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शादी –विवाह की धूम , बैण्ड और टैन्ट वालों के चेहरे खिलें

जब मार्च में कोरोना ने देश में दस्तक दी थी। तब देश में लोग कोरोना बीमारी से इस कदर डर गये थे, कि मार्च , अप्रैल और मई में होने वाले शादी-विवाह को कुछ लोगों ने स्थगित कर दिया था, तो कुछ लोगों ने बहुत ही सादे तरीके से यानि कि बिना धूमधाम के साथ शादी-विवाह किये थे। जिसके कारण शादी –विवाह की धूमधाम भी ना देखी जा सकीं। जिसके कारण बैण्ड बाजे वाले, टैन्ट वालें और हलवाईयों का धंधा बुरी तरह से चौपट हो गया था। पर इस बार सर्दियों के मौसम में और गुरू पर्व के अवसर व कार्तिक पूर्णिमा से होने वाली शादियों में धूमधाम देखी जा रही है। बैण्ड वालों के चेहरे खिले है। टैन्ट वालो का कारोबार फिर से चलने लगा है।हलवाईयों के मांग बढ़ गयी है।

इस बारे में तहलका संवाददाता को बैन्ड वाले सुदामा कुमार ने बताया कि वे कोरोना काल को याद करके डर जाते है। क्योंकि कोरोना काल के कारण उनका धंधा चौपट हो गया था। रोजी रोटी की समस्या गहरा गयी थी।टैन्ट वाले कुक्कू कपूर ने बताया कि ज्यादात्तर लोगों ने कोरोना के डर के कारण शादियों को स्थगित कर दिया था। जिससे उनको काफी नुकसान हुआ है। पर बैण्ड और टैन्ट वालों के चेहरे खिल गये है। वे ईश्वर से प्रार्थना भी कर रहे है। कि कोरोना जैसी बीमारी से बचाये और कोरोना को भगाये ताकि देश के नागरिक और अपना जीवन-यापन कर सकें । जिससे काम धंधा भी सही चल सकें।

यूपी के बलरामपुर में पत्रकार को साथी के साथ ज़िंदा जला डाला

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में फिर एक पत्रकार को दबंगों ने मार डाला। पत्रकार राकेश सिंह और उसके साथी पिंटू साहू को ज़िंदा जलाकर मार दिया गया। पिंटू का शव पूरी तरह जला मिला, जबकि गम्भीर रूप से झुलसे राकेश ने लखनऊ स्थित केजीएमयू में दम तोड़ा। घर के कमरे की दीवार का कुछ हिस्सा ढहा मिला है। पत्रकार के पिता मुन्ना सिंह ने बम फेंककर हत्या करने का मुकदमा दर्ज कराया है। पुलिस कुछ लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है।
देहात क्षेत्र के कलवारी निवासी 35 वर्षीय राकेश सिंह निर्भीक अपने साथी हिंदूवादी नेता पिंटू साहू (34) के साथ बेडरूम में सोए थे। शुक्रवार देर रात उनके मकान में आग की लपटें देखीं गईं। पिंटू साहू का पूरा शरीर जल चुका था। राकेश आग की लपटों से पूरी तरह घिरे थे। धमाके से कमरे की दीवार ढह चुकी थी। राकेश किसी तरह बाहर निकल आए। उनका शरीर 90 प्रतिशत जल चुका था।
बताया गया कि पत्रकार किसी बड़ी खबर पर काम कर रहे थे। शायद इसी वजह से उनकी जान ली गई। राकेश के पिता मुन्ना सिंह का कहना है कि रात को घर में घुसकर कुछ दबंगों ने कमरे में बम फेंका था। इलाके में भारी तनाव और गुस्सा है। क्षेत्र में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।
पत्नी बोली-2 दिन में न्याय नहीं मिला तो बेटियों के साथ कर लूंगी आत्मदाह
मारे गए पत्रकार की पत्नी विभा सिंह ने रविवार को कहा, 2 दिन में न्याय नहीं मिला तो बेटियों के साथ कलेक्ट्रेट में आत्मदाह कर लूंगी। पत्रकार की शवयात्रा से पूर्व उनकी पत्नी विभा सिंह ने कहा कि मुझे पुलिस पर रत्ती भर भी भरोसा नहीं है। अगर दो दिन में सभी मुजरिम गिरफ्तार नहीं हुए तो वह कलेक्ट्रेट डीएम दफ्तर के सामने अपनी दोनों बेटियों के साथ आत्मदाह कर लेंगी। लोकल विधायक पलटू राम ने पत्रकार की पत्नी को न्याय का भरोसा दिलाया और कहा कि विभा सिंह को नौकरी तथा बेटियों को आर्थिक सहायता भी दिलाई जाएगी ।

सरकार किसानों ,मजदूरों और बेरोजगारों के हितों को नजरअंदाज कर रही है

कई बार राजनीति इस कदर स्वार्थ में सन जाती है कि वो अपना और देश का हित तक नहीं देखती है। जिसके कारण जनमानस, किसान और मजदूर हाहाकार करने लगता है, कोरोना के कारण उपजे संकट से लोग काफी परेशान है। बताते चलें इस समय दिल्ली में किसान आंदोलन के कारण सियासत गरमायी हुई है। किसानों का कहना है कि केन्द्र सरकार अपने राजनातिक स्वार्थ के कारण किसानों की मांगों को अनदेखा किया जा रहा है। किसानों के हितो को दरकिनार किया जा रहा है। किसान नेता बलबीर सिंह का कहना है कि आज अन्नदाता किसान लाठी खाने को मजबूर है। किसान रो रहा है। अपनी बात नहीं रख पा रहा है। उनका कहना है चुनावी रैलियों में कोई कोरोना नहीं होता है अगर कोई अपनी जायज मांगों को लेकर अपनी बात ऱखता है तो कोरोना की दलील दी जाती है।

इस समय मौजूदा दौर में जो एक माहौल बना हुआ है कोरोना को लेकर उससे किसी को कोई फायदा नहीं हो रहा है। राजनीति जरूर हो रही है। ऐसा नहीं कि किसान ही सरकार की नीतियों को लेकर विरोध कर रहा है। देश का मजदूर और बेरोजगार भी सरकार की नीतियों का विरोध कर रहा है। मजदूर रघु और बेरोजगार सुमित का कहना है कि सरकार अपनी स्वार्थ नीतियों के काऱण लोगों को कोरोना का हवाला देकर लोगों के हितों को नजरअंदाज कर रही है।

किसान आंदोलन में खट्टर के ‘खालिस्तानी’ एंगल जोड़ते ही उखड़े अमरिंदर बोले, 10 फोन करेंगे खट्टर तब भी नहीं करूंगा बात

किसान आंदोलन अपने उफान पर है और वे सरकार के आगे घुटने टेकने से मना कर चुके हैं। इस बीच हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शनिवार को शांत किसान आंदोलन को लेकर दावा किया कि उनके पास इनपुट हैं कि आंदोलन के बीच ‘खालिस्तानी’ घुसे हुए हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह ने उनका फोन नहीं उठाया। हालांकि, खट्टर की इस टिप्पणी के तुरंत बाद पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने उनपर बड़ा हमला करते हुए कहा कि ‘जैसा उनके किसानों के साथ खट्टर सरकार ने किया है, वो अब के 10 फोन आने पर भी नहीं सुनेंगे’।

बता दें किसान पूरी मजबूती से हरियाणा-दिल्ली के सिंघु बार्डर पर डटे हुए हैं। तमाम विरोधों के बावजूद उन्होंने आंदोलन को पूरी ताकत से चलाने का ऐलान किया है। इस बीच आज कृषि विधेयकों के खिलाफ जारी किसानों के प्रदर्शन को लेकर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने ‘खुफिया इनपुट के आधार पर’ प्रदर्शन में ‘खालिस्तानियों के शामिल होने’ का दावा किया।

खट्टर ने मीडिया के लोगों से बात करते हुए कहा – ‘हमारे पास इनपुट है कि कुछ अवांछित तत्व इस भीड़ के अंदर आए हुए हैं। हमारे पास इसकी रिपोर्ट्स है। अभी उसका खुलासा करना ठीक नहीं है, लेकिन जैसे ही पुख्ता प्रमाण मिलेगा हम बताएंगे।’ खट्टर ने यह भी कहा कि उन्होंने आज पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को फोन किया था लेकिन उन्होंने फोन नहीं सुना।

हालांकि, खट्टर के इस दावे के कुछ देर बाद ही कैप्टेन ने इसे झूठ बताया। सीएम ने कहा – ‘खट्टर झूठ कह रहे हैं कि उन्होंने मुझे फोन करने की कोशिश की और मैंने नहीं सुना। लेकिन जो मेरे किसानों के साथ (हरियाणा में) किया गया है, मैं उनके दस फोन आने पर भी उनसे बात नहीं करूंगा।’

जाहिर है, किसान आंदोलन को लेकर पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों के बीच ठन गयी है। बता दें अमरिंदर सिंह सरकार ने मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों को स्वीकार करने से इंकार करते हुए  पंजाब विधानसभा में किसानों के लिए अपने विधेयक लाये हैं।’

सोनिया गांधी ने पवन बंसल को सौंपा पार्टी कोषाध्यक्ष का अंतरिम जिम्मा, सीडब्ल्यूसी ने अहमद पटेल, गोगोई को श्रद्धांजलि दी

हाल में कांग्रेस के महासचिव बनाये गए पवन कुमार बंसल को पार्टी ने शनिवार को पार्टी कोषाध्यक्ष का अतिरिक्त जिम्मा सौंपा है। बंसल पार्टी के प्रशासन विभाग के प्रमुख हैं। केंद्र में रेल मंत्री रहे बंसल को यह जिम्मा अहमद पटेल के निधन के कारण रिक्त हुए पद के कारण सौंपा गया है।

बंसल, मनमोहन सिंह सरकार में रेल मंत्री और चंडीगढ़ से सांसद रहे हैं। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शनिवार को इसकी मंजूरी दी। इससे पहले कांग्रेस की सर्वोच्च समिति सीडब्ल्यूसी की आज वर्चुअल बैठक हुई जिसमें अहमद पटेल और असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। सोनिया गांधी ने भी कांग्रेस के मुखपत्र नेशल हेराल्ड में लिखे एक लेख में पटेल के निधन को पार्टी के लिए बड़ा नुकसान बताया।

आज की बैठक में पवन बंसल को अंतरिम रूप से कोषाध्यक्ष का अतिरिक्त जिम्मा सौंपा गया है। पार्टी ने कहा कि बंसल तत्काल रूप से कोषाध्यक्ष के रूप में कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए चार्ज लेंगे। बता दें हाल में ही बंसल को महासचिव बनाने के साथ-साथ मोतीलाल वोरा की जगह पार्टी प्रशासन का प्रभारी भी बनाया गया है।

बंसल को 10 जनपथ का भरोसेमंद माना जाता है। यही नहीं बंसल अहमद पटेल की ही तरह लो प्रोफाइल रहने वाले नेता माने जाते हैं। याद रहे उनके भतीजे को रिश्वत देने के लिए रेलवे पदों को तय करने के आरोप लगने के बाद यूपीए सरकार के केबिनेट मंत्री से इस्तीफा देना पड़ा था। बंसल चार बार चंडीगढ़ से सांसद रहे हैं।

दो टके के लोग अदालत को सियासत का अखाड़ा बनाना चाहते हैं : बीएमसी मेयर

बॉम्बे हाईकोर्ट से अभिनेत्री कंगना रनौत को राहत जरूरत मिल गई है, पर मामला ठंडा होता दिख नहीं रहा है। बीएमसी को मामले में कोर्ट ने फटकार भी लगाई है और कंगना के बंगले को तोड़ने के एवज में उसका हर्जाना देने के लिए चार महीने का वक्त दिया है। इस दौरान तय किया जाएगा कि कितना हर्जाना बनता है। बता दें कि कंगना ने दो करोड़ रुपये का मुआवजा मांगा है। इस बीच, महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने कहा है कि हाईकोर्ट का जो फैसला आया है, वह बीएमसी का मुद्दा था, राज्य सरकार का उससे लेना-देना नहीं।

शिवसेना अब भी कम से कम बयानबाजी के मामले में पीछे नहीं हटना चाहती है। बीएमसी की मेयर किशोरी पेडनेकर ने कंगना के खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग किया है। मेयर ने कहा है कि सभी लोग चकित हैं कि एक अभिनेत्री जो हिमाचल में रहती है, यहां आती है और हमारे मुंबई को पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर यानी पीओके बताती है। ऐसे दो टके के लोग अदालत को राजनीति का अखाड़ा बनाना चाहते हैं। यह सही नहीं है।

मेयर ने एक बार फिर कहा कि कंगना का बंगला तोड़ने की कार्रवाई नियमों के अनुसार ही की गई थी। हाईकोर्ट के फैसले के बारे में उन्होंने कहा कि जल्द ही बीएमसी की कानूनी टीम बैठकर अगले कदम के बारे में फैसला लेगी।

मेयर के बयान पर कंगना ने सोशल मीडिया के जरिये जवाब दिया। उन्होंने लिखा- पिछले कुछ महीनों में मैंने महाराष्ट्र सरकार की तरफ से इतने लीगल केस, गालियां, बेइज्जती और बदनामी झेली है कि बॉलीवुड माफिया, आदित्य पंचोली और ऋतिक रोशन जैसे लोग अब भले इंसान लगने लगे हैं। न जाने मुझमें ऐसा क्या है, जो लोगों को इस कदर परेशान करता है।

किसान आंदोलन तब तक नहीं रूकेगा जब तक मांग पूरी नहीं होती: किसान संगठन

कोई भी आंदोलन हो या विरोध–प्रदर्शन, राजनीति से प्रेरित होता है। जैसा कि आजकल किसान आंदोलन को लेकर सियासत हो रही है और दिल्ली आने को किसान लगातार प्रयासरत है। अगर कोई भी कहे कि आप पार्टी और कांग्रेस की मिली भगत से ये आंदोलन हो रहा है, तो कोई अनहोनी बात नहीं है। क्योंकि केन्द्र में बैठी भाजपा सरकार के विरोध में कांग्रेस और आप पार्टी कोई भी ऐसा मौका नहीं छोड़ना चाहती है जिससे भाजपा को लाभ हो।

तहलका संवाददाता को किसानों ने बताया कि सरकार की मनमानी और किसान विरोधी कानून के विरोध में अब किसान आर –पार की लड़ाई के मूड़ में है। किसान नेता जगत नारायण ने बताया कि पंजाब से किसानों के साथ जो भाजपा की हरियाणा सरकार ने व्यवहार किया है वो किसी भी सूरत में बर्दास्त योग्य नहीं है। उनका कहना कि आप पार्टी और कांग्रेस ने हमारा समर्थन किया है या नहीं पर विरोध तो नहीं किया है। जगत नारायण का कहना है कि केन्द्र सरकार की किसान विरोधी नीतियों को लेकर जैसे मनमानी की जा रही है उसको लेकर किसान अब उग्र से उग्र आंदोलन को तैयार है। किसानों के अधिकारों को लेकर जो राजनीतिक दल हमारे साथ है, आगामी चुनावों में किसान उसी के साथ है। जब तक किसानों की मांगों को नहीं मान लिया जाता है तब तक किसान किसी भी हद तक जाने को तैयार है। किसान जंतर-मंतर में प्रदर्शन करके ही रहेगे।

जम्मू कश्मीर में जिला विकास परिषद की 43 सीटों पर पहले चरण का मतदान पूरा

जम्मू कश्मीर में धारा 370 निरस्त होने के बाद पहली बार किसी चुनाव के लिए मतदान हो रहा है। पहले चरण का मतदान 43 सीटों के लिए 2 बजे पूरा हो गया है। अभी यह पता नहीं है कि कितने फीसदी वोट पड़े हैं। इन चुनावों में पहली बार केंद्र शासित राज्य बनने के बाद आज वहां जिला पाकिस्तानी रेफ्यूजी भी वोट के अधिकार का इस्तेमाल कर रहे हैं। अभी तक की ख़बरों के मुताबिक मतदान शांतिपूर्ण रहा है।

पहले चरण की वोटिंग कुछ देर पहले 2 बजे ख़त्म हो गयी। इन 7 घंटों में जिला विकास परिषद (डीडीसी) की 43 सीटों के लिए 296 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला मतदाता करेंगे। इनमें 25 सीटें कश्मीर और 18 जम्मू में हैं। पंच और सरपंच के उपचुनाव के लिए कुल 1179 प्रत्याशी मैदान में हैं। इनमें 899 पंच और 280 प्रत्याशी सरपंच पद के लिए अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।

यही नहीं 16 वॉर्ड के चुनाव भी होंगे। इनमें श्रीनगर के 2 वॉर्ड के लिए 21 और पहलगाम के 9 वॉर्ड के लिए 31 प्रत्याशी मैदान में हैं। अनंतनाग जिले के 5 वॉर्ड चुनाव के लिए 10 प्रत्याशियों ने नामांकन किया है। राज्य चुनाव आयोग ने पहले चरण की वोटिंग के लिए 2644 पोलिंग बूथ बनाए हैं। यहां 7 लाख 3 हजार 620 वोटर्स वोट करेंगे।

नवंबर-दिसंबर 2018 में पंचायती चुनाव हुआ था। इनमें 33 हजार 592 पंच सीटों पर 22 हजार 214 प्रत्याशी और 4,290 सरपंच पदों पर 3,459 प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी। बाकी सीटें खाली रह गई थी, जहां अब उप चुनाव हो रहे हैं।

इस चुनाव में पहली बार करीब एक लाख पाकिस्तानी रिफ्यूजी भी वोट  का इस्तेमाल करेंगे। डीडीसी, पंच और सरपंच चुनावों में पहली बार पश्चिमी पाकिस्तान के रिफ्यूजी को भी वोट करने का अधिकार दिया गया है। सात दशक में पहली बार ऐसा है कि जब ये रिफ्यूजी राज्‍य में पंचायत स्तरीय चुनाव में वोटिंग कर पाएंगे।

जम्मू और कश्मीर में पश्चिमी पाकिस्तान से आए शरणार्थियों के 22 हजार से अधिक परिवार हैं। इनमें करीब एक लाख को वोट का अधिकार है। धारा 370 लागू रहने तक ये रिफ्यूजी केवल लोकसभा चुनाव में ही वोट कर पाते थे। इन्हें विधानसभा, स्थानीय निकाय चुनाव और पंचायती चुनाव में वोट डालने का अधिकार नहीं था।

यह पहली बार है जब जम्मू कश्मीर में राज्य की 6 प्रमुख पार्टियां एकसाथ मिलकर चुनावी मैदान में हैं। इन पार्टियों ने मिलकर गुपकार समूह बनाया है। इनमें फारूक अब्दुल्ला की अध्यक्षता वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस, महबूबा मुफ्ती की अगुआई वाली पीडीपी के अलावा सज्जाद गनी लोन की पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस, जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट और माकपा की स्थानीय इकाई शामिल है। इनके सामने भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी मैदान में हैं। कश्मीर घाटी में गुपकार समूह कश्मीर में मजबूत है, जबकि भाजपा की स्थिति जम्मू में काफी मजबूत है जबकि कांग्रेस की भी यहाँ अच्छी पैठ रही है।

पहला चरण आज है जबकि दूसरा पहली दिसंबर, तीसरा 4 , चौथा 7, पांचवां 10, छठा 13, सातवां 16 और आठवां चरण का मतदान 19 दिसंबर को होगा जिसके बाद चुनाव नतीजे घोषित किये जाएंगे।

ईरान ने परमाणु वैज्ञानिक फखरीजादेह की हत्या के लिए इजरायल को ठहराया जिम्मेवार, कहा इसका बदला लेंगे

ईरान के जाने माने परमाणु वैज्ञानिक मोहसेन फखरीजादेह की हत्या के लिए ईरान ने इजरायल को जिम्मेवार ठहराया है। अभी इजरायल ने ईरान के आरोप पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। फखरीजादेह की शुक्रवार को राजधानी तेहरान के बाहर पूर्वी दमावंद काउंटी में हत्या कर दी गयी थी। फखरीजादेह को ‘द फादर ऑफ ईरानियन बॉम्ब’ कहा जाता था।

रिपोर्ट्स के मुताबिक फखरीजादेह की राजधानी तेहरान के बाहर पूर्वी दमावंद काउंटी में उनकी कार में शुक्रवार को हत्या कर दी गई थी। अब घटना के पीछे ईरान ने इजरायल का हाथ होने का आरोप लगाया है। ईरान के रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा – ‘वैज्ञानिक मोहसेन फखरीज़ादेह गंभीर रूप से घायल हो गए, जब हमलावरों ने उनकी कार को निशाना बनाया। बाद में वो शहीद हो गए।’

फखरीजादेह मंत्रालय के रिसर्च और इनोवेशन संगठन का नेतृत्व कर रहे थे। घायल होने के बाद उन्हें डाक्टरों ने बचाने की जी-तोड़ कोशिश की लेकिन सफल नहीं हुए।  घटना के समय फखरीज़ादेह, तेहरान प्रांत की पूर्वी दमावंद काउंटी में एक कार में यात्रा कर रहे थे।

फिलहाल किसी आतंकी संगठन ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। इजरायल ने ईरान के आरोप पर अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। बता दें कि मोहसिन फखरीजादेह को द फादर ऑफ ईरानियन बॉम्ब कहा जाता था।

ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद ज़रीफ़ ने ट्वीट करके लिखा – ‘आतंकवादियों ने आज एक प्रख्यात ईरानी वैज्ञानिक की हत्या कर दी। यह कायरता – इजरायल की भूमिका के गंभीर संकेत हैं – अपराधियों की हताशा दिखाती है।’ उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से ‘अपने शर्मनाक दोहरे मानदंडों’ को समाप्त करने और राज्य आतंक के इस कृत्य की निंदा करने को कहा है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक लंबे अर्से से आरोप लगाए जा रहे थे कि फखरीजादेह 2003 में रोके गए ईरान के गुप्त परमाणु बम कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहे थे। हालांकि ईरान परमाणु हथियार बनाने के आरोप का लगातार खंडन करता रहा है। ईरान के मिलिट्री कमांडर हुसैन देहघन ने ट्वीट में कहा – ‘हम इस हत्या का जोरदार बदला लेंगे और इस घटना के पीछे शामिल लोग अपने किए पर पछताएंगे।’

सिंघु बार्डर पर ही जुटे हैं हजारों किसान, पुलिस कर्मियों को भी खिला रहे अपने लंगर का खाना

मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों को ‘काले क़ानून’ बताते हुए आंदोलनकारी किसानों ने केंद्र सरकार के आगे घुटने टेकने से साफ़ मना कर दिया है। उनका आंदोलन जारी है। दिल्ली में प्रवेश की अनुमति मिलने के बाद भी बड़ी संख्या में किसान हरियाणा-दिल्ली के सिंघु (कुंडली) और टिकरी बॉर्डर पर जमे हैं। किसानों को दिल्ली के बुराड़ी में मौजूद निरंकारी मैदान में प्रदर्शन की इजाजत दी गई है लेकिन बहुत कम किसान वहां गए हैं और उनका कहना है कि वहां कोई इंतजाम नहीं है।  किसान आंदोलन का सबसे सकारात्मक पक्ष यह है कि आंदोलनकारी किसान वहां ड्यूटी पर तैनात पुलिस कर्मियों को भी लंगर से खाना खिला रहे हैं। उधर कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने किसानों को लेकर मोदी सरकार के रुख की कड़ी निंदा की है।

किसानों ने आज सुबह यहां बैठक की और आगे की रणनीति पर विचार किया। पता चला है कि किसान दोपहर में एक और बड़ी बैठक होंगी। इसमें तय होगा कि दिल्ली जाकर विरोध प्रदर्शन करना है या दिल्ली हरियाणा की सिंधू बॉर्डर पर ही धरना देना है। हजारों की संख्या में किसान अपने ट्रैक्टर, वाहों के साथ वहां डटे हैं। उनका कहना है कि वो अगले 6 महीने का राशन साथ लेकर आए हैं। आंदोलनकारी किसान बाकायदा लंगर लगा रहे हैं और खाना सिर्फ अपने लिए नहीं बना रहे बल्कि डयूटी पर तैनात पुलिस कर्मियों को भी खिला रहे हैं।

किसानों का कहना है कि जब तक सरकार विवादित कानून वापस नहीं ले लेती, तब तक वे यहीं जमे रहेंगे। वे अपनी पूरी तैयारी करके आए हैं। उनके पास भरपूर मात्रा में राशन है। उधर पंजाब से हजारों की संख्या में और किसान दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं। कहा जा रहा है कि पंजाब के इन किसानों को उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड के किसानों का समर्थन मिला है। यदि यह किसान आंदोलन लंबा चलता है तो इन राज्यों के किसान भी दिल्ली कूच कर सकते हैं।

किसानों को दिल्ली के बुराड़ी में मौजूद निरंकारी मैदान में प्रदर्शन की इजाजत दी गई है, लेकिन ज्यादातर किसान सिंघबारदार पर जमे हैं। कल देखा गया था कि किसानों को रोकने के लिए सरकार ने सड़कें तक खोदकर उनमें गहरे गड्ढे बना दिए। वैसे कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को दिल्ली में प्रवेश की इजाजत मिल गई है. किसानों को दिल्ली के बुराड़ी में मौजूद निरंकारी ग्राउंड में प्रदर्शन करने की इजाजत दी गई है।

भारतीय किसान यूनियन (डकौंदा) के अध्यक्ष बूटा सिंह बर्जगिल इ मुताबिक कई किसान नेता अब भी दिल्ली के रास्ते में हैं। हम आज बैठक करेंगे और आगे के कदमों के बारे में फैसला लेंगे। फिलहाल सिंघु बॉर्डर पर किसानों की बैठकें हो रही हैं जिनमें आंदोलन की आगे की रणनीति तय होगी। इस बीच कृषि कानूनों के विरोध में दिल्‍ली मार्च कर रहे किसानों से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आंदोलनरत किसानों को 3 सिदंबर को बातचीत का प्रस्‍ताव दिया है। केंद्र द्वारा लागू कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान शनिवार सुबह सिंघु बॉर्डर पर जमा हुए हैं।

इस बीच कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने चार तस्वीरें ट्वीट कर किसानों के मसले पर सरकार को घेरा है। ट्वीट में प्रियंका गांधी ने लिखा – ‘भाजपा सरकार में देश की व्यवस्था को देखिए जब भाजपा के खरबपति मित्र दिल्ली आते हैं तो उनके लिए लाल कालीन डाली जाती है। लेकिन किसानों के लिए दिल्ली आने के रास्ते खोदे जा रहे हैं।  दिल्ली किसानों के खिलाफ कानून बनाए वह ठीक, लेकिन सरकार को अपनी बात सुनाने किसान दिल्ली आए तो वह गलत?’

प्रियंका गांधी का ट्वीट –
Priyanka Gandhi Vadra
@priyankagandhi
भाजपा सरकार में देश की व्यवस्था को देखिए। जब भाजपा के खरबपति मित्र दिल्ली आते हैं तो उनके लिए लाल कालीन डाली जाती है। मगर किसानों के लिए दिल्ली आने के रास्ते खोदे जा रहे हैं। दिल्ली किसानों के खिलाफ कानून बनाए वह ठीक, मगर सरकार को अपनी बात सुनाने किसान दिल्ली आएं तो वह गलत?