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राजस्थान के बारां में दंगाइयों का उपद्रव, कर्फ्यू लगा, इंटरनेट सेवाएं ठप

राजस्थान के बारां जिले के छबड़ा में दो युवकों को कथित तौर पर छुरा घोंपे जाने के बाद रविवार को सांप्रदायिक दंगे भड़क गए। दंगाइयों की हिंसक भीड़ ने दर्जनों वाहन और दुकानों में आग लगा दी। बाद में प्रशासन हरकत में आया और शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया साथ ही मंगलवार तक इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी हैं।
पुलिस ने हिंसक भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे, लेकिन दोनों समुदायों के लोग हाथों में डंडे, लोहे की छड़ें एवं हथियार लेकर देर शाम तक उपद्रव करते रहे। उन्होंने एक दमकल गाड़ी में भी आग लगा दी और पुलिस एवं सरकारी वाहनों समेत सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया।
बारां के पुलिस अधीक्षक विनीत बंसल ने मैया को बताया, हालाततनावपूर्ण है। भीड़ की हिंसा जारी है और हम स्थिति नियंत्रित करने का प्रयास कर रहे हैं।  वैसे हिंसा में किसी के हताहत होने की जानकारी नहीं है।
अधिकारियों ने बताया कि अतिरिक्त सुरक्षाबलों को बुलाया गया है तथा कोटा रेंज के डीआईजी रवि गौड़ समेत वरिष्ठ अधिकारी हिंसा प्रभावित क्षेत्र में हैं। सूत्रों के अनुसार शनिवार शाम को धरनावाड़ा सर्किल में एक समुदाय के दो लोगों पर अन्य समुदाय के चार पांच युवकों ने हमला कर दिया था। इसमें दिनों युवक घायल हो गए थे।
इसके बाद उनके परिवारों समुदाय के लोगों ने पांच आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग करते हुए शनिवार रात को धरनावाड़ा सर्किल पर धरना दिया। सूत्रों के अनुसार रविवार सुबह फिर प्रदर्शनकारी प्रदर्शन करने लगे और उन्होंने दुकानें बंद करने की मांग की। जब प्रदर्शनकारियों ने अलीगंज और एजाज नगर से गुजरते हुए व्यापारियों से दुकानें बंद करने को कहा तब हिंसा फैल गयी और वह अन्य क्षेत्रों तक जा पहुंची।
उपद्रवियों धरनावाड़ा सर्किल, स्टेशन रोड, एजाज नगर और अलीगंज क्षेत्रों में करीब 10-12 दुकानें जला दी गईं। इतना ही नहीं, दंगाइयों ने निजी यात्री बस, कारों एवं अन्य वाहनों के साथ-साथ एक दमकलगाड़ी भी आग के हवाले कर दी। गयी। जिलाधिकारी ने छबड़ा में रविवार को शाम चार बजे से कर्फ्यू लगाने का आदेश दिया।

पाबंदी के साथ सुविधायें बढ़ाये सरकार

कोरोना की बढ़ती रफ्तार को रोकने लिये केन्द्र और राज्य सरकारें तामाम पाबंदियां लगा रही है। लेकिन सरकार ये भूल रही है। कि एक पाबंदी पर दूसरी पाबंदी लगाये जाने पर पहली पांबदी शिथिल पड़ जाती है। वैसे ही कोरोना को रोकने के लिये देश में तामाम तरह की पाबंदी लग चुकी है। अब फिर पाबंदियों का सिलसिला जारी कर दिया गया है। जबकि सच्चाई सरकार जानती है। साधन के अभाव में लोगों के बीच अफरा-तफरी और आराजकता वाला माहौल बनता है।

दिल्ली-एनसीआर वैसे ही तामाम पाबंदियों के चपेट में है। उस पर दिल्ली सरकार  ने मैट्रो और दिल्ली परिवहन बसों पर 50 प्रतिशत तक यात्रियों को आना-जाने की अनुमति दी है। ऐसे में अब फिर से बस अड्डो और मैट्रो स्टेशन पर यात्रियों की भीड़ बढ़ेगी। जो कोरोना को बढ़ावा में एक अहम् भूमिका निभा सकते है।

लोगों ने तहलका संवाददाता को बताया कि सरकार अगर साधन बढ़ाये  जाये और लोगों को सहूलियत दें। तो ठीक है। अन्य़था बसों में जगह ना मिलने के काऱण दूसरी बसों के इंतजार में सैकड़ों लोगों की भीड़ एकत्रित होगी जो आसानी से कोरोना संक्रमण फैला सकती है।सोशल वर्कर अनिल अरोड़ा का कहना है कि वैसे ही देश की आर्थिक स्थिति कोरोना काल में बिगड़ी है। ऐसे में सरकार को बाजारों में यात्रायात में व्यवस्था ना लगाकर लोगों को सुविधाओं कर विचार करना होगा। अन्य़था लोगों की अनियंत्रित भीड़ लोगों के बीच कोरोना को आसानी से फैला सकती है।

क्योंकि सरकार तो दिल्ली परिवहन की बसों में तो यात्रियों को 50 प्रतिशत की पाबंदी लगा रही है। जबकि मिनी  प्राईवेट बस वाले ठूस-ठूस कर यात्रियों को ले जाते। उस पर सरकार को कोई कारगर कदम उठाने होगे। अन्य़था सब बेमानी साबित होगा।

गन कल्चर : तीन साल के बच्चे ने आठ माह के भाई को मारी गोली

11 सितंबर 2001 में अमेरिका में हुए आतंकी हमले के बाद से वहां के लोगों में दहशत और खौफ ने जो दिलोदिमाग में घुसपैठ की है, उसकी गूंज समय-समय पर दिखाई देती रहती है। हर अमेरिकी अपने आपको असुरक्षित महसूस करता है। इसके बाद से वहां पर गन कल्चर शुरू हो गया। तकरीबन हर घर में यहां तक कि बच्चे भी गन लेकर चलते हैं। अक्सर स्कूलों में गोलीबारी की घटनाएं होना अमेरिका में आम हो गया है। लेकिन अब इसकी चपेट में मासूम भी आने लगे हैं। ताजा मामला अमेरिका के ह्यूस्टन शहर का है, जहां पर एक तीन के बच्चे ने अपने आठ माह के भाई पर गोली चला दी और उसकी मौत हो गई। में अमेरिकी
2008 की आर्थिक मंदी के बाद लोग और ज्यादा असुरक्षित महसूस करने लगे। इसके बाद हथियारों के लाइसेंस बेहद तेजी से बढ़े और घर-घर में बंदूकें पहुंच गईं। लूटमार की घटनाएं और घृणा के मामलों में भी इजाफा देखा गया। ह्यूस्टन में हुई शुक्रवार को हुई ताजा घटना ने लोगों को गन कल्चर पर पुनिर्वचार करने के लिए मजबूर कर दिया है।
पुलिस का मानना है कि बच्चे के तीन साल के बड़े भाई को पिस्टल मिल गई और उसने छोटे भाई पर चला दी। मासूम को पेट में गोली लगी। परिजन गंभीर रूप से घायल बच्चे को अस्पताल लेकर गए, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका।
पुलिस अधिकारी ने अभिभावकों से अपील की है कि वे अपने हथियारों को घर में ऐसी जगह पर रखें जहां बच्चे न पहुंच सकें। कृपया इस परिवार के लिए दुआ कीजिए। यह बहुत दुखदाई घटना है। जांचकर्ताओं को शुरुआत में घटना में इस्तेमाल बंदूक नहीं मिली, लेकिन बाद में उस वाहन के अंदर से उसे बरामद कर लिया गया जिसमें परिवार के सदस्य बच्चे को अस्पताल लेकर गए थे।
पुलिस अब इस मामले में इस बात की तफ्तीश कर रही है कि मासूम बच्चे पर कोई आरोप लगाया जाएगा या नहीं। अभी तक पुलिस ने बच्चे के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया है। दरअसल, इतने छोटे बच्चे के खिलाफ किस कानून के अनुसार केस दर्ज किया जाए पुलिस इसी पर माथापच्ची कर रही है।
बता दें कि अमेरिका में गन कल्चर हर साल हजारों लोगों की मौत का कारण बनता है। 2021 में अमेरिका में अबतक फायरिंग के मामलों में 450 लोगों की मौत हो चुकी है। स्माल आर्म्स सर्वे के मुताबिक अमेरिका में 100 में से 88 अमेरिकी नागरिकों के पास हथियार हैं। जो साल दर साल तेजी से बढ़ रहा है। कई ऐसे लोग हैं जिनके पास एक से ज्यादा बंदूक हैं। अमेरिका में छोटा हथियार खरीदने की न्यूनतम उम्र 18 साल है।

दिल्ली सरकार के सभी कोविड अस्पतालों में आयुष के डॉक्टर्स सेवाएं देंगे

दिल्ली सरकार द्वारा कोविड की वैश्विक महामारी के दौरान एक अहम फैसला लिया गया है जिसमें दिल्ली सरकार के सभी कोविड अस्पतालों में आयुष के डॉक्टर्स की सेवाएं लेने का आदेश दिया गया है। आयुष के सभी डॉक्टर्स और सभी संस्थाओं ने इसके लिए दिल्ली सरकार का बहुत-बहुत धन्यवाद दिया कि उन्होंने आयुष डॉक्टर्स पर अपना विश्वास जताया और उनको इस वैश्विक महामारी के दौरान आयुष डॉक्टर्स को मुख्यधारा से जोड़ने का कदम उठाया।

आयुष के डॉक्टर्स ने विश्वास दिलाया है कि वह अपनी जान की परवाह किए बगैर इस वैश्विक महामारी में अपनी सभी सेवाएं अवश्य देंगें। दिल्ली सरकार के पैरामेडिकल बोर्ड के अध्यक्ष डॉ प्रदीप अग्रवाल ने माननीय स्वास्थ्य मंत्री श्री सत्येंद्र जैन जी का धन्यवाद देते हुए इस कदम का स्वागत किया और कहा कि यह  बहुत ही सराहनीय है जिसका असर काफी दूर तक होगा। इससे आयुष के डॉक्टर्स में विश्वास भी पैदा होगा और हेल्थ केयर सिस्टम में चल रहे डॉक्टर की कमी को भी पूरा किया जा सकेगा उन्होंने दिल्ली सरकार को आश्वस्त किया कि आयुष के डॉक्टर्स अपनी जान की परवाह किए बगैर अपनी सेवाएं देंगे और भविष्य में और भी किसी भी तरह की जिम्मेदारी के लिए आयुष के डॉक्टर  सदैव तत्पर रहेंगे।

कोरोना के इलाज के नाम पर गली-कूचों में सजने लगी नीम हकीमों की दुकानें और काट रहे चांदी

जैस-जैसे देश में कोरोना का कहर बढ़ रहा है, वैसे-वैसे देश में कोरोना के इलाज के नाम पर गली-कूचों में फिर से नीम –हकीमों की दुकानें सजने लगी है। भोले –भाले लोगों को कोरोना से बचाव के तौर पर जड़ी-बूटियां बेची जा रही है। जो कोरोना जैसी संक्रमित बीमारी को कम करने के बजाय बढ़ा सकती है। सरकार को इस मामले में गंभीरता से कार्रवाई करनी चाहिये । ताकि लोगों को इलाज करने पर ठगने वालों को रोका जा सकें। बतातें चले एक ओर तो सरकार लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग की बात करती है। और जो बिना मास्क लगाये सड़कों पर पकड़े जाते है। उनका 2 हजार रूपये का चालान काटती है। वहीं नीम हकीम इन दोनों गाइड लाईन का उल्लघंन कर लोगों को ठग ही नहीं रही है, बल्कि लोगों की जान से खेल रही है।

सबसे गंभीर बात तो ये है कि ये नीम हकीम कोरोना जैसी घातक बीमारी का इलाज के नाम पर अपना –प्रचार प्रसार करते है। जो मेडिकल एक्ट में गलत है। कानूनी तौर पर अपराध की श्रेणी में है। फिर भी ऐसा हो रहा है। इस बारे में डीएमए के पूर्व अध्यक्ष डाँ अनिल बंसल का कहना है कि कोरोना बीमारी हो या अन्य कोई और बीमारी हो। अगर क्वालीफाइड डाँक्टर के अलावा कोई करता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिये।

नीम हकीमों के विरोध अभियान चलाने वाले सुभाष कुमार का कहना है कि देश में जो कोरोना बीमारी कम नहीं हो रही है उसकी जड़ में देखा जाये तो नकली डाँक्टरों द्वारा इलाज का किया जाना शामिल है। उन्होंने बताया कि कोरोना जैसी बीमारी के इलाज के नाम पर ये लोग ठग रहे है। उन्होंने बताया कि चाहे कैंसर की बीमारी हो या मधुमेह अन्य बीमारी हो सबका इलाज करने के नाम पर ये लोग अपनी दुकान खोलकर बैठ जाते है। सस्ते इलाज के नाम पर लोगों को अपने जाल में फंसाकर जमकर चांदी काटते है।

बंगाल में चुनावी हिंसा: कूच बिहार में केंद्रीय बलों की गोलीबारी में 4 लोगों की मौत, ममता ने कहा उनका डर सही साबित हुआ

बंगाल के कूच बिहार में चुनावी हिंसा में शनिवार को केंद्रीय बलों की गोलीबारी में 4 लोगों की जान चली गयी। टीएमसी नेता और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस घटना के बाद कहा है कि उनका डर सही साबित हुआ है और बंगाल के 4 वोटरों की जान ले ली गयी है।
टीएमसी ने इस घटना पर चुनाव आयोग से सवाल पूछे हैं और दावा किया है कि इस घटना में पांच लोगों की मौत हुई है और यह टीएमसी के कार्यकर्ता हैं। घटना बंगाल के कूच बिहार की है जहाँ भाजपा और टीएमसी के कार्यकर्ताओ के बीच झड़प खूनी हिंसा में बदल गयी और इसमें बम से लेकर गोलियों तक का इस्तेमाल हुआ। बंगाल में आज चौथे चरण में 5 जिलों की 44 विधानसभा सीटों के लिए मतदान हो रहा है।
जानकारी के मुताबिक कूच बिहार के माताभंगा विधानसभा क्षेत्र में भाजपा और टीएमसी के पक्षों के बीच यह घटना हुई है। इसमें बमबारी और फायरिंग होने की भी जानकारी मिली है। भाजपा टीएमसी कार्यकर्ताओं के बीच झड़प के बाद मामला बढ़ गया और जमकर हिंसा हुई। इसके बाद केंद्रीय बल सीआईएसएफ को हिंसा को रोकने के लिए गोलीबारी करनी पड़ी जिसमें 4 लोगों की जान चली गयी।
आठ चरणों में चुनाव करवाने के बावजूद बंगाल में हिंसा होने से कई सवाल उठ खड़े हुए हैं। चुनाव आयोग ने घटना के बाद अधिकारियों से इसकी रिपोर्ट तलब की है।  इस घटना के बाद टीएमसी ने केंद्रीय बलों पर गोलीबारी का आरोप लगाया है। टीएमसी की एक नेता ने कहा कि सीआईएसएफ के लोगों ने गोलियां चलाई जिसमें पांच लोगों की मौत हुई जो टीएमसी के कार्यकर्ता हैं। पार्टी ने चुनाव आयोग से सवाल किया है कि वह बताये कि केंद्रीय बलों ने गोलियां क्यों चलाईं ? पार्टी नेता ने कहा कि भाजपा बंगाल में 100 सीट भी नहीं जीत पाएगी।
कूचबिहार के सीतलकूची में मतदान के लिए लाइन में लगे 18 वर्ष के एक नवयुवक आनंद बर्मन की गोली लगने से मौत हो गई है क्योंकि वह भाजपा समर्थक था। उधर कूचबिहार जिले की ही दिनहाटा विधानसभा सीट के भेटागुड़ी  इलाके में मतदाताओं को डराने-धमकाने का आरोप भाजपा पर लगा है। मतदान करने आये लोगों ने इसके खिलाफ प्रदर्शन भी किया, उन्होंने केंद्रीय बलों पर निष्क्रिय रहने का भी आरोप लगाया। तृणमूल कांग्रेस के पोलिंग एजेंट को मारने-पीटने और उसकी मोटरसाइकिल में आग लगा देने की भी घटना सामने आई है।
बंगाल में कुछ और जगह भी हिंसा होने की खबर है। एक घटना में हुगली से भाजपा सांसद और चुंचुरा से पार्टी प्रत्याशी लॉकेट चटर्जी की गाड़ी पर हमला करने का आरोप लगाया गया है। लॉकेट का आरोप है कि उनकी गाड़ी पर टीएमसी के लोगों ने पथराव किया जिससे उनकी गाड़ी का शीशा टूट गया है। लॉकेट का कहना है कि उनके विधानसभा क्षेत्र में 66 नंबर बूथ पर छप्पा वोट पड़ने की शिकायत मिलने पर वह वहां देखने गई थी इसी दौरान तृणमूल कांग्रेस के लोगों ने उनकी गाड़ी पर हमला कर दिया।

खाद कीमतों की खबर वायरल होने के बाद हरकत में सरकार, कहा पुराने रेट पर ही बिकेगी

किसान आंदोलन के बीच केंद्र सरकार के अधीन आने वाली सरकारी कंपनी ने जैसे ही डीएपी के दामों में भारी इजाफे की घोषणा की,  खबर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। आनन-फानन में केंद्र सरकार हरकत में आई और उच्च स्तरीय बैठक बुलाकर खाद की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं करने का ऐलान किया है।

इतना ही नहीं, मामले में इफको ने सफाई देकर कहा है कि सोशल मीडिया पर जो रेट वायरल हो रहे हैं वे किसानों के लिए लागू नहीं हैं। इफको के पास 11.26 लाख टन कॉम्प्लेक्स फर्टिलाइजर (डीएपी,एनपीके) मौजूद है और ये किसानों को पुराने रेट पर ही मिलेंगे। बता दें कि इसमें केंद्र सरकार सब्सिडी भी प्रदान करती है।

केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री मनसुख मांडविया ने पीटीआई से कहा कि भारत सरकार ने मामले में एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई और खाद कंपनियों को डीएपी, एमओपी और एनपीके की कीमतें नहीं बढ़ाने को कहा है। खाद कंपनियों को पुरानी दरों पर बेचने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसानों को पुरानी दरों पर डीएपी, एमओपी और एनपीके मिलते रहेंगे।

इससे पहले वीरवार को खबरों में कहा गया था कि इफको ने डीएपी की कीमतों में 700 रुपये प्रति बोरी (50 किलो) की बढ़ोतरी कर दी है। इसके अलावा एनपीके की कीमतों में भी इजाफा किया गया है। हालांकि इफको का कहना है कि किसानों को डीएपी समेत उपरोक्त सभी खाद नए आदेश तक पुराने रेट पर ही मिलेंगे।

इफको के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. यूएस अवस्थी ने ट्वीट कर सफाई दी, ‘इफको 11.26 लाख टन कॉम्प्लेक्स उर्वरकों की बिक्री पुरानी दरों पर ही करेगी। बाजार में उर्वरकों की नई दरें किसानों को बिक्री के लिए नहीं हैं। उन्होंने पीएमओ इंडिया को टैग कर लिखा, ‘इफको संगठन यह सुनिश्चित करता है कि बाजार में पुराने मूल्य पर पर्याप्त सामग्री उपलब्ध है। इफको विपणन टीम को यह निर्देश दिया गया है कि किसानों को केवल पुराने मूल्ययुक्त पैकशुदा सामान ही बेचे जाएं। हम हमेशा किसानों के सर्वोपरि हित को ध्यान में रखकर ही कोई निर्णय लेते हैं। ये नया रेट सिर्फ हमारे संयंत्रों द्वारा उर्वरकों के बैग पर अधिकतम समर्थन मूल्य पर प्रिंट करने के लिए था, जो कि अनिवार्य है। बता दें कि बुवाई में डीएपी की सबसे ज्यादा जरूरत होती है।

कोरोना के बढ़ते कहर से, 2020 के लाँकडाउन को याद घर-गांव जा रहे लोग

कोरोना महामारी के वो दिन फिर से याद आने लगे । जब 2020 के अप्रैल माह में लगे, सम्पूर्ण लाँकडाउन के दौरान देश के मजदूर पैदल चल कर अपने-अपने, घर –गाँव जाने को मजबूर थे। तपती गर्मी के दिनों में सिर पर अपना सामान लेकर जाते हुये लोग जिसमें महिलायें, पुरूष और बच्चे भी शामिल थे। लेकिन इस बार वैसा नजारा तो नहीं है। पैदल आने-जाने वाले कम ही देखें जा रहे है।लेकिन दिल्ली के रेलवे स्टेशनों और बस अड्डों में बिहार, यूपी और मध्य प्रदेश जाने वालों की संख्या भी अधिक देखी जा रही है। जाने वाले लोगों का कहना है कि भले ही आज देश में सम्पूर्ण लाँकडाउन ना लगा हो लेकिन माहौल लाँकडाउन से ज्यादा डरावना है।

मध्य प्रदेश के जिला छतरपुर निवासी जुगल किशोर ने बताया कि मध्य प्रदेश में कोरोना का कहर बढ़ रहा है और दिल्ली में भी। मध्य प्रदेश के कई जिलों में लाँकडाउन लगने से और दिल्ली में रात के कर्फ्यू लगने से , उनके परिवार वालों और दोस्तों का दबाव है। कि घर –गांव आ जाओं । ताकि कल लाँकडाउन लगे तो फिर किसी प्रकार कोई परेशानी हो सकें। उन्होंने 2020 के अप्रैल माह की बातों को याद करते हुये जुगल ने बताया कि उनको अपने घर- गाँव जाना पड़ा  था। जिसमें कुछ पैदल चलना पड़ा, तो कुछ जगह तक ट्रैक्टर से तो किसी दूध वाले की मोटर साईकिल से जाना पड़ा था।जिसके चलते तामाम परेशानियों का सामना करना पड़ा था। ऐसे में उन्हें फिर डरा सता रहा है। इसलिये वो अपने परिजनों के साथ सराय कालें खाँ बस अड्डे से बस के रास्ते घर जा रहे है।

बिहार निवासी रजत रंजन ने बताया कि उनको रेल में रिजर्वेशन नहीं मिला तो, वो आनंद बिहार बस अड्डा में जाकर बस का आँनलाईन टिकट बुक करवा कर आये है। क्योंकि आज देश में कोरोना से ज्यादा सियासत के दांव -पेंच से डर लगता है।उनका कहना है कि जिस प्रदेश में चुनाव है वहां कोरोना नहीं है। ऐसे में चुनाव होते ही कोरोना के मामले बढ़ सकते है। 2 मई को जब चुनाव परिणाम घोषित किये जायेगे। फिर उसके बाद कोरोना के मामले बढने की संभावना है। जो लाँकडाउन लगने का कारण बन सकता है। ऐसे में पहले से ही घर –गांव जाना ठीक होगा। ताकि पिछले साल की तरह किसी प्रकार की परेशानी ना सकें।

छत्तीसगढ़ में बंदी बनाये जवान को रिहा कर दिया नक्सलियों ने

छत्तीसगढ़ में नक्सलियों ने सीआरपीएफ के उस जवान को रिहा कर दिया है जिसे कुछ दिन पहले मुठभेड़ के दौरान उन्होंने बंदी बना लिया था। उन्हें अब से कुछ समय पहले ग्रामीणों के सामने रिहा कर दिया गया। दो दिन पहले ही नक्सलियों ने सरकार से एक मध्यस्थ बनाकर बात करने का ऑफर दिया था और यह भी कहा था कि बातचीत के बाद जवान को रिहा कर दिया जाएगा।
अभी यह पता नहीं चला है कि क्या नक्सलियों ने जवान को रिहा करने कोई शर्त रखी थी या नहीं। छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ के बाद कुछ दिन पहले लापता हुए सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन के इस जवान राकेश्वर सिंह मनहास के परिजन भी सरकार से मानग कर रहे थे की उन्हें रिहा करवाने के लिए कोशिश की जाए।
नक्सलियों ने सुकमा और बीजापुर सीमा पर मुठभेड़ के दौरान लापता हुए इस जवान को लेकर दावा किया था कि वह उनके कब्जे में है। साथ ही नक्सलियों ने जवान की रिहाई के लिए सरकार से मध्यस्थ नियुक्त करने की मांग की थी। नक्सलियों ने अपना यह संदेश फोन करके इलाके के एक पत्रकार के जरिये सरकार को भेजा था।
नक्सलियों ने मांग की थी कि सरकार पहले मध्यस्थों के नाम की घोषणा करे इसके बाद बंदी जवान को दो दिन के भीतर सरकार को सौंप दिया जाएगा। अब उसे रिहा कर दिया गया है। बता दें मुठभेड़ में 24 जवान शहीद हो गए थे।

राष्ट्रीय स्तर पर भूमि सुपोषण एंव संरक्षण अभियान का आयोजन

कृषि और पर्यावरण क्षेत्र में कार्यरत संस्थाओं द्वारा ‘भूमि सुपोषण एंव संरक्षण’ हेतु राष्ट्र स्तरीय एक जन अभियान का प्रारंभ किया जा रहा है। इस अभियान का मूल उद्देश्य भारतीय कृषि पध्द्ति उपज और गैर-रासायनिक खेती का सफलतापूर्वक अभ्यास करना है। जो कि देशभर में चैत्र नवरात्रि यानि 13 अप्रैल 2021 की सुबह 10 बजे से शुरू किया जाएगा। और संपूर्ण देश के अलग-अलग राज्यों, जिलों, ग्रामों, एंव नगरों में विभिन्न चरणों में आयोजित किया जाएगा।

सभी जगहों पर विधिवत भूमि पूजन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के पावन अवसर पर किया जाएगा। इस अभियान की मुख्य संकल्पना यही है कि, भूमि का सुपोषण करना यह मात्र कृषकों का उत्तरदायित्व नहीं अन्यथा भूमि का सुपोषण एंव संरक्षण प्रत्येक भारतीयों का उत्तरदायित्व है।

बहुआयामी जन अभियान में समग्र भूमि सुपोषण अवधारणा को फिर से स्थापित करने के लिए कार्यवार्इ, जन जागरण जागरूकता सृजन, भारतीय कृषि चिंतन एंव भूमि सुपोषण को बढ़ावा देने संबंधित कार्यक्रम शामिल है।

साथ ही इस अभियान के प्रथम चरण की गतिविधियों में भूमि सुपोषण को प्रत्यक्ष साकार करने वाले कृषकों को सम्मानित करना, भूमि सुपोषण की विविध पध्दतियों के प्रयोग आयोजित करना, व जो कृषक इस दिशा में बढ़ना चाहे उन सभी को प्रोत्साहित करना, नगरों में विधिवत हाउसिंग कालोनी में जैविक-अजैविक अपशिष्ट को अलग रखना और कालोनी के जैविक अपशिष्ट से कंपोस्ट (जैविक खाद) बनाना इत्यादि शामिल है।

आधुनिक कृषि में भूमि का स्थान मात्र एक आर्थिक स्त्रोत है। परतुं हमने पिछले 200 वर्षों से भी अधिक समय तक भूमिपूजन की अनदेखी की और अपनी भूमि का अनंत आर्थिक संसाधन के रूप में दोहन भी किया है। व हम न्यूनतम पारस्परिकता के साथ अपनी भूमि से पोषक तत्व निकाल रहे है। जिसके चलते भूमि की जल धारण क्षमता कम हो रही है, जल स्तर अधिकांश स्थानों में लगातार घट रहा है, जैविक कार्बन की मात्रा का निरंतर घटना रहा है, जिससे भूमि लगातार कुपोषित हो रही है साथ-साथ मानव भी विभिन्न रोगों का शिकार हो रहा है।

वर्तमान में हमारे भौगोलिक क्षेत्र का 30% भाग गंभीर रूप से क्षरण से पीड़ित हो चुका है। और किसानों के अनुभव के अनुसार कृषि में इनपुट लागत लगातार बढ़ रही है, और उत्पादकता लगातार घट रही है। उत्पादन में कमी के परिणामस्वारूप जैविक कार्बन में कमी हो रही है। जो की बेहद हानिकारक है।

यह जन अभियान पिछले चार वर्षों में लागू किए गए एक व्यापक परामर्श प्रक्रिया का परिणाम है। जनवरी 2018 में किसानों और कृषि वैज्ञानिकों के साथ बैठके और भूमि सुपोषण पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन, क्षेत्रीय बैठकें बैठके कर परामर्श लिया गया। व इस अभियान में 33 संगठनों का एक संयुक्त प्रयास शमिल है।