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उ. प्र. विधानसभा के पहले चरण की 58 सीटों पर मतदान आज

उत्तर प्रदेश (उ.प्र) के विधानसभा के पहले चरण के 11 जिलों में चुनाव 10 फरवरी यानि आज होने वाले है। कुल 58 सीटों पर 623 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला मतपेटियों (ईवीएम) में बंद हो जायेगा। चुनाव प्रचार के दौरान सभी पार्टियों के नेताओं ने एक-दूसरे पर जमकर शब्दों के वाणों से प्रहार किया है।

इन 11 जिलों के जानकारों का कहना है कि सपा और भाजपा के बीच तो कड़ा मुकाबला है ही। साथ ही कहीं–कहीं बसपा का हाथी भी चिंघाड़ रहा है। यानि बसपा भी कई सीटों पर खेल बिगाड़ सकती है। भाजपा, कांग्रेस, सपा और बसपा के साथ 58 सीटों पर 623 जो निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में है। उनका भी राजनीतिक अपना अस्तित्व है।

लेकिन उनमें ज्यादात्तर प्रत्याशी वे है। जिनको पार्टियों से टिकट नहीं मिला है। वे भी अपने वजूद के दम पर ताल ठोक चुनाव मैदान में है। बताते चलें 58 सीटों में सपा-रालोद का गठबंधन का काफी असर देखने को मिल रहा है। गठबंधन में सबसे बड़ी बात तो ये सामने आयी है कि दोनों के वोटर एक ही है। इस लिहाज से दोनों के वोटों में सेंध लगाने में भाजपा को कड़ा संघर्ष का सामना करना पड़ सकता है।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति के जानकार हरीश मान का कहना है कि सपा और भाजपा के साथ कहीं–कही बसपा का माहौल दिखा है। लेकिन कांग्रेस का कोई असर जनता में न दिखने से इसका वोटर किस पार्टी की ओर अपना रूख करता है। ऐसे में चुनावी परिणाम चौकानें वाले साबित हो सकते है।

बता दें 2017 में भाजपा ने 58 सीटों में 53 सीटों पर जीत दर्ज कर इतिहास रचा था। तब सपा को कुल 2 सीटों पर, बसपा को 2 सीटों पर और रालोद को सिर्फ 1 ही सीट पर जीत हासिल कर पार्इ थी।

उत्तर प्रदेश की सियासत का मिजाज बदला-बदला सा

उत्तर प्रदेश के पहले चरण के मतदान को लेकर सुरक्षा व्यवस्था चाँक चौबंद है। 10 फरवरी को होने वाले पहले चरण के चुनाव को लेकर प्रत्याशियों ने अपनी जीत को पक्का करने के लिये जनता से अपील की है। कि एक बार उनको ही चुने।

बता दें चुनाव में भले ही बसपा, कांग्रेस अपनी जीत को लेकर हरसंभव प्रयास कर रही है। लेकिन असल में चुनाव भाजपा और सपा के बीच में है। सपा और भाजपा के बीच मुकाबला को देखते हुये नोएडा और गाजियाबाद के किसानों ने बताया कि भाजपा जब से सत्ता में आई है। तब से कुछ न कुछ गरीब जनता विरोधी काम हो रहे है।

किसानों का कहना है कि भाजपा ने 2016 में नोटबंदी करके गरीबों की कमर तोड़ी है। और अमीरों को फायदा पहुंचाया है। किसान मंगल सिंह का कहना है कि 2020 नवम्बर से 2021 नवम्बर तक किसानों का आंदोलन चला, कृषि कानून के विरोध में। केन्द्र सरकार ने जो किसानों को आश्वासन दिये थे। कि किसान अपना आंदोलन समाप्त कर दें। उनकी मांगों को मान लिया जायेगा। लेकिन आश्वासन जो दिये गये थे उनको पूरा नहीं किया गया है। जिससे किसानों में नाराजगी है।

वहीं भाजपा का कहना है कि कुछ लोग तो विरोध करते है और करते रहते है। लेकिन चुनाव में जीत भाजपा को ही मिलेगी और सरकार भाजपा ही मनाएंगी।सपा का कहना है कि इस बार साईकिल चल रही है। सपा का मानना है कि महगांई और बेरोजगारी से युवा नाराज है। इसलिये जनता सपा को ही मौका देगी।

मौजूदा सियासी दौर में तो एक बात जो निकल कर आयी है उससे तो ये साफ है कि जो भी चुनाव परिणाम हो, लेकिन प्रदेश की सियासत का मिजाज बदला–बदला सा है।

कांग्रेस के यूपी घोषणापत्र में 10 दिन में किसान कर्ज़ा माफी सहित कई वादे

उत्तर प्रदेश के चुनाव के लिए कांग्रेस ने बुधवार को लोगों से मिले सुझावों के आधार पर बनाया ‘उन्‍नति विधान’ के नाम से अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया। चूँकि पार्टी यूपी में प्रियंका गांधी के नेतृत्व में चुनाव लड़ रही है, उन्होंने ही यह घोषणा पत्र जारी किया। कांग्रेस ने अपनी सरकार बनने की सूरत में 10 दिन के अंदर किसानों का कर्ज माफ करने, 2500 रुपये में गेहूं-धान और 400 रुपये में गन्‍ना खरीद करने, एससी-एसटी की पूरी शिक्षा मुफ़्त करने, कोरोना वॉरियर्स को 50 लाख रुपये देने, ग्राम प्रधान, चौकीदार का वेतन बढ़ाने और 40 फीसदी महिलाओं को नौकरी में आरक्षण देने जैसे बड़े वादे किये हैं।

प्रियंका गांधी ने एक प्रेस कांफ्रेंस में यह घोषणाएं कीं जिसमें प्रदेश अध्यक्ष अजय लल्लू, वरिष्‍ठ कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद और अन्य बड़े नेता शामिल थे। प्रियंका गांधी ने घोषणा पत्र में कहा – ‘हमने इसमें महिलाओं और युवाओं सहित समाज के हर वर्ग का ख्याल रखा है।’ प्रदेश में कल पहले चरण  एक दिन पहले यह घोषणा पत्र आया है।

गांधी ने कहा – ‘प्रदेश में हमारी सरकार बनने पर 10 दिन के भीतर किसानों का कर्ज माफ किया जाएगा और 2500 रुपये में गेहूं-धान और 400 रुपये में गन्ना खरीदा जाएगा। बिजली बिल आधा किया जाएगा। जिन परिवारों को कोरोना की मार पड़ी है, उन्हें 2500 रुपये दिए जाएंगे।’

कांग्रेस महासचिव ने कहा – ‘हम 20 लाख सरकारी नौकरियां देंगे इनमें 40 फीसदी महिलाओं को नौकरी में आरक्षण दिया जाएगा। आवारा पशु से जिनकी फसल का नुकसान होगा उन्हें 3000 रुपये दिए जाएंगे।’

गांधी ने कहा – ‘श्रमिकों और कर्मचारियों के लिए आउटसोर्सिंग बंद करेंगे। आउट सोर्स्‍ड और संविदा कर्मियों को चरणबद्ध तरीके से नियमितीकरण करेंगे। इसी तरह संस्कृत और उर्दू शिक्षकों के खाली पद भरे जाएंगे।’

उत्तर प्रदेश के लिए कांग्रेस के घोषणा पत्र में 2 रुपये किलो में गोबर खरीदने का प्रावधान है। झुग्गी की वो जमीन, जिसमें कोई रह रहा है, उसकी नाम कर दी जाएगी।  ग्राम प्रधान का वेतन 6000 रुपये बढ़ाया जाएगा जबकि चौकीदारों का वेतन 5000 रुपये बढ़ाया जाएगा।’

प्रियंका गांधी – ‘ कोविड-19 (कोरोना) में जान गंवाने वाले कोरोना वॉरियर्स को 50 लाख रुपये दिए जाएंगे। सभी शिक्षा मित्रों को नियमित किया जाएगा। एससी और एसटी की पूरी शिक्षा मुफ़्त की जाएगी। कारीगर और बुनकरों के लिए विधान परिषद में एक सीट आरक्षित की जाएगी। दिव्यांगों की पेंशन प्रतिमाह 6000 की जाएगी। महिला पुलिसकर्मियों को उनके गृहनगर में पोस्टिंग दी जाएगी।’

कांग्रेस नेता ने इस मौके पर कहा – ‘दूसरी पार्टियों की तरह हमने अन्य पार्टियों के वादे  को लेकर अपने घोषणापत्र में नहीं डाले, हमने लोगों से मिले सुझावों को इसमें शामिल किया है। इस समय महंगाई और बेरोजगारी प्रमुख मुद्दा है।’

कर्नाटक में हिजाब विवाद पर आज हाईकोर्ट में फिर हो रही सुनवाई

हिजाब विवाद ने कर्नाटक में उथल पुथल मचा दी है। वहां सामाजिक ताना बाना तो छिन्न भिन्न हुआ ही है, इसपर राजनीति भी तेज हो गयी है। अब इस मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट में आज सुनवाई हो रही है। मामला इतना गरमा गयाहै कि कर्नाटक सरकार को तीन दिन के लिए स्कूल-कॉलेज बंद करने पड़े हैं। इस बीच प्रदेश के शिक्षा मंत्री इंद्र सिंह परमार ने कहा है कि भाजपा सरकार स्कूलों में ‘ड्रेस कोड’ लाएगी।

इस मसले पर कर्नाटक हाई कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई आज के लिए टाली थी। याद रहे कर्नाटक में हिजाब विवाद तब शुरू हुआ जब पिछले महीने राज्य के उडुपी के प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज ने हिजाब पहनने के चलते 7 लड़कियों को क्लास में जाने से ही रोक दिया। लड़कियों ने इसके खिलाफ कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। उनका तर्क है कि  हिजाब पहनने की इजाज़त न देना संविधान के अनुच्छेद 14 और 25 के तहत उनके मौलिक अधिकार का हनन है।

मुस्लिम छात्राएं स्कूल-कॉलेज में हिजाब पहनकर अपना विरोध दर्ज करवा रही हैं, जबकि दूसरी तरफ कुछ छात्र भगवा स्कार्फ़ पहनकर इस फैसले को सही ठहरा रहे हैं। विवाद बढ़ जाने से राजनीतिक संकट में फंसे मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने तीन दिन के लिए सभी स्कूल-कॉलेज बंद करने का आदेश दिया है।

उधर मंगलवार को उच्च न्यायालय ने सुनवाई के दौरान कहा कि वह संविधान का पालन करेगा। कोर्ट ने छात्रों को कॉलेजों में हिजाब पहनने की अनुमति देने के मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि वह जुनून या भावनाओं से प्रभावित नहीं होगा। कोर्ट ने शांति बनाए रखने के लिए बड़े पैमाने पर छात्रों और जनता से अनुरोध करने का एक छोटा आदेश भी जारी किया था।

न्यायमूर्ति कृष्ण दीक्षित ने कहा, ‘संविधान मेरे लिए भगवद गीता है। मैंने संविधान का पालन करने की शपथ ली है। आइए भावनाओं को अलग रखें। भारत का संविधान एक व्यक्ति को कुछ प्रतिबंधों के अधीन अपने धर्म को मौलिक अधिकार के रूप में पालन करने की स्वतंत्रता की गारंटी देता है। अतीत में अदालतों ने माना है कि हिजाब पहनने का अधिकार संविधान की तरफ से मिली तरफ से मिली सुरक्षा की गारंटी के तहत आता है।’

एम–बाई फैक्टर किसके लिये है उपयोगी

राजनीति में प्रयोग और संयोग का ऐसा संगम होता है कि जो अक्सर सामने आ ही जाता है। जैसा कि आजकल उत्तर प्रदेश के विधानसभा के चुनाव में देखने को मिल रहा है। उत्तर प्रदेश की सियासत में समाजवादी पार्टी (एमबाई) पर ये जुमला खूब चलता है कि समाजवादी पार्टी मुस्लिम–यादव (एम-बाई) फैक्टर की राजनीति करती है।

अब यही जुमला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) चल रहा है कि भाजपा भी एम बाई फैक्टर पर चल रही है। यानि मोदी और योगी। यहां के लोगों का कहना है कि प्रदेश में असली मुकाबला तो सपा और भाजपा के बीच है। दोनों दलों के बीच एम बाई फैक्टर का जादू चल रहा है। लेकिन ये तो चुनाव परिणाम ही बताएंगे कि कौन सी पार्टी का एम-बाई फैक्टर का जादू चला है।

उत्तर प्रदेश की सियासत के जानकार संजय गौतम का कहना है कि राजनीति में तरह–तरह के प्रयोग होते रहते है। लेकिन संयोग भी कभी कभार बनकर सामने आ जाते है। जैसा कि सपा और भाजपा के बीच एम-बाई का फैक्टर सामने आ गया है। क्योंकि भाजपा मोदी और योगी के नाम पर चुनाव लड़ रही है। यानि कि किसके लिये एम-बाई फैक्टर होता है उपयोगी।

बताते चलें, उत्तर प्रदेश की सियासत में जाति–धर्म की चुनावी जंग पुरानी है। लेकिन संयोग इस बार बना कि भाजपा और सपा के बीच एम-बाई फैक्टर एक साथ सामने आया है।कांग्रेस और बसपा को लेकर भी जुमले है। लेकिन संयोग इस बार भाजपा और सपा के बीच ही बना है। जिसको लेकर लोगों में बड़ी दिलचस्पी देखने को मिल रही है।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में किसे चुनेगा किसान !

वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश न केवल सुर्खियों में है बल्कि यहां की बाजी जीतने के लिए सभी दलों ने ऐड़ी चोटी का ज़ोर लगा रखा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश को चार्टलैंड व गन्ना बेल्ट भी कहा जाता है। इस इलाके में ‘जय जवान, जय किसान’ नारा सटीक बैठता है। यहां के जाट खेती तो करते ही है साथ ही सीमा पर जाकर देश की रक्षा भी करते है।

इस बार पश्चिमी उत्तर प्रदेश इसलिए भी खास है क्योंकि किसान आंदोलन के नेता राकेश टिकैत इसी इलाके (सिसौली) से है। और लगभग एक साल चला किसान आंदोलन का असर सियासी समीकरणों पर भी पड़ता नज़र आ रहा है।

किसान आंदोलन समर्थकों का मानना है कि भाजपा को किसान आंदोलन का नुकसान ज़रूर होगा। क्योंकि जाट भाजपा से नाराज़ है। जबकि भाजपा का दांवा है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इसे पहले से भी ज्यादा सीटें मिलेंगी।

भाजपा के कद्दावर नेता व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कैराना में घर-घर जाकर भाजपा उम्मीदवार मृगांका सिंह के लिए चुनाव प्रचार कर पर्चे भी बांटे। अमित शाह ने वहां हिंदुओं के पलायन, 2013 के मुजफ्फरनगर के दंगों को बड़ा मुद्दा बनाया।

तहलका संवाददाता ने जब कैराना से भाजपा उम्मीदवार मृगांका सिंह से बात की तो उन्होंने बताया, “मैं पिछले दो दिनों में ना केवल हिंदू परिवारों से मिली बल्कि सभी जातियों के घर गई और मुझे सभी से एक समान इज्जत व आदर मिला। यहां भाजपा से कोई भी नाराज नहीं है। बल्कि इस बार कैराना में भाजपा की ही जीत होगी।”

तहलका संवाददाता ने भाजपा सरकार में कैबिनेट गन्ना मंत्री व थानाभवन विधायक (उत्तर प्रदेश) सुरेश राणा से बातचीत की और लम्बे समय से लंबित गन्ने की पेमेंट व गन्ने की रिकवरी से नाराज किसान की परेशानी पर उसे जानने की कोशिश की तो उन्होंने बताया कि, “मैं आपकी बात से सहमत हूं। जो भी आपने कहा है हमें इस बात से बिल्कुल भी आपत्ति नहीं है और वो इसलिए क्योंकि लगातार 120 चीनी मिल उत्तर प्रदेश में है 94 मिले ऐसी है जिसका भुगतान 14 दिनों के अंतर्गत किया जा रहा है, 12 मिले ऐसी है जिनका करंट का भुगतान 75 प्रतिशत तक किया जा चुका है।

बाकी बची 10 मिले और यह वह मिले है जो कि बजाज ग्रुप की थी जो कि बहुत ही कठिनाई और भुगतान में रही है। यह मिले 2004 में लगी थी तबसे लगातार यह मिले कठिनाई में ही रही है। जिसका सबसे बड़ा कारण चीनी के पैसे को अन्य उद्योग में परिवर्तित (डाइवर्ट) करना था। भाजपा सरकार ने यह डाईवर्जन रोक दिया। इसके साथ ही सरकार के पास भुगतान करने के केवल दो तरीके थे जिसमें पहला तरीका मिल की आरसी करने का और दूसरा तरीका मिल की एफआईआर करने का। और यदि हम आरसी करते है तो उसका कितना बकाया है उसका 10 प्रतिशत टैक्स सरकार को चला जाएगा।

उन्होंने आगे कहा, तो मैं योगी जी का धन्यवाद करूंगा की वह पहले ऐसे मुख्यमंत्री है प्रदेश के जिन्होंने चौधरी चरण सिंह जी से प्रेरित हो कर यह कानून बनाया कि यदि कोई शुगर मिल भुगतान नहीं करती तो सभी सिस्टर कंसर्न कंपनियों को जब्त करके हम गन्ना किसानों का भुगतान सुनिश्चित करेंगे। और कानून के उसी क्रम में जद में सबसे पहले बजाज ग्रुप आया और ढाई महीने पहले कानून बना और हमने 1 हजार करोड़ रूपया बजाज एनर्जी से लेकर किसानों का भुगतान करना सुनिश्चित किया और आज यहां एक भी रुपया बकाया नहीं है।”

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कांटे की टक्कर मुख्य रूप से भाजपा और सपा इन दो पार्टियों के बीच मानी जा रही है। वहीं दूसरी तरफ बहुजन समाज पार्टी (बसपा) व कांग्रेस भी चुनाव में जीत हासिल करने के लिए जद्दोजहद में लगी हुई है। किंतु उत्तर प्रदेश चुनाव में इस बार समाजवादी पार्टी (सपा) और राष्ट्रीय लोकदल का गठबंधन भी ग्राउंड जीरो पर बेहद पसंद किया जा रहा है।

बड़ौत के किसानों से बातचीत तो उन्होंने बताया की गन्ने की रिकवरी व सही समय पर गन्ने की पेमेंट पिछले एक साल से ना होने से हमें बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही युवाओं के लिए रोजगार की भी कोई व्यवस्था नहीं है।

तहलका संवाददाता ने कैराना जिले में स्थित ‘कैरियर वील्स’ नाम की कंपनी के मालिक से बातचीत तो उन्होंने बताया कि, “पहले यहां डकैती, लूटमार और फिरौती का बेहद खौफ था। और शाम को कंपनी में काम करते हुए यदि कोई वर्कर लेट हो जाता था तो वह घर न जाकर कंपनी में ही सो जाता था। साथ ही उनकी कंपनी में पहले एक भी महिला नहीं हुआ करती थी लेकिन जब से योगी आदित्यनाथ जी प्रदेश के मुख्यमंत्री बने है तब से हमारी कम्पनी में आज 25 से 30 के करीब महीलांए है। जो कि ऐसे जगह पर बेहद बड़ी बात है। और आज हमारे वर्कर यदि शाम को काम करते हुए देर-सवेर हो भी जाए तो निश्चिंत होकर अपने घर जाते है।“

इस समय पश्चिमी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव किसान आंदोलन व गन्ने पर सिमट गया है। इस बार का चुनाव इसलिए भी खास है क्योंकि किसान नाराज़ है। लेकिन सभी पार्टियां हर बार की तरह इस बार भी चुनाव प्रचार में नए-नए तमाम वादे कर रही है। जहां साफ तौर पर भाजपा और सपा-रालोद गठबंधन इन दो पार्टियों के बीच आर पार की लड़ाई दिख रही है। लेकिन उत्तर प्रदेश का किसान इन दोनों में किसे चुनेगा।

सुरेश राणा: ‘योगी आदित्यनाथ जी ने चौधरी चरण सिंह जी से प्रेरित होकर किसानों के लिए किया काम’

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश का अपना अलग महत्व है। यह गन्ना बेल्ट व चार्टलैंड के नाम से भी जाना जाता है। यहां के किसान खेती के साथ-साथ सेना में जाकर देश की सेवा में भी योगदान देते है।

वर्ष 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करने के लिए सभी राजनीतिक दल भरपूर मेहनत करते नजर भी आ रहे है। लेकिन हाल ही में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के बॉर्डर पर किसानों ने लगभग एक साल तक विरोध प्रदर्शन किया साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान गन्ने की रिकवरी व पैसा न मिलने से सरकार से बेहद नाराज भी है।

चुनाव प्रचार के दौरान तहलका की टीम ने उत्तर प्रदेश ग्राउंड जीरो से किसानों की समस्याओं का पता लगाने के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश का दौरा कर किसानों की समस्या जानने की कोशिश की।

इसी बीच उत्तर प्रदेश के गन्ना विकास मंत्री सुरेश राणा जी से तहलका संवाददाता कंचन ने किसान, गन्ना, चुनावों में ज़ुबानी मर्यादा व मुसलमान इन सभी मुद्दों पर की खास बातचीत:-

  1. आप यहां से दो बार पहले भी चुनाव जीत चुके है लेकिन इस बार भाजपा और अपनी क्या स्थिति देख रहे है आप ?

उ. भाजपा की बहुत शानदार स्थिति है और मैं माननीय प्रधानमंत्री जी का भी धन्यवाद करना चाहता हूं कि जो ऐतिहासिक काम उन्होंने पिछले सात वर्षों में यहां किया है फिर चाहे वह 18 हज़ार गांव में बिजली पहुंचाना, एमएसपी को डेढ़ गुना करना, यूरिया के बंद कारखानों को फिर से चलाने का विषय हो योगी जी ने अभूतपूर्व काम उत्तर प्रदेश में किए है। 36 हज़ार करोड़ की ऋण मोचन योजना दी, सड़के, बिजली, साथ ही उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था हिंदुस्तान के प्रत्येक राज्य के लिए रोल मॉडल बनी है।

सबसे खास बात तो यह है कि जिस प्रकार पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आतंक, रंगदारी, भय, गुंडा-गर्दी का माहौल था उस आतंक से मुक्ति दिला करके सही आनंददायी जीवन योगी आदित्यनाथ जी ने दिया है।

 

  1. हमें लोगों से बात करके यह पता चला कि उनकी शिकायत यह है कि गन्ने की रिकवरी और पैसा उन्हें नहीं मिलता। हम आपसे यह जानना चाहते है कि आप गन्ना मंत्री है तो फिर यह समस्या पिछले पांच सालों से क्यों बरकरार है और लोग ऐसी शिकायत क्यों कर रहे है ?

उ.  जो भी आपने कहा है हमें इस बात से बिल्कुल भी आपत्ति नहीं है और वो इसलिए क्योंकि लगातार 120 चीनी मिल उत्तर प्रदेश में है 94 मिले ऐसी है जिसका भुगतान 14 दिनों के अंतर्गत किया जा रहा है, 12 मिले ऐसी है जिनका करंट का भुगतान 75 प्रतिशत तक किया जा चुका है।

बाकी बची 10 मिले और यह वह मिले है जो कि बजाज ग्रुप की थी जो कि बहुत ही कठिनाई और भुगतान में रही है। यह मिले 2004 में लगी थी तबसे लगातार यह मिले कठिनाई में ही रही है। जिसका सबसे बड़ा कारण चीनी के पैसे को अन्य उद्योग में परिवर्तित (डाइवर्ट) करना था। भाजपा सरकार ने यह डाईवर्जन रोक दिया। इसके साथ ही सरकार के पास भुगतान करने के केवल दो तरीके थे जिसमें पहला तरीका मिल की आरसी करने का और दूसरा तरीका मिल की एफआईआर करने का। और यदि हम आरसी करते है तो उसका कितना बकाया है उसका 10 प्रतिशत टैक्स सरकार को चला जाएगा।

तो मैं योगी जी का धन्यवाद करूंगा की वह पहले ऐसे मुख्यमंत्री है प्रदेश के जिन्होंने चौधरी चरण सिंह जी से प्रेरित हो कर यह कानून बनाया कि यदि कोई शुगर मिल भुगतान नहीं करती तो सभी सिस्टर कंसर्न कंपनियों को जब्त करके हम गन्ना किसानों का भुगतान सुनिश्चित करेंगे। और कानून के उसी क्रम में जद में सबसे पहले बजाज ग्रुप आया और ढाई महीने पहले कानून बना और हमने 1 हजार करोड़ रूपया बजाज एनर्जी से लेकर किसानों का भुगतान करना सुनिश्चित किया और आज यहां एक भी रुपया बकाया नहीं है।

 

3. आपने अभी चौधरी चरण सिंह जी की बात कहीं और दिल्ली की मीडिया के साथ मुझे भी ऐसा लगता है कि भाजपा आज तक चौधरी चरण सिंह जी के कद का कोई भी जाट नेता नहीं खड़ा कर पाई, ऐसा क्यूं। आप इस पर क्या कहेंगे ?

उ. सबसे पहली बात चौधरी चरण सिंह जी जाट नेता नहीं थे। वे किसानों के नेता थे और आज के समय में दुर्भाग्यपूर्ण बात सही है कि लोगों में किसानों के नेता बनने की बजाय जातियों के नेता बनने की होड़ ज्यादा मची है।

चौधरी साहब के समर्थक आजमगढ़ पूजा यादव बहुल बैल्ट है और आजमगढ़ के लोग चौधरी साहब के लिए छपरौली बोलते है तो वहां यादव, कुर्मी, ठाकुर, गुज़र चौधरी वीरेंद्र सिंह जी खड़े है जितना भाजपा में बड़ा नाम है और लम्बे समय से लोकदल के ही एमएलए रहे है यहां तक की इनका पूरा परिवार लोकदल से जुड़ा रहा तो एक ज़माना ऐसा होता था कि 36 बिरादरियां लोकदल से जुड़ी हुई थी चौधरी चरण सिंह जी के कारण। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया तो चीज़े परिवर्तित होती गर्इ।

लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि अबकी बार हमारे जयंत भाई को ऐसा क्या हुआ की उनके गठबंधन को लोकदल का एक भी कार्यकर्ता पसंद नहीं कर रहा। वो गठबंधन है गुंडों के साथ वे उन लोगों के साथ है जिन्होंने मुजफ्फरनगर में दंगा कराया साथ ही 12 हजार से अधिक किसानों के खिलाफ झूठी एफआईआर दर्ज करायी, चौधरी अजीत सिंह को मुख्यमंत्री बनने से रोका, साथ ही पश्चिम की कानून व्यवस्था को भी तबाह कर दिया तमाम गांव जला दिये पलायन तक करा दिया। ऐसे लोगों के साथ जयंत चौधरी ने गठबंधन क्यों किया यह बहुत बड़ा प्रश्नचिन्ह है।

 

  1. भाषा की मर्यादा को लेकर काफी आलोचना है पहले योगी जी ने कहा मैं गर्मी उतार दूंगा फिर जयंत चौधरी जी ने कहा की मैं चर्बी उतार दूंगा तो चुनाव में इस तरह की भाषा को और मर्यादा लांघना राजनीति में इस पर आप क्या कहेंगे ?

उ. योगी जी ने कभी मर्यादा लांघने वाला बयान नहीं दिया है और यदि योगी जी ने गर्मी उतार दूंगा कहा है तो उसके अर्थ को पहले समझना पडेगा। इस वाक्य का स्पष्ट अर्थ यह है कि हमेशा योगी जी ने सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास इस पर अपने कदम आगे बढ़ाया है और हमेशा सदन में बोला है कि हम सभी धर्मों का बराबर सम्मान करते है हमारे यहां कावड़ यात्रा और मुहर्रम का महत्व एक समान  है लेकिन हम किसी का तुष्टिकरण नहीं करते और फिर पश्चिमी उत्तर प्रदेश से जब यह बयान आने लगे कि एक समाजवादी पार्टी का नेता बोलता है मैं हिंदुवादियों का र्इलाज कर दूंगा तो उन्हीं का दूसरा नेता बोलता है हम भूसा भर देंगे। तो जब भुस्स भरने वाले आए तो यह सच है कि भुस भरने वालों की गर्मी ठंडी करने का काम यदि प्रदेश में कोई है तो वह योगी आदित्यनाथ है।

 

  1. इस चुनाव के दौरान पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यह भी बात हो रही है कि जिसके जाट, उसकी ठाठतो इस पर आप क्या समझते है कि किसानों के साथ भाजपा की कहीं कॉन्फिडेंस बिल्डिंग रही या उनके भाजपा समझ नहीं पाई या क्या कारण है भाजपा की क्या दूरी बनी किसानों के साथ?

. सबसे पहली बार मीडिया में पूरी तरह से परशेप्शन गलत है क्योंकि किसान जाट, गुजर, या ठाकुर नहीं है किसान अपने आप में एक जाती है और किसान में छत्तीस बिरादरियां है। तो मैं समझता हूं की केवल जातिगत आधार पर टिप्पणी करना उचित नहीं है क्योंकि हमेशा चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत हो या चौधरी चरण सिंह जी हो उन्होंने किसान की लड़ार्इ लड़ते हुए किसान को जाति बताया है। तो ये पूरी बेल्ट किसान जाति की बेल्ट है।

किसान जाति के लिए आदरणीय मोदी जी व योगी जी ने ऐतिहासिक काम किए है और यदि मैं दो तीन काम बताऊं तो चौधरी साहब की कर्मस्थली बागपत है। और बागपत में रमाणा शुगर मिल आरएलडी गठबंधन में सपा का रहा और सपा की सरकार आई साथ ही कई बार चौधरी चरण सिंह जी वहां से सांसद रहे और भी कर्इ मौके मिले लेकिन 35 वर्ष से रमाला का किसान मांग करता रहा कि हमें शुगर मिल दे दो लेकिन कोई नहीं दे पाया। चूंकि उनके दिल में किसान के लिए कोई जगह ही नहीं है। योगी आदित्यनाथ जी ने चौधरी चरण सिंह जी को समर्पित करते हुए 500 करोड़ की मिल दे दी।

पिछले 10 वर्षों से बंद बुलंदशहर, पिछले 11 वर्षों से बंद सहारनपुर, विनय सिदौसी, मेरठ शुगर मिल को 2500 करोड़ लगा कर दोबारा चालू किया है। शुगर मिल को योगी जी ने चलाया और रही बात किसानों में कॉन्फिडेंस बिल्डिंग की तो योगी जी किसानों के नेता है किसान उनके साथ कॉन्फिडेंस में है।

 

  1. इस बार यह आरोप लग रहा है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा कमजोर पड़ रही है इसलिए भाजपा 2013 दंगे व पलायन जैसे मुद्दों को उठा रही है साथ ही हिंदू-मुसलमान में भेद पैदा कर रही है जिससे की वह जीत हासिल कर सके ?

उ. पलायन समाजवादी पार्टी के लिए छोटा शब्द होगा किंतु भाजपा के लिए यह बिल्कुल भी छोटा शब्द नहीं है समाजवादी पार्टी में तो जिस पर जितने मुकदमे वह सपा का उतना ही बड़ा नेता है।

अब मुख्तार अंसारी को कौन नहीं जानता उसके भाई को ज्वाइन करा करके अखिलेश यादव जी ने उत्तर प्रदेश में क्या मैसेज देने की कोशिश की है।

आगरा में समाजवादी पार्टी के धरने में अखिलेश यादव जिंदाबाद के नारे लगते है हमें इससे कोई आपत्ति नहीं है किंतु वहां नारा लगे पाकिस्तान जिंदाबाद का तो इसका क्या मतलब है। रामपुर में सीआरपीएफ कैंप पर हमला हुआ और आतंकवादियों से मुकदमे वापस लेने की सिफारिश समाजवादी पार्टी करे तो इसका क्या मतलब है, जिन्ना से भी रिश्तेदारी निकाल ली। बात गन्ना कि करते है रिश्तेदारी जिन्ना की निकालते है। तो इन सबसे स्पष्ट होता है कि गन्ना वाले हम है और जिन्ना वाले वो है।

सपा का नाम आते ही लोगों की रूह कांप जाती है सपा के नाम से बच्चों की आंखों में भय आ जाता है। सपा के नाम से किसानों को लगता है फिर वहीं काले दिन कैसे खेत में जाऊंगा। इन सभी का मोदी योगी राज में स्वर्णिम काल है। और 30 बिरादरी भारतीय जनता पार्टी के साथ खड़ी है। और मोदी योगी को कोई भी खोना नहीं चाहता।

 

  1. पूर्वांचल के मुताबिक पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सड़कों का अच्छा नहीं होने के पीछे क्या कारण है ?

उ. पहली बार किसी सरकार ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अपने एजेंडे में लिया है। किसी भी सरकार में पश्चिमी उत्तर प्रदेश एजेंड़े में आया ही नहीं। अब शाकंभरी देवी के नाम से सहारनपुर में यूनिवर्सिटी बन रही है। यूपी की एकमात्र स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी योगी जी द्वारा मेरठ में बनाई जा रही है। जेवर एयरपोर्ट बन रहा है। दादरी में फैट कॉरिडोर बन रहा है। शामली जैसा जनपथ 6 नेशनल हाईवे से जुड़ गया है।

साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बहन एक मंदिर के बाहर छोटी सी दुकान पर अपना जीवन यापन कर रही है। और आमजन यह भी देख रहा है कि कन्नौज में किसी भी दीवार में टक्कर मात्र मारने से नोट ही नोट निकल रहे है। तो यह पब्लिक है यह सब जानती है।

 

 

 

 

 

पीएम बोले, परिवारवादी राजनीति में पहली कैजुअल्टी टैलेंट की; कांग्रेस का बहिष्कार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा कि परिवारवादी राजनीति में सबसे पहली कैजुअल्टी टैलेंट की होती है। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर अपने जवाब में उन्होंने कहा कि यदि कांग्रेस न होती तो लोकतंत्र परिवारवाद से मुक्त होता। उधर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने पीएम के जवाब का यह कहकर बहिष्कार किया कि हम प्रधानमंत्री से अपेक्षा कर रहे थे कि वे महंगाई, बेरोजगारी, किसानों के संकट और  चीनी घुसपैठ पर उनके सवालों का जवाब देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव में मोदी ने कांग्रेस को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा – ‘परिवारवादी राजनीति में सबसे पहली कैजुअल्टी टैलेंट की होती है. यदि कांग्रेस न होती तो लोकतंत्र परिवारवाद से मुक्त होता और भारत विदेशी चस्पे के बजाय स्वदेशी संकल्पों के रास्ते पर चलता।’

कांग्रेस पर अपना हमला जारी रखते हुए पीएम ने कहा – ‘कांग्रेस न होती तो सिखों का नरसंहार न होता और पंडितों को कश्मीर न छोड़ना पड़ता, बेटियों के तंदूर में जलने की घटनाएं न होतीं, पंजाब नहीं जलता और आम आदमी को मूल सुविधाओं के लिए इतने साल इंतजार न करना पड़ता। कांग्रेस न होती तो देश पर इमरजेंसी का कलंक न होता. आज वो लोग लोकतंत्र की बात कर रहे हैं, जिन्होंने इमरजेंसी लगाई। उनके टाइम में तो छोटी-छोटी बात पर राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाता था।’

पीएम मोदी ने कहा कि ‘हमारी सोच कांग्रेस की तरह संकीर्ण नहीं। राजनीति में परिवाद से लोकतंत्र को खतरा है। दशकों तक शासन करने वालों ने राज्यों का शोषण किया, दमन किया। कांग्रेस ने जातिवाद को बढ़ाया। सामाजिक न्याय के साथ क्षेत्रीय न्याय भी जरूरी है। कई बार कहा जाता है हम इतिहास बदलने की कोशिश कर रहे हैं। मैं देख रहा हूं कि अर्बन नक्सलियों ने कांग्रेस को अपनी सोच में फंसा लिया और उसकी दुर्दशा का फायदा उठाकर उनकी सोच पर कब्जा कर लिया।’

मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत पंडित जवाहर लाल नेहरू पर भी हमला किया। पीएम ने कहा – ‘तबके प्रधानमंत्री (नेहरू) को दुनिया में अपनी छवि बिगड़ने का खतरा था, इसलिए उन्होंने गोवा को 15 साल तक गुलामी में धकेले रखा। नेहरू ने सत्याग्रहियों को मदद देने से इनकार कर दिया था। पंडित नेहरू ने तब कहा था, कोई धोखे में न रहे कि हम वहा फौजी कार्रवाई करेंगे। कोई फौज गोवा के आसपास नहीं है। अंदर के लोग चाहते हैं कि हम वहां फौज भेजें लेकिन हम वहां फौज नहीं भेजेंगे। जो लोग वहां जा रहे हैं, उनको वहां जाना मुबारक हो।’

उधर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने राष्‍ट्रपति के अभिभाषण पर पीएम मोदी के जवाब का राज्यसभा में बहिष्‍कार किया। सदन में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा –  ‘हम प्रधानमंत्री से अपेक्षा कर रहे थे कि वे महंगाई, बेरोजगारी, किसानों का संकट और सीमा पर चीनी घुसपैठ को लेकर प्रधानमंत्री हमारे सवालों का जवाब देंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके बजाय वह कैसे कांग्रेस को खत्म करना चाहिए या नाम बदल लेना चाहिए, जैसी बातों पर केंद्रित रहे। क्या यह मुद्दा था? यह लोग आरएसएस के एजेंट है जो सरकार चला रहे हैं।’

खड़गे ने कहा – ‘कांग्रेस ने देश को आजादी दिलाई। देश के लिए कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने शहादत दी तभी देश में लोकतंत्र स्थापित हुआ। देश में नया संविधान बना और प्रधानमंत्री कहते हैं कि कांग्रेस ने क्या किया?’

सुप्रीम कोर्ट से आज़म खान को प्रचार के लिए जमानत नहीं, हाई कोर्ट जाने की दी सलाह

समाजवादी पार्टी नेता आज़म खान को सर्वोच्च न्यायालय से चुनाव के लिए अंतरिम जमानत देने से इंकार किया है। सर्वोच्च अदालत ने जल्द सुनवाई के लिए मंगलवार को उन्हें हाई कोर्ट जाने की सलाह दी।

आज़म खान करीब दो साल से उत्तर प्रदेश की सीतापुर जेल में बंद हैं। वे रामपुर से सांसद भी हैं। बता दें आजम खां अंतिरम जमानत के लिए सर्वोच्च न्यायालय पहुंचे थे। उन्होंने अपनी अर्जी में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रचार की इजाजत के लिए अंतरिम जमानत का आग्रह किया था। उनके बेटे अब्दुल्ला आजम को 16 जनवरी को  जमानत मिली थी।

आज़म खान की विधायक पत्नी तजीन फात्मा भी जमानत पर हैं। इन सभी पर कई मामलों में केस दर्ज हैं। बता दें जमानत मिलने के बाद बाहर आकर अब्दुल्ला आजम ने जेल में बंद पिता आजम खां की जान को खतरा बताया था। साथ ही यह भी कहा था कि यदि उनके पिता को कुछ हुआ तो इसके लिए सरकार और जेल प्रशासन जिम्मेदार होंगे।

पहले चरण के 11 जिलों में आज शाम थम जाएगा चुनाव प्रचार

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले चरण के 11 जिलों में मेरठ, अलीगढ़, नोएड़ा, हापुड़, शामली, बागपत, बुलंदशहर, मथुरा, आगरा, गाजियाबाद और मुजफ़्फ़रनगर में आज शाम 5 बजे चुनाव प्रचार थम जायेगा। इसलिये प्रचार के आखिरी दिन प्रत्याशियों ने घर–घर जाकर वोट मांगे।

बताते चलें चुनाव में भाजपा और सपा के बीच कांटे की टक्कर है। लेकिन बसपा और कांग्रेस भी सपा और भाजपा को चुनाव में पराजय करने के लिये जोर लगा रही है। चुनाव में जातीय समीकरण और ध्रुवीकरण की राजनीति जमकर चलीं है। 11 जिलों के पहले चरण में वोट 10 फरवरी को डाले जाने है। वहां जाट और मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका है।

इस लिहाज से दोनों जातियों के बीच प्रत्याशियों और पार्टियों की जोर-आजमाईस देखने को मिली है। यहां के लोगों का कहना है कि चुनाव जरूर विकास के नाम पर होता है। लेकिन मतदान जातीय और धर्म के नाम पर होता है। ऐसे में ये अभी स्पष्ट तौर पर नहीं कहा जा सकता है कि किस पार्टी के बीच, किस पार्टी का मुकाबला है। क्योंकि चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा, सपा–रालोद गठबंधन और बसपा के साथ –साथ कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं ने धर्म और जाति को लेकर वोट मांगे है।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति के जानकार आर के मान का कहना है कि चुनाव में जाट, मुस्लिम के साथ किसानों का वोट इस बार चुनावी समीकरण बदल सकतें। जिससे चुनावी परिणाम चौंकाने वाले साबित होगे। यहां के किसानों की समस्या कृषि कानून के विरोध के अलावा गन्ना किसानों की अपनी समस्या है। ऐसे में किसानों के मूड़ को जानना आसान नहीं है। उनका कहना है कि चुनाव प्रचार के दौरान जिस अंदाज में राष्ट्रीय नेताओं ने घर–घर जाकर वोट मांगे उससे तो साफ है। कि इस बार चुनावी हवा का रूख कुछ ओर ही है।