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सीएए से किसी को डरने की जरूरत नहीं, एनआरसी हम लागू करेंगे नहीं : सीएम ठाकरे  

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सोमवार को कहा कि सीएए, एनआरसी और एनपीआर अलग-अलग चीजें हैं और किसी को इनसे डरने की जरूरत नहीं। उनके इस ब्यान से महाराष्ट्र की महाअघाडी सरकार के बीच तनाव की स्थिति बन सकती है।

हालांकि ठाकरे ने यह भी कहा है कि एनआरसी यहां (राज्य में) लागू नहीं होगा।

ठाकरे का यह ब्यान कमोवेश उसी तर्ज़ पर है जो अब तक भाजपा अपनाती रही है।

उद्धव ठाकरे के बयान पर महाआघाडी सरकार में गठबंधन सहयोगी एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि सीएम उद्धव ठाकरे का अपना मत है, लेकिन हमने (एनसीपी)  तो सीएए के खिलाफ वोट किया था। वैसे सीएम ठाकरे ने यह जरूर कहा है कि एनआरसी राज्य में लागू नहीं होगा।

ठाकरे अभी तक सीएए और एनआरसी को लेकर कुछ साफ़ नहीं कह रहे थे। अब उन्होंने कहा है कि नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण दोनों अलग-अलग हैं और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर अलग है। ”अगर सीएए लागू होता है तो किसी को भी डरने की जरूरत नहीं है। एनआरसी यहां नहीं है और ये राज्य में लागू नहीं होगा।”

गौरतलब है कुछ राज्य सरकारों ने सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव पास किये हैं हैं और कहा है कि सीएए को उनके राज्यों में किसी भी कीमत पर लागू नहीं किया है। यही नहीं देश के कई हिस्सों में अभी तक नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ पूरी शिद्दत से विरोध प्रदर्शन जारी हैं। दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में इस कानून को वापस लेने की मांग को लेकर आंदोलन हो रहे हैं।

दिल्ली के शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन को दो महीने से ज्यादा का समय हो गया है और अब तो सुप्रीम कोर्ट ने दो वरिष्ठ वकीलों को जिम्मा सौंपकर बात करने को कहा है ताकि आंदोलन के कारण रास्ता बंद होने से जो दिक्कत पेश आ रही है उसका हल निकाला जा सके।

जहाँ तक महाराष्ट्र की बात है वहां शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन सरकार में इस मसले पर आम राय नहीं बन पा रही है। अब सीएम ठाकरे ने कहा है कि यदि एनआरसी लागू होता है तो ये सिर्फ हिंदुओं और मुस्लिमों को ही नहीं बल्कि आदिवासियों को भी प्रभावित करेगा। ”केंद्र सरकार ने अभी तक एनआरसी पर चर्चा नहीं की है। एनपीआर जनगणना है जो हर दस साल में होती है और मुझे नहीं लगता कि इससे कोई प्रभावित होगा।”

प्रशांत किशोर ने नीतीश को ‘पिछलग्गू’ बताया और कहा अब बिहार को बदलने का समय आ गया है  

कुछ समय पहले तक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मददगार रहे, जाने माने राजनीतिक/चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर मंगलवार को नीतीश कुमार के सामने खड़े हो गए और उनसे बिहार में विकास को लेकर ढेरों सवाल पूछे। किशोर ने कहा कि नीतीश रहते तो गोडसे की विचारधारा वाले लोगों के साथ हैं, लेकिन कहते यह हैं कि वे गांधी, लोहिया और जेपी को मानते हैं।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके पटना में प्रशांत ने नीतीश कुमार से मतभेद के कारण बताये और नीतीश से पूछा कि आप बिहार को ”लीड” करना चाहते हैं या पिछलग्गू (भाजपा का) बनकर कुर्सी पर बने रहना चाहते हैं ? प्रशांत ने कहा कि नीतीश से उनका नाता  पूरी तरह राजनीतिक नहीं रहा। उन्होंने कहा – ”साल २०१५ में जब हम मिले, उसके बाद नीतीशजी ने मुझे बेटे की तरह रखा। जब मैं दल में था तब भी और नहीं था तब भी। नीतीश कुमार मेरे पिता तुल्य ही हैं। उन्होंने जो भी फैसला लिया, मैं सहृदय स्वीकार करता हूं।”

प्रशांत ने कहा कि नीतीश हमेशा कहते रहे हैं कि वे गांधी, जेपी और लोहिया की बातों को नहीं छोड़ सकते तो मेरे मन में दुविधा रही है कि जब नीतीश गांधी के विचारों पर आवाज उठा रहे हैं तो फिर उसी समय में गोडसे की विचारधारा वालों के साथ कैसे खड़े हो सकते हैं। गांधी-गोडसे साथ तो नहीं चल सकते। हम दोनों में यह मतभेद की पहली बड़ी बजह है। जिस भाजपा के साथ २००४ के बाद से वे रहे और आज जिस तरह से रहे हैं, उसमें जमीन आसमान का फर्क हैं।”

किशोर ने कहा कि ”आपके झुकने से बिहार का विकास हो रहा है तो हमें कोई दिक्कत नहीं लेकिन क्या बिहार की इतनी तरक्की हो गई, जिसकी आकांक्षा यहां के लोगों की है ? क्या बिहार को विशेष राज्य का दर्ज मिल गया ?”

प्रेस कांफ्रेंस में किशोर ने बारी-बारी से तमाम बड़े मुद्दे गिनाये जिन्हें नीतीश कुमार की विकास के मामले में ‘कमजोर नस’ कहा जा सकता है। किशोर ने कहा पटना यूनिवर्सिटी में नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार से हाथ जोड़कर विनती की थी, लेकिन केंद्र ने आज तक विशेष राज्य के दर्जे की बात नहीं सुनी। कहा कि उनके समय में बिहार में विकास हुआ, इसे मैं नहीं झुठला सकता लेकिन १५ साल में बिहार में जो हुआ क्या वह आज के मानकों पर खरा उतरता है?

उन्होंने कहा बिहार की स्थिति आज अन्य राज्यों के मुकाबले पुरानी ही है। नीतीशजी ने साइकिल बांटी, पोशाक भी दिए, लेकिन अच्छी शिक्षा नहीं दे पाए जिसके मामले में बिहार आज भी निचले पायदान पर है। किशोर ने कहा – ”बिजली हर घर में पहुंची  पिछले दस साल में, लेकिन हाउसहोल्ड के स्तर पर बिजली उपभोग में बिहार देश का सबसे पिछड़ा राज्य है। नीतीश लालू राज से नहीं हरियाणा-गुजरात के विकास से तुलना करें तो सब साफ़ हो जाएगा।”

प्रशांत किशोर ने कहा कि किसी का पिछलग्गु बन चुका नेतृत्व बिहार की स्थिति नहीं बदल सकता। लोग ये सुनकर थक गए हैं कि लालू राज में ये खराब था, वो खराब था, अब लोग ये देखना चाहते हैं कि आपने अन्य राज्यों के मुकाबले क्या किया और कैसा है अपना बिहार? उन्होंने कहा कि जब तक जीवित हूं बिहार के लिए समर्पित हूं। चाहे जितना दिन लगे। हम बिहार के गांव-गांव जाकर लड़कों को जगाएंगे-जोड़ेंगे जो बिहार को बदलना चाहते हैं। बिहार चुनाव में लड़ने-लड़ाने के लिए मैं नहीं बैठा हूं।

किशोर का ब्यान तब आया है जब चर्चा तेज है कि वे बिहार में राजनीतिक दल का गठन कर सकते हैं।

उन्होंने कहा – ”दो साल पहले अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की है। मैं ऐसे यंग लड़कों को जोड़ना चाहता हूं जो राजनीति में आने का सपना देख रहे हैं। मैं चाहता हूं कि ऐसे युवाओं को जोड़ूं जो अच्छे मुखिया बनकर आए। मैं २०  तारीख से एक नया कार्यक्रम शुरू करने जा रहा हूं – बात बिहार की। इसके तहत एक हजार ऐसे लोगों, जिनमें ज्यादातर युवा होंगे, को चुनना और जुड़ना चाहता हूँ जो ये मानते हैं कि अगले दस साल में बिहार अग्रणी राज्य बने। प्रति व्यक्ति आय के मामले में बिहार २२वें नंबर पर है। बिहार को वो चलाएगा जिसके पास कुछ कर दिखाने का सपना और ब्लूप्रिंट हो।”

अभिनेता तापस पॉल का निधन, ममता ने शोक जताया

माधुरी दीक्षित के पहले हीरो, जाने माने बंगाली एक्टर और तृणमूल कांग्रेस के सांसद रहे तापस पॉल का मंगलवार तड़के निधन हो गया। उनके निधन पर टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने शोक जताया है। माधुरी दीक्षित ने भी उनके निधन पर शोक जताया है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक तापस का निधन दिल का दौरा पड़ने से हुआ। वह महज ६१ साल के थे। तापस अपने पीछे पत्नी नंदिनी और बेटी सोहिनी पॉल को छोड़ गए हैं।पॉल अपनी बेटी से मिलने मुंबई गए थे और कोलकाता लौटते समय हवाई अड्डे पर उन्होंने सीने में दर्द की शिकायत की जिसके बाद उन्हें जुहू के एक अस्पताल में भर्ती किया गया। सुबह करीब चार बजे उनका निधन हो गया। उन्हें हृदय संबंधी समस्याएं थीं और दो साल से उनका इलाज चल रहा था।

उनके निधन की जानकारी के मिलते ही कमोवेश सभी बड़े और छोटे कलाकारों ने शोक और संवेदना जताई है। इंडस्ट्री के अलावा राजनीतिक हलकों में भी उनके निधन पर शोक जताया गया है।

तापस का जन्म पश्चिम बंगाल के चंद्रनगर में हुआ था। उन्होंने हुगली मोहसिन कॉलेज से जीव विज्ञान में ग्रेजुएशन पूरी की थी। साल १९८० में उन्होंने तरुण मजुमदार की बंगाली फिल्म ”दादर कीर्ति” से डेब्यू किया और इसमें उनके साथ मधु रॉय चौधरी, देबर्शी रॉय और संध्या रॉय थीं।

बंगाली सिनेमा में चार साल काम करने के बाद तापस ने अपनी पहली हिंदी फिल्म ”अबोध” में लीड रोल प्ले किया था। साल १९८४ में रिलीज हुई हिरेन नाग निर्देशित फिल्म ”अबोध” से माधुरी दीक्षित ने हिंदी सिनेमा में डेब्यू किया था। तापस ने अपने करीब ३० साल के फ़िल्मी करियर में तमाम दिग्गज अभिनेताओं के साथ काम किया।

तापस के निधन पर ममता बनर्जी का ट्वीट –

Mamata Banerjee✔
@MamataOfficial
Saddened & shocked to hear about the demise of Tapas Paul. He was a superstar of Bengali cinema who was a member of the Trinamool family.Tapas served the people as a two-term MP and MLA. We will miss him dearly. My condolences to his wife Nandini, daughter Sohini & his many fans.

पाकिस्तान के बलूचिस्तान में विस्फोट से १० लोगों की मौत  

पाकिस्तान के अशांत माने जाने वाले बलूचिस्तान सूबे में एक धार्मिक रैली में विस्फोट होने से मरने वालों की संख्या १० हो गयी है। इनमें कुछ पुलिसकर्मी भी शामिल हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक बम विस्फोट में २० का करीब लोग घायल भी हुए हैं।
घटना के मुताबिक शहराह-ए-अदालत के पास क्वेटा प्रेस क्लब में एक धार्मिक रैली के दौरान यह विस्फोट हुआ। कई वाहन भी विस्फोट की चपेट में आ गए और क्षतिग्रस्त हो गए। सुरक्षा कर्मियों ने इलाके की घेराबंदी करके तलाशी अभियान शुरू किया।
रिपोर्ट्स में बताया गया है बलोचिस्तान के गृह मंत्री जिया उल्लाह लांगू ने कहा कि घायलों की संख्या बढ़ सकती है। जांच से संकेत मिले हैं कि यह विस्फोट किसी आत्मघाती हमलावर (स्यूसाइड बॉम्बर) ने किया है।
उधर पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने संबंधित अधिकारियों को घायलों को सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा प्रदान करने का निर्देश दिया। बलूचिस्तान के गवर्नर अमानुल्ला खान ने धमाके की निंदा की और कहा कि इस तरह के हमले राष्ट्र और सुरक्षा बलों के हौसले को कमजोर नहीं कर सकते।
गौरतलब है कि बलूचिस्तान को अशांत सूबा माना जाता है और वहां बड़े पैमाने पर पाकिस्तान के खिलाफ प्रदर्शन भी होते रहे हैं। वहां के संगठन पाकिस्तान पर सूबे में लोगों पर जुल्म ढाने का आरोप लगाते रहे हैं।

निर्भया के दोषियों के खिलाफ नया डेथ वारंट जारी, अब ३ मार्च को सुबह ६ बजे होगी फांसी

निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले में सोमवार को अदालत ने दोषियों के खिलाफ नया डेथ वारंट जारी कर दिया है। इसके मुताबिक निर्भया के दोषियों को फांसी ३ मार्च को तड़के ६ बजे होगी। दोषियों के खिलाफ यह तीसरा डेथ वारंट है। पहले दो बार तारीख तय होने के बावजूद दोषियों को मिले अधिकार की प्रक्रिया पूरी न होने के कारण इसे टाल दिया गया था।

रिपोर्ट्स में बताया गया है कि तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने नए डेथ वारंट का आधिकारिक आदेश मिलने की पुष्टि की है। निर्भया के माता-पिता ने कोर्ट के आदेश पर खुशी का इजहार किया है। निर्भया की मां ने कहा कि सच की देर से सही, कभी न कभी जीत होती ही है। उन्होंने कहा कि इ सात साल से संघर्ष कर रही हैं और उम्मीद करती हैं कि अब तीन मार्च को निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा मिल जाएगी।

उधर दोषियों के वकील एपी सिंह का कहना है कि अभी अक्षय कुमार की दया याचिका ख़ारिज होनी है। उसके बाद के भी विकल्प हैं। डेथ वारंट को दोषियों के वकील ने ”दबाव बनाने की कोशिश” बताया और कहा संविधान को दरकिनार कर फैसला नहीं हो सकता।

रिपोर्ट्स में यह भी बताया जा रहा है कि एक दोषी विनय शर्मा अनशन पर है। कोर्ट ने तिहाड़ जेल अधीक्षक को नियमानुसार दोषियों की देखभाल करने का आदेश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने हेगड़े, रामचंद्रन को सौंपा शाहीनबाग आंदोलनकारियों से बातचीत का जिम्मा, सड़क खोलने पर होगी बात

सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को शाहीनबाग में चल रहे नागरिकता विरोधी क़ानून आंदोलन और इससे सड़क बंद होने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ताओं संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन को प्रदर्शनकारियों से बातचीत का जिम्मा सौंपा है। कोर्ट ने कहा कि हमें उम्मीद है कि इससे समाधान निकलेगा।
इस मामले पर आज कोर्ट में सुनवाई हुई जिसके बाद न्यायालय ने संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन को प्रदर्शनकारियों से बातचीत कर कोई समाधान निकालने का जिम्मा सौंपा है। इससे पहले कोर्ट ने कहा कि प्रदर्शन एक मौलिक अधिकार है लेकिन यह भी कुछ प्रतिबंधों के अधीन होता है।
कोर्ट ने कहा कि प्रदर्शन के कारण लोगों को असुविधा हो तो इसे भी देखना होता है।
कोर्ट ने सवाल पूछा कि क्या पब्लिक रोड पर धरना दिया जा सकता है। हालाँकि साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि आजकी सुनवाई प्रदर्शन को लेकर नहीं है बल्कि इससे सड़क बंद होने से लोगों को हो रही असुविधा को लेकर है। कोर्ट ने कहा प्रदर्शन करना जनता का मौलिक अधिकार है। हालाँकि यह देखना होगा कि क्या सड़क के किनारे भी धरना हो सकता है जिससे कि आम लोगों को दिक्कत न हो और रास्ता बंद न हो।

दिल्ली मुठभेड़ में २ बदमाश ढेर

दिल्ली पुलिस ने सोमवार तड़के एक मुठभेड़ में दो बदमाशों को ढेर कर दिया। इन बदमाशों पर हत्या सहित कई मामले दर्ज थे।

रिपोर्ट्स के मुताबिक मुठभेड़ में मारे गए बदमाशों की पहचान राजा पहलवान उर्फ रफीक और रमेश उर्फ राजू उर्फ बहादुर के रूप में की गयी है। मुठभेड़ तब हुई जब
यह बदमाश मां आनन्दमयी मार्ग तुगलकाबाद के रास्ते ओखला मंडी इलाके की ओर जा रहे थे। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने उन्हें नोटिस किया और जब उन्होंने पुलिस पर गोलियां चलानी शुरू की तो पुलिस ने जवाबी कार्रवाई में दोनों को ढेर कर दिया।

दिल्ली पुलिस के मुताबिक मुठभेड़ के दौरान बदमाशों ने पुलिस टीमों पर फायरिंग की। टीम बुलेटप्रूफ जैकेट्स और हथियारों के साथ थी, लिहाजा सुरक्षित रही।  बदमाशों ने पुलिस वाहनों पर भी गोलियां दागीं।

मुठभेड़ सुबह पांच बजे के करीब तब हुई जब दोनों बदमाशों को आवाज देकर पुलिस टीम ने सरेंडर करने को कहा। जवाब में पहले तो बदमाश मौके से भागने लगे। उसके बाद उन्होंने पीछे दौड़ रहे पुलिस टीम के सदस्यों पर ही गोलियां चलानी शुरू कर दीं। बचाव में दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की टीम ने गोलियां चलाईं। दोनों ओर से गोलीबारी में बदमाश गोलियां लगने से जख्मी हो गये। उन्हें पास ही स्थित एक अस्पताल में दाखिल कराया गया। जहां डॉक्टरों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया।

राजा पहलवान विकास कुंज इंद्रपुरी, लोनी, गाजियाबाद का रहने वाला था जबकि उसका दूसरा मारा गया साथी बदमाश रमेश राजू महालक्ष्मी एन्क्लेव, शिव विहार, करावल नगर दिल्ली में रहता था। राजा के खिलाफ गाजियाबाद के लोनी थाने में हत्या के दो मामले दर्ज थे। इसके अलावा उसके खिलाफ दिल्ली और गाजियाबाद के अन्य थानों में भी कई संगीन वारादातों को अंजाम देने के केस दर्ज थे। गाजियाबाद के लोनी थाना क्षेत्र में उसका आतंक था। बीती १२ फरवरी को रात करीब ९ बजे राजा पहलवान और रमेश राजू ने दो पुलिसकर्मियों पर भी गोली चला दी थी। एक प्रापर्टी डीलर पर भी उसी वक्त दोनों ने गोलियां चलाई थीं।

उन्नाव सड़क हादसे में ७ लोगों की जलकर मौत

उत्तर प्रदेश के उन्नाव में एक सड़क हादसे में सात लोगों की जलने से मौत हो गयी है। यह घटना रविवार देर रात की है जब लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस वे पर उन्नाव के पास  एक वैन टायर फटने के बाद बेकाबू होकर सामने आ रहे ट्रक से जा टकराई। इस भीषण टक्कर से वैन में विस्फोट हो गया और उसमें आग लग गई। बैन में बैठे सभी सात लोगों की जलने से मौत हो गयी।

रिपोर्ट्स के मुताबिक वैन में सीएनजी सिलेंडर था जिसके चलते आग तेजी से भड़क गयी। यह सब इतनी तेजी से हुआ कि किसी को बाहर निकलने का मौका ही नहीं मिल पाया। सभी की मौके पर ही मौत हो गयी। वहां स्थानीय लोग भी थे लेकिन आग देखकर कोइ उसके पास जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाया।

टक्कर से ट्रक में भी आग लग गयी थी लेकिन चालक और क्लीनर उसे जलता छोड़कर भाग निकले। मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड की तीन गाड़ियों ने आग पर काबू पाया। फिलहाल मौके पर पहुंची पुलिस को वैन से सात शव मिले। इनकी शिनाख्त की जा रही है।

गांव वालों ने बताया कि ट्रक की टक्कर के बाद वैन में धमाके के साथ आग लग गई। लपटें इतनी तेज थी कि कोई भी वैन के पास जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। घटना बांगरमऊ कोतवाली क्षेत्र में लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे के पास बांगरमऊ टोल प्लाजा के पास की है। वैन उन्नाव से हरदोई की ओर जा रही थी और उसकी रफ्तार काफी तेज थी।

महिलाओं को सेना में स्थाई कमीशन मिले : सुप्रीम कोर्ट

महिला सशक्तिकरण के लिहाज से सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक  फैसले में देश की सेना में महिलाओं को स्थाई कमीशन देने का आदेश दिया है। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि महिला अधिकारियों को कमांड पोस्ट से इंकार नहीं होना चाहिए और शारीरिक संरचना को इसका आधार नहीं माना जा सकता।

सर्वोच्च अदालत ने आदेश दिया है कि तीन महीने के भीतर इस दिशा में काम होना चाहिए। अदालत ने कहा कि महिलाएं सेना में भी पुरुषों की सहायक मात्र नहीं, बल्कि उनकी समकक्ष हैं। अभी तक सेना में महिलाएं अधिकतर मेडिकल कोर तक सीमित रही हैं। लेकिन सर्वोच्च अदालत के फैसले के बाद उनके बैटल फील्ड में जाने का पूरा रास्ता खुल गया है।

अदालत के आदेश का सबसे बड़ा लाभ भविष्य में सेना में आने की तैयारी कर रही लड़कियों को मिलेगा। इससे उनमें उत्साह का भी संचार होगा। सोमवार को अदालत ने स मामले में केंद्र को भी फटकार लगाई और टीम महीने के भीतर न आदेशों की अनुपालना का आदेश दिया। इसे लेकर कोर्ट में एक याचिका दायर की गयी थी जिसपर कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है।

अदालत ने कहा कि सेना में सच्ची समानता लानी होगी। कोर्ट ने कहा कि ३० फीसदी महिलाएं लड़ाकू क्षेत्र में तैनात हैं। लिहाजा उन्हें स्थाई कमीशन दिया जाना चाहिए। अदालत ने कहा कि महिला सेना अधिकारियों ने देश का गौरव बढ़ाया है।

बुर्के पर टिप्पणी मामले में खतीजा से मिला तस्लीमा नसरीन को जवाब

संगीतकार ए आर रहमान की बेटी खतीजा के पर्दा किये जाने को लेकर लेखिका तस्लीमा नसरीन की टिप्पणी का अब उन्होंने जवाब दिया है। दरअसल, बांग्लादेश की चर्चित लेखिका और भारत में निर्वासित जीवन बिता रहीं तस्लीमा ने मशहूर संगीतकार की बेटी के बुर्का पहनने को लेकर पिछले दिनों ट्विटर पर लिखा था कि ऐसा देखकर मुझे घुटन महसूस होती है। अब खतीजा रहमान ने सोशल मीडिया इंस्टाग्राम के जरिये उनको करारा जवाब दिया है।

तस्लीमा ने सोशल मीडिया पर लिखा कमेंट वायरल हो गया था। ट्वीट में विवादित लेखिका ने लिखा था कि ‘मुझे ए आर रहमान का संगीत बेहद पसंद है, लेकिन जब भी मैं उनकी बेटी को देखती हूं तो मुझे घुटन महसूस होती है। यह मालूम होते हुए काफी दुख होता है कि एक पढ़ी-लिखी महिला का भी उसके परिवार में आसानी से ब्रेनवॉश कर दिया जाता है।’

खतीजा ने अपनी इंस्टाग्राम पोस्ट में तस्लीमा नसरीन को संबोधित करते हुए लिखा, केवल एक साल ही बीता है और यह विषय एक बार फिर से सुर्खियों में है। यूं तो देश में बहुत कुछ हो रहा है और लोग इस बात से चिंतित हैं कि महिला क्या पोशाक पहनना चाहती है। मैं जीवन में अपनी चुनी हुई चीजों और विकल्पों पर पछतावा नहीं करूंगी। मैं बेहद खुश हूं और इस बात का मुझे फख्र है कि मैं क्या करती हूं और उन लोगों का धन्यवाद, जिन्होंने मुझे इस तरह स्वीकार किया।’

खतीजा यहीं नहीं रुकीं, उन्होंने एक कदम आगे बढ़ते हुए लिखा-प्रिय तस्लीमा नसरीन, मुझे दुख है कि आपको मेरे पहनावे से घुटन होती है। कृपया ताजी हवा में सांस लें, क्योंकि मुझे अपने पहनावे को लेकर कोई घुटन नहीं होती है, बल्कि मुझे इस बात का फख्र है कि जिस चीज के लिए मैं खड़ी हूं। मैं आपको सलाह देती हूं कि गूगल करें कि असल में नारीवाद का क्या अर्थ है? क्योंकि इसका अर्थ दूसरी महिलाओं को नीचा दिखाना नहीं होता है और न ही किसी के पिता को मुद्दे में लाना।’