…तो लॉकडाउन होने लगा अनलॉक
कोविड-19: देश के विभिन्न अस्पतालों में आईसोलेशन बेड बढ़ाये जाने की तैयारी
हिन्दुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) बेंगलूरु में इंटेसिंव केयर यूनिट में तीन बेड एवं 30 वार्ड के साथ आईसोलेशन सुविधा है। इसके अलावा 30 कमरों वाला एक भवन तैयार किया गया है। कुल मिलाकर एचएएल सुविधा केंद्र में 93 लोगों को समायोजित किया जा सकता है।
कोरोना पीड़ितों के साथ-साथ दूसरे रोगियों की तरफ भी ध्यान दे सरकार
जब कोई एक समस्या आती है, तो यह निश्चित ही होता है कि दूसरी समस्या भी विकराल रूप धारण कर लेती है। ऐसा ही हाल दिल्ली में है। दिल्ली में एक ओर कोरोना वायरस का कहर है, तो दूसरी ओर दिल्ली में एम्स व दिल्ली सरकार के अस्पतालों में ओपीडी बंद होने के कारण कोरोना के अलावा अन्य रोग के मरीजों को अपने इलाज कराने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। इसके कारण मरीजों के सामने ये विकट संकट बना हुआ है कि वे इस स्थिति में क्या करें? तहलका संवाददाता को उन मरीजों ने बताया कि दिल्ली सहित पूरे देश में लॉकडाउन है। सोशल डिस्टेंस बना हुआ है। ऐसे में उन मरीजों का क्या होगा, जिनको 2 और 3 महीने पहले एम्स और अन्य अस्पतालों में तारीख मिली थी कि वो आकर अपनी जांच करवा लें।
सबसे चौंकाने वाली बात ये सामने आयी है कि दूर-दराज के राज्यों मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के मरीज जो किडनी, लीवर, न्यूरो और कैसर जैसे रोगों से पीड़ित हैं। वे अपनी जांच अब कैसे करवाएं? मरीज सुधीर के परिजन और सुरेश चौबे के भाई पवन ने बताया कि उनको कैंसर की जाँच की तारीख 6 अप्रैल की मिली है। वे आज उत्तर प्रदेश के झांसी से अधिकारियों व चिकित्सा अधिकारी से लिखित में रैफर कागजात लेकर एम्बुलेंस में आ रहे हैं। ऐसे में अब उनको चिंता सता रही है कि कहीं लॉकडाउन के कारण उनको कहीं रास्ते में पुलिस के सामने दिक्कत का सामना न करना पड़े और कहीं ऐसा न हो कि उनकी एम्स में जांच भी न हो। ऐसी स्थिति में क्या किया जाए? ऐसे तमाम मरीज हैं।
उन्होंने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री से अपील की है कि कोरोना वायरस के अलावा उन मरीजों के लिए भी अलग से ध्यान दें और ऐसे मरीजों के लिए वे अलग से गाइडलाइन बनाएं, जिससे मरीजों को दिक्कत न हो। बताते चलें कि देश में कोने-कोने में कोरोना वायरस के डर के कारण और लॉकडाउन की वजह से लोगों में एक साथ कई तरह का भय बना हुआ है। जैसे आर्थिक संकट, रोजगार का संकट और स्वास्थ्य संकट। गौर करने वाली बात यह है कि अगर कोरोना वायरस के अलावा अन्य रोगियों को समय पर इलाज नहीं मिलेगा, तो और भी गंभीर दिक्कत सामने आ सकती है।
15 अप्रैल से चलेंगी ट्रेनें
कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए देश भर में हुए 21 दिनों के लॉकडउन के ख़त्म होते ही सामान्य जीवनशैली के पटरी पर लौटने का सभी को बेसब्री से इंतज़ार है। उम्मीद की जा रही है कि लॉकडाउन के आख़िरी दिन 14 अप्रैल के बाद सब कुछ सामान्य हो जाएगा। क्योंकि भारतीय रेलवे ने 15 अप्रैल से ट्रेन सेवा शुरू करने की बात कही है। विदित हो कि कोरोना वायरस के मद्देनज़र देश भर में जारी 21 दिनों के लॉकडाउन की वजह से सभी यात्री ट्रेनों का संचालन बन्द कर दिया गया है। रेलवे सूत्रों मुताबिक, रेलवे के सभी कर्मचारियों और अधिकारियों को 15 अप्रैल से अपनी-अपनी ड्यूटी पर लौटने के निर्देश दे दिये गये हैं।
हालाँकि, केंद्र सरकार की हरी झंडी मिलने के बाद ही ट्रेनों का संचालन शुरू हो सकेगा। इस मामले पर मंत्रणा के लिए सरकार ने मंत्रियों का एक समूह गठित किया है। रेलवे ने ट्रेनों के संचालन की समय सारिणी और अन्य सेवाओं को बहाल करने की योजना जारी कर दी है।
सूत्रों के मुताबिक, 15 अप्रैल से निर्धारित कार्यक्रम के अनुरूप लगभग 80 प्रतिशत ट्रेनें पटरी पर दौड़ेंगी। इन ट्रेनों में शताब्दी, राजधानी, दुरंतो जैसी सुपरफास्ट ट्रेनों के साथ-साथ अन्य ट्रेनें भी शामिल हैं। इसके लिए रेलवे ने सभी 17 जोनों को अपनी-अपनी सेवाएँ संचालित करने के लिए तैयार रहने को कहा है।
यात्रियों की होगी थर्मल स्क्रीनिंग
सूत्रों के मुताबिक, रेलवे स्टेशन पर पहुँचने वाले सभी यात्रियों की थर्मल स्क्रीनिंग की जाएगी। साथ ही सरकार के सभी दिशा-निर्देशों का भी रेलवे द्वारा पालन किया जाएगा। रेलवे का कहना है कि फ़िलहाल सरकार ने कोई नया आदेश जारी नहीं किया है। रेलवे ने सभी यात्री सेवाएँ 14 अप्रैल तक रद्द कर दी थीं, इसलिए हालात सामान्य रहने पर संभवतः सरकार कोई नया आदेश जारी न करे। इस सप्ताह के अन्त में जोनों को ठोस कार्य-योजना भेजे जाने की सम्भावना है। विदित हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 24 मार्च को बन्द की घोषणा करने के बाद रेलवे ने मालवाहक ट्रेनों को छोड़कर 13,523 ट्रेनों की सेवाएँ 21 दिनों के लिए रद्द कर दी थीं।
कोरोना पॉजिटिव डॉक्टर दंपति के घर आया नन्हा मेहमान
कश्मीर में ५ आतंकी ढेर, २ जवान घायल
जम्मू कश्मीर में सुरक्षा बलों ने ५ आतंकियों को मार गिराया गया है। सेना के २ जवान भी इस मुठभेड़ में घायल हुए हैं।
जानकारी के मुताबिक दक्षिण कश्मीर के कुलगाम में सुरक्षा बलों ने हिजबुल मुजाहिदीन (एचएम) के पांच आतंकियों को मार गिराया। यह मुठभेड़ इलाके में उस घटना के बाद हुई जिसमें आतंकियों ने पिछले १५ घंटे में चार नागरिकों की हत्या कर दी।
जम्मू कश्मीर पुलिस के मुताबिक जानकारी मिलने के बाद सुरक्षा बलों ने कुलगाम जिले के हर्दमंगुरी गांव में ऑपरेशन के दौरान तलाशी शुरू की। इस दौरान सुरक्षा बल एक सेब के बगीचे के बीच बने घर के पास पहुंचे तो भीतर छिपे आतंकियों ने उनपर जबरदस्त गोलीबारी शुरू कर दी।
आतंकियों ने गोलीबारी कर भागने की कोशिश की थी जिसे सुरक्षा बलों ने दो आतंकियों को सुबह मार गिरयाया था। उसके बाद भी मुठभेड़ जारी रही। छह घंटे बाद सुरक्षा बलों ने एक और आतंकी को मार गिराया और सुरक्षा बलों ने पूरे घर को विस्फोटक बारूद लगा कर उड़ा दिया।
अब मिली जानकारी के मुताबिक कुल ५ आतंकी मारे गए हैं। इस घटना में २ जवान भी घायल हुए हैं। जेके पुलिस के मुताबिक आतंकी हिजबुल मुजाहिदीन से जुड़े हुए थे।
कोरोना के भय से अमृतसर में दंपति ने आत्महत्या की
कोरोना न होने के बावजूद लॉक डाउन और कर्फ्यू के चलते तन्हाई झेल रहे एक दंपति ने पंजाब के अमृतसर में कोरोना के भय से आत्महत्या कर ली। कोरोना के शोर के बीच यह दूसरी ऐसी घटना है। इससे पहले मार्च में दिल्ली के एक अस्पताल में कूद कर आत्महत्या कर ली थी।
जानकारी के मुताबिक कोरोना विषाणु के भय भर से ही इस दंपति ने आत्महत्या कर ली। उन्होंने एक सुसाइड नोट भी लिखा है। यह दोनों अकेले ही रहते थे। डॉक्टरों ने कल कोरोना का जिक्र आने के बाद उनके शवों का पोस्टमॉर्टम करने से मना कर दिया था जिसके बाद आज उनका पोस्टमार्टम किया जा रहा है।
यह घटना अमृतसर के बाबा बकाला के सठियाला गांव की है। इनके नाम गुरजिंदर कौर (६३) और बलविंदर सिंह (६५) हैं। जानकारी के मुताबिक सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा कि हम कोरोना वायरस के कारण नहीं मरना चाहते हैं। हमें कोरोना से टेंशन हो गई थी।
इसी तरह की एक और घटना झारखंड की राजधानी रांची के अशोक नगर से भी मिली है। वहां एक युवक ने कोरोना की आशंका के चलते फंदे से झूलकर आत्महत्या कर ली। गुरुवार देर रात की यह घटना बतायी गयी है। मृतक का नाम पप्पू कुमार सिंह था। वह बिहार के भोजपुर जिले के पीरो का निवासी था।
कोरोना : यूरोप से क्यों बेहतर हैं एशिया के हालात
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा देश में संक्रमण के मामलों में तेजी जरूर आई है, फिर भी यहां की स्थिति यूरोपीय देशों के मुकाबले बेहतर है। बता दें कि पिछले कुछ हफ्तों से यूरोप इस संकट का केंद्र बना हुआ है, लेकिन ऐसे संकेत मिले हैं कि यह महामारी वहां चरम पर पहुंच सकती है। स्पेन और ब्रिटेन में 24 घंटे के दौरान क्रमश: 950 और 569 लोगों की मौत हुई हैं।
यूरोपीय देशों की हालत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इंग्लैंड के प्रधानमंत्री बॉरिस जॉनसन के साथ-साथ प्रिंस चार्ल्स तक कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। प्रधानमंत्री जॉनसन ने ‘बड़ी संख्या में लोगों की जांच’ करने का आह्वान किया। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि आने वाले हफ्तों में एक दिन में 1 लाख लोगों की जांच करने का लक्ष्य है। खुद संक्रमण की चपेट में आए जॉनसन की बड़े पैमाने पर जांच न कराने के लिए आलोचना की गई।
सबसे ताकतवर देश अमेरिका को ही ले लें, वहां बीते 24 घंटों में ही 1,169 लोगों की मौत हो गई। जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के मुताबिक यह अपने आप में एक रेकॉर्ड है। इससे पहले इटली में 27 मार्च को 969 लोगों की मौत हो गई थी। व्हाइट हाउस के विशेषज्ञों का कहना है कि इस बीमारी से 1 लाख से 2.40 लाख अमेरिकी जान गंवा सकते हैं। वहां पर संक्रमितों का आंकड़ा 2.25 दो लाख को पार कर गया है।
अब इसी उदाहरण से भारत और दक्षिण कोरिया की तुलना कीजिए। भारत में अभी संक्रमितों का आंकड़ा 2,500 तक पहुंचा ही है। हालांकि, जब पहले ग्राफ को देखकर लगता है कि भारत के मुकाबले दक्षिण कोरिया की स्थिति बहुत खराब है। लेकिन, हकीकत दूसरा ग्राफ बताता है। इस ग्राफ से पता चलता है कि दक्षिण कोरिया में नए मामलों की रफ्तार में तेजी से गिरावट दर्ज की गई है जबकि भारत में स्थिति उलट है। वहां बिना लॉकडाउन के जांच के जरिये नियंत्रण पाया गया है, जबकि भारत में बड़ी आबादी के बावजूद लॉकडाउन किया गया है और उसी से इस पर नियंत्रण पाने के प्रयास जारी हैं।
कोविड-19 : प्रधानमंत्री ने खिलाड़ियों से सकारात्मक माहौल बनाने को कहा
कोरोना से निबटने के लिए भारत को विश्व बैंक से एक अरब डॉलर की आपातकालीन मदद का ऐलान
कोरोना वायरस से लड़ने के लिए भारत को विश्व बैंक से एक अरब डॉलर की आपातकालीन वित्तीय सहायता मंजूर हुई है। देश में कोरोना विषाणु (कोविड-१९) मामले अब तेजी से बढ़ रहे हैं ऐसे में इस विषाणु को सामुदायिक स्तर तक पहुँचाने से रोकने की कोशिशें तेज हो गयी हैं।
अब विश्व बैंक ने भारत को कोरोना वायरस से निपटने के लिए एक अरब डॉलर की आपातकालीन वित्तीय सहायता देने का ऐलान किया है। विश्व बैंक की सहायता परियोजनाओं के १.९ अरब डॉलर की पहली खेप में २५ देशों को मदद दी जा रही है। इस इमरजेंसी मदद का सबसे बड़ा हिस्सा भारत को मिल रहा है एक अरब डॉलर का है। इसका कारण भारत की बड़ी आबादी भी है।
संगठन ने कहा है कि भारत में एक अरब डॉलर की आपातकालीन वित्तीय सहायता से बेहतर स्क्रीनिंग, संपर्कों का पता लगाने, प्रयोगशाला जांच, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण खरीदने और नए पृथक वार्ड बनाने में मदद मिलेगी। विश्व बैंक ने दक्षिण एशिया में पाकिस्तान को २० करोड़ डॉलर, अफगानिस्तान को १० करोड़ डॉलर, मालदीव को ७३ लाख डॉलर और श्रीलंका को १२.८६ करोड़ डॉलर की सहायता को मंजूरी दी गयी है।
विश्व बैंक ने कहा है कि उसने वैश्विक कोरोना वायरस महामारी के प्रभाव से निपटने में देशों की मदद करने के लिए १५ महीने के लिहाज से १६० अरब डॉलर की आपातकालीन सहायता जारी करने की योजना को मंजूरी दी है। बता दें कि भारत में कोरोना वायरस के संक्रमित मामलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।










