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कव्वाल अफजाल साबरी ने दुनिया को कहा अलविदा

कोरोना काल में मशहूर कव्वाल अफजाल साबरी का सोमवार को लम्बी बीमारी के बाद निधन हो गया। 73 साल के अफजाल साबरी अपने बड़े भाई इकबाल साबरी के साथ मिलकर जोड़ी बनाते थे। दोनों भाइयों की जोड़ी ने बॉलीवुड में कई कव्वालियों और सूफियाना कववलियीं से अलग पहचान बनाई थी। सबरी ब्रदर्स ने दर्जनों हिंदी फिल्मों में अपनी आवाज का जादू बिखेरा। अफजाल साबरी के निधन से देवबंद से लेकर बॉलीवुड में शोक कायम हो गया है।
1949 में देवबंद में उस्ताद बशीर अहमद के यहां जन्मे अफजाल साबरी ने अपने बड़े भाई इकबाल साबरी के साथ मिलकर गायकी का फन सीखा। इकबाल साबरी का करीब सात साल पूर्व निधन हो गया था। इसके बाद से ही अफजाल साबरी भी बीमार रहने लगे थे। और वह गायकी की दुनिया से पूरी तरह अलग हो गए थे।
ढाई दशक तक कव्वाली के क्षेत्र में अपनी धाक जमाने वाले और प्यार किया तो डरना क्या, राजकुमार और गुलाम-ए-मुस्तफा जैसी मशहूर फिल्मों में आवाज दे चुके अफजाल साबरी का इंतकाल कला व साहित्य क्षेत्र के लिए बड़ी क्षति है। फनकार के निधन से कला और संगीत जगत की भरपाई करना मुश्किल है।

रफाल खरीद में भ्रष्टाचार का जिन्न फिर निकला, फ्रांस की वेबसाइट ने भ्रष्टाचार होने के सवाल उठाए

रफाल लड़ाकू विमान खरीद में भ्रष्टाचार का जिन्न फिर बाहर आ गया है। कांग्रेस और राहुल गांधी इस मामले में भाजपा पर गंभीर आरोप लगते रहे हैं। अब फ्रांस की एक समाचार वेबसाइट ‘मीडिया पार्ट’ ने रफाल खरीद सौदे में भ्रष्टाचार की बात कहते हुए ढेरों सवाल उठा दिए हैं। मीडिया पार्ट ने बाकायदा फ्रेंच भ्रष्टाचार निरोधक एजंसी की जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया है कि दसो एविएशन ने बोगस नजर आने वाले भुगतान किए हैं।
यह खबर सामने आने के बाद भारत में राजनीतिक तूफान उठ खड़ा हुआ है। रफाल खरीद में भ्रष्टाचार होने का मामला फिर मीडिया में आने के बाद कांग्रेस ने मोदी सरकार पर तीखा हमला किया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी तो पहले से ही इस मामले में मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा करते रहे हैं।
मीडिया पार्ट ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दसो एविएशन कंपनी के 2017 के खातों के ऑडिट में 5 लाख 8 हजार 925 यूरो (4.39 करोड़ रुपए) क्लाइंट गिफ्ट के नाम पर खर्च दर्शाए गए हैं, हालांकि तनी बड़ी राशि का कोई ठोस स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है। मॉडल बनाने वाली कंपनी का मार्च 2017 का एक बिल ही उपलब्ध कराया गया।
एएफए की जांच के दौरान दसो एविएशन ने बताया कि उसने रफाल विमान के 50 मॉडल एक भारतीय कंपनी से बनवाए। इन मॉडल के लिए 20 हजार यूरो (17 लाख रुपए) प्रति पीस के हिसाब से भुगतान किया गया। यह मॉडल कहां और कैसे इस्तेमाल किए गए, इसका कोई प्रमाण नहीं दिया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक मॉडल बनाने का काम कथित तौर पर भारत की कंपनी डेफसिस साल्यूशंस को दिया गया।
बता दें यह कंपनी दसो की भारत में सब-कॉन्ट्रैक्टर कंपनी है। इसका स्वामित्व रखने वाले परिवार से जुड़े सुषेण गुप्ता रक्षा सौदों में बिचौलिए रहे और दसो के एजेंट भी।सुषेण गुप्ता को 2019 में अगस्ता-वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर खरीद घोटाले की जांच के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया था। रिपोर्ट के मुताबिक सुषेण ने ही दसो एविएशन को मार्च 2017 में रफाल मॉडल बनाने के काम का बिल दिया था।
यह रिपोर्ट सामने आने के बाद अब रफाल का मामला फिर गरमा गया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में रफाल खरीद में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। अब पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले रफाल का मामला आने से भाजपा को परेशानी हो सकती है।
रिपोर्ट सामने आते ही कांग्रेस ने सोमवार को मोदी सरकार पर हमला किया है। पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा – ‘इस पूरे लेन-देन को गिफ्ट टू क्लाइंट की संज्ञा दी गई। अगर ये मॉडल बनाने के पैसे थे, तो इसे गिफ्ट क्यों कहा गया? क्या ये छिपे हुए ट्रांजेक्शन का हिस्सा था। ये पैसे जिस कंपनी को दिए गए, वो मॉडल बनाती ही नहीं है। 60 हजार करोड़ रुपए के रफाल रक्षा सौदे से जुड़े मामले में सच्चाई सामने आ गई है। ये हम नहीं फ्रांस की एक एजेंसी कह रही है।’
सुरजेवाला ने मोदी सरकार से 5 सवाल भी किए हैं। इनमें पहला यह है कि 1.1 मिलियन यूरो के जो क्लाइंट गिफ्ट डसॉल्ट के ऑडिट में दिखा रहा है, क्या वो रफाल डील के लिए बिचौलिये को कमीशन के तौर पर दिए गए थे? दूसरा – जब दो देशों की सरकारों के बीच रक्षा समझौता हो रहा है, तो कैसे किसी बिचौलिये को इसमें शामिल किया जा सकता है? तीसरा – क्या इस सबसे राफेल डील पर सवाल नहीं खड़े हो गए हैं?
कांग्रेस ने चौथा वाल यह किया है कि क्या इस पूरे मामले की जांच नहीं की जानी चाहिए, ताकि पता चल सके कि डील के लिए किसको और कितने रुपए दिए गए?
क्या प्रधानमंत्री इस पर जवाब देंगे?
याद रहे कांग्रेस ने रफाल सौदे में गंभीर अनियमितताओं का आरोप लगाया था। पार्टी का आरोप था कि जिस लड़ाकू विमान को यूपीए सरकार ने 526 करोड़ रुपए में लिया था उसे एनडीए सरकार ने 1670 करोड़ प्रति विमान की दर से लिया। कांग्रेस ने यह भी सवाल उठाया था कि सरकारी एयरोस्पेस कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को इस सौदे में शामिल क्यों नहीं किया गया। इस फैसले के खिलाफ लगाई गई याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने 14 नवंबर, 2019 को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि इस मामले की जांच की जरूरत नहीं है। हालांकि, विमान खरीद में राशि को इसमें नहीं जोड़ा गया था।
अब मीडिया पार्ट की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि रफाल लड़ाकू विमान डील में गड़बड़ी का सबसे पहले पता फ्रांस की भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी एएफए को 2016 में हुए इस सौदे पर दस्तखत के बाद लगा। एएफए को मालुम हुआ कि रफाल बनाने वाली कंपनी दसौ एविएशन ने एक बिचौलिए को 10 लाख यूरो देने पर रजामंदी जताई थी। यह हथियार दलाल इस समय एक अन्य हथियार सौदे में गड़बड़ी के लिए आरोपी है, हालांकि एएफए ने इस मामले को प्रोसिक्यूटर के हवाले नहीं किया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अक्टूबर 2018 में फ्रांस की पब्लिक प्रोसिक्यूशन एजेंसी को राफ़ेल सौदे में गड़बड़ी के लिए ‘अलर्ट’ मिला और कमोवेश उसी समय फ्रेंच कानून के म्युताबिक दसौ एविएशन के ऑडिट का भी समय हो गया। कंपनी के 2017 के खातों की जाँच का दौरान ‘क्लाइंट को गिफ्ट’ के नाम पर हुए 508925 यूरो के खर्च का पता लगा। यह समान मद में अन्य मामलों में दर्ज खर्च राशि के मुकाबले कहीं अधिक था।
मीडिया पार्ट के दावे के मुताबिक इस खर्च पर मांगे गए स्पष्टीकरण पर दसौ एविएशन ने एएफए को 30 मार्च, 2017 का बिल मुहैया कराया जो भारत की डेफसिस साल्यूशंस की तरफ से दिया गया था। यह बिल राफ़ेल लड़ाकू विमान के 50 मॉडल बनाने के लिए दिए ऑर्डर का आधे काम के लिए था। इसके लिए प्रति पीस 20, 357 यूरो की राशि का बिल थमाया गया। अक्टूबर 2018 के मध्य में इस खर्च के बारे में पता लगने के बाद एएफए ने दसौ से पूछा कि आखिर कंपनी ने अपने ही लड़ाकू विमान के मॉडल क्यों बनवाये और इसके लिए 20 हज़ार यूरो की मोटी रकम क्यों खर्च की गई? साथ ही सवाल पूछे गए कि क्या एक छोटी कार के आकार के यह मॉडल कभी बनाए या कहीं लगाए भी गए? जाहिर है रफाल भ्रष्टाचार का जिन्न फिर बोतल से बाहर आ गया है।

पाटील होंगे महाराष्ट्र के नए गृह मंत्री

दिलीप दत्तात्रेय वलसे पाटील महाराष्ट्र के नए गृह मंत्री बन सकते हैं। वे अनिल देशमुख का स्थान लेंगे जिन्होंने आज ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। देशमुख के खिलाफ महाराष्ट्र पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह के वसूली के आरोपों वाली याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने आज ही सीबीआई जांच का आदेश दिया था। नए गृह मंत्री पाटील अभी तक उद्धव ठाकरे सरकार में लेबर और एक्साइज मिनिस्टर हैं।
एनसीपी में पाटील बड़े नेता हैं। विधानसभा अध्यक्ष रहने के अलावा कई बार मंत्री रहे हैं। उन्हें बेहतर छवि वाला नेता माना जाता है। दो साल पहले जब भाजपा ने अजीत पवार को अचानक ‘अपने पाले’ में करके देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और पवार को उपमुख्यमंत्री बना दिया था तब उनकी जगह एनसीपी ने पाटील को ही विधायक दल का नेता बनाया था। हालांकि, बाद में पवार एनसीपी में लौट आये थे और सेना-एनसीपी-कांग्रेस की सरकार बनी थी।
आज इस्तीफा देने से पहले देशमुख एनसीपी प्रमुख पवार से मिले थे और उसके बाद ही इस्तीफा देने का ऐलान किया। देशमुख से भाजपा पहले से ही इस्तीफा मांग रही थी। एनसीपी ने हालांकि देशमुख के इस्तीफे पर कहा कि उसे भरोसा है कि देशमुख किसी तरह के भर्ष्टाचार में शामिल नहीं हैं और यह सब कुछ ‘गठबंधन सरकार को कमजोर करने के लिए’ साजिश है।
उधर इस्तीफे के ऐलान पर देशमुख ने कहा कि पद पर बने रहने का कोई नैतिक औचित्य नहीं है। देशमुख ने कहा कि उनके खिलाफ आरोप गलत हैं  और वे इनसे साफ़ बाहर निकलेंगे।
बता दें आज ही मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह की याचिका पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच करने का आदेश दिया है। अदालत ने सीबीआई से इस जांच की प्रारंभिक रिपोर्ट 15 दिन के भीतर देने को कहा है जिसके आधार पर ही उनके खिलाफ एफआईआर दायर करने का फैसला होगा। अब महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।

लुधियाना मे फैक्टरी की इमारत ढ़हने से तीन की मौत

लुधियाना के डाबा रोड स्थित मुकुंद नगर में एक पुरानी फैक्टरी की इमारत ढ़हने से मौके पर ही तीन की मौत हो गई । साथ ही मौके पर पहुंची राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) व पुलिस ने इस हादसे में फंसे 36 लोगों को बचाया। मलबे में चार श्रमिकों दबे होने की आशंका जताई जा रही है।

घटना स्थल पर जिला आयुक्त और पुलिस आयुक्त मौजूद है जिससे वहां चल रहे बचाव अभियान कार्य पर निगरानी रखी जा सकें। सभी घायल श्रमिकों को इलाज के लिए शहर के एसपीएस अस्पताल व सिविल अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।लुधियाना के उपायुक्त वरिंदर शर्मा ने कहा की, बचाए गए 36 श्रमिकों में से एक ने सिविल अस्पताल में दम तोड़ दिया है और बाकी लोगों का इलाज जारी है।

उपायुक्त ने बताया, फैक्ट्री का मालिक नगर निगम से अनुमति लिए बिना ही छत का एक और स्तर उठा रहा था। और फैक्ट्री की बिल्डिंग पुरानी होने के कारण यह हादसा हुआ है।

महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने इस्तीफा दिया, अदालत ने दिया है आज ही सीबीआई जांच का आदेश

मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह की याचिका पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को आये फैसले के कुछ घंटे के भीतर ही महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। एनसीपी ने मुख्यमंत्री से उनका इस्तीफा स्वीकार करने को कहा है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को अपना इस्तीफा सौंप  दिया है।  आज ही बॉम्बे हाईकोर्ट ने देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच करने का आदेश दिया है।
बता दें अदालत ने सीबीआई से इस जांच की प्रारंभिक रिपोर्ट 15 दिन के भीतर देने को कहा है जिसके बाद उनके खिलाफ एफआईआर दायर करने का फैसला होगा। जाहिर है अब देशमुख की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। विपक्षी भाजपा ने अदालत के आदेश के बाद देशमुख के इस्तीफे की मांग की है।
अब महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को अपना इस्तीफा उन्होंने सौंप दिया है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच करने का आदेश दिया है। एनसीपी ने मुख्यमंत्री से उनका इस्तीफा स्वीकार करने को कहा है। देशमुख ने कहा कि नैतिकता के आधार पर उनका पद पर  नहीं रखता।
इस से पहले अदालत का यह फैसला परमबीर सिंह की बॉम्बे हाई कोर्ट में दायर उस याचिका पर आया है जिसमें उन्होंने गृहमंत्री देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की है। पुलिस अधिकारी ने आरोप लगाया था कि देशमुख ने एक पुलिस अधिकारी सचिन वझे को 100 करोड़ रुपए की वसूली का लक्ष्य दिया था। अदालत ने कहा कि देशमुख पर आरोप गंभीर प्रकृति के हैं लिहाजा इनकी जांच जरूरी है।
हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में एफआईआर दर्ज हो चुकी है और पुलिस जांच की जरूरत है। उच्च न्यायालय ने कहा कि अनिल देशमुख पर जो आरोप लगे हैं उनकी   जांच के लिए पुलिस पर निर्भर नहीं रह सकते हैं। इसकी प्राथमिक और निष्पक्ष जांच के लिए सीबीआई की जरूरत है। सीबीआई निदेशक 15 दिन में प्रारंभिक जांच करके जो रिपोर्ट देगी उसके आधार पर फैसला किया कि देशमुख के खिलाफ एफआईआर दायर होगी या नहीं।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र के गृह मंत्री देशमुख पर आरोपों की जांच सीबीआई से कराने के आदेश दिए

मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह की याचिका पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को अपने फैसले में महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच करने को कहा है। अदालत ने सीबीआई से इस जांच की प्रारंभिक रिपोर्ट 15 दिन के भीतर देने को कहा है जिसके बाद उनके खिलाफ एफआईआर दायर करने का फैसला होगा। जाहिर है अब देशमुख की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। विपक्षी भाजपा ने अदालत के आदेश के बाद देशमुख के इस्तीफे की मांग की है।
अदालत का यह फैसला परमबीर सिंह की बॉम्बे हाई कोर्ट में दायर उस याचिका पर आया है जिसमें उन्होंने गृहमंत्री देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की है। पुलिस अधिकारी ने आरोप लगाया था कि देशमुख ने एक पुलिस अधिकारी सचिन वझे को 100 करोड़ रुपए की वसूली का लक्ष्य दिया था। अदालत ने कहा कि देशमुख पर आरोप गंभीर प्रकृति के हैं लिहाजा इनकी जांच जरूरी है।
हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में एफआईआर दर्ज हो चुकी है और पुलिस जांच की जरूरत है। उच्च न्यायालय ने कहा कि अनिल देशमुख पर जो आरोप लगे हैं उनकी   जांच के लिए पुलिस पर निर्भर नहीं रह सकते हैं। इसकी प्राथमिक और निष्पक्ष जांच के लिए सीबीआई की जरूरत है। सीबीआई निदेशक 15 दिन में प्रारंभिक जांच करके जो रिपोर्ट देगी उसके आधार पर फैसला किया कि देशमुख के खिलाफ एफआईआर दायर होगी या नहीं।
उधर देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच के बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश पर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने संतोष जताते हुए कहा कि नैतिकता के आधार पर देशमुख को अब इस्तीफा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि वे ऐसा नहीं करते तो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर कर देना चाहिए।

काले चावल के सेवन से लीवर, किडनी को खतरा

कोरोना काल में लोगों को मधुमेह रोगियों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने की आड़ में लोगों को काला चावल खाने के नाम पर भ्रमित किया जा रहा है। तहलका संवाददाता को कृषि वैज्ञानिक डाँ आर के सिंह ने बताया कि देश में काला चावल खाने के लिये प्रेरित किया जा रहा है कि काला चावल में शुगर की मात्रा कम पायी जाती है।

जबकि सच्चाई ये है कि काले चावल में भी सफेद चावल की तरह शुगर पायी जाती है। डाँ सिंह ने कहा कि काला चावल की आड़ में काला कारोबार भी खूब पनप रहा है। ऐसे में लोगों को अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहना चाहिये। क्योंकि तामाम शोधों और लैबों में जांच के बाद ये स्पष्ट हुई है। कि काले चावल में ग्लूटेन इंडेक्स 55 प्रतिशत से कम होनी चाहिये जबकि 60 प्रतिशत से भी अधिक पायी गयी है।

ऐसे में काला चावल का सेवन करने वालों का काफी नुकसान हो सकता है। डाँ सिंह ने बताया कि कृषि के क्षेत्र में अभी भी तामाम तरह से जागरूकता की कमी है। ऐसे में लोगों के साथ खिलवाड़ ना हो उसके लिये सरकार को कार्रवाई करनी होगी।

बतातें चलें कि अगर कोरोना महामारी के दौरान खासकर मधुमेह रोगियों ने काला चावल का सेवन करना ना छोड़ा तो किड़नी,लीवर जैसी बीमारी घातक हो सकती है।

महाराष्ट्र में कल से नाईट कर्फ्यू, दिन भर धारा 144 और ‘वीकेंड लॉक डाउन’ का ऐलान किया

महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार ने तमाम पक्षों से बातचीत करने के बाद रविवार शाम केबिनेट की बैठक के बाद ऐलान किया कि सोमवार शाम 8 बजे से पूरे महाराष्ट्र में सख्त रात्रि कर्फ्यू लगेगा। यह रात 8 बजे से शुरू होकर सुबह 7 बजे तक चलेगा और इस दौरान लोगों के घर से निकलने पर पाबंदी रहेगी। फैसले में वीकेंड पर लॉकडाउन लगाना भी शामिल है। राज्य में नाइट कर्फ्यू के अलावा दिनभर धारा 144 लागू करने का भी फैसला किया है। उद्धव सरकार ने कोरोना नियमों में ज्यादा सख्ती बरतने का भी फैसला किया है।
महाराष्ट्र में पिछले कुछ दिनों में कोरोना के लगातार बढ़ते मामलों के चलते यह ऐलान किया है। केबिनेट की बैठक में यह फैसला किया गया है। कोरोना के मामलों में उछाल को देखते हुए केबिनेट बैठक बुलाई गई थी जिसमें यह फैसले किये गए। कोविड स्थिति को देखते हुए राज्य में किसी भी बड़ी फिल्म या प्रोजेक्ट की शूटिंग की अनुमति नहीं होगी। सरकार ने लोगों से इन गाइडलाइन का पालन करने की अपील की है।
फैसला किया गया है कि राज्य में लॉकडाउन की जगह कठोर नाइट कर्फ्यू लगाया जाए। ये आदेश फिलहाल 30 अप्रैल तक जारी  बाद स्थिति को देखते हुए आगे का फैसला किया जाएगा। एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि सूबे में रात 8 बजे से सुबह 7 बजे तक कर्फ्यू लगेगा।
आदेश के मुताबिक इस दौरान सिर्फ आवश्यक सेवाओं से जुड़े लोगों को ही बाहर निकलने की अनुमति होगी। रेस्टोरेंट सिर्फ पार्सल और पैकिंग सिस्टम तक ही खुलेंगे।  कोई रेस्टोरेंट में बैठकर खाना नहीं खा सकेगा। सभी कार्यालयों को बंद कर वर्क फ्रॉम होम सिस्टम फिर शुरू होगा। इस विषय में सरकार जल्दी ही एसओपी जारी कर रही है।
कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार ने पूरी तरह से लॉकडाउन तो नहीं लगाया लेकिन मॉल जैसी जगहों पर जाने के लिए कोरोना निगेटिव सर्टिफिकेट अनिवार्य कर दिया गया है। पुणे में गंभीर हालात को देखते हुए आंशिक लॉकडाउन लगा दिया है। मॉल, पार्क, धार्मिक स्थलों को बंद रखा जा रहा है जबकि नांदेड़, परभणी, नंदुरबार जिलों में लॉकडाउन लगाया जा चुका है। नागपुर और लातूर जिले में आंशिक लॉकडाउन लगाया गया है।
सरकार के फैसले में राज्य में रात 8 बजे से सुबह 7 बजे तक कर्फ्यू लागू रहेगा, दिनभर धारा 144 लागू रहेगी, 5 से ज़्यादा लोग जमा नहीं होंगे, मॉल, रेस्टोरेंट और बार को बंद किया जाएगा, डिलिवरी की सुविधा रहेगी, वीकेंड पर शुक्रवार की रात 8 बजे से सोमवार सुबह 7 बजे तक लॉकडाउन लागू रहेगा, अत्यावश्यक सेवाएं जारी रहेंगी।
सरकारी कार्यालय 50 फीसदी की क्षमता से चलेंगे, इंडस्ट्री पूरी तरह चालू रहेगी, वर्कर्स पर कोई पाबंदी नहीं होगी, जिन कंस्ट्रक्शन साइट्स पर वर्कर्स के रहने की सुविधा है, वह काम चालू रहेगा, सरकारी ठेके में जहां निर्माण का काम जारी है, वह चालू रहेंगे, सब्ज़ी मंडी पर कोई प्रतिबंध नहीं है लेकिन भीड़ कम करने के लिए नियम बनाए गए हैं, शूटिंग में जहां भीड़ नहीं होगी, वहां काम जारी रह सकता है, थिएटर बंद रहेंगे, सभी यातायात पहले की तरह जारी रहेंगे और पब्लिक ट्रांसपोर्ट 50 फीसदी की क्षमता से चलेंगे।
यह फैसले करने से पहले मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने विपक्ष के अलावा सभी संबंधित वर्गों से भी बातहीट की। मुख्यमंत्री ने भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भी फोन किया और प्रतिबंध लागू करने की बात रखी थी। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा – ‘हालात बहुत गंभीर हैं, इसलिए कड़े प्रतिबंध लगाने होंगे।’

चुनावी रैलियों में लोगों की भीड़ देखकर लोगों में कोरना का डर नहीं

देश में कोरोना महामारी की रफ्तार दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। आलम ये है, लोगों में 2020 के कोरोना की तरह इस बार 2021 में कोरोना का डर ना के बराबर देखा जा रहा है। सबसे गम्भीर बात ये है कि लोगों के बीच ये मैसेज है कि कोरोना महामारी 4 -5 साल तक रहेगी तो, कब तक घरों में रहेगें। ऐसे में बच्चें, युवा और बुजुर्गों तक कोरोना के नाम पर कोई डर नही। भले ही दिल्ली में पुलिस कोरोना की रोकथाम के लिये बिना मास्क लगाये लोगों का चालान के तौर पर 2 हजार रूपये का चालान काट रही है। फिर भी बिना मास्क लगाये बाजारों में लोग खुले आम घूमते फिरते देखें जा सकते है।
बताते चलें दिल्ली का अपना ही मिजाज है। कोरोना या अन्य बीमारी बड़े ही मौज मस्ती वाली जीवन शैली में रहते रहे है।तलहका संवाददाता को चाँदनी चौक के सतीश ने बताया कि जब देश आजाद हुआ है तब से चाँदनी चौक या अन्य बाजारों की गतिविधियां कभी नहीं थमीं है।लेकिन लाँकडाउन 2020 के दौरान बाजारों के बंद होने के बाद यहां पर अजीब सा माहौल व्यापारियों ने देखा है। लेकिन इस बार व्यापारी भली भाँति जान रहा है कि कोरोना एक बीमारी के साथ साथ सियासी भी बनता जा रहा है। जैसे पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव में कहीं भी कोरोना की चर्चा तक नहीं है। लेकिन जहां चुनाव नहीं है। वहां कोरोना है।ऐसे हालात में अब आम जनमानस में कोरोना के नाम पर ना डर है और ना ही भय है। कहते है कि जब नीति और नियत पर सवाल उठने लगे तो परिणाम भटकाने वाले ही आते है। जैसे कि कोरोना के नाम पर आजकल देशवासियों को देखना पड़ रहा है।

छत्तीसगढ़ में नक्सली हमले में शहीद होने वाले जवानों की संख्या 24 हुई

छत्तीसगढ़ के तर्रेम इलाके में शनिवार को नक्सलियों के साथ हुई मुठभेड़ में शहीद होने वाले जवानों की संख्या 24 हो गयी है। कुछ अभी जबकि कम से कम 10 नक्सली भी मारे गए हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रविवार को कहा कि सुरक्षा बलों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी और नक्सलियों के खिलाफ अभियान तेज किया जाएगा।
यह मुठभेड़ शनिवार को हुई थी। अभी तक की जानकारी के मुताबिक 20 जवानों के शव घटनास्थल पर हैं। बताया गया है कि इस घटना में 24 जवान शहीद हुए हैं। नक्सल प्रभावित तर्रेंम क्षेत्र के जोन्नागुड़ा के जंगल में पुलिस और नक्सलियों के बीच यह मुठभेड़ हुई थी। पुलिस के मुताबिक दो शव निकाले गए हैं जबकि 20 शव घटनास्थल पर हैं।
पुलिस के मुताबिक गांव के नजदीक के जंगल में जवानों के शव मिले हैं। हमलावर नक्सली जवानों के हथियार और यहाँ तक कि जूते और कपड़े भी अपने साथ ले गए हैं। मुठभेड़ के बाद 15 से 20 जवान लापता बताए जा रहे थे। करीब 30 जवान घायल हैं जिनमें से कुछ की हालत गंभीर थी लेकिन अब वे बेहतर हैं। अस्‍पताल में उनका जीवन बचाने की कोशिश की जा रही है। इनमें से सात का रायपुर जबकि 23 का बीजापुर में इलाज किया जा रहा।
मुठभेड़ में बड़ी संख्या में जवानों के शहीद होने की  शनिवार को ही घटना स्थल पर  बैकअप पार्टी भेजी गई है। पुलिस के मुताबिक मौके से अब तक एक नक्सली का शव मिला है जो महिला है। पुलिस ने कहा है कि 10 से ज्यादा नक्सली भी मारे गए हैं।
इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,  कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी है और उनके परिवारों से संवेदना प्रकट की है।
मुख्यमंत्री भूपेश भगेल घटना की जानकारी मिलते ही चुनाव प्रचार छोड़कर छत्तीसगढ़ लौट आये हैं। बघेल ने कहा है कि सुरक्षा बलों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी। नक्सलियों के विरुद्ध और तेजी से अभियान चलाएंगे। उन्होंने घायलों को बेहतर इलाज की सुविधा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।
अभी तक की रिपोर्ट्स के मुताबिक इलाके में दुर्दांत नक्सली हिड़मा का आतंक है। हिड़मा को नक्सलियों की बटालियन नंबर एक का कमांडर माना जाता है। सुरक्षा बलों को शुक्रवार को इलाके में उसकी उपस्थिति की जानकारी मिली थी जिसके बाद उसे घेरने की योजना बनाई गयी और बड़ी संख्या में टीम को इलाके को रवाना किया गया।
रिपोर्ट्स के मुताबिक बीजापुर जिला मुख्यालय से करीब 75 किलोमीटर दूर तर्रेंम क्षेत्र के सिलगेर गांव के नजदीक जंगल में शुक्रवार को डीआरजी (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड), सीआरपीएफ, एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) और  कोबरा बटालियन की साझी टीम रवाना की गई। इसमें तर्रेम से 760 जवान, उसूर से 200, पामेड़ से 195, सुकमा जिले के मिनपा से 483 और नरसापुरम से 420 जवानों को मिलाकर कुल 2059 जवान शामिल थे।
शनिवार को सर्च के बाद के बाद जब तर्रेम और सुकमा के सिलगेर के बीच जोन्नागुड़ा के जंगल में फोर्स की एक टुकड़ी लौट रही थी तभी नक्सलियों ने उन्हें घेर लिया। इसके बाद वहां मुठभेड़ शुरू हो गयी। चूंकि नक्सली ऊंचाई वाली जगह पर थे, मैदान में  से गुजर रहे जवानों को उनसे भिड़ने में दिक्कत आई। पुलिस के मुताबिक वहां   225 से ज्यादा नक्सली थे। मुठभेड़ के दौरान नक्सलियों ने राकेट लांचर तक इस्तेमाल किये।