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मंत्रिमंडल विस्तार : बंगाल की हार का गम छिपाने और अगले साल के चुनावों को जीतने की ललक

बंगाल में दो महीने पहले अप्रत्याशित हार और अगले साल पांच विधानसभा चुनावों की बड़ी चुनौती। मंत्रिमंडल का विस्तार संकेत करता है कि भाजपा ने पूरा फोकस चुनाव पर रखा है। कई बड़े मंत्रियों के इस्तीफे ले लिए गए हैं जिनमें से कुछ संगठन में ‘एडजस्ट’ किये जाने वाले हैं। भाजपा विधानसभा चुनाव वाले राज्यों पर तो फोकस कर ही रही है, उसने 2024 के लोकसभा चुनाव को भी नजर में रखा है। साथ ही उसकी नजर राजस्थान, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों पर भी है, जहाँ कांग्रेस खुद या गठबंधन में या टीएमसी सरकार में है। आज कुल 43 मंत्रियों की शपथ हुई। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। पीएम नरेंद्र मोदी और उप राष्ट्रपति वैंकैया नायडू भी अन्य के साथ उपस्थित थे। उत्तर प्रदेश का भी ख़ास ख्याल रखा गया है जहाँ अगले साल के विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए बहुत बड़ी चुनौती हैं।
जेडीयू को एक ही मंत्री पद मिलना भी दिलचस्प है। हो सकता है इससे नीतीश कुमार की जेडीयू में हलचल हो। यह भी दिलचस्प है कि कई मंत्री राज्यसभा से बनाये गए हैं।   युवा चेहरे लेकर युवाओं को लुभाने का प्रयास है, लेकिन इसके लिए सरकार को उन्हें रोजगार भी देना होगा। दलित/पिछड़े पर मोदी ने मेहरबानी बरती है, जो यह संकेत  करता है कि भाजपा को इस वर्ग की नाराजगी का डर है।
आज सरकार ने जिस बड़े पैमाने पर मंत्रियों की छुट्टी की है उससे यह संकेत गया है कि प्रधानमंत्री मान रहे हैं कि इन मंत्रियों का काम संतोषजनक नहीं रहा है। हाल में कोरोना की दूसरी लहर में जिस तरह लोग आक्सीजन की कमी से सड़कों पर ही मर गए उससे मोदी सरकार ही नहीं, खुद पीएम मोदी की छवि को ठेस लगी है। यह मंत्रिमंडल विस्तार, जातिगत गुणाभाग, इलाका प्रतिनिधित्व इस ठेस पर कितना मरहम लगा पायेगा, इसकी कुछ झलक अगले साल के विधानसभा चुनावों में ही मिल जाएगी।
आज बड़ा मंत्रिमंडल विस्तार हुआ। कुल 15 तो केबिनेट मंत्री ही हैं। शायद हाल के दशकों में ऐसा कम ही हुआ है। जाहिर है नए मंत्री बनने से सरकार पर खर्चा भी बढ़ेगा। बेहद खराब आर्थिक स्थिति के बीच विपक्ष इसे लेकर सरकार की निंदा कर रहा है। कांग्रेस ने कहा है कि भाजपा सरकारी और जनता के पैसे से अगले चुनावों का प्रबंधन कर रही है।
आज के मंत्रिमंडल विस्तार में मोदी ने अपने गृह राज्य गुजरात के अलावा कर्नाटक से भी काफी मंत्री लिए हैं। इससे उनकी चिंता लोकसभा के 2024 के चुनाव की दिखती है। बड़े राज्यों, जहाँ से ज्यादा लोकसभा सदस्य आते हैं, उन राज्यों पर ख़ास नजर रखी गयी है। पश्चिम बंगाल से चार मंत्री बनाना जताता है कि भले भाजपा विधानसभा में हार गयी हो, जिस तरह उसके लोग टीएमसी में जा रहे हैं, उसकी भरपाई मंत्री बनाकर पीएम मोदी ने की है। तमिलनाड से भी एक मंत्री बनाया है।

मंत्रियों की पूरी सूची
आज मंत्री पद की शपथ लेने (या प्रोमोट होने) वालों में (सभी केबिनेट) नारायण राणे (भाजपा, महाराष्ट्र, राज्य सभा), सर्वानंद सोनोवाल (भाजपा, असम), वीरेंद्र कुमार (मध्य प्रदेश, भाजपा, लोकसभा),  ज्योतिरादित्य सिंधिया (मध्य प्रदेश, भाजपा, राज्यसभा), आरसीपी सिंह (जेडीयू, बिहार, राज्यसभा), अश्विनी वैष्णव (ओडिशा, राज्यसभा, भाजपा), पशुपति पारस (एलजेपी (पीपी गुट) लोकसभा), किरण रिजुजू (भाजपा, लोकसभा, अरुणाचल प्रदेश), राज कुमार सिंह (बिहार, भाजपा, लोकसभा), हरदीप सिंह पुरी (पंजाब, राज्यसभा, भाजपा), मनसुख मंडाविया (गुजरात, राज्यसभा, भाजपा), भूपेंद्र यादव (राजस्थान, भाजपा, राज्यसभा), परषोतम रूपला (भाजपा, गुजरात, राज्यसभा), जी किशन रेड्डी (भाजपा, लोकसभा, आंध्र प्रदेश), अनुराग सिंह ठाकुर (भाजपा, हिमाचल प्रदेश, लोकसभा), पंकज चौधरी (लोकसभा, यूपी, भाजपा), अनुप्रिया सिंह पटेल (अपना दल, लोकसभा, यूपी), एसपीएएस बघेल ( प्रदेश, लोकसभा, भाजपा)।
राज्यमंत्री : राजीव चंद्रशेखर (राज्यसभा, कर्नाटक, भाजपा), शोभा करदांलजय (लोकसभा, कर्नाटक, भाजपा), बीएपीएस वर्मा (लोकसभा, भाजपा, उत्तर प्रदेश), डीवी जरदोष (लोकसभा, गुजरात, भाजपा), मीनाक्षी लेखी (लोकसभा, दिल्ली, भाजपा), अन्नपूर्णा देवी (झारखंड, लोकसभा, भाजपा), ए नारायणसामी (लोकसभा, भाजपा, कर्नाटक), कौशल किशोर (लोकसभा, उत्तर प्रदेश, भाजपा), अजय भट्ट (उत्तराखंड, लोकसभा, भाजपा), बीएल वर्मा (उत्तर प्रदेश, भाजपा), अजय कुमार भट्ट (लोकसभा, उत्तर प्रदेश, भाजपा), देवू सिंह चौहान (गुजरात, लोकसभा, भाजपा),  भगवंथ खुबा (लोकसभा, कर्नाटक, भाजपा), कपिल मोरेश्वर पाटिल (लोकसभा,  महाराष्ट्र, भाजपा), प्रतिमा भौमिक (लोकसभा, त्रिपुरा, भाजपा), सुभास सरकार (लोकसभा, पश्चिम बंगाल, भाजपा), भगवंत कृष्ण राव कराड (राज्य सभा, महाराष्ट्र, भाजपा), राजकुमार रंजन सिंह (लोकसभा, मणिपुर, भाजपा), भारती प्रवीण पवार (लोकसभा, महाराष्ट्र, भाजपा), बिशेश्वर टुडू (लोकसभा, भाजपा, ओडिशा), शांतनु ठाकुर (लोकसभा, पश्चिम बंगाल, भाजपा),  मुंजापारा महेन्द्रभाई (लोकसभा, गुजरात, भाजपा), जॉन बारला (लोकसभा, पश्चिम बंगाल, ,भाजपा) और एल मुरुगन (वकील, तमिलनाड) और नीतीश प्रामाणिक (लोकसभा, बंगाल, भाजपा)।

रविशंकर, जावड़ेकर, हर्षवर्धन सहित 12 मंत्रियों के इस्तीफे, 43 मंत्री बनने की संभावना

मंत्रिमंडल में विस्तार से कुछ घंटे पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंत्रियों के इस्तीफे की कतार लग गयी है। इनमें प्रमुख मंत्री क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, प्रकाश जावड़ेकर, देश में अपने कार्यकाल में नई शिक्षा नीति लाने वाले मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से लेकर स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन भी शामिल हैं जिनके कार्यकाल में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान देश में जो कुछ हुआ उससे भाजपा और पीएम नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को बड़ा झटका लगा। इस बीच लोक जनशक्ति पार्टी का चिराग गुट पशुपति पारस को लोकसभा में पार्टी नेता बनाने के फैसले के खिलाफ कोर्ट में पहुँच गया है। भाजपा अपने कुछ मंत्रियों को संगठन में ला सकती है।
बंगाल में चुनाव के बाद अब अगले साल होने वाले 6 राज्यों के चुनाव से पहले भाजपा मंत्रिमंडल में बदलाव और विस्तार के जरिये एक नए तेवर के साथ जनता के सामने आना चाहती है। विस्तार से पहले जिन मंत्रियों के अभी तक इस्तीफे हो चुके हैं उनमें रविशंकर प्रसाद, प्रकाश जावड़ेकर, हर्षवर्धन और निशंक के अलावा जलशक्ति मंत्रालय राज्यमंत्री रतनलाल कटारिया, केमिकल फर्टिलाइजर मंत्री सदानंद गौड़ा, प्रताप सारंगी, शिक्षा राज्य मंत्री संजय धोत्रे, बाबुल सुप्रियो, अश्विनी चौबे, संतोष गंगवार, राव साहेब दानवे पाटिल, प्रताप सारंगी, देबोश्री चौधरी शामिल हैं जबकि थावरचंद गहलोत को दो दिन पहले राज्यपाल बना दिया गया था।
स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन का इस्तीफा सबसे ज्यादा हैरान करने वाला है। उनसे इस्तीफा लेकर मोदी सरकार ने एक तरह से स्वीकार कर लिया है कि वह कोरोना की दूसरी लहार को सँभालने में नाकाम रही। उनके डेपुटी अश्विनी चौबे भी उनके साथ ही सरकार से बाहर हो गए हैं। इस बीच लोक जनशक्ति पार्टी का चिराग गुट पशुपति पारस को लोकसभा में पार्टी नेता बनाने के फैसले के खिलाफ कोर्ट में पहुँच गया है।
आज शाम मंत्रिमंडल का फेरबदल और विस्तार है जिसमें कुल 43 मंत्री बन रहे हैं। इनमें कुछ पुराने प्रोमोशन वाले और बाकी नए होंगे। यूपी से 7 मंत्री बनने वाले हैं जबकि अनुराग ठाकुर जैसे भाजपा के युवा चेहरे को राज्यमंत्री से प्रोमोशन मिलने जा रही है। नीतीश भी अपने चार मंत्री बनवाले में सफल होने वाले हैं।
आज मंत्री बनने वालों या प्रोमोट होने वालों में नारायण राणे, सर्वानंद सोनोवाल, वीरेंद्र कुमार, ज्योतिरादित्य सिंधिया, आरसीपी सिंह, अश्विनी वैष्णव, पशुपति पारस, किरण रिजुजू, राज कुमार सिंह, हरदीप सिंह पुरी, मनसुख मंडाविया, भूपेंद्र यादव, परषोतम रूपला, जी किशन रेडी, अनुराग सिंह ठाकुर, पंकज चौधरी, अनुप्रिया पटेल, एसपीएएस बघेल, राजीव चंद्रशेखर, शोभा करदांजले, बीएपीएस वर्मा, डीवी जंद्रोष, मीनाक्षी लेखी, अन्नपूर्णा देवी, ए नारायणसामी, कौशल किशोर, अजय भट्ट, बीएल वर्मा,  अजय कुमार, देवू सिंह चौहान, भगवंथ खुबा, कपिल एम पाटिल, प्रतिमा भौमिक, सुभास सरकार, भगवंत कृष्ण राव कराड़, राजकुमार रंजन सिंह, भारती प्रवीण पवार, बिशेश्वर टुडू, शांतनु ठाकुर,  मुंजापारा महेन्द्रभाई, जॉन बारला और एल मुरुगन।

मंत्रिमंडल विस्तार से पहले कई मंत्रियों के इस्तीफे, पारस को लेकर चिराग गुट कोर्ट पहुंचा  

मंत्रिमंडल में विस्तार से कुछ घंटे पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंत्रियों के इस्तीफे की कतार लग गयी है। इनमें प्रमुख मंत्री देश में अपने कार्यकाल में नई शिक्षा नीति लाने वाले मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से लेकर स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन भी शामिल हैं जिनके कार्यकाल में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान देश में जो कुछ हुआ उससे भाजपा और पीएम नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को बड़ा झटका लगा। इस बीच लोक जनशक्ति पार्टी का चिराग गुट पशुपति पारस को लोकसभा में पार्टी नेता बनाने के फैसले के खिलाफ कोर्ट में पहुँच गया है।
बंगाल में चुनाव के बाद अब अगले साल होने वाले 6 राज्यों के चुनाव से पहले भाजपा मंत्रिमंडल में बदलाव और विस्तार के जरिये एक नए तेवर के साथ जनता के सामने आना चाहती है। विस्तार से पहले जिन मंत्रियों के अभी तक इस्तीफे हो चुके हैं उनमें हर्षवर्धन और निशंक के अलावा जलशक्ति मंत्रालय राज्यमंत्री रतनलाल कटारिया, केमिकल फर्टिलाइजर मंत्री सदानंद गौड़ा, प्रताप सारंगी, शिक्षा राज्य मंत्री संजय धोत्रे, बाबुल सुप्रियो, अश्विनी चौबे, संतोष गंगवार, राव साहेब दानवे पाटिल, प्रताप सारंगी, देबोश्री चौधरी शामिल हैं जबकि थावरचंद गहलोत को दो दिन पहले राज्यपाल बना दिया गया था।
स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन का इस्तीफा सबसे ज्यादा हैरान करने वाला है। उनसे इस्तीफा लेकर मोदी सरकार ने एक तरह से स्वीकार कर लिया है कि वह कोरोना की दूसरी लहार को सँभालने में नाकाम रही। उनके डेपुटी अश्विनी चौबे भी उनके साथ ही सरकार से बाहर हो गए हैं। इस बीच लोक जनशक्ति पार्टी का चिराग गुट पशुपति पारस को लोकसभा में पार्टी नेता बनाने के फैसले के खिलाफ कोर्ट में पहुँच गया है।
आज शाम मंत्रिमंडल का फेरबदल और विस्तार है जिसमें कुल 43 मंत्री बन रहे हैं। इनमें कुछ पुराने प्रोमोशन वाले और बाकी नए होंगे। यूपी से 7 मंत्री बनने वाले हैं जबकि अनुराग ठाकुर जैसे भाजपा के युवा चेहरे को राज्यमंत्री से प्रोमोशन मिलने जा रही है। नीतीश भी अपने चार मंत्री बनवाले में सफल होने वाले हैं।
आज प्रधानमंत्री से मुलाकात करने वालों में ज्योतिरादित्य सिंधिया, सर्वानंद सोनोवाल, भूपेन्द्र यादव, आरसीपी सिंह, अजय भट्ट, पशुपति पारस, नारायण राणे, अनिल बलूनी, मीनाक्षी लेखी, शोभा करांडलजे, अनुप्रिया पटेल, हिना गावित, सुश्री प्रीतम मुंडे, कपिल पाटिल, शांतनु ठाकुर, बीएल वर्मा, अजय मिश्रा, सुनीता दुग्गल, भागवत कराड, भारती पवार, अनुराग ठाकुर, जी किशन रेड्डी और पुरुषोत्तम रुपाला आदि शामिल हैं।

चला गया हिंदी सिनेमा का ‘मुगल-ए-आजम’

दिलीप कुमार के निधन पर देश भर में दुःख की लहर

दर्जनों किरदारों को जीवंत करने वाले दिलीप साहब चले गए। फिल्म इंडस्ट्री में अपने अभिनय की गहरी लकीर बांधकर। आने वाले दशकों में कई कलाकार होंगे, लेकिन दिलीप कुमार इकलौते ही थे। उनके हर दुःख-सुख में छाया बनकर उनके साथ रहीं सायरा बानो दिलीप के जाने से अकेली रह गईं। दिलीप पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे लेकिन कई बार लगता था वे 100 पार कर लेंगे। लेकिन आज सुबह करीब 7.30 बजे उनके अंतिम सांस लेते ही देश भर में सन्नाटा सा छा गया।
दिग्गज दिलीप कुमार, जिनका असली नाम युसूफ खान था, 98 साल के थे। दिलीप नाम उन्हें देविका कुमारी ने दिया था। सांस लेने में दिक्कत के चलते उन्हें 29 जून को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। करीब 20 साल से स्वास्थ्य कारणों से ही दिलीप कुमार फिल्मों से दूर थे लेकिन सायरा बानो से हर जानकारी लेते रहते थे।
दिलीप कुमार के पारिवारिक मित्र फैजल फारुखी ने आज एक्टर के ट्विटर से उनके निधन की जानकारी दी। उन्होंने लिखा – ‘बहुत भारी दिल से ये कहना पड़ रहा है कि अब दिलीप साब हमारे बीच नहीं रहे’।
उनके निधन से इंडस्ट्री में शोक की लहर है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पीएम नरेंद्र मोदी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी से लेकर तमाम फ़िल्मी सितारों और अन्य लोगों ने उनके निधन पर शोक जताया है।
दिलीप का पूरा नाम मोहम्मद युसूफ खान और उनका जन्म 11 दिसंबर, 1922 को हुआ। उन्हें हिंदी सिनेमा में ‘मेथड एक्टिंग’ के जनक माने जाने वाले दिलीप -ट्रेजेडी किंग’ माने गए। हालांकि, ट्रेजगेड़ी फ़िल्में करतेकरते अवसाद से घिरने के बाद उन्होंने चिकित्सक की सलाह पर विविध रोल निभाए।
दिलीप कुमार की एक्टिंग की शुरुआत 1944 में फिल्म ज्वार भाटा से हुई। बॉम्बे टॉकी ने इसे प्रोड्यूस किया। करीब पांच दशक के एक्टिंग करियर में 65 से ज्यादा फिल्मों में उन्होंने काम किया। दिलीप कुमार की कुछ मशहूर फिल्मों में अंदाज (1949), आन (1952), दाग (1952), देवदास (1955), आजाद (1955),
मुग़ल-ए-आज़म (1960),  गंग जमना (1961), राम और श्याम (1967) ख़ास हैं। साल
1976 में दिलीप कुमार ने काम से पांच साल का ब्रेक लिया। उसके बाद 1981 में उन्होंने ‘क्रांति’ से वापसी की। इसके बाद शक्ति (1982), मशाल (1984), करमा (1986), सौदागर (1991) में दिलीप ने अपनी अदाकारी का झंडे गाड़े। उनकी आखिरी फिल्म किला थी जो 1998 में रिलीज हुई।
दिलीप कुमार लगातार कई फिल्‍में हिट दी हैं। उनकी फिल्‍म मुगल-ए-आजम ने उस वक्‍त की सबसे कमाई करने वाली फिल्‍म बनी। अगस्‍त 1960 में रिलीज हुई यह फिल्‍म उस वक्‍त की सबसे महंगी लागत में बनने वाली फिल्‍म थी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार फिल्‍म की उस वक्‍त की कमाई का 2011 के हिसाब से 1000 करोड़ की कमाई का अनुमान लगाया गया था। फिल्‍म को दो नेशनल, फिल्‍मफेयर समेत कई फिल्‍म अवॉर्ड मिले थे।
पाकिस्तान सरकार ने साल 1998 में दिलीप कुमार को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘निशान-ए-इम्तियाज’ से नवाजा जिससे जाहिर होता है कि उनकी अदाकारी के दीवाने पाकिस्तान में भी कम न थे। दिलीप कुमार पर साल 2014 में उदयात्रा नैयर ने एक किताब ‘दिलीप कुमार: द सब्सटांस एंड द शैडो’ लिखी थी।
दिलीप कुमार ने अपने अभिनय से कई अवार्ड्स अपने नाम किये। साल 1991 में ‘पद्मा भूषण’ अवार्ड से सम्मानित किया गया था। साल 1994 में ‘दादासाहेब फाल्के’ अवार्ड्स से सम्मानित किया गया था। साल 1998 में पाकिस्तान सरकार की तरफ से उन्हें ‘निशान-ए-इम्तिआज़’ अवार्ड से सम्मानित किया गया था। साल 2015 में ‘पद्मा विभूषण’ अवार्ड से सम्मानित किया गया था।

चिराग का मोदी को चैलेंज, चाचा को मंत्री बनाया तो कोर्ट जाऊंगा

लोक जनशक्ति पार्टी यानी लोजपा के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान ने चेतावनी भरे लहजे में कहा है कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके चाचा को केंद्र में मत्री बनाते हैं तो उनके खिलाफ वे कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। बिहार में आशीर्वाद यात्रा निकाल रहे चिराग पासवान ने पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि लोजपा कोटे से निष्कासित सांसद पशुपति पारस को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया, तो मैं कोर्ट जाऊंगा।
चिराग पासवान ने दावा किया कि पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष मैं हूं। उन्होंने कहा कि समर्थन भी मेरे पास है। मेरी अनुमति के बिना, पार्टी के कोटे से किसी भी सांसद को मंत्री बनाना गलत होगा। बता दें कि इससे पहले पार्टी दो फाड़ हो चुकी है और चिराग के चाचा पारस ने खुद को पार्टी का अध्यक्ष निर्वाचित घोषित करने के साथ ही संसदीय दल का नेता भी बना दिया है। इस बारे में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी इसे सहमति दे दी है, लेकिन अभी मामला चुनाव आयोग और अदालत तक पहुंचना तय माना जा रहा है।
चिराग पासवान ने कहा कि पार्टी में दावेदारी के विवाद के बीच अगर ऐसे सांसद को मंत्री बनाया जाता है, जिसे पार्टी निकाल चुकी है तो यह गलत होगा। मुझे नहीं लगता कि प्रधानमंत्री मोदी ऐसा करेंगे। अगर ऐसा हुआ तो मैं राजनीतिक और कानूनी लड़ाई लड़ने को तैयार हूं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर चाचा पशुपति पारस को मंत्री बनाना है, तो जदयू में शामिल करके बनाएं, लेकिन लोजपा के नाम पर नहीं।
चिराग ने दावा किया कि मोदी कैबिनेट में विस्तार के बाद सबसे पहली टूट जनता दल यूनाइटेड यानी जदयू में होगी। नीतीश कुमार की सरकार डेढ़-दो साल से ज्यादा नहीं चलेगी। उन्होंने कहा कि रामविलास के विचारों को कुचलते हुए जिन लोगों ने अलग गुट बनाया, उन्हें तुरंत निष्कासित किया गया है। उनकी प्राथमिक सदस्यता भी खत्म की गई है। चुनाव आयोग को भी इसकी जानकारी दी गई है।
चिराग ने का कि लोजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी में कुल 75 सदस्य हैं। इसमें 66 सदस्य हमारे साथ हैं। सभी का ऐफिडेविट भी हमारे पास है। इस बात पर मैं चुनाव आयोग और कोर्ट, दोनों ही जगहों पर चुनौती दे सकता हूं। क्योंकि, चाचा पशुपति कुमार पारस के पास कोई ठोस आधार नहीं है। उन्होंने पटना में चुपके से बैठक कर खुद को राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित कर तो दिया, लेकिन इस बारे में चुनाव आयोग में कोई क्लेम नहीं किया और न ही खुद को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बताया।

हत्या मामले में वांछित पूर्व सांसद धनंजय सिंह भगोड़ा घोषित

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में इसी साल छह जनवरी को ब्लाॅक प्रमुख अजीत सिंह की हत्या के आरोप में पूर्व सांसद धनंजय सिंह पर शिकंजा कसता जा रहा है। लखनऊ की एक अदालत ने मंगलवार को धनंजय सिंह को भगोड़ा घोषित कर दिया है। धनंजय पर अजीत सिंह की हत्या में साजिश रचने का आरोप है।
चर्चित अजीत सिंह की हत्या मामले में लखनऊ पुलिस शूटर समेत कई लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। गत तीन जुलाई को ही धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला सिंह जौनपुर से निर्दलीय जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित हुई हैं। वह भाजपा के सहयोगी दल की मदद से चुनाव जीती हैं। वहीं पुलिस धनंजय का कोई सुराग नहीं लगा पा रही है।

इस बीच, लखनऊ पुलिस ने धनंजय सिंह की तलाश तेज कर दी है। उसे दबोचने के लिए पुलिस धनंजय सिंह के जौनपुर स्थित आवास भी जा चुकी है, पर उसके हत्थे नहीं चढ़ा और न ही उसके बारे में खास जानकारी हासिल कर सकी है। इससे पहले धनंजय सिंह अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटा चुका है, पर उसे वहां भी राहत नहीं मिली।

अब जब धनंजय को भगोड़ा घोषित किया जा चुका है तो उसकी मुसीबत बढ़नी तय है। उसे आत्मसमर्पण करना ही होगा। इस बीच, पुलिस ने धनंजय की गिरफ्तारी के लिए 25 हजार रुपये का इनाम भी घोषित कर दिया है।
बता दें कि हत्याकांड के दौरान धनंजय के करीबी मोहर सिंह व राहगीर आकाश यादव भी घायल हुए थे। वारदात में एक हमलावर राजेश तोमर भी गंभीर रूप से जख्मी हुआ था।
लखनऊ पुलिस ने मामले मेें लिप्त शूटरों और बाकी आरोपियों के बयान के आधार पर जौनपुर के पूर्व सांसद व बाहुबली नेता धनंजय सिंह को हत्या की साजिश रचने का आरोपी बनाया है।  आरोप है कि धनंजय सिंह ने ही शूटरों के रहने का बंदोबस्त किया था।

मोदी मंत्रिमंडल का कल विस्तार, 6 बजे होगा शपथ ग्रहण समारोह

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में दोबारा सरकार बनाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र  मोदी बुधवार को अपने मंत्रिमंडल का पहला विस्तार और फेरबदल करेंगे। राष्ट्रपति भवन को इस बाबत सूचना भेज दी गयी है। इसके लिए कार्यक्रम कल शाम 6 बजे हो सकता है। कल के विस्तार में क्षेत्रीय, जातीय और दलीय समीकरणों का ख़ास ख्याल रखा जाएगा।
कल के विस्तार/फेरबदल में काफी युवा चेहरों को लिए जाने की संभावना है। हाल में पीएम मोदी ने अपने सभी 52 मंत्रियों के कामकाज का हिसाब किताब लिया था। पिछले शासनकाल में भी वे मंत्रियों के कामकाज का हिसाब मांगते रहे हैं। हाल के बंगाल विधानसभा चुनाव में बड़ी हार के बाद भाजपा काफी ज्यादा दबाव में है और अगले साल होने वाले पांच विधानसभा चुनाव से पहले अपनी हालत मजबूत करना चाहती है।
अभी तक की जानकारी के मुताबिक कल के विस्तार/फेरबदल में जातिगत समीकरणों का ख़ास ध्यान रखा जाएगा। चुनाव वाले राज्यों को भी ख़ास तरजीह दी जाएगी। करीब 7 मंत्री सरकार से बाहर करके संगठन में लिए जा सकते हैं। मंत्री थावर चंद गहलोत को तो आज ही राज्यपाल बनाकर कर्नाटक भेजने का फरमान जारी कर दिया गया है।
कल के विस्तार में 23 से 28 के बीच नए मंत्री बनाये जा सकते हैं। अभी तक की ख़बरों के मुताबिक जिन सांसदों के मंत्री बनने की चर्चा है उनमें सर्बानंद सोनोवाल, ज्योतिरादित्य सिंधिया, नारायण राणे, जाम्यांग नामग्याल, ललन सिंह, संतोष कुशवाह, कपिल पाटिल, पशुपति पारस, विनोद सोनकर, सकलदीप राजभर, अजय मिश्रा, शांतनु ठाकुर, सुशील मोदी, राजीव रंजन, अनुप्रिया पटेल, वरुण गांधी और प्रवीण निषाद, रामनाथ ठाकुर, चंदेश्वर प्रसाद आदि शामिल हैं।
केबिनेट विस्तार का एक कारण मोदी सरकार में इस वक्त कई मंत्रियों के पास एक से अधिक मंत्रालय होना भी है। पीयूष गोयल और हरदीप पुरी जैसे मंत्री एक से ज्यादा मंत्रालयों का काम देख रहे हैं। यदि 25 मंत्रियों को भी विस्तार में मंत्रिमंडल में जगह मिलती है तो इन मंत्रियों का बोझ काम हो जाएगा।

सोनिया गांधी का हर फैसला मंजूर होगा : अमरिंदर सिंह

पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से बैठक ख़त्म हो गयी है। बैठक के बाद अमरिंदर ने मीडिया के लोगों से कहा – ‘मैं पार्टी अध्यक्ष से सरकार के मुद्दों को लेकर बात करने आया था। संगठन को लेकर भी बात हुई है। हमारी पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी का जो भी फैसला होगा वह हमें मंजूर होगा’।
अमरिंदर सिंह ने मीडिया के लोगों से यह भी कहा कि प्रदेश कांग्रेस में कोई कलह नहीं है। उन्होंने कहा कि वे यहाँ सरकार के मुद्दों को लेकर से बात करने आये थे। इससे ऐसा संकेत मिलता है कि कांग्रेस में दलित उपमुख्यमंत्री बनाने की जो बात हो रही है उसपर भी चर्चा हुई है और साथ ही उन वादों पर भी जो कांग्रेस ने पिछले चुनाव में किये थे।
अमरिंदर के सोनिया गांधी से बैठक के बाद कोई विशेष राजनीतिक संकेत नहीं मिलता क्योंकि उन्होंने यह भी कहा कि सिद्धू को लेकर वे कुछ नहीं जानते। हालांकि, उनका यह ब्यान बहुत मायने रखता है जिसमें अमरिंदर ने कहा कि ‘सोनिया गांधी जो भी फैसला करेंगे उन्हें मंजूर है’। इसका यह मतलब साफ़ है कि कोई फैसला हुआ है जिसे लेकर जल्द ही कांग्रेस घोषणा कर सकती है।

बंगाल विधानसभा में विधान परिषद् गठन प्रस्ताव पास, हक़ में 196 वोट

पश्चिम बंगाल विधानसभा में मंगलवार को राज्य में ऊपरी सदन यानी विधान परिषद के गठन का प्रस्ताव बड़े बहुमत से पास हो गया है। सत्तारूढ़ टीएमसी ने विधानसभा में यह प्रस्ताव पेश किया और चर्चा के बाद प्रस्ताव के पक्ष में 196 सदस्यों ने वोट दिए जबकि खिलाफ सिर्फ 69 वोट ही पड़े।
बता दें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 169 के तहत राज्य में विधान परिषद का गठन किया जा सकता है। विधान परिषद के गठन के लिए विधेयक संसद में लाना होता है और पास होने के बाद इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति को भेजा जाता है।
टीएमसी प्रमुख लोगों को, जिनमें काफी टीएमसी के नेता भी हैं, को विधान परिषद् में भेजना चाहती हैं क्योंकि सभी को विधानसभा में टिकट नहीं दिया जा सका था या कुछ प्रमुख  में हार गए थे। खुद ममता बनर्जी भी अभी किसे सदन की सदस्य नहीं हैं।
याद रहे 18 मई को तीसरी बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के कुछ समय के बाद ही ममता बनर्जी ने विधान परिषद के गठन का प्रस्ताव कैविनेट से पास करवा लिया था।
ममता बनर्जी ने चुनाव के दौरान भी इसका वादा किया था। वैसे बंगाल में पहले मुख्यमंत्री बिधान चंद्र रॉय ने 1952 में विधान परिषद का गठन किया था लेकिन अगली सरकार ने 1969 में इसे ख़त्म कर दिया गया।
यदि गुना भाग देखा जाए तो बंगाल में विधान परिषद की 98 तक सीटें हो सकती हैं।   सदस्यों की आयु 30 वर्ष से काम नहीं होनी चाहिए। परिषद् सदस्य का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है। परिषद् में स्पीकर और डिप्टी स्पीकर की जगह सभापति (चेयरमैन) और उपाध्यक्ष होता है। इसके सदस्यों का चुनाव विधायक करते हैं जबकि अन्य नगर निकाय, जिला परिषद और अन्य स्थानीय निकायों की तरफ से चुने जाते हैं। इसके अलावा सरकार की सिफारिश पर राज्यपाल कुछ सदस्य मनोनीत (बंगाल में यह संख्या 12-13 हो सकती है) भी करते हैं।

अमरिंदर की पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से बैठक शुरू, आज मिल सकते हैं कुछ ठोस संकेत

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह की पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ 10 जनपथ पर बैठक शुरू हो गयी है। इस बैठक को काफी महत्वपूर्व माना जा रहा है क्योंकि आज सुबह ही राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी सोनिया गांधी से मिले हैं।
प्रियंका गांधी और राहुल गांधी के साथ नवजोत सिंह सिद्धू की पिछले हफ्ते मुलाकात  के बाद कैप्टेन की पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ यह बैठक बहुत अहम है। जानकारी के मुताबिक इस बैठक में दोनों (सिद्धू-अमरिंदर) के बीच तनातनी के मुद्दों के अलावा, जनता से किये वादे पूरे न होने, पंजाब में सरकार में दलित को उपमुख्यमंत्री बनाने और प्रचार समिति के अध्यक्ष पद के लिए चयन मुख्य मुद्दे होंगे।जनता को बिजली दरों में राहत की घोषणा भी आने वाले दिनों में सीएम कर सकते हैं।
माना जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान पंजाब में हिन्दुओं को उचित प्रतिनिधित्व देने के लिए उपमुख्यमंत्री और अगले विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार समिति के अध्यक्ष का पद उन्हें देना चाहती है, यदि सिद्दू को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद दिया जाता है तो। वैसे तो मुख्यमंत्री अमरिंदर प्रदेश में दोनों मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद सिख को देने के खिआफ़ हैं, लेकिन यदि कोई फार्मूला बनाकर कांग्रेस आलाकमान ने ऐसा फैसला किया होगा तो शायद अमरिंदर उसे मानने को तैयार हो  जाएँ।
यह तय है कि अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाना शायद मुश्किल होगा। चुनाव तक उनके ही सीएम रहने की संभावना है। लेकिन चूँकि उन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव के समय इसे अपना ‘आखिरी चुनाव’ बताया था, कांग्रेस अध्यक्ष उन्हें इसका ध्यान करवा सकती हैं। ऐसे में किसी और को चुनाव के समय आगे करने    की बात बैठक में हो सकती है जबकि अमरिंदर को कांग्रेस संगठन में ऊँचा ओहदा देने की बात हो सकती है।
फिलहाल आज की बैठक के बाद कुछ ठोस संकेत पंजाब कांग्रेस को लेकर मिल सकते हैं। यह भी ध्यान देने की बात है कि सिद्दू अभी भी अमरिंदर के खिलाफ तल्ख बने हुए हैं। पंजाब से मिल रही रिपोर्ट्स भी यही हैं कि कैप्टेन सरकार कई वाडे पूरे करने में नाकाम रही है, जिससे जनता में नाराजगी है।