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30 अप्रैल तक नहीं चलेंगी ये ट्रेनें

लॉकडाउन के बाद भारतीय रेलवे कुछ ट्रेनों के संचालन की तैयारी कर रहा है। रेलवे सूत्रों के मुताबिक, 15 अप्रैल से यात्री ट्रेनों का संचालन संभव है। हालाँकि शुरुआत में सभी ट्रेनें नहीं चलेंगी और यात्रियों की स्क्रीनिंग की जाएगी। वहीं भारतीय रेलवे कुछ ट्रेनों का संचालन 30 अप्रैल तक रद्द रख सकता है। इनमें प्राइवेट ट्रेनें भी शामिल हैं। आईआरसीटीसी के मुताबिक, तीन प्राइवेट ट्रेनों का परिचालन 30 अप्रैल तक नहीं किया जाएगा। इनमें वाराणसी से इंदौर के बीच चलने वाली काशी महाकाल एक्सप्रेस के अलावा लखनऊ से दिल्ली और अहमदाबाद से मुंबई के बीच चलने वाली तेजस शामिल हैं। आईआरसीटीसी ने देश में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के मद्देनज़र यह निर्णय लिया है। सवाल यह है कि आईआरसीटी ने इन तीन प्राइवेट ट्रेनों को रद्द क्यों किया? इस मामले में रेलवे मंत्रालय ने पहले ही कह दिया है कि लॉकडाउन ख़त्म होने के बाद भी दूसरी भी यात्री ट्रेनें रद्द हो सकती हैं, इसलिए इन तीन ट्रेनों के रद्दीकरण के फैसले को दूसरी यात्री ट्रेनों से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। मंत्रालय ने कहा है कि आईआरसीटीसी के पास ट्रेनों को रद्द करने और चलाने का अधिकार है। फ़िलहाल उसने ये तीन ट्रेनें रद्द की हैं, अन्य ट्रेनों के बारे में अभी फ़ैसला नहीं लिया गया है। लॉकडाउन खुलने में अभी एक सप्ताह का समय है। इस बीच और भी निर्णय लिये जा सकते हैं।

बता दें कि 15 अप्रैल से यात्री ट्रेनों के संचालन के लिए रेलवे मंत्रालय रेलवे के साथ लगातार बैठकें कर रहा है। विदित हो कि केंद्र सरकार के देश भर में लॉकडाउन के निर्णय के बाद सभी यात्री ट्रेनों और सेवाओं को रेलवे ने रद्द कर दिया था।

लाॅकडाउन लंबा न चले, इसके लिए क्या कर रही है सरकार?

कोरोनावायरस संक्रमण से निपटने के लिए अपनाए जा रहे लाॅकडाउन के दो हफ्ते बीत चुके हैं। मंगलवार को केंद्र सरकार की ओर से इशारा कर दिया गया है कि जब तक वायरस का खतरा है, इस पर ढील देने का मतलब है कि लोगों के बीच में वायरस के प्रकोप को दावत देना। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से रोजाना दिए जाने वाले अपडेट के दौरान बताया गया सिर्फ एक व्यक्ति सैकड़ों इंसानों को संक्रमित कर सकता है।

सवाल यह उठता है कि तमाम एहतियात बरतने के बावजूद संक्रमण का प्रकोप दिन ब दिन बढ़ता क्यों जा रहा है। आखिर कहां चूक हो रही है? अस्पतालों में मेडिकल स्टाफ पर भी खतरा बरकरार है। दिल्ली के दो बड़े अस्पतालों के बहुत से मेडिकल स्टाफ इसकी चपेट में आ चुके हैं साथ ही उनसे कहीं ज्यादा ने खुद को क्वारंटीन कर लिया है। मुंबई के एक बड़े अस्पताल में भी चिकित्सा कर्मियों में इसके लक्षण पाए जाने के बाद पूरे अस्पताल को सील कर दिया गया है।

एक तो अपने यहां बचाव के पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं हैं। दूसरा, मेडिकल स्टाफ भी आबादी के लिहाज से नपा तुला ही है, उसमें भी अगर वह संक्रमण की गिरफ्त में आता है तो आने वाले समय में ये अच्छे संकेत कतई नहीं हो सकते हैं। इसलिए इस ओर सरकार को खास ध्यान देने की जरूरत है। मध्य प्रदेश में तो आला अफसरों का अमला चपेट में आ चुका है जिसमें तीन आईएएस अफसर पाॅजिटिव पाए गए हैं और दर्जनभर से अधिक क्वारंटीन में चले गए हैं।

डाॅक्टरों के साथ ही पैरा मेडिकल स्टाफ को उचित प्रोत्साहन देने के साथ ही पर्सनल प्रोटेक्षन इक्विपमेंट (पीपीई) उपलब्ध कराए जाएं और उनको आराम व जरूरी संसाधन तत्काल मुहैया कराए जाएं। सुरक्षा उपकरणों को लेकर किसी भी तरह की ढिलाई नहीं बरतनी चाहिए।

सरकार को चाहिए कि टेस्टिंग का दायरा बढ़ाए ताकि लोगों के बीच स्थिति स्पश्ट हो सके कि कहीं उनके आसपास भी वायरस नहीं पहुंच गया है क्योंकि मुंबई के स्लम धारावी में पहुंचने के बाद नोएडा के कुछ गांवों में भी इसके पैर पसारने की खबरें मिली हैं। हालांकि इलाकों को सील करके सैनिटाइज किया जा रहा है और संदिग्धों को 14 दिन के लिए क्वारंटीन में रखा जा रहा है।

लेकिन क्या सैनिटाइज, क्वारंटीन और लाॅकडाउन ही इसके विकल्प हैं? इस पर गंभीरता से विचार करने की आवष्यकता है। इससे देशमें दूसरे तरह की कई दर्जनों समस्याएं सामने आ सकती हैं। सबसे बड़ी समस्या लोगों के रोजगार को लेकर है, दूसरी जरूरी सामान यानी प्रवासी मजदूरों के लिए खाने की चीजें मुहैया कराना। किसानों की फसल आने लगी है और मजदूर मजबूर है।

वर्तमान में महाराष्ट्र और दिल्ली जैसे महानगरों में जो हालात हैं, उससे लगता नहीं है कि यह लाॅकडाउन जल्द खत्म होने वाला है। अगर ये दोनों मेट्रो ष्षहर बंद रहते हैं तो इससे लाखों परिवारों की रोजी-रोटी पर संकट आने वाला है। इनमें से ज्यादातर गैर पंजीकृत या रिकाॅर्ड में नहीं हैं। इस तरफ मोदी सरकार के साथ ही राज्य सरकारों को भी गंभीरता से विचार करके समय रहते कदम उठाने ही होंगे वरना आने वाले समय में वायरस से ज्यादा मौतें बेरोजगारी, भुखमरी और कुपोषण से हो सकती हैं।

पीपीई पोशाक बनाने की तैयारी में रेलवे

रेलवे के डॉक्टरों और चिकित्साकर्मियों के लिए रेलवे ख़ुद हर रोज़ 1000 पीपीई पोशाकों का निर्माण करेगा। कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण के मद्देनज़र रेलवे चिकित्साकर्मियों की पीपीई पोशाकों की कुल माँग की 50 फ़ीसदी की आपूर्ति करने पर विचार कर रहा है। फ़िलहाल जगाधरी स्थिति रेलवे कार्यशाला में पीपीई पोशाक तैयार की जा रही हैं। लगभग 17 कार्यशालाएँ का भी जल्द ही निर्माण कार्य शुरू करेंगी। भारतीय रेल ने अपनी कार्यशालाओं में पीपीई पोशाक के उत्पादन की शुरुआत की है। जगाधरी कार्यशाला के द्वारा तैयार पीपीई पोशाक को हाल ही में डीआरडीओ से मंज़ूरी मिली है, जो इस कार्य के लिए अधिकृत संस्था है। मंज़ूर किये गये डिजाइन और सामग्री के आधार पर इन पोशाकों का विभिन्न जोन स्थित कार्यशालाएँ निर्माण करेंगी। रेलवे के अस्पतालों में कोविड-19 मरीज़ों की देखभाल में जुटे रेलवे के डॉक्टरों और चिकित्साकर्मियों को इस पीपीई पोशाक से सुरक्षा मिलेगी।

सरकारी सूत्रों के अनुसार, रेलवे के डॉक्टरों और चिकित्साकर्मियों के लिए इन सुरक्षात्मक पोशाकों के निर्माण हेतु सुविधाएँ तैयार की जा रही हैं, जहाँ हर रोज़ 1000 पोशाकों का निर्माण किया जाएगा। लगभग 17 कार्यशालाएँ इस कार्य में योगदान देने के लिए प्रयासरत हैं। पोशाक के लिए सामग्री की ख़रीद पंजाब के कई बड़े कपड़ा उद्योगों के निकट स्थित केन्द्रीकृत जगाधरी कार्यशाला द्वारा की जा रही है।

सरकारी सूत्रों ने बताया कि आने वाले दिनों में उत्पादन सुविधाओं को और बढ़ाया जाएगा। कोविड-19 के ख़िलाफ़ लड़ाई में जुटी सरकारी एजेंसियों ने रेलवे के इस प्रयास का स्वागत किया है। माना जा रहा है कि अब इस पीपीई पोशाक की उत्पादन सही तरीक़े से शुरू किया जा सकता है, कयोंकि तकनीकी विवरण और सामग्री आपूर्तिकर्ता दोनों तैयार हैं। माँग के अनुरूप एचएलएल को इसकी जानकारी दी गयी है। यह भी कहा जा रहा है कि इतने कम समय में पीपीई का विकास करना एक उल्लेखनीय उपलब्धि है, जिसका अनुसरण अन्य एजेंसियाँ भी करना चाहेंगी।

सोनिया गांधी ने पीएम को लिखी चिट्ठी, सांसदों का वेतन काटने का स्वागत किया, सरकार को दिए पांच सुझाव

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार के सभी सांसदों के वेतन से ३० फीसदी राशि काटने के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है। साथ ही इस चिट्ठी में उन्हें पांच सुझाव भी दिए हैं।

जानकारी के मुताबिक सोनिया गांधी ने सरकार को सुझाव दिया है कि तमाम सरकारी विज्ञापन तत्काल प्रभाव से बंद कर दिए जाएँ। इसके अलावा उन्होंने सरकार के लोगों की आधिकारिक विदेश यात्राओं पर रोक लगाने का भी सुझाव दिया है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने अपनी चिट्ठी में एक और अहम बात कही है। गांधी ने पीएम से आग्रह किया है कि पीएम केयर फंड को पीएम राष्ट्रीय राहत राशि फंड (पीएम-एनआरएफ) में ट्रांसफर कर दिया जाये। गौरतलब है कि अभी तक इस तरह की माहमारी या प्रकोप की स्थिति में पीएम रिलीफ फंड में ही दान का पैसा जाता रहा है।

सोनिया गांधी ने अपनी चिट्ठी में सरकार से यह भी कहा है कि विज्ञापनों पर खर्च किया जा रहा पैसा कोरोना की लड़ाई में इस्तेमाल किया जाये। गांधी ने २०,००० करोड़ की  लागत वाले संसद प्रोजेक्ट को भी स्थगित करने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि पीएम रहत फंड में ३८०० करोड़ की राशि का उपयोग नहीं हुआ लिहाजा उसे कोरोना की लड़ाई में इस्तेमाल किया जाये। उन्होंने कहा कि सरकार को अपने खर्चे में भी ३० फीसदी कटौती करनी चाहिए और यह पैसा कोरोना के लिए इस्तेमाल करना चाहिए।

पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती को अस्थाई जेल से हिरासत में उनके घर में ही शिफ्ट किया

जम्मू कश्मीर में दो पूर्व मुख्यमंत्रियों पिता फारूक अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला पर से पीएसए हटाकर उन्हें रिहा करने के बाद अब मंगलवार को पीडीपी की प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को रिहा तो नहीं किया गया है लेकिन अस्थाई जेल से उन्हें उनके घर शिफ्ट कर दिया गया है।
जानकारी के मुताबिक महबूबा की हिरासत ख़त्म नहीं की गयी है सिर्फ उन्हें जेल से घर शिफ्ट कर दिया गया है। उन्हें भी अन्य की तरह पिछले साल अगस्त में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद ३७० हटाए जाने के बाद हिरासत में लिया गया था  फरवरी में उनपर जन सुरक्षा कानून (पीएसए) लगाकर हिरासत में लिया गया है।
”तहलका” की जानकारी के मुताबिक जम्मू-कश्मीर यूटी के गृह विभाग ने पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती (६१) को जेल से उनके घर शिफ्ट करने का आदेश जारी किया है। इस आदेश में कहा गया है कि मौलाना आजाद रोड स्थित अस्थायी जेल से उन्हें उनके आधिकारिक निवास स्थान फेयरव्यू, जो गुपकर रोड पर स्थित है, में शिफ्ट किया जाएगा। इस तरह महबूबा के घर को ही अस्थायी जेल बना दिया गया है।

भारत ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, पैरासिटामॉल  के निर्यात से बैन हटाया  

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की धमकी के बाद भारत सरकार ने मंगलवार को  कोरोना विषाणु के मुकाबले में प्रभावी मलेरिया दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और पैरासिटामॉल  के निर्यात से बैन हटाने का फैसला किया है।

भारत के विदेश मंत्रालय ने बताया है कि सैद्धांतिक तौर पर फैसला किया गया है कि  कोरोना वायरस से प्रभावित अमेरिका समेत पड़ोसी देशों को इन जरूरी दवाओं की सप्लाई की जाये। कोरोना का प्रकोप बढ़ने के बाद भारत ने इन दो दवाइयों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था।

अब भारत के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि कोरोना महामारी से इस समय भारत समेत दुनिया के सभी देश जूझ रहे हैं और मानवीय आधार पर हमने फैसला किया है कि पड़ोसी देशों को पैरासिटामॉल और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवाओं की पर्याप्त मात्रा की सप्लाई की अनुमति दी जाए।

अमेरिका ही नहीं ब्राजील, स्पेन और जर्मनी समेत करीब ३२ देशों से कोरोना संकट के दौरान हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात के लिए अनुरोध किया गया है और इनमें से ज्यादातर देशों ने बैन हटाने की भारत से मांग की थी। अब भारत सरकार ने निर्यात से बैन हटाने का फैसला किया है।

गौरतलब है कि पहले से ही भारत हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का सबसे बड़ा निर्यातक देश रहा है। इसका कच्चा माल चीन से आता है जिसकी कीमत भी हाल के दिनों में कोरोना वायरस की वजह से बढ़ गई है। हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का इस्तेमाल मलेरिया के इलाज में होता है और भारत में मलेरिया के मरीजों की संख्या बहुत ज्यादा है।

राहुल गांधी की डोनाल्ड ट्रम्प की भारत को धमकी पर सलाह, ‘दोस्ती पलटवार के लिए नहीं होती’  

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के हाइड्रोक्सिक्लोरोक्वीन दवा नहीं भेजने पर भारत को धमकी देने पर प्रतिक्रिया जताते हुए कहा है कि ”’दोस्ती पलटवार के लिए नहीं होती है”।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत को हाइड्रोक्सिक्लोरोक्वीन दवा उसे नहीं भेजने की सूरत में धमकी दे दी थी। दरअसल भारत ने इस दवाई ने निर्यात पर प्रतिबन्ध लगा रखा था। जैसे ही अमेरिकी राष्ट्रपति की भारत को धमकी सामने आई, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर इसपर पलटवार किया।

अपने ट्वीट में राहुल गांधी ने कहा – ”दोस्ती पलटवार के लिए नहीं होती है।” राहुल के इस ब्यान के पीछे कारण ट्रम्प का हाल के महीनों में भारत को बार-बार अपना ”सबसे बड़ा दोस्त” कहना रहा है। राहुल ने अमेरिकी राष्ट्रपति की ”खिंचाई” करने के अलावा केंद्र सरकार को भी सलाह दी है कि ”भारत को मुश्किल घड़ी में सभी देशों को मदद करनी चाहिए। लेकिन जीवनरक्षक दवाइयों भारतीयों के लिए भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होनी चाहिए।”

जाहिर है राहुल ने मोदी सरकार को दूसरे देशों की मदद करने के साथ-साथ यह भी सुझाव दिया है कि उसकी प्राथमिकता अपने देश के नागरिक होने चाहिए और दवा पर्याप्त मात्रा में हो तो जरूरतमंद देशो जरूर मदद करनी चाहिए।

राहुल गांधी का ट्वीट –

Rahul Gandhi

@RahulGandhi
Friendship isn’t about retaliation. India must help all nations in their hour of need but lifesaving medicines should be made available to Indians in ample quantities first.

ट्रम्प की भारत को धमकी, हाइड्रोक्सिक्लोरोक्वीन दवा नहीं भेजी तो ‘नतीजा भुगतना होगा’

करीब सवा महीने पहले भारत आये अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत को धमकी दी है कि यदि उसने कोरोना से लड़ने के लिए उसे हाइड्रोक्सिक्लोरोक्वीन दवा नहीं भेजी तो उसे इसका ”नतीजा” भुगतना होगा। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में भारत भी उससे (अमेरिका) ऐसी ही उम्मीद रखे।

याद रहे ट्रम्प २४ फरवरी को जब भारत आये थे तो उनकी काफी आवभगत की गयी थी। अब जबकि अमेरिका कोरोना विषाणु के गंभीर संकट से दो-चार है, वो अपना आपा भी खोता जा रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अब भारत को सीधे-सीधे धमकी दे दी है कि यदि उसने कोरोना से लड़ने के लिए अमेरिका को  हाइड्रोक्सिक्लोरोक्वीन दवा नहीं भेजी तो उसे इसका ”नतीजा” भुगतना होगा।

अमेरिका में रोज कोरोना का खतरा बढ़ता जा रहा है। अमेरिका में आज कोरोना के सबसे ज्यादा मामले हैं और करीब तीन लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं और १०,००० से  मौत हो चुकी है।

इस सारे संकट के दौरान के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को चेतावनी दे दी। ट्रंप ने कहा है कि भारत कोरोना से लड़ने के लिए हाइड्रोक्सिक्लोरोक्वीन दवा नहीं भेजता है तो उसे इसका नतीजा भुगतना होगा। याद रहे हाइड्रोक्सिक्लोरोक्वीन दवा मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल की जाती है और  इसका इस्तेमाल कोरोना से लड़ने के लिए मरीजों का इम्यून सिस्टम मजबूत रखने के लिए किया जा रहा है। भारत ने इस दवा के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है और अमेरिका ने पिछले दिनों इस दवा की मांग की थी।

ट्रंप ने कहा कि उनकी पीएम मोदी से बात हुई है। ट्रम्प ने कहा – ”बातचीत काफी अच्छी रही। मोदी ने हाल की फोन कॉल के दौरान बताया कि वह अमेरिका की दवा की मांग पर विचार करेंगे”। हालांकि, ट्रंप ने इशारों में यह भी कह दिया कि ”अगर भारत ने अमेरिका की मांग पूरी नहीं की तो भारत को इसका नतीजा भुगतना पड़ सकता है”।

कोरोना संक्रमित ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन आईसीयू में भर्ती

ब्रिटिश प्रिंस चार्ल्स भले ठीक हो गए हों, पर  प्रधानमंत्री की सेहत ने अंग्रेजों और  कोरोना पीड़ितों के चिंता की लकीरें बढ़ाने के साथ टेंशन बढ़ा दी है।
कोरोना वायरस से संक्रमित ब्रिटिश के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को आईसीयू में भर्ती कराया गया है। बीबीसी के मुताबिक, भारतीय समय के अनुसार सोमवार देर रात उनको भर्ती कराया गया।
इससे पहले, ब्रिटिश सरकार ने दिन में कहा कि था प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन कोविड-19 से जुड़ी कुछ “नियमित जांच” के लिए रातभर अस्पताल में रहने के बाद ठीक महसूस कर रहे हैं। ब्रिटेन के मंत्री रॉबर्ट जेनरिक ने कहा कि जॉनसन कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के खिलाफ ब्रिटिश अभियान की कमान संभाले हुए हैं और वह जल्द ही 10 डाउनिंग स्ट्रीट में वापसी करेंगे।
मंत्री ने बीबीसी को बताया, उन्हें आपात स्थिति में भर्ती नहीं कराया गया है। यह पहले से तय था ताकि उनकी कुछ नियमित जांच हो सकें। उन्होंने उम्मीद जताई थी कि बोरिस जल्द वापसी कर कमान सम्भालेंगे।
प्रधानमंत्री के स्वास्थ्य पर यह कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जाने के 10 दिन बाद भी उनमें संक्रमण के लक्षण लगातार नजर आने के बाद कुछ जांचों के लिए उन्हें भर्ती कराया गया था। ‘डाउनिंग स्ट्रीट’ के प्रवक्ता ने को बताया कि 55 वर्षीय जॉनसन में कोरोना वायरस के लक्षण अब भी नजर आ रहे थे।
जॉनसन के डॉक्टर की सलाह पर एहतियाती कदम के तौर पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
इससे पहले इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सेक्रेटरी पॉजिटिव पाई गई थी। इसके बाद वे भी इसोलेशन में हैं। इसराइल के स्वाथ्यमंत्री भी संक्रमित हैं, खुफिया एजेंसी मोसाद के प्रमुख भीआईशोलेशन में भर्ती हैं।
ईरान के कई दिग्गज नेता भी भर्ती हैं। एक सांसद अपनी जान गंवा चुके हैं। आयरलैंड के पीएम ने अपने डॉक्टरी पेशे को इस मुश्किल घड़ी में प्रक्टिस शुरू करने का फैसला किया है। वहीं,संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था में 2020-21में करीब एक प्रतिशत की गिरावट आएगी।

कोरोना वायरस से ऐसे निपटा जाए : रघुराम राजन

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने एक अंग्रेजी अख़बार में एक लेख के माध्यम से सरकार को कोरोना से निपटने के कुछ तरीक़े बताये हैं। उनका कहना है कि यदि इस महामारी से देश को मुक्त करना है, तो बड़े स्तर पर जाँच करने के साथ-साथ इलाज की कैपासिटी बढ़ानी होगी। उन्होंने बड़े दुःक के साथ कहा कि भारत आजादी के बाद सबसे बड़े संकट से गुज़र रहा है। उन्होंने कहा कि 2008-09 में वैश्‍विक मंदी के दौरान माँग में भारी गिरावट आने के बावजूद भी लोग काम कर पा रहे थे, हमारी कम्पनियाँ मज़बूत थीं, वित्तीय संस्थान काम कर रहे थे, सरकार की माली हालत भी अच्छी थी, लेकिन कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ लड़ाई में स्थिति अच्छी नहीं है। आज सब कुछ ठप पड़ा है। कहना न होगा कि रघुराम राजन ने इशारे-इशारे में सरकार की नाकामी भी दिखा दी और सतर्क भी कर दिया। एक अच्छे नागरिक की तरह उन्होंने लोगों को भी हताश न होने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि सही इरादों और इलाज को प्राथमिकता देने से भारत कोरोना वायरस को हरा सकता है। अपने लेख में आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने कहा है कि उन्‍होंने इस महामारी से निपटने के लिए सरकार को सलाह भी दी है। साथ ही सरकार को यह भी बताया है कि लॉकडाउन के बाद अर्थ-व्‍यवस्‍था सुधारने के लिए उसे क्‍या करना चाहिए?

रघुराम राजन ने अपने सुझाव में कहा है कि इस महामारी से लड़ने के लिए बड़े स्तर पर जाँच, इलाज, क्‍वारंटाइन और आपसी दूरी की ज़रूरत है। फ़िलहाल 21 दिन का लॉकडाउन कोरोना वायरस से लड़ने की दिशा में पहला क़दम है, जिसके ज़रिये बेहतर तैयारी का समय मिला है। उन्होंने शंका जतायी है कि अगर 21 दिनों में भी कोरोना वायरस ख़त्म नहीं हुआ, तो क्या करेंगे? उन्होंने सरकार से यह भी कहा है कि देश में बहुत लम्बे समय तक बन्द नहीं किया जा सकता। अगर ऐसी स्थिति आती है, तो कम्पनियों को अपने कर्मचारियों को अतिरिक्त सुरक्षा के साधन मुहैया कराने के साथ-साथ कार्यालय आने से पहले स्क्रीनिंग करानी होगी। इसके अलावा कम्पनियों में भी आपसी दूरी बनाये रखने की व्यवस्था करनी होगी। उन्होंने आगे कहा है कि सरकार को ग़रीब और मध्यम वर्ग के लोगों की आर्थिक मदद भी करनी होगी।

रघुराम राजन ने कहा है कि हमारे देश के पास इतने संसाधन हैं कि हम भारत को कोरोना महामारी से उबारने के साथ-साथ फिर से मज़बूती से खडा कर सकते हैं। उन्होंने सरकार को सलाह दी है कि वह अनुभवी लोगों की मदद से इन परिस्थियों से निपटे। उन्होंने कहा है कि सरकार को अभी तुरन्त बहुत कुछ करने की ज़रूरत है।

कह सकते हैं रघुराम राजन का सरकार को दिया गया सुझाव बहुत महत्त्वपूर्ण माना जा सकता है। क्योंकि देश में अभी डॉक्टरों और नर्सों को सुरक्षा किट तक मुहैया नहीं हो पा रही है और हम कभी ताली-थाली बजाते हैं, तो कभी अपने घर की बिजली गुल करके दीये और मोमबत्तियाँ जलाते हैं, मशालें लेकर रोड पर जुलूस निकालते हैं, पटाखें फोड़ते हैं और बस्तियाँ जल जाती हैं।