्चा में है, जिसमें उन्होंने समाजवादी पार्टी नेता और पूर्व सांसद आजम खान को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार पर हमला बोला है। एक पत्रकार ने उनसे जब यह पूछा कि आजम खान के बारे में उनके क्या खयाल है? तो मौलाना मोहिबुल्लाह ने इस सवाल के जवाब में कहा कि वह सुधार गृह में हैं। हम सब जानते हैं कि आजम खान के खिलाफ पिछले 10 सालों में क्या कुछ नहीं हुआ है। उत्तर प्रदेश की हुकूमत ने उनके खिलाफ बकरी चोरी, भैंस चोरी, किताबों की चोरी और ऐसे ही बहुत से मुकदमे बनाकर उन्हें जेल में डाला है। और अब आखिर में उनके साथ-साथ उनकी पत्नी और उनके बेटे को एक जाली बर्थ सर्टिफिकेट के केस में जेल में डाल दिया गया है। अब उनकी पत्नी को तो जमानत मिल गई है, लेकिन वह और उनके बेटे जेल के अंदर ही हैं। हालाँकि लोग मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी की बातों का मतलब यह भी निकाल रहे हैं कि उन्होंने पूर्व सांसद आजम खान के खिलाफ बयान दिया है, क्योंकि उन्होंने कहा कि वह (आजम खान) सुधार गृह में हैं। इससे ऐसा लगता है जैसे कि उनके पूर्ववर्ती सांसद किसी वास्तविक जुर्म में अंदर हैं और वह एक माफिया हैं, जिनका सुधार जेल के अंदर हो रहा है। सांसद मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी के इस बयान से हिंदुस्तान के इंसाफ पसंद लोग नाखुश हैं, खास तौर से रामपुर और उत्तर प्रदेश के मुसलमानों में इसकी चर्चा है कि एक मौलवी, जो मस्जिद के इमाम भी हैं; उन्होंने एक ऐसे नेता के खिलाफ यह बयान दिया है, जिसने तालीम के मैदान में पिछड़े हुए मुसलमान के लिए अपनी जिंदगी में एक पूरी यूनिवर्सिटी बनाकर खड़ी कर दी। उनका यह बहुत बड़ा योगदान है। इसके अलावा आजम खान उत्तर प्रदेश में मंत्री रहे हैं, संसद के सदस्य के अलावा हिंदुस्तान के कद्दावर नेता हैं। कुल मिलाकर नव निर्वाचित सांसद मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी के बयान का क्या मतलब था और लोगों की उनके प्रति नाराजगी क्यों हैं, यह तो नहीं कहा जा सकता है। लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि आजम खान के खिलाफ जो भी मुकदमे बनाए गए हैं, वो सच्चाई से ज्यादा सियासी दुश्मनी की बू आती है। क्योंकि उन्होंने भाजपा और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी को लेकर जो बयान दिए थे, उसे भाजपा और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री सह नहीं सके और उनके कुछ बयानों के बाद ही उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू हो गई थी। ठीक उसी तरह, जिस तरह दूसरे बहुत से हवालों से पिछले 10 साल में प्रदेश के मुसलमानों को टारगेट करके उनके नेताओं के उनके खिलाफ मुकदमे बनाकर उन्हें जेल में डाला गया है। ऐसे में आजम खान को लेकर अगर सांसद मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी यह कहते हैं कि वह सुधार गृह में हैं, तो उनकी सियासी सूझबूझ पर सवालिया निशान लगेंगे ही। कहा जा रहा है कि मौलाना नदवी के बयान से सिर्फ मुसलमान ही नहीं, बल्कि हर इंसाफ पसंद हिंदुस्तानी उनसे सख्त नाराज है। अब लोग सवाल भी पूछ रहे हैं कि मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी कभी मीडिया को ये भी बताएंगे कि उन्होंने कितनी शादियां की है? वह कितनी बीवियों को तलाक दे चुके हैं? और उनकी एक बीवी ने उनके खिलाफ मुकदमा क्यों दायर कर रखा है? चुनाव के दौरान एक पत्रकार ने जब उनसे यही सवाल पूछा कि उनकी एक बीवी ने उनके खिलाफ कोर्ट में मुकदमा कर रखा है, उसके बारे में उन्हें क्या कहना है? तो मौलाना ने कहा था कि यह मामला कोर्ट का है। तो फिर पूर्व सांसद आजम खान के ताल्लुक से भी उन्हें यही बयान देना चाहिए था कि कोर्ट ने उनको सजा दी है। अब वह अपनी सजा काट रहे हैं। मैं इसके बारे में क्या कह सकता हूं? हम आजम खान को इन परेशानियों से निकालने की कोशिश करेंगे और सांसद होने के नाते हम देखेंगे के उनके लिए हम क्या कर सकते हैं। इसके बजाय उन्होंने सीधा आजम खान को ऐसे मुजरिमों के साथ में खड़ा कर दिया, जो कि जुर्म के बाद जेल में हैं। लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि सांसद मौलाना मोहिबुल्लाह रामपुर और रामपुर से बाहर के लोगों के लिए, जरूरतमंदों के लिए कुछ ऐसे काम करें, जो हिंदुस्तान के मुसलमानों का सिर फख्र से ऊंचा करे और उनकी उम्मीदों पर आप खरे उतरें। आप एक मसजिद के इमाम हैं। मौलवी हैं और अब एक सांसद भी हैं। मौलवी बिरादरी समेत आम मुसलमान मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी को यह ओहदा मिलने से खुश हैं कि एक आलिम उनके बीच से चुनकर संसद पहुंचे हैं। लेकिन उन्होंने अपने पहले ही इंटरव्यू में सबको निराश कर दिया है। नव निर्वाचित सांसद और मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी को चाहिए कि वह अपने इस बयान से पल्ला झाड़ें और आइंदा इस तरह के बयानात से परहेज करें। लोगों की उम्मीद पर खरा उतरने की कोशिश करें।
(उपरोक्त विचार लेखक के अपने हैं और इसके लिए वह खुद जिम्मेदार होंगे।)
मुंबई : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास ने उम्मीद जताई है कि पिछले वित्त वर्ष की मजबूत विकास दर चालू वित्त वर्ष में भी जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2025 की अप्रैल-जून तिमाही में भी मजबूत विकास दर जारी रहेगी। इसे अर्थव्यवस्था की मजबूत बुनियाद से बल मिलेगा। दास ने मंगलवार को एक मीडिया कार्यक्रम में कहा, “हमें इस बात को लेकर काफी उम्मीद है कि हमने इस साल की पहली तिमाही के लिए जो अनुमान लगाया है -7.2 % का, हम उससे आगे 7.3 प्रतिशत पर चले जाएंगे।”
गवर्नर शक्तिकांत दास ने यह भी कहा कि निजी खपत में सुधार हो रहा है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कृषि क्षेत्र में मजबूत वृद्धि के कारण ग्रामीण मांग में सुधार हो रहा है। भारत मौसम विज्ञान विभाग ने इस बार सामान्य से अधिक मानसून का अनुमान लगाया है, जिसके चलते खरीफ उत्पादन में वृद्धि होने की उम्मीद है। आरबीआई ने 7 जून को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए वास्तविक जीडीपी का अनुमान पहले के अनुमान 7 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया था।
गवर्नर ने कहा कि वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में जीडीपी विकास दर 7.3 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 7.2 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 7.3 प्रतिशत और अंतिम तिमाही में 7.2 प्रतिशत रहने की संभावना है।