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पंजाब में राजनीतिक हलचल; अकाली-बसपा गठबंधन बना, कांग्रेस के कदम का इन्तज़ार  

पंजाब में विधानसभा चुनाव को अभी करीब एक साल है लेकिन वहां राजनीतिक गतिविधियां अचानक तेज होती दिख रही हैं। कांग्रेस में चल रही लड़ाई को ख़त्म करने के लिए जहा सोनिया गांधी की बनाई कमेटी ने अपनी रिपोर्ट उन्हें सौंप दी है, भाजपा और अकाली दल भी सूबे में सक्रिय हो गए हैं। अकाली दल ने भाजपा से छिटकने के बाद अगले साल के चुनाव के लिए शनिवार को आनन-फानन मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से गठबंधन कर सीटों का बटबारा भी कर लिया। किसान आंदोलन से बदली पंजाब की राजनीति में अकाली दल और भाजपा के अलावा केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) लिए निश्चित ही बड़ी चुनौतियाँ विधानसभा चुनाव में रहेंगी।
पहले बात अकाली दल-बसपा के गठबंधन की करते हैं। पंजाब में कुल 117 सीटें हैं  को अकाली दल ने 20 सीटें दी हैं। सत्ता से बाहर आने के बाद अकाली दल में काफी बेचैनी रही है। पार्टी को चला रहे पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल को डर है कि अगले चुनाव में भी पार्टी की हार उन्हें बहुत महंगी पड़ सकती है, लिहाजा वे अभी से जीत सकने वाले तमाम उपाय आजमाना चाह रहे हैं।
भाजपा से उसका गठबंधन टूट चुका है लेकिन अगले चुनाव तक क्या स्थिति बनेगी, अभी कहना मुश्किल है। हो सकता है परिस्थितियां देख दोनों फिर साथ आ जाएँ। वैसे शनिवार को अकाली दल और बसपा का समझौता हुआ है, उसमें इतनी गुंजाइश है कि भविष्य में यदि भाजपा से अकाली दल के रिश्ते बेहतर हों तो भाजपा को 20-21 सीटें वह दे सकता है।
गठबंधन के बाद अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने भले कहा कि आज पंजाब की राजनीति में एक नया दिन है, उन्हें पता है कि किसान आंदोलन से उपजी राजनीति अभी भी उनके रास्ते का सबसे बड़ा रोड़ा है। अकाली दल ने पिछले साल जब मोदी सरकार से नए कृषि कानूनों को लेकर नाता तोड़ा था, तब तक काफी देर हो चुकी थी क्योंकि इससे पहले केबिनेट की जिस बैठक में इन कृषि बिलों को मंजूरी दी गयी थी, उसमें अकाली दल की मंत्री हरसिमरत कौर उपस्थित थीं। हरसिमरत सुखबीर बादल की पत्नी हैं।
इससे पहले 1996 में बसपा और एसएडी दोनों ने गठबंधन में लोकसभा चुनाव लड़ा था और 13 में से 11 सीटों पर जीते थे। हालांकि, अब हालत बदले हुए हैं। पंजाब की आबादी में करीब 33 फीसदी दलित हैं जिनपर बदल की नजर है। यह दलित ज्यादातर (73 फीसदी) ग्रामीण इलाकों में हैं। हालांकि, भाजपा और कांग्रेस भी इन पर नजर रखे हुए हैं।
मायावती ने बसपा महासचिव सतीश मिश्रा शुक्रवार को चंडीगढ़ भेजा था। और आज दोनों दलों में गठबंधन हो गया। अकाली-बसपा गठबंधन का सबसे ज्यादा नुकसान भाजपा को होगा, जिसे अकाली दल से बाहर आने के बाद अभी ज़मीन तैयार करनी है। आप के तीन विधायक हाल में कांग्रेस में चले गए थे, लिहाजा उसके लिए भी संकट कम नहीं है। हो सकता है भाजपा दूसरे दलों से तोड़फोड़ करे, जैसा कि उसने दूसरे प्रदशों में चुनावों से पहले किया है।
अब हो सकता है कांग्रेस कमेटी की सिफारिश के आधार पर किसी दलित को पंजाब में उपमुख्यमंत्री बना दे। नवजोत सिंह सिद्धू को लेकर कांग्रेस आलाकमान का फैसला आने वाला है। सिद्धू भी उपमुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। कांग्रेस किसी दलित को उपमुख्यमंत्री बना देती है तो निश्चित ही इससे अकाली दल परेशान होगा। उसका बसपा से मिलकर बनाया दलित कार्ड इससे फ्लॉप हो सकता है।
कांग्रेस का किसान आंदोलन के वक्त कुछ ऐसा रोल रहा है कि वे उससे सबसे कम नाराज दिखते हैं। यदि वह चुनाव से पहले दलित समुदाय को उपमुख्यमंत्री पद का तोहफा दे देती है तो जाहिर है यह उसका ट्रम्प कार्ड होगा। इससे अकाली दल अगले चुनाव में कांग्रेस पर दलितों की ‘अनदेखी’ का आरोप नहीं लगा पायेगा। अकाली दल ने कांग्रेस के फैसले से पहले ही बसपा से समझौता करके शायद राजनीतिक चूक की है। उसे इन्तजार करना चाहिए था ताकि उसके फैसले का ज्यादा इम्पैक्ट होता।
जहाँ तक कांग्रेस की बात है सोनिया गांधी की कमेटी की रिपोर्ट पर अमल का सबको इन्तजार है। हो सकता है कांग्रेस पंजाब में किसी गैर सिख दलित को उपमुख्यमंत्री बना दे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी बनाया जा सकता है। सिद्धू अगले चुनाव में प्रचार समिति का अध्यक्ष बनने को भी एक ऑप्शन के रूप में कमेटी के सामने रख चुके हैं। देखते हैं क्या फैसला आता है।

उत्तर प्रदेश में सियासी हलचल तेज,15 अगस्त के बाद चुनावी रंग में दिखेगा

भले ही उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में 7-8 महीने से कम समय बचा हो पर, सियासी हलचल दिन पर दिन तेज होती जा रही है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा से मिलने के बाद उत्तर प्रदेश के भाजपा विधायकों में उथल- फुथल मची हुई है।

विधायकों ने तहलका संवाददाता को बताया कि जब से पश्चिम बंगाल में भाजपा की करारी हार हुई है । तब से आलाकमान से लेकर प्रदेश भाजपा के नेता बड़ी ही सूझबूझ से सियासी चाल चल रहे है। एक विधायक ने बताया कि राजनीति में कब क्या हो जाये कुछ कहा नहीं जा सकता है। क्योंकि कुछ विधायकों के टिकट कटने की संभावना अधिक है। प्रदेश की राजनीति के जानकारों का कहना है कि आने वाले दिनों में भाजपा, सपा,बसपा और कांग्रेस के नेताओं का एक दूसरे दलों में आने-जाने का सियासी खेल खेला जायेगा। जिसके लिये अभी से जोड़ तोड़ का सियासी ताना बाना बनना और बनाना शुरू हो गया है।

भले ही अभी ये राजनीतिक चालें चर्चा में ना हो । लेकिन जैसे ही चुनावी विसात बिछनी शुरू होगी त्यों ही नये –नये चहरे एक दल से दूसरे दल में जाने में देर नहीं करेंगे। माना जा रहा है कि इस बार का चुनाव किसी भी दल के लिये एक तरफा का चुनाव नहीं है। ऐसे में सभी राजनीतिक दल अभी से जोड़-तोड़ की राजनीति में लगें हुये है। दिल्ली से लखनऊ तक नेतओं का आना –जाना अब हर रोज तेज हो रहा है। बताते चलें कोरोना के कहर की गति कम होते ही और 15 अगस्त के बाद उत्तर प्रदेश पूरी तरह से चुनावी रंग में दिखने लगेगा।

बंगाल में भाजपा की पहली बड़ी विकेट गिरी, मुकुल रॉय टीएमसी में शामिल हुए

भाजपा को शुक्रवार को बंगाल में तगड़ा झटका लगा है। उसके राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय अपने बेटे सुभ्रांशु रॉय सहित ममता बनर्जी की उपस्थिति में टीएमसी में  शामिल हो गए। विधानसभा चुनाव से पहले मुकुल रॉय को भाजपा में मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना जाता था लेकिन भाजपा टीएमसी से बुरी तरह हार गयी थी।
मुकुल नवम्बर 2017 में टीएमसी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। उन्हें जनाधार वाला नेता माना जाता है। मुकुल रॉय से प्रधानमंत्री मोदी ने फोन पर पिछले हफ्ते तब बात की थी जब उनकी पत्नि इलाज के लिए अस्पताल में थीं। मुकल ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से आज लंबी चर्चा  के बाद टीएमसी में शामिल हो गए।
उनके टीएमसी में शामिल होने के समय ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी भी थे जिन्होंने मुकुल रॉय को पार्टी का पटका पहनाया और गले लगाया। टीएमसी में शामिल होने के बाद मुकुल रॉय ने कहा – ‘घर में आकर अच्छा लग रहा है। बंगाल ममता बनर्जी का है और रहेगा। मैं भाजपा में नहीं रह पा रहा था।’
उधर ममता बनर्जी ने कहा – ‘मुझे खुशी है कि मुकुल घर लौटे हैं। भाजपा में गए कई और नेता वापस आना चाहते हैं। हमने कभी भी किसी की पार्टी नहीं तोड़ी। हमने एजेंसियों का इस्तेमाल नहीं किया और जो आना चाहते हैं वही पार्टी में आ रहे हैं।  सिर्फ इमानदार नेताओं के लिए टीएमसी में जगह है।’
ममता ने कहा कि जिन्होंने पार्टी की आलोचना की, भाजपा और पैसे के लिए चुनाव से पहले जिन्होंने पार्टी को धोखा दिया उनकी वापसी नहीं होगी। वे गद्दार हैं। कुछ समय से मुकुल रॉय ने भाजपा से दूरी बना ली थी। ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी दो जून को मुकुल रॉय की बीमार पत्नी को देखने के लिए अस्पताल पहुंचे थे।

डीजल –पेट्रोल के दामों में हो रही बढोत्तरी के विरोध में एनएसयूआई का प्रदर्शन

पेट्रोल और डीजल के दामों में हो रही लगातार बढ़ोत्तरी के विरोध में नेशनल स्टूडेंट यूनियन आँफ इंडिया (एनएसयूआई) के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने केन्द्र सरकार की जनविऱोधी नीतियों के विरोध में प्रदर्शन किया। प्रदर्शन का नेतृत्व एनएसयूआई दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष कुनाल सहरावत ने किया।  प्रदर्शनकारियों को सम्बोधित करते हुये कहा कि जब से मोदी सरकार आयी है । तब से देश में लगातार महंगाई लगातार बढ़ रही है।उन्होंने कहा कि अगर ऐसे ही डीजल –पेट्रोल के दाम लगातार बढ़ते रहेगे तो गरीबों को पेट्रोल-डीजल भरवाने के लिये लोन लेना पड़ेगा। आज देश के एक-एक नागरिक को तेल भरवाने के लिये तेल निकल रहा है। उन्होंने कहा कि अगर तेलों  के दामों में बढ़ोत्तरी वापस नहीं हुई तो आंदोलन तेज होगा। इस अवसर अमरीश कुमार ने कहा कि सरकार देश में हर मोर्चे पर असफल है।

गरीबों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। युवाओं को रोजगार नहीं मिल  रहा है। और केन्द्र की मोदी सरकार लोगों को गुमराह करने में लगी है। देश का किसान आज अपने अधिकारों और कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहा है।किसानों की मांगों को माना नहीं जा रहा है। जिससे किसानों को काफी परेशानी हो रही है।उनका कहना है कि मोजी सरकार सत्ता के नशे में इस कदर मस्त है कि उसे गरीबों और किसानों की परेशानी दिख नहीं रही है। एनएसयूआई अब सरकार की नीतियों के विरोध में व्यापक आंदोलन करेगी। जब तक दामों की बढ़ोत्तरी वापस नहीं हो जाती है।

यूपी में चुनाव से पहले उलटफेर के आसार के बीच दिल्ली पहुंचे योगी आदित्यनाथ

उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा में गहन मंथन जारी है और बड़े बदलाव के आसार नजर आ रहे हैं। कोरोना महामारी में नदियों पर उतरातीं लाशों से खफा भाजपा आलाकमान ने खुलकर तो कुछ जाहिर नहीं किया है, लेकिन अंदरखाने पड़ताल जारी रही है। पिछले दिनों यूपी में संघ और भाजपा की ओर से कई दिग्गज नेता दौरा कर वहां के दिग्गज नेताओं के साथ अन्य लोगों से भी लोगों की राय की टोह जानने की कोशिश कर चुके हैं। और अब इस बीच यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी दिल्ली स्थित उत्तर प्रदेश भवन पहुंच चुके हैं।

आज उनकी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात संभव है। वे दो दिन यहां रहेंगे और कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद बड़े बदलाव की संभावना है। हालांकि ज्यादा वक्त बचा नहीं है, ऐसे में कई मंत्री और उप मुख्यमंत्री बनाकर बहुत कुछ हासिल किए जाने की संभावना क्षीण ही नजर आ रही हैं। पिछले दिनों उत्तराखंड के सीएम का बदलना भी बहुत फायदे का सौदा साबित होता नजर नहीं आ रहा है।

सीएम योगी आदित्यनाथ दोपहर सवा दो बजे गाजियाबाद के हिंडन पर उतरे और फिर यहां से उनका काफिला दिल्ली रवाना हुआ। चर्चाएं हैं कि योगी की इन बैठकों में आगामी यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर चर्चा होगी और रणनीति तैयार की जाएगी। साथ ही यूपी में संगठन और मंत्रिमंडल विस्तार पर बातचीत संभव है।वहीं प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी ए के शर्मा के भविष्य को लेकर भी कुछ तय हो सकता है। फिलहाल उनको विधान परिषद का सदस्य बनाया जा चुका है और बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। इसकी अटकलें बहुत पहले से ही लगाई जा रही हैं।

एमएलसी बने ए के शर्मा को कैबिनेट में कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। पिछले दिनों राधामोहन की राज्यपाल से मुलाकात की चर्चा ने यूपी में मंत्रिमंडल फेरबदल की अटकलों को हवा दे दी थी। राधामोहन ने शनिवार रात पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह व महामंत्री संगठन सुनील बंसल के साथ बैठक की।

इससे पहले भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री बी एल संतोष तीन दिन के यूपी दौरे के बाद बीते बुधवार को दिल्ली लौट गए। इस दौरे में उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर संगठन और सरकार के कई प्रमुख लोगों से एक साथ तथा अलग-अलग वार्ता करके आलाकमान को रूबरू कराया था। बैठकों में कोरोना में ऑक्सीजन व बेड की कमी और इस कारण बड़ी संख्या में हुई मौतों को लेकर गैरों के साथ अपनों (भाजपा के लोगों) की मुखर हुई नाराजगी की नब्ज टटोली थी। अब दिल्ली में मिशन यूपी 2022 का ब्लू प्रिंट तैयार होगा। इसमें पूरा जोर कोरोना महामारी से हुए नुकसान की भरपाई पर रहेगा। इसके अलावा भाजपा के कान तब खड़े हो गए थे जब निकाय चुनाव के परिणाम उसके पक्ष में नहीं आए।

मुम्बई में बारिश के बाद मकान ढहने से 11 लोगों की मौत  

मुम्बई में जहाँ मानसून की पहली ही बारिश ने जलथल कर दी है, वहीं मलाड वेस्ट में बीती रात एक घर ढह जाने से 11 लोगों की जान चली गयी है और कई लोग घायल हुए हैं।
मलाड के मलवनी इलाके में एक मंजिला मकान साथ के मकान के ढांचे पर गिर गया। इस घटना में आठ बच्चों सहित 11 लोगों की मौत हो गई। हादसे में सात लोग घायल हुए हैं जिन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया है। मलवनी इलाके में अब्दुल हमीद रोड के न्यू क्लेक्टर कम्पाउंड में बुधवार देर रात यह हादसा हुआ।
खबर मिलते ही दमकल विभाग और अन्य एजेंसियों के कर्मी तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे और बचाव और तलाश अभियान शुरू किया। घायल हुए सात लोगों में एक की हालत गंभीर है। मलबे से निकाले गए घायलों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। हादसा तब हुआ जब मकान पास ही बने एक मंजिला ढांचे पर गिर गया। इससे पास बनी तीन मंजिला इमारत भी हिल गई।
उधर मुंबई में बुधवार को मानसून ने दस्तक दी थी, जिसके बाद से मुंबई में लगातार बारिश हो रही है। मानसून की पहली बारिश में ही मुंबई की हालत काफी खराब हो गई है। मौसम विभाग ने आज भी रेड अलर्ट जारी किया है और लोगों से अपील की है कि बिना जरूरत घर से बाहर न निकलें।
मुम्बई में भारी बारिश की वजह से समुद्र में हाई टाइड की चेतावनी भी जारी की गई है। रेलवे ट्रैक भी पानी से डूब गए हैं, जिसकी वजह से रेलवे ने भी अलर्ट जारी किया है। एहतियात के तौर पर कुछ स्टेशनों के बीच लोकल ट्रेन सेवाओं को भी निलंबित कर दिया गया है। इससे पहले बारिश की वजह से छत्रपति शिवाजी महाराज अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर विमान सेवाओं को भी रोक दिया गया था।

वायरल इन्फैक्शन का आयुर्वेदिक वायरोफ्लैम थैरेपी द्वारा कारगर उपचार : डाँ हरीश वर्मा

आयुर्वेदाचार्य डाँ हरीश वर्मा का कहना है कि सीजनल वायरल इंफैक्शन और कोरोनावायरस के लक्षण एक जैसे होते है।जैसे बुखार , गले में खराश, सर्दी , कमजोरी और बदन टूटना इत्यादि । लक्षण एक जैसे होने की वजह से डाँक्टर कोरोना का जांच को प्राथमिकता दे रहे है। जो लोगों के लिये मानसिक तनाव का कारण बन रही है। ऐसे में सावधानी और सतर्कता बहुत जरूरी है।

डाँ हरीश वर्मा ने आयुर्वेद के प्राचीन चिकित्सा ग्रन्थों के आधार पर आयुर्वेदिक वायरोफ्लैम थैरेपी ईजाद की है। जो सीजनल वायरल इंफैक्शन, कोरोनावायरस, डेंगू वायरस और हेपेटाइटिस वायरस सहित कई तरह के रोगियों के लिये काफी कारगर है।

डाँ वर्मा ने बताया कि इस थैरेपी के दौरान दो प्रकार की जड़ी बूटियों के समूह एक ही समय पर दिये जाते है। प्रथम समूह में अश्वगंधा तुलसी, गिलोय और कालमेघ आदि से रोगियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। तथा क्षति ग्रस्त कोशिकाओं को नई बनाती है। दूसरे समूह में हल्दी ,वसाका कंटकारी आदि दिये जाते है। जो कि अंदर की सूजन को कम करती है।डाँवर्मा ने कहा कि अब तक आयुर्वेदिक वायरोफ्लैम थैरेपी से सीजनल वायरल इंफैक्शन, कोरोनावायरस, डेंगू वायरस और हेपेटाइटिस वायरस के रोगियों को लाभ हुआ है।डाँ वर्मा का कहना है कि हमारे किसी भी मरीज को ना तो आँक्सीजन की कमी हुई  और ना ही किसी भी मरीज को आई सी यू में भर्ती होना पड़ा है।

डाँ वर्मा ने कहा कि वायरल इंफैक्शन के रोगियों के लिये आयुर्वेदिक वायरोफ्लैम थैरेपी ऐलोपेथिक दवाईयों के मुकाबलें में बहुत ही सस्ती है तथा उनका शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है।डाँ का कहना है कि आईसीएमआर जैसी संस्थाओं को अश्वगंधा, तुलसी, गिलोय,हल्दी,वसाका कंटकरी और कालमेघ आदि पर रिसर्च करके उन्हें पेटेन्ट कर लेना चाहिये। अन्यथा यह जड़ी बूटियां भी नीम और हल्दी की तरह विदेशियों के हाथ में चली जायेगी।

जितिन प्रसाद भाजपा में शामिल, यूपी में कांग्रेस को बड़ा झटका

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की बढ़ती सक्रियता के बीच पार्टी को बुधवार को तब झटका लगा जब उसके एक नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद भाजपा में शामिल हो गए। हाल के पंचायत चुनावों में मार खाने की बाद भाजपा आलाकमान यूपी को लेकर सक्रिय हुई है और उसने कांग्रेस के एक बड़े नेता का दलबदल करवा लिया है। जितिन ने भाजपा में शामिल होने के अपने फैसले को सोच समझकर किया फैसला बताया है।
हाल के महीनों में उत्तर कांग्रेस को प्रियंका गांधी ने लगातार सक्रिय किया है। लेकिन जितिन प्रसाद के भाजपा में चले जाने से उसे निश्चित ही झटका लगा है  ब्राह्मणों का एक नेता माना जाता है। पिछले साल भाजपा में दलबदल करने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जितिन के पार्टी में आने पर कहा – ‘छोटे भाई का स्वागत।’
जितिन दिल्ली भाजपा केंद्रीय कार्यालय में आज एक संक्षिप्त कार्यक्रम में भाजपा में शामिल हुए। इस मौके पार केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने प्रसाद को पार्टी की सदस्यता दिलाई और उनका स्वागत किया। गोयल ने कहा – ‘प्रसाद के पार्टी में शामिल होने से पार्टी को बल मिलेगा।’
भाजपा में शामिल होने से पहले जितिन प्रसाद गृह मंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा से मिले। प्रसाद ने पार्टी में आने के बाद कहा – ‘आज कोई वास्तव में संस्था के तौर पर काम करने वाला दल है तो वह भाजपा है। बाकी दल, व्यक्ति विशेष और क्षेत्रीयता तक सीमित रह गए हैं। पीएम मोदी नए भारत का जो निर्माण कर रहे हैं, उसमें मुझे भी छोटा सा योगदान करने का मौका मिलेगा। अगर आप किसी पार्टी में रहकर अपने लोगों के काम नहीं आ सकते हैं तो वहां रहने का क्या फायदा। मुझे उम्मीद है कि भाजपा समाजसेवा का माध्यम बना रहेगा।’
जितिन प्रसाद उन 23 नेताओं (जी-23) में एक हैं जिन्होंने कांग्रेस में सक्रिय नेतृत्व और संगठनात्मक चुनाव की मांग को लेकर पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी। याद रहे जितिन प्रसाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे जितेंद्र प्रसाद के पुत्र हैं जिन्हें पार्टी में कद्दावर नेता माना जाता था और वे संगठन चुनाव में सोनिया गांधी के  पद के लिए खड़े हुए थे।
जितिन 2009 में यूपीए सरकार में मनमोहन सिंह के नेतृत्व में इस्पात राज्यमंत्री बनाये गए थे। वे यूपीए सरकार में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, सड़क परिवहन और राजमार्ग और मानव, संसाधन विकास राज्यमंत्री भी रहे। प्रसाद को 2014 के लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था और 2019 में भी लोकसभा चुनाव में वे धौरहरा से हार गए थे।
यूपी में भाजपा की योगी सरकार को लेकर भाजपा के भीतर बड़ी चर्चा है। माना जा रहा है कि यूपी में ब्राह्मण भाजपा से बहुत नाराज हैं। अब भाजपा ने जितिन प्रसाद को पार्टी में लेकर बड़ा दांव खेला है क्योंकि उन्हें बड़ा नेता माना जाता है।

माॅक ड्रिल में 22 की मौत के बाद जागी योगी सरकार, अस्पताल सील

ताजनगरी आगरा में अप्रैल के आखिर में पांच मिनट की माॅक ड्रिल के दौरान ऑक्सीजन 22 लोगों की जान जाने के मामले ने तूल पकड़ा तो योगी सरकार को एक्शन लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। फिलहाल आगरा के पारस अस्पताल को प्रशासन ने सील कर दिया है। साथ ही इसके संचालक के खिलाफ केस भी दर्ज कर लिया है। सोशल मीडिया में वीडियो वायरल होने के बाद और राहुल व प्रियंका गांधी के मुद्दे को उठाने के बाद यूपी सरकार की आंखें खुलीं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को बैठक कर इस घटना पर संज्ञान लेते हुए पूरे मामले की जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई करने के आदेश दिए।आगरा में जब कोरोना पीक पर था और चारो तरफ ऑक्सीजन की किल्लत थी तो अस्पताल के मालिक डॉक्टर अरिंजय जैन ने 26 अप्रैल को 5 मिनट के लिए मॉक ड्रिल की थी। इस दौरान 22 मरीजों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। उस वक्त अस्पताल में 96 मरीज भर्ती थे। बताया गया कि यह मॉक ड्रिल उन मरीजों पर एक प्रयोग था, जिनकी हालत बेहद नाजुक थी।

वायरल वीडियो में चश्मदीद बता रहे है कि जो डॉक्टर ऑक्सीजन खत्म होने की बात कह रहे हैं वो भ्रामक है। उनके ऊपर महामारी एक्ट का मुकदमा दर्ज कर अस्पताल को सीज किया जा रहा है। अस्पताल में भर्ती मरीजों को दूसरी जगह शिफ्ट किया जाएगा। डीएम के दावों पर एक प्रत्यक्षदर्शी मुकेश ने बताया कि वो अपने एक मित्र के परिजनों के भर्ती होने के कारण पारस अस्पताल आए थे। उस दिन उन्होंने वो मंजर देखा था, जब रात में अचानक एक के बाद एक मौतें हो रही थीं। लगातार 15 से 16 लाशें मैंने खुद निकलते देखी हैं।

कांग्रेस बोली-भाजपा शासन में ऑक्सीजन और मानवता दोनों की भारी कमी

आगरा के अस्पताल का सोमवार को वीडियो वायरल होने के बाद इस पर सियासत होना लाजमी है। मंगलवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने योगी सरकार को निशाने पर लिया। राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, भाजपा शासन में ऑक्सीजन और मानवता दोनों की भारी कमी है। इस खतरनाक अपराध के जिम्मेदार सभी लोगों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए। दुख की इस घड़ी में मृतकों के परिवारजनों को मेरी संवेदनाएं।

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने उस वीडियो को पोस्ट किया है, जिसमें पारस अस्पताल के मालिक डॉक्टर अरिंजय जैन यह कह रहे हैं कि 5 मिनट के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद कर दी गई और 22 मरीजों की मौत हो गई। प्रियंका गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कुछ बड़ी बातों का जिक्र किया है। प्रियंका ने ट्वीट किया, पीएम कहते हैं कि मैंने ऑक्सीजन की कमी नहीं होने दी। सीएम कहते हैं कि ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं। कमी की अफवाह फैलाने वालों की संपत्ति जब्त होगी। मंत्री ने कहा, मरीजों को जरूरत भर ऑक्सीजन दें। ज्यादा ऑक्सीजन न दें। आगरा अस्पताल में ऑक्सीजन खत्म थी। 22 मरीजों की ऑक्सीजन बंद करके मॉक ड्रिल की। जिम्मेदार कौन?

फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों को व्यक्ति ने मार दिया थप्पड़, पकड़ा गया

एक बड़ी घटना में मंगलवार को फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों को एक व्यक्ति ने एक थप्पड़ मार दिया। राष्ट्रपति उस समय लोगों से मुलाकात कर रहे थे जब यह घटना हुई। इस मामले में पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक राष्ट्रपति मैक्रों को थप्पड़ मारने की यह घटना दक्षिणपूर्वी फ्रांस के ड्रोम क्षेत्र की है। उस समय राष्ट्रपति लोगों के साथ वॉकआउट सेशन में थे जब यह घटना हुई। अचानक एक व्यक्ति ने उन्हें थप्पड़ मार दिया। हरे रंग की टीशर्ट, धूप का चश्मा और मास्क पहने यह व्यक्ति चिल्लाकर ‘डाउन विद मैक्रोनिया’ कहता सुना जा रहा है और अचानक वह राष्ट्रपति मैक्रों को थप्पड़ मार देता है।
ऐसा होते ही राष्ट्रपति के सुरक्षा कर्मियों ने दो लोगों को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया। उनके साथ जुड़ी घटना के वीडियो में दिख रहा है कि घटना तब हुई जब राष्ट्रपति हाथ जोड़े एक किनारे पर कतार में खड़ी लोगों की भीड़ के पास पहुंचे। कुछ लोगों ने उनके साथ हाथ मिलाया लेकिन अचानक मास्क पहने एक व्यक्ति ने उन्हें थप्पड़ मार दिया। उनके सुरक्षा कर्मी तुरंत राष्ट्रपति को एक किनारे ले गए और उस व्यक्ति को पकड़ लिया।
कुछ ख़बरों के मुताबिक पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक फ्रांस के बीएफएम टीवी और आरएमसी रेडियो ने इस घटना की पुष्टि की है। घटना की एक वीडियो क्लिप ट्विटर पर वायरल हुई है।