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फ्लाइट में बम की सूचना के बाद उड़ान को चीन की तरफ भेजा, दिल्ली एयरपोर्ट पर नहीं हो सकी लैंडिंग

तेहरान से चाइना जा रही महान एयर की फ्लाइट में बम होने की खबर मिलने से हड़कंप मच गया। यह जानकारी पुलिस को एक कॉल के जरिए मिली थी कि फ्लाइट में बम हैं। और कॉल के मिलते ही फ्लाइट की तुरंत लैंडिंग करवाने की कोशिश की गई।

फ्लाइट संख्या डब्ल्यू-581 तेहरान से चीन के ग्वांगझू जा रही थी। और सुबह करीब 9.30 बजे विमान के पायलटों ने दिल्ली एटीसी से संपर्क किया था और लैंडिंग की अनुमति मांगी थीं। जिसके बाद विमान दिल्ली के एयरस्पेस में होल्ड पर रहा।

बता दें सूत्रों के अनुसार विमान को लैंडिंग की अनुमति नहीं दी गई थी। जयपुर एयरपोर्ट एटीसी को भी सतर्कता वश सूचना दी गई थी। वहीं अब विमान को चीन में लैंड कराया जाएगा। और अगले 2 घंटे में चाइना के एयरपोर्ट पर लैंड होगा।

आपको बता दें, मुंबई एयरपोर्ट पर शनिवार की रात इंडिगो की फ्लाइट संख्या 6E-6045 में भी बम रखे होने की ई-मेल मिलने के बाद से सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं। यह फ्लाइट रात में मुंबई से अहमदाबाद जाने वाली थी। जांच के दौरान फ्लाइट में कुछ भी नहीं मिला जिसके बाद फ्लाइट को रात में देरी से छोड़ा गया। और अब मुंबई पुलिस जांच कर रही है कि ई-मेल किसने और क्यों भेजी।

साथ ही दिल्ली से मलेशिया जाने वाली एक उड़ान शुक्रवार को इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर बम की झूठी खबर के कारण देरी से रवाना हुई थी।

देश में निर्मित ‘एचएएल’ लड़ाकू हेलीकॉप्टर भारतीय वायुसेना में हुआ शामिल

वायुसेना के जोधपुर एयरबेस में मंगलवार को भारतीय वायुसेना में देश में बना पहला हल्का लड़ाकू हेलीकॉप्टर शामिल हो गया हैं। इस कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी भी शामिल रहें।

हेलीकॉप्टर को हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने बेंगलुरु में निर्मित किया हैं। इस हेलीकॉप्टर का वजन केवल 6 टन है और पहाड़ी इलाको में आसानी से अपनी फुल कैपेसिटी में मिसाइल और दूसरे हथियारों के साथ ऑपरेट करने में सक्षम हैं।

इस हेलीकॉप्टर की बॉडी और रोटर्स को इस प्रकार बनाया गया है कि इन पर गोली का कोई खास असर नहीं होगा। इसे सियाचिन से लेकर रेगिस्तान तक के अलावा समुद्र में भी तैनात किया जा सकता हैं। इसकी आगे की रचना पतली है जिससे इस पर हवा का दबाव कम रहें और उसकी स्पीड प्रभावित न हो।

सूत्रों के अनुसार टॉप स्पीड करीब 270 किलोमीटर प्रति घंटा हैं। इसमें फाइटर प्लेन की तरह ही दो पायलट आगे पीछे बैठते हैं जबकि सामान्य हेलीकॉप्टर में दो पायलट अगल-बगल बैठते हैं। एलसीएच ध्रुव से समानता रखता है और इसमें कई में स्टील्थ विशेषता, बख्तर सुरक्षा प्रणाली, रात को हमला करने और आपात स्थिति में सुरक्षित उतरने की क्षमता भी हैं।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट कर कहा कि, “मैं कल 3 अक्टूबर को जोधपुर, राजस्थान में स्वदेश में विकसित पहले हल्के कॉमेट हेलीकॉप्टरों (एलसीएच) के प्रेरण समारोह में भाग लेने के लिए रहूंगा। इन हेलीकॉप्टरों के शामिल होने से भारतीय वायुसेना की युद्ध क्षमता को काफी बढ़ावा मिलेगा। ”

पहले लड़की बन फोन पर बात फिर अश्लील वीडियो बना करते थे ठगी, गिरोह के सरगना को पुलिस ने किया गिरफ्तार

साइबर धोखाधड़ी के खिलाफ कार्य करते हुए ऑपरेशन क्लीन स्वीप के तहत बाहरी जिले के डीसीपी के मार्गदर्शन और पर्यवेक्षण के तहत साइबर पुलिस ने साइबर धोखाधड़ी के एक मामले का भंडाफोड़ किया है साथ ही एक आरोपी को भी गिरफ्तार किया गया हैं।

कार्रवाई करते हुए आरोपी गोविंद राम को भरतपुर से गिरफ्तार किया गया है। यह आरोपी एक सेक्सुअल एक्सटेंशन में शामिल था और पीड़ितों के अश्लील वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल करने के नाम पर पैसे की उगाही किया करता था।

पुलिस को हाल ही में पश्चिम विहार दिल्ली में रहने वाले एक व्यक्ति की शिकायत मिली थी। पीड़ित ने पुलिस को बताया था कि किसी ने उसे व्हाट्सएप नंबर पर एक संदेश भेजा था और लड़की के रूप में उससे बात की थी। पीड़ित ने कथित व्यक्ति से वीडियो कॉल पर बात की थी।

उसने पुलिस को आगे बताया कि कुछ दिनों के बाद फोन करने वाले ने उसे स्क्रीन रिकॉर्डर वीडियो भेजा, जिसमें किसी महिला के साथ उसका बदला हुआ वीडियो था वीडियो को सोशल मीडिया पर अपलोड नहीं करने के लिए पैसे की मांग की थी पीड़ित ने उसके खाते में 12500 रुपये ट्रांसफर कर दिए। किंतु बाद में उसने पुलिस में केस दर्ज कराया।

आपको बता दें, पुलिस जांच के दौरान यह पाया गया कि कथित मोबाइल नंबर ज्यादातर राजस्थान में सक्रिय हैं। साथ ही आरोपी से लगातार पुलिस की पूछताछ के बाद यह पता लगा है कि आरोपी गोविंद अपने दोस्तों व गांव के अन्य लोगों के संपर्क में आया जो फर्जी अश्लील वीडियो बनाकर निर्दोष लोगों से पैसे की मांग करते थे।

आरोपी ने बताया कि वे अपने व्हाट्सएप नंबरों पर अज्ञात पुरुष व्यक्तियों को कॉल करते थे और उनके साथ महिला बनकर बात करते थे और उनके नग्न वीडियो रिकॉर्ड करते थे। और फिर इस वीडियो को महिलाओं की दूसरी वीडियो के साथ बदल दिया जाता था और पीड़ितों का वीडियो वायरल करने के बहाने उनसे वसूली की जाती थी।

यूपी: दुर्गा पूजा पंडाल में लगी भीषण आग, पांच की मौत, 66 से ज्यादा झुलसे

उत्तर प्रदेश के भदोही में दुर्गा पूजा पंडाल में आग लगने से तीन बच्चों सहित पांच लोगों की मौत और 66 से ज्यादा लोगों के झुलसने की खबर सामने आयी हैं। सभी घायलों में 42 को वाराणसी, 18 को औराई और 4 को प्रयागराज रेफर किया गया हैं।

सूत्रों के अनुसार घटना में आरती के समय पंडाल में करीब 200 लोग मौजूद थें इसी दौरान शॉर्ट सर्किट होने की वजह से आग लगने की घटना हुर्इ। शाम करीब आठ बजे आग लगी और करीब 20 मिनट बाद दमकल के वाहन मौके पर पहुंचे लेकिन आग पर काबू नहीं पाया जा सका।

भदोही के जिलाधिकारी गौरांग राठी ने बताया कि, “घटना औराई कस्बे स्थित एक दुर्गा पूजा पंडाल की हैं पंडाल में घटना के दौरान 200 के करीब लोग मौजूद थे। आरती का कार्यक्रम चल रहा था इसी दौरान शॉर्ट सर्किट होने की वजह से आग लगने की सूचना हैं। घटना में अभी तक की जानकारी के अनुसार 66 लोग झुलस गए हैं घायलों को अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।“

उन्होंने आगे कहा कि, यह घटना दुर्भाग्यपूर्ण हैं, क्योंकि हमने पहले ही सभी तरह के एहतियात बरते थे, लेकिन ये आग कैसे लगी इसके बारे में विस्तार से पता लगाना जरूरी हैं। शुरुआती जांच में तो शॉर्ट सर्किट की वजह से हुई घटना लगता हैं किंतु हम मामले की जांच करा रहे हैं जल्द ही मुख्य कारणों का भी पता लगा लिया जाएगा।

ईओ, नई दिल्ली की बढ़ती अर्थव्यवस्था में महिला उद्यमिता पर हुई पैनल चर्चा रही काफी सार्थक

ग्लोबल स्टूडेंट एंटरप्रेन्योर अवार्ड्स (जीएसईए) से पहले ईओ, नई दिल्ली ने महिला उद्यमियों के साथ एक पैनल चर्चा का आयोजन किया। पावर डेक के संस्थापक दिलनवाज खान द्वारा संचालित चर्चा में पैनल के वक्ताओं में लिटिल टैग लग्जरी की संस्थापक चांदनी अग्रवाल, आरवी सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड की संस्थापक वंदना सेठ, सिकिफी की संस्थापक दिव्या जैन और प्लेफुल माइंड्स की संस्थापक सोनाली जैन शामिल रहीं। चर्चा भारत में महिला उद्यमिता के विभिन्न पहलुओं के इर्द-गिर्द घूमती रही।

पिछले कुछ सालों में अपनी भूमिका के विकास के बारे में बात करते हुए, चारों पैनलिस्ट इस बात पर सहमत दिखीं कि गतिशीलता और पहुंच, दो सबसे बड़ी चीजें हैं जिन्होंने महिला उद्यमियों के पक्ष में काम किया है। चांदनी ने कहा – ‘कुछ साल पहले की तुलना में अब महिला उद्यमियों की स्वीकार्यता कहीं अधिक है।’

चर्चा में सोनाली ने कहा – ‘डिजिटलाइजेशन ने वास्तव में स्थिति को बदल दिया है और गतिशीलता में वृद्धि की है।’

फाल्गुनी नायर की नायिका, विनीता सिंह की शुगर कॉस्मेटिक और इसी तरह की सफलता की यात्रा का उदाहरण देते हुए, दिलनवाज ने सहभागियों को महिला उद्यमिता की समावेशिता पर प्रकाश डालने के लिए कहा।

दिव्या ने कहा कि परिदृश्य अब नाटकीय रूप से बदल गया है, लेकिन परंपरागत रूप से हमारा प्रतिनिधित्व बहुत ही नगण्य था। बेशक, सामान्य रूप से स्टार्ट-अप स्थान महिलाओं के लिए अधिक समावेशी हो गया है और मैं, हम महिलाओं के रूप में, अपनी क्षमता के अधिकतम तक पहुंचने का समर्थन करती हूँ।

महिला उद्यमियों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में बात करते हुए, वंदना ने एक दिलचस्प अवलोकन की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा – ‘समय के साथ बहुत कुछ बदल गया है और लोग अब हमें गंभीरता से लेते हैं। लेकिन मुझे लगता है कि अभी भी कुछ अचेतन पूर्वाग्रह या शायद निर्णय मौजूद है।

चांदनी ने लिंग अंतर पर प्रकाश डालते हुए कहा कि केवल 5 फीसदी महिलाएं ही उद्यमिता चुनती हैं।

समापन विचारों के रूप में उन सभी ने उद्यमियों, विशेष रूप से छात्र उद्यमियों से महत्वपूर्ण सलाह साझा की, जो अपने विचारों के साथ दुनिया को बदलने की तलाश में हैं। एक का कहना था – ‘दूसरों की सुनें, लेकिन अपनी प्रवृत्ति पर भरोसा करें और बस करें। एक और ने कहा – ‘अपना अवसर लें, यह अभी या कभी नहीं की स्थिति होती है’।

इस साल ईओ, नई दिल्ली के लिए जीएसईए की अध्यक्ष अनुष्का कपूर ने अपनी टिप्पणी में कहा – ‘बेशक महिला उद्यमियों की स्थिति में काफी सुधार हुआ है, फिर भी अभी काफी असमानता है जिसे ठीक करने की आवश्यकता है। महिलाओं द्वारा स्थापित फिनटेक ने पिछले 10 वर्षों में कुल फिनटेक निवेश का केवल एक फीसदी ही बढ़ाया है। यहां तक कि अमेरिका जैसे विकसित देशों में, 2011 से केवल महिलाओं की टीमों को दिए गए वीसी डॉलर की राशि 1.8 फीसदी से 2.7 फीसदी तक है।’

कपूर ने कहा कि इस पैनल का उद्देश्य इन अद्भुत महिला उद्यमियों की उपलब्धियों को उजागर करना है, साथ ही युवा महिलाओं को बनने के लिए प्रोत्साहित करना है। उन्होंने कहा कि उद्यमी स्वयं और जीएसईए जैसे कार्यक्रमों के लिए आवेदन करते हैं।

Click Here to watch the entire panel discussion on YouTube.

ग्लोबल स्टूडेंट एंटरप्रेन्योर अवार्ड्स (जीएसईए ) छात्र उद्यमियों के लिए एक प्रमुख वैश्विक प्रतियोगिता है, जो उन्हें अपने व्यवसाय को अगले स्तर तक ले जाने के लिए मेंटरशिप, नेटवर्क, कनेक्शन और फंडिंग अनुदान प्रदान करता है। ईओ नई दिल्ली जीएसईए ने विजेता के लिए 2.5 लाख और उनके चैप्टर के उपविजेता के लिए 1.5 लाख तक नकद पुरस्कार की भी घोषणा की है। दो लाख तक के अतिरिक्त पुरस्कार एमिटी इनोवेशन इनक्यूबेटर और स्मार्टवर्क्स द्वारा प्रायोजित किए जाएंगे। शीर्ष स्टार्टअप्स को इंडियन एंजेल नेटवर्क और ईओ नई दिल्ली से निवेश का अवसर मिलेगा।

यह जानकारी दी गयी है कि जीएसईए नई दिल्ली 2022 के लिए आवेदन भारत के छात्र उद्यमियों के लिए खुले हैं। जीएसईए ग्लोबल फ़ाइनल में पहुंचने वाले छात्र कई अन्य पुरस्कारों के साथ-साथ 100,000 अमेरिकी डॉलर के कुल नकद पुरस्कार के लिए भी प्रतिस्पर्धा करेंगे।

इसलिए, यदि आप एक छात्र उद्यमी हैं या किसी को जानते हैं, तो जीएसईए नई दिल्ली 2022 एक सुनहरा टिकट है जिसे आप मिस नहीं करना चाहेंगे। इसके लिए यहां आवेदन किया जा सकता है – : https://bit.ly/GSEAND2022

बृजलाल खाबरी यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष नियुक्त, छह प्रांतीय अध्यक्ष भी बनाए

दलित नेता बृजलाल खाबरी को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उत्तर प्रदेश में पार्टी का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है। उनके अलावा पार्टी ने छह प्रांतीय अध्यक्ष भी नियुक्त किये हैं।

पार्टी के संगठन महासचिव के एक प्रेस नोट के मुताबिक यह नियुक्तियां तत्काल प्रभाव से लागू हो गयी हैं। बृजलाल खाबरी लोकसभा और राज्यसभा दोनों के सदस्य रहे हैं। खाबरी की पत्नी पूर्व प्रशासनिक अधिकारी हैं।

खाबरी का कांग्रेस का पुराना नाता है और उनकी पत्नी उर्मिला सोनकर कैलिया सीट से कांग्रेस के टिकट पर जिला पंचायत सदस्य रही हैं। प्रशासनिक अधिकारी के नाते उर्मिला प्रदेश के कई जिलों में एसडीएम और अपर आयुक्त के पद पर काम कर चुकी हैं। वह कुछ समय समाजवादी पार्टी में रही, हालांकि, जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में उन्हें सफलता नहीं मिल पाई थी।

पार्टी ने छह प्रांतीय अध्यक्ष भी नियुक्त किये हैं। इनमें नसीमुद्दीन सिद्दीकी, अजय रॉय, वीरेन्द्र चौधरी, नकुल दुबे, अनिल यादव (इटावा) और योगेश दीक्षित शामिल हैं। यह सभी नेता विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं।

कांग्रेस अध्यक्ष पद के उम्मीदवार खड़गे का पार्टी के राज्यसभा नेता पद से इस्तीफा

कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए शुक्रवार को नामांकन भरने वाले वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने शनिवार को राज्य सभा के नेता के रूप में त्यागपत्र दे दिया। पार्टी के ‘एक व्यक्ति एक पद’ नियम के तहत खड़गे ने त्यागपत्र दिया है। इस नियम के चलते ही राजस्थान में कांग्रेस को फ़ज़ीहत झेलनी पड़ी थी और लगभग कांग्रेस अध्यक्ष पद की देहलीज पर पहुँच चुके मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अध्यक्ष पद के चुनाव से अपना नाम वापस लेना पड़ा था।

खड़गे ने राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जदगीप धनखड़ को अपना इस्तीफा सौंपा है। उन्होंने कल ही कांग्रेस पद के लिए अपना नामांकन दाखिल किया था। खड़गे जिनके कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव जीतने की प्रवल संभावना है, को पार्टी का जबरदस्त समर्थन देखने को मिला है।

उन्होंने 2021 में राज्यसभा में नेता विपक्ष का पद संभाला था। इससे पहले वे खड़गे लोकसभा में भी कांग्रेस दल के नेता रहे हैं। पार्टी खड़गे की जगह अब नया नेता नियुक्त करेगी। वरिष्ठ नेताओं दिग्विजय सिंह से लेकर आनंद शर्मा, पी चिदंबरम, केसी वेणुगोपाल में से किसी एक को चुना जा सकता है।

उधर सभी की नजर इस बात पर भी लगी है कि राजस्थान को लेकर नेतृत्व क्या फैसला करता है। गहलोत की माफी के बाद माना जा रहा है कि शायद आलाकमान अभी उन्हें पद से न हटाए। सचिन पायलट भी राज्य में कांग्रेस को मिलकर मजबूत करने की बात कर चुके हैं, लिहाजा स्थिति अभी साफ़ नहीं है।

निजता में ताक-झाँक, मोहाली में छात्राओं के आपत्तिजनक रिश्तों व निजता की शर्मनाक वीडियोग्राफी

पंजाब के मोहाली में स्थित निजी चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के हॉस्टल की छात्राओं के आपत्तिजनक रिश्तों और निजता के वीडियो कथित रूप से इंटरनेट पर वायरल होने से पैदा हुए विवाद ने महिलाओं की निजता की सुरक्षा को लेकर तो सवाल उठा ही दिये हैं, डिजिटल ताक-झाँक के बढ़ते ख़तरे के प्रति नयी चिन्ता पैदा कर दी है। पूरे मामले पर बता रही हैं डॉ. संगीता लाहा :-

तंबर में पंजाब के मोहाली में स्थित चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के छात्रों का बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन निश्चित ही चौंकाने वाला था। इस घटना की ख़बर ने कई टीवी चैनलों पर सुर्ख़िंयाँ बटोरीं, जिसमें विरोध-प्रदर्शन को कवर किया गया, जो यूनिवर्सिटी परिसर में गल्र्स हॉस्टल की छात्राओं के आपत्तिजनक वीडियो के ऑनलाइन लीक होने की अफ़वाहों के बाद शुरू हो गया था। निश्चित रूप से इसने हममें से कई लोगों को स्तब्ध कर दिया। इस घटना ने एमएमएस विवादों को फिर उभार दिया और आगे की पढ़ाई के लिए बड़े शहरों में छात्रावास में रहने वाली लड़कियों / महिलाओं की निजता और सुरक्षा पर गम्भीर क़िस्म का सवालिया निशान लगा दिया। इससे पहले दिल्ली पब्लिक स्कूल एमएमएस कांड ने यौन आनंद की संस्कृति की बदनामी से भरी एक पूरी नया ख़ुलासा कर दिया था।

ऐसी घटनाएँ अकसर ही होती हैं। मुडक़र देखें, तो 01 अप्रैल को मीडिया में एक ख़बर आयी कि मुम्बई पुलिस ने बॉलीवुड के जाने-माने कोरियोग्राफर के ख़िलाफ़ सन् 2020 में यौन उत्पीडऩ के मामले में चार्जशीट दायर की है। यह कोरियोग्राफर ब्लॉकबस्टर फ़िल्मों में अपने काम के लिए जाना जाता है। उस पर यौन उत्पीडऩ, पीछा करने और दृश्यरतिकता (छिपकर देखने) का आरोप लगाया गया था।

सन् 2015 में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के द्वारा गोवा के पॉप्युलर ब्रैंड फैब इंडिया स्टोर में एक हिडन (सीसीटीवी) कैमरा पकडऩे के मामले ने चोरी से डिजिटल रिकॉर्डिंग की तरफ़ ध्यान खींचा था। केंद्रीय मंत्री होने के नाते उनके मामले ने मीडिया का बहुत ध्यान आकर्षित किया। यह घटना उस मामले के कुछ दिन बाद हुई, जब एक महिला को दिल्ली के लाजपत नगर के लोकप्रिय शॉपिंग हब सेंट्रल मार्केट में वैन ह्यूसेन स्टोर के चेंजिंग रूम के दरवाज़े पर एक मोबाइल फोन बँधा हुआ मिला।

इसी तरह सन् 2003 में पुणे में चोरी से डिजिटल रिकॉर्डिंग के पहले मामलों में से एक सामने आया था, जब सहकार नगर में स्थित प्रतिष्ठान में एक चपरासी ने चेंजिंग रूम में एक वेब कैमरा स्थापित किया हुआ था। सन् 2005 में एक ज़मींदार को महिला किरायेदारों की चोरी से वीडियो बनाने के लिए गिरफ़्तार किया गया था। सन् 2007 में, कोलकाता के एक प्रसिद्ध डिपार्टमेंटल स्टोर के चेंजिंग रूम के दो एमएमएस क्लिप फैला दिये गये थे। एक में एक लडक़ी को कपड़े बदलते हुए दिखाया गया, जबकि दूसरे में एक जोड़े को सम्भोग (सेक्स) करते हुए दिखाया गया। इस घटना के एक साल बाद एक दुकान सहायक को कोलकाता में परिधान की एक दुकान में ट्रायल रूम के दरवाज़े के नीचे से महिलाओं का वीडियो बनाते हुए पाया गया। इस तरह के काम करने वाले लोग किसी व्यक्ति को शारीरिक रूप से नुक़सान नहीं पहुँचाते हैं; लेकिन अपने धत्कर्म से पीडि़त को दबाव और मानसिक आघात में पहुँचा देते हैं। इस तरह की चीज़ एक महिला को प्रताडि़त करती है और उसके निजता के अधिकार पर हमला करती है। ऐसी कई घटनाएँ हैं।

अल्फ्रेड हिचकॉक ने अपनी फ़िल्म ‘रियर विंडो’ में दृश्यरतिकता (वोयूरिज्म) विषय की ओर संकेत किया है और मनुष्यों की अपने मनोरंजन के लिए दूसरों को देखने की प्रवृत्ति को सामने लाया है। जेफ पेशे से एक सक्रिय दृश्यरतिक (वोयूर), एक फोटोग्राफर है, जो उसे स्वाभाविक रूप से लोगों को देखने के प्रति इच्छुक बनाता है। दृश्यरतिकता का मामला दो परिस्थितियों में उत्पन्न हो सकता है- एक, किसी व्यक्ति वास्तव में किसी को जासूसी करते हुए देखता है। दूसरा, उन्हें सन्देह है कि उनकी जासूसी की जा रही है।

आँकड़ों के अनुसार, बिना किसी पूर्व आपराधिक पृष्ठभूमि वाले क़रीब 42 फ़ीसदी कॉलेज छात्र उच्च तकनीक वाले गैजेट और मोबाइल डिवाइस के उपलब्धता के चलते दृश्यरतिक कृत्यों में लिप्त पाये गये। इसने भारत में दृश्यरतिकता को बढ़ावा दिया है। आज बाज़ार में उपलब्ध हर नया फोन कम-से-कम पाँच मेगापिक्सेल कैमरा और सुपरफास्ट इंटरनेट पहुँच वाला होता। क़रीब 80 फ़ीसदी युवाओं के पास इन बुनियादी सुविधाओं वाले स्मार्ट फोन हैं। इसके अलावा कई प्रकार के स्पाई-कैमरे जैसे पेन कैमरा और बटन कैमरा सस्ती कीमतों पर उपलब्ध हैं।

दृश्यरतिकता क्या है?

दृश्यरतिकता के मायने हैं, उन लोगों की जासूसी करना जो निजी गतिविधियों में लगे हुए हैं; जैसे कपड़े बदलना, स्नान करना, या कोई अन्य कार्य, जो एक निजी प्रकृति का है। एक व्यक्ति ख़ुद देखने से लेकर कैमरे या दूरबीन का उपयोग करके दृश्यरतिकता के कार्य में संलग्न हो सकता है। दूसरे शब्दों में जब पीडि़त इस बात से अनजान हो कि उसके निजी कृत्य को देखा जा रहा है या किसी ने उसे रिकॉर्ड कर लिया गया है।

क्या कहता है क़ानून?
आपराधिक क़ानून संशोधन अधिनियम-2013 में भारतीय दण्ड संहिता में धारा-354(सी) को शामिल किया गया है, जो दृश्यरतिकता को अपराध की श्रेणी में रखता है। सोशल मीडिया के माध्यम से किसी महिला को अश्लील सामग्री (फोटो, चित्र, फ़िल्म, सन्देश) भेजना आईपीसी के तहत यौन उत्पीडऩ माना गया है। किसी महिला को उसकी सहमति के बिना अश्लील या स्पष्ट यौन सामग्री दिखाना या भेजना आईपीसी की धारा-354(ए) के तहत यौन उत्पीडऩ का एक रूप है। इस अपराध के लिए सज़ा तीन साल से लेकर ज़ुर्माना या दोनों हो सकते हैं। लेकिन लगभग सभी मामलों में दृश्यरतिक अपनी रुचि के विषय के साथ सीधे नहीं मिलता है, जो अक्सर इस तरह से कुछ होने के प्रति अनजान होता है। इससे घटना की शिकायत किये जाने की सम्भावना कम हो जाती है। इसलिए दृश्यरतिकता बेफ़िक्र रहता है। स्थिति का फ़ायदा उठाकर वह पीडि़त को अपनी माँग पूरी करने के लिए मजबूर करता है।

दृश्यरतिकता की अवधारणा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम-2000 के साथ शुरू हुई। धारा-66(ई), धारा-67, धारा-67(ए) और धारा-79 जैसे प्रावधानों को शामिल करने के साथ अधिनियम में अश्लीलता और एक स्पष्ट यौन कार्य के प्रसारण, रिकॉर्डिंग जैसी सभी गतिविधियों का निषेध शामिल है। सूचना प्रौद्योगिकी संशोधन अधिनियम-2008 द्वारा आईटी अधिनियम-2000 में अलग धारा को संयुक्त राज्य अमेरिका के एक संघीय क़ानून-2004 के वीडियो दृश्यरतिकता निवारण अधिनियम की धारा-180(1) के प्रभाव से पेश किया गया है। इसने भारत में दृश्यरतिकता के ख़िलाफ़ क़ानूनों को मज़बूत किया है।
आईटी अधिनियम-2008 की धारा-66(ई) मानव शरीर को वीडियो तकनीक द्वारा या किसी भी अनुचित और अश्लील घुसपैठ से बचाने के अधिकार को मान्यता देती है। साथ ही वीडियो दृश्यता के अपराध से व्यक्तिगत गोपनीयता की पर्याप्त रूप से रक्षा करती है, जो गुप्त रूप से वीडियो टेपिंग या अनजान व्यक्तियों की तस्वीरें खींचकर व्यक्तिगत गोपनीयता और गरिमा को नष्ट करती है। आईटी अधिनियम की धारा-67(ए) में कहा गया है कि यदि ऑनलाइन प्रकाशित होने वाली सामग्री यौन रूप से स्पष्ट है, तो दोषी को पाँच साल की क़ैद हो सकती है और 10 लाख रुपये तक का ज़ुर्माना भरना पड़ सकता है। पुलिस का कहना है कि पीडि़त के पास सुबूत हों या न हों, सिर्फ़ शिकायत दर्ज की जानी ही काफ़ी है।

आसान नहीं दृश्यरतिकता को रोकना
इस अपराध का मुक़ाबला करना कोई आसान काम नहीं है, और यह केवल दण्डात्मक उपायों के साथ क़ानून पारित करने से रातोंरात नहीं हो सकता है। सरकार की तरफ़ से रेस्तरां, होटल, कपड़ों की दुकानों, मॉल और अन्य स्थानों, जो जनता के लिए खुले हैं; की समय-समय पर जाँच करने के लिए एजेंसी की स्थापना की जानी चाहिए। निजता के उल्लंघन के लिए ऐसे स्थानों की नियमित रूप से जाँच की जानी चाहिए। यदि ऐसी सुरक्षा सुनिश्चित करने में ये दोषपूर्ण पाये जाते हैं, तो उन पर बड़ा ज़ुर्माना और अन्य दण्ड लगाया जाना चाहिए। यह स्टोर कीपर या प्रबंधकों को अपने स्टोर में गोपनीयता सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी उपाय करने के लिए मजबूर करेगा।

एमएमएस काण्ड से सांसत में चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी

छात्राओं के निजी वीडियो इंटरनेट पर वायरल होने की रिपोर्ट सामने आने के बाद यूनिवर्सिटी परिसर में भारी विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गया। पुलिस अब तक वीडियो शूट करने वाली लडक़ी के अलावा हिमाचल प्रदेश से दो लडक़ों को गिरफ़्तार कर चुकी है। बता रहे हैं राजेंद्र खत्री :-

हाल ही में चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी (सीयू), मोहाली में एमएमएस कांड सामने आया। यूनिवर्सिटी की लड़कियों के छात्रावास के बाथरूम में नहाते हुए कथित वीडियो को एक छात्रा ने गुप्त रूप से शूट किया, जिसे बाद में उसके प्रेमी ने सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया। इस घटना से जबरदस्त आक्रोश फैल गया।
विभिन्न अफ़वाहों ने आग में घी डालने का काम किया। इस अशोभनीय घटना से पूरे देश स्तब्ध रह गया और हर जगह आक्रोश फैल गया। मोहाली स्थित चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में छात्रों द्वारा आधी रात को बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन किया गया, जब यूनिवर्सिटी में 60 छात्रावास लड़कियों के अश्लील वीडियो लीक होने की अफ़वाह के बाद अधिकारियों के साथ उनकी बातचीत विफल हो गयी थी।

यूनिवर्सिटी में अचानक हुए विरोध के बीच मामले की सूचना पुलिस को दी गयी। बाद में तीन लोगों- चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी की एक छात्रा और हिमाचल प्रदेश के चार लोगों को इस घटना के सिलसिले में आईपीसी की धारा-354(सी) और आईटी अधिनियम के तहत गिरफ़्तार किया गया। गिरफ़्तार किये गये लोगों में लडक़ी, सनी मेहता, लडक़ी का प्रेमी संजीव सिंह, जिसने वीडियो बनाया था। दूसरे का नाम रंकज वर्मा था। मोहाली पुलिस ने इन्हें न्यायालय से सात दिन की रिमांड पर लिया है।

हैरानी की बात यह है कि बाद में जाँच के दौरान पुलिस को पता चला कि जम्मू में तैनात सेना का जवान संजीव सिंह वह व्यक्ति था, जिसने कथित तौर पर रंकज वर्मा की डीपी का इस्तेमाल आरोपी लडक़ी को धमकाने और उसके मोबाइल में वीडियो हटाने के लिए करने के लिए किया था। इसके बाद जम्मू पुलिस और पंजाब एसआईटी ने मोहित से पूछताछ शुरू कर दी कि आरोपी लडक़ी के साथ उसके सम्बन्ध और उसे बार-बार फोन करने के पीछे उसका मक़सद क्या है?

इससे पहले चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के छात्रों द्वारा मोहाली के परिसर में आधी रात को बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन किया गया था, क्योंकि अधिकारियों के साथ उनकी बातचीत स्पष्ट रूप से विफल रही थी। छात्रों ने हमें न्याय चाहिए के नारे लगाये। विरोध-प्रदर्शन आरोपी के ख़िलाफ़ उसके साथी छात्रावास के साथियों के वीडियो बनाने और उन्हें हिमाचल प्रदेश के शिमला में एक व्यक्ति को भेजने के लिए किया गया था, जिसने कथित तौर पर इन वीडियो को इंटरनेट पर अपलोड किया था। छात्र उस समय सदमे की स्थिति में थे, जब उनमें से कुछ ने कथित तौर पर इस तरह के आपत्तिजनक वीडियो ऑनलाइन देखे। एक या दो छात्राओं को चौंकाने वाले अंतरराष्ट्रीय कॉल भी आये। उन्होंने कहा कि उनके अश्लील वीडियो इंटरनेट पर अपलोड कर दिये गये हैं। हॉस्टल में 60 लड़कियों के एमएमएस लीक होने की अफ़वाह उड़ी थी। आक्रोश को देखते हुए पंजाब सरकार ने इस मामले की जाँच के लिए तुरन्त एक विशेष जाँच दल (एसआईटी) का गठन करने की घोषणा कर दी। जैसे ही यह ख़बर जंगल की आग की तरह फैली, देश के कई हिस्सों से घबराये माता-पिता अपनी बेटियों / बेटों को छात्रावास से वापस लेने के लिए मोहाली पहुँच गये। घटना के प्रभाव को देखते हुए यूनिवर्सिटी प्रशासन ने 25 सितंबर तक अध्ययन अवकाश घोषित कर दिया।

इस बीच पुलिस द्वारा जाँच किये जा रहे एक लीक वीडियो में संदिग्ध महिला साथी छात्रों के सामने यह स्वीकार करती नज़र आयी कि उन पर लड़कियों की आपत्तिजनक तस्वीरें और वीडियो भेजने का दबाव बनाया जा रहा है। एसआईटी प्रभारी रूपिंदर कौर भट्टी ने कहा कि हम तथ्यों की पुष्टि कर रहे हैं। खरड़ की डीएसपी रूपिंदर कौर सोही ने भी मामले की जाँच के लिए यूनिवर्सिटी परिसर का दौरा किया। साथ ही फॉरेंसिक साइंस लैब के उप निदेशक अश्विनी कालिया के नेतृत्व में विशेषज्ञों ने ली कार्बूजिए गल्र्स हॉस्टल के डी ब्लॉक में कॉमन बाथरूम की जाँच की।

पुलिस ने तीन संदिग्धों, चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी की वीडियो बनाने वाली आरोपी छात्र और हिमाचल के दो युवकों को गिरफ़्तार किया, जिन्हें बाद में सात दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया; के साथ साथ एक अन्य लडक़ी की तस्वीर के साथ चौथे संदिग्ध की भूमिका की भी जाँच शुरू कर दी। पुलिस के अनुसार, आरोपी एमबीए प्रथम वर्ष का छात्र था।

कई प्रदर्शनकारी छात्रों ने कथित तौर पर दावा किया कि वीडियो वायरल होने के बाद छात्रावास में रहने वाली कुछ छात्राओं ने आत्महत्या का प्रयास किया। लेकिन पुलिस और यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने आत्महत्या के प्रयास के दावे का ज़ोरदार खण्डन किया।

मोहाली के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) विवेक सोनी ने भी वीडियो लीक के बाद मौत, चोट या आत्महत्या के प्रयास की किसी भी घटना से इनकार किया और कहा कि केवल एक लडक़ी बेहोश हुई थी, जिसे तुरन्त अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वह स्थिर थी। पुलिस ने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और मोबाइल फोन अपने क़ब्ज़े में ले लिए और उन्हें फोरेंसिक जाँच के लिए भेज दिया।

एसएसपी सोनी ने कहा कि आरोपी छात्रा ने कहा कि उसने केवल अपने दोस्त को अपनी तस्वीरें भेजीं; लेकिन वे यह सत्यापित करने की कोशिश कर रहे थे कि क्या उसने अन्य लड़कियों की भी तस्वीरें भेजी गयी हैं? पुलिस के अनुसार, उन्होंने इस दावे की पुष्टि करने की कोशिश की कि वीडियो लीक करने के आरोपी छात्र को एक व्यक्ति ब्लैकमेल कर रहा था। महिला के ख़िलाफ़ खरड़ सदर थाने में भारतीय दण्ड संहिता की धारा-354(सी) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा-66(ई) (गोपनीयता के उल्लंघन के लिए सज़ा) के तहत मामला दर्ज किया गया था।

चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी लडक़ी ने आत्महत्या का प्रयास नहीं किया था। साथ ही घटना में किसी भी लडक़ी को किसी अस्पताल में भर्ती नहीं कराया गया। उसके अनुसार, अन्य छात्राओं के आपत्तिजनक वीडियो शूट करने की सभी बातें पूरी तरह से झूठी और निराधार थीं। किसी भी छात्र का ऐसा कोई वीडियो नहीं मिला, जो आपत्तिजनक हो; सिवाय एक लडक़ी द्वारा स्वयं शूट किये गये एक निजी वीडियो के, जिसे उसने अपने प्रेमी के साथ साझा किया था। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने घटना पर खेद जताया और मामले की उच्च स्तरीय जाँच के आदेश दिये। उन्होंने कहा- ‘चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी की घटना के बारे में सुनकर दु:ख हुआ। हमारी बेटियाँ हमारी शान हैं। घटना की उच्च स्तरीय जाँच के आदेश दिये गये हैं। हम दोषी व्यक्तियों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करेंगे। मैं लगातार प्रशासन के सम्पर्क में हूँ, और मैं आप सभी से अफ़वाहों से बचने की अपील करता हूँ।’

इस मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने कहा कि घटना बहुत गम्भीर और शर्मनाक है। उन्होंने दोषियों को कड़ी-से-कड़ी सज़ा देने का वादा भी किया। उधर भाजपा नेता सोम प्रकाश ने दोषियों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की माँग की। उन्होंने कहा कि यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। पुलिस को इस घटना में शामिल लोगों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करनी चाहिए। ऐसी घटनाएँ दोबारा नहीं होनी चाहिए। इधर चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के प्रबंधन ने स्टाफ सदस्यों के साथ बैठक की और उनसे न घबराने की अपील की। प्रबंधन ने उन्हें मौज़ूदा संकट के दौरान सकारात्मक रहने को कहा।

एमएमएस कांड की जाँच जारी होने के साथ ही सनसनीख़ेज़ मामला पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय तक पहुँच गया है। उच्च न्यायालय के वकील जगमोहन सिंह भट्टी ने मामला दर्ज कर मामले की सीबीआई जाँच की माँग की है। भट्टी ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी और पंजाब सरकार निष्पक्ष जाँच करने में पूरी तरह विफल रही है और साथ ही यूनिवर्सिटी के छात्रों को विरोध करने की अनुमति नहीं दी जा रही है। पंजाब पुलिस को छात्रों पर किसी भी तरह का दबाव नहीं बनाना चाहिए। भट्टी ने कहा कि यह मामला छात्राओं की सुरक्षा से जुड़ा है और इसकी गहन जाँच होनी चाहिए।

चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के चांसलर सतनाम सिंह संधू ने कहा कि स्थापित चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी एक विशाल परिसर है। दावे के मुताबिक, इसमें भारत और विदेशों के 20,000 छात्र दाख़िल हैं। पंजाब में मोहाली ज़िले के खरड़ के घारूआँ में स्थित यूनिवर्सिटी में 4,000 लड़कियाँ विभिन्न पाठ्यक्रमों में पढ़ाई कर रही हैं। भारत में शीर्ष रैंक वाले निजी यूनिवर्सिटीज में चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी क्यूएस वल्र्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में जगह बनाने वाली सबसे युवा यूनिवर्सिटी बन गयी है। पिछले कुछ साल में यह यूनिवर्सिटी तेज़ी से आगे बढ़ी है और यह भी चर्चा रही है कि वर्तमान घटना प्रतिद्वंद्वियों की तरफ़ से इसकी प्रगति को रोकने का जानबूझकर किया गया प्रयास था, क्योंकि वह इसकी तरक़्क़ी को ख़ुद के लिए ख़तरा मानते हैं।


“चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी की घटना के बारे में सुनकर दु:ख हुआ। हमारी बेटियाँ हमारी शान हैं। घटना की उच्च स्तरीय जाँच के आदेश दिये गये हैं। हम दोषी व्यक्तियों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करेंगे। मैं लगातार प्रशासन के सम्पर्क में हूँ, और मैं आप सभी से अफ़वाहों से बचने की अपील करता हूँ।“
भगवंत मान
मुख्यमंत्री, पंजाब

वफ़ादार को ताज! थरूर के मुक़ाबले कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव में खडग़े का हाथ ऊपर

कांग्रेस में लम्बी कसरत और उठापटक के बाद आख़िर अध्यक्ष के चुनाव की तस्वीर साफ़ हो गयी है। ग़ैर-गाँधी के इस चुनाव में शशि थरूर और मल्लिकार्जुन खडग़े में टक्कर है, और हालात साफ़ संकेत कर रहे हैं कि कोई उलटफेर नहीं हुआ, तो अनुभवी और गाँधी परिवार के क़रीबी खडग़े कांग्रेस के अगले अध्यक्ष होंगे। जीतने पर जगजीवम राम के बाद वह कांग्रेस के दूसरे दलित अध्यक्ष होंगे। भले ग़ैर-गाँधी अध्यक्ष बने, खडग़े को गाँधी परिवार का ही प्रतिनिधि माना जाएगा। बता रहे हैं विशेष संवाददाता राकेश रॉकी :-

यह संयोग ही था कि जिस दिन राहुल गाँधी के नेतृत्व में कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा शशि थरूर के गृह राज्य केरल से मल्लिकार्जुन खडग़े के गृह राज्य कर्नाटक पहुँची, दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए ख़ुद को पीछे कर खडग़े के नाम का समर्थन कर दिया। खडग़े और थरूर दोनों ने ही अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाख़िल किये हैं और साफ़ दिख रहा है कि गाँधी परिवार के वफ़ादार के रूप में खडग़े का कांग्रेस अध्यक्ष चुना जाना लगभग तय है। सन् 1998 में जब सोनिया गाँधी पार्टी की अध्यक्ष बनीं, उसके बाद खडग़े, (यदि चुने गये तो) पहले ग़ैर-गाँधी कांग्रेस अध्यक्ष होंगे। इससे पहले सीताराम केसरी गाँधी परिवार से बाहर के अध्यक्ष थे। यह भी हो सकता है कि नेताओं के आग्रह को मानते हुए थरूर नाम वापस ले लें और खडग़े को सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुने जाने का रास्ता साफ़ कर दें।

खडग़े के रूप में 10 जनपथ ने एक तीर से कई निशाने साध लिये हैं। सबसे बड़ा यह कि राजनीतिक विरोधी भाजपा को चुप कराने के लिए अध्यक्ष पद परिवार से बाहर के व्यक्ति को दे दिया है। हालाँकि यह भी तय है कि भाजपा का हमला फिर भी भविष्य में गाँधी परिवार पर ही सीमित रहेगा। दूसरे, एक वफ़ादार को पार्टी अध्यक्ष बनाकर सन्देश दे दिया कि वफ़ादारी का पुरुस्कार मिलता ही है। भले खडग़े ज़मीन से उठकर आये नेता हों और उनका संसदीय और राजनीतिक अनुभव किसी भी नेता के मुक़ाबले काफ़ी हो, वह कहलाएँगे गाँधी परिवार के वफ़ादार ही।

उधर खडग़े के मुक़ाबले उतरे थरूर को गाँधी परिवार का वफ़ादार नहीं कहा जा सकता और वह जी-23 में भी रहे हैं। कोई सन्देह नहीं कि थरूर भले मैदान में उतरे हैं, वह ख़ुद कह चुके हैं कि भले दोस्ताना मुक़ाबले के लिए ही सही, वह चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष पद की दौड़ में एक नामांकन के.एन. त्रिपाठी ने भी भरा है। हालाँकि न उनके जीतने की कोई उम्मीद है, और न ही उनका चर्चा है। लिहाज़ा प्रमुख रूप से खडग़े और थरूर ही मैदान में हैं।


राजस्थान का घटनाक्रम

राजस्थान की घटना के बाद ही खडग़े का नाम तय हुआ। पार्टी आलाकमान के भेजे दूतों के सामने पार्टी के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थक विधायकों ने जैसा व्यवहार किया उसने एक समय तय मानी जा रही गहलोत की कांग्रेस अध्यक्ष पद पर ताजपोशी के रास्ते में रोड़ा अटका दिया। जब यह सारा घटनाक्रम हुआ और सोनिया गाँधी के इस घटना के प्रति नाराज़गी की बात सामने आयी, तो गहलोत दिल्ली दौड़े। यह माना जाता है कि उन्होंने फोन पर गाँधी से इस घटनाक्रम पर माफ़ी माँगी और कहा कि इसमें उनकी कोई भूमिका नहीं थी।

इसके बाद देर रात सोनिया गाँधी और प्रियंका गाँधी के बीच नये अध्यक्ष को लेकर चर्चा हुई, जिसमें खडग़े का नाम तय हुआ। हालाँकि इस बीच मध्य प्रदेश के दिग्गज और दो बार मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह ने भी कहा कि वे अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ेंगे। लेकिन नामांकन के आख़िरी दिन उन्होंने ख़ुद को पीछे करके खडग़े के नाम का समर्थन कर दिया, जो स्वाभाविक रूप से गाँधी परिवार की पसन्द बन चुके थे।

देखें, तो कांग्रेस में जगजीवन राम के बाद कोई भी दलित पार्टी का अध्यक्ष नहीं बना है। जगजीवन राम 1970-71 में कांग्रेस के अध्यक्ष थे। याद रहे, इसी साल जुलाई में जब ईडी ने सोनिया-राहुल को नेशनल हेराल्ड मामले में पूछताछ के लिए अपने दफ़्तर बुलाया था, उस समय संसद में विरोध का मोर्चा खडग़े ने ही सँभाला था। खडग़े के नामांकन में जिस तरह कांग्रेस के तमाम बड़े जुटे उससे ज़ाहिर हो जाता है कि गाँधी परिवार उनके साथ है। आनंद शर्मा जैसे नेता, जो हाल के महीनों में गाँधी परिवार को लेकर विपरीत विचार रखते रहे हैं; भी इस मौक़े पर उपस्थित थे। इसी तरह महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वी राज चव्हाण ने इस मौक़े पर कहा कि उन्हें जी-23 का नाम मीडिया ने दिया और वह कभी भी पार्टी से बाहर नहीं थे। वह सिर्फ़ पार्टी की बेहतरी की बात कर रहे थे। इसके विपरीत थरूर के साथ कोई बड़ा नेता नहीं था। यहाँ तक कि उन्हें अपने गृह राज्य केरल से भी समर्थन नहीं मिल पाया।

गहलोत और पायलट का भविष्य

कांग्रेस में अब इन दोनों नेताओं के भविष्य की बड़ी चर्चा है। राजस्थान के घटनाक्रम के बाद दोनों दिल्ली में पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गाँधी से मिले और अपनी अपनी बात उनके सामने रखी। मुलाक़ात के बाद गहलोत के चेहरे और पायलट के चेहरे की भाषा से समझा जा सकता है कि गहलोत को राजस्थान की घटना से ख़ुद पर अफ़सोस है और वह महसूस करते हैं कि उनसे बड़ी ग़लती हो गयी। नहीं भूलना चाहिए कि राजस्थान की घटना से पहले गहलोत ख़ुद कह चुके थे कि वह कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ रहे हैं।

यह साफ़ है कि देर-सबेर सचिन पायलट राजस्थान में कांग्रेस की सूबेदारी सँभालेंगे। गहलोत कब तक मुख्यमंत्री रहेंगे, कहना मुश्किल है। पार्टी के संगठन मंत्री केसी वेणुगोपाल का यह बयान नहीं भूलना चाहिए कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी कुछ दिन में राजस्थान के मुख्यमंत्री को लेकर फ़ैसला करेंगी। इस बयान का कोई अर्थ निकाला जाए, तो यही है कि गहलोत की कुर्सी को लेकर कोई फ़ैसला पार्टी कर सकती है। अर्थात् उनकी कुर्सी जाने का ख़तरा भी मँडरा रहा है।

गहलोत के क़रीबी तीन बड़े नेताओं को कांग्रेस अनुशासन समिति नोटिस जारी कर चुकी है, जबकि इसके बाद बाक़ायदा एक ब्यान में पार्टी ने इन सभी नेताओं को अनुशासन की सीमा नहीं लाँघने का निर्देश दिया है। निश्चित ही जो हुआ, वह पार्टी आलाकमान के निर्देशों की नाफ़रमानी तो थी ही। पार्टी ने राजस्थान के बहाने जो सन्देश दिया, वह यही है कि आलाकमान की नाफ़रमानी करने के क्या मायने क्या हैं। भाजपा में ऐसा हुआ होता, तो शायद इन नेताओं को कब का बाहर कर दिया गया होता।

पार्टी इस समय भारत जोड़ो पद यात्रा चला रही है और उसमें जुट रही भीड़ से नेता उत्साहित हैं। तो क्या मल्लिकार्जुन खडग़े को अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस दक्षिण भारत में अपने पाँव मज़बूत करना चाहती है? लगता तो यही है। दक्षिण में कांग्रेस की इस क़वायद के पीछे भाजपा का वहाँ ख़ुद को मज़बूत करने की कोशिश भी है। कांग्रेस को पता है कि उत्तर भारत में नरेंद्र मोदी के चलते उसके लिए फ़िलहाल बहुत ज़्यादा सम्भावनाएँ नहीं हैं। यही कारण है कि गुजरात और हिमाचल जैसे राज्यों में विधानसभा चुनाव इसी साल होते हुए भी कांग्रेस की पदयात्रा दक्षिण राज्यों पर ज़्यादा केंद्रित लगती है।

भाजपा ने कांग्रेस की इस यात्रा को लेकर जिस तरह की प्रतिक्रिया दी है, उससे भी ज़ाहिर होता है कि उसे दक्षिण में कांग्रेस की इस कोशिश से चिन्ता है। वह इसके बाद दोबारा दक्षिण में सक्रिय हुई है। देखा जाए, तो दक्षिण कांग्रेस के लिए राजनीतिक ख़ज़ाने जैसा रहा है। भले कांग्रेस का बुरा दौर चल रहा हो, भविष्य में जनता क्या फ़ैसला करेगी, अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। सन् 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस यदि दक्षिण में अपनी उपस्थिति जगाने में सफल रहती है, तो यह उसकी बड़ी सफलता होगी। खडग़े अध्यक्ष के रूप में इसमें बड़ी भूमिका अदा कर सकते हैं।

यह भी तय है कि कांग्रेस उत्तर भारत को भाजपा के लिए खुले मैदान की तरह नहीं छोड़ेगी। भविष्य में उसका उत्तर भारत पर केंद्रित एक और पदयात्रा का कार्यक्रम है। यह उत्तर प्रदेश और गुजरात के अलावा अपनी सत्ता वाले राजस्थान और छत्तीसगढ़ के साथ साथ भाजपा के मध्य प्रदेश पर ज़्यादा केंद्रित होगा। इसमें कोई दो-राय नहीं कि भारत जोड़ो यात्रा से कांग्रेस देश की जनता का ध्यान अपनी तरफ़ खींचने में सफल रही है।

भले उत्तर भारत के मीडिया या टीवी चैनल इस यात्रा को ज़्यादा तरजीह न दे रहे हों, दक्षिण के स्थानीय मीडिया में राहुल गाँधी को ख़ूब जगह मिली है। युवाओं और बच्चों के आलावा महिलाओं से उनके बतियाने की उनकी तस्वीरें भी ख़ूब वायरल हुई हैं। पार्टी का आरोप रहा है कि भाजपा जानबूझकर यात्रा की चर्चा को दबाने की कोशिश करती रही है, क्योंकि उसमें इस यात्रा की सफलता से काफ़ी बेचैनी है। हालाँकि भाजपा इससे इनकार करती रही है।

खडग़े कांग्रेस की भविष्य की राजनीति में फिट बैठते हैं। वह वरिष्ठ भी हैं और निर्विवाद भी। अध्यक्ष के रूप में उनके लिए काम करना इसलिए भी कठिन नहीं होगा। दूसरे अब सोनिया गाँधी, राहुल और प्रियंका रणनीति पर फोकस कर सकेंगे और खडग़े अध्यक्ष बनने पर पार्टी मामलों को देख सकेंगे।

अभी होगा फेरबदल
यह तय है कि कांग्रेस में अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया पूरी होते ही राज्य इकाइयों के साथ-साथ एआईसीसी और सीडब्ल्यूसी में बड़ा फेरबदल देखने को मिलेगा। चूँकि खडग़े चुनाव के ज़रिये जीतकर अध्यक्ष बनेंगे, पार्टी के भीतर जी-23 की माँग भी पूरी हो गयी है। ऐसे में खडग़े जो भी टीम बनाएँगे, उस पर गाँधी परिवार की पूरी छाप होगी। जानकारों के मुताबिक, आने वाले समय में विरोध के स्वर उठाने वालों को किनारे कर दिया जाएगा, क्योंकि ज़्यादातर नियुक्तियाँ राहुल गाँधी की पसन्द के नेताओं से होंगी। बता दें कि ख़ुद खडग़े राहुल गाँधी की टीम के सदस्य हैं। ऐसे में खडग़े भले अपने अनुभव से पार्टी को नयी दिशा दें, छाप उस पर राहुल गाँधी की ही होगी। हाल के समय में राज्यों में राहुल गाँधी ने अपनी पसन्द के कई नेताओं की नियुक्तियाँ करवायी थीं, यह सिलसिला अब बिना विरोध चलेगा।

‘तहलका’ की जानकारी के मुताबिक, चुनाव के बाद सोनिया गाँधी के सामने पार्टी की चेयरपर्सन या सलाहकार बनने का प्रस्ताव रखा जा सकता है। अभी यह भी तय नहीं है कि सोनिया गाँधी अगला चुनाव लड़ेंगी या नहीं। लेकिन उनका विपक्षी दलों के नेताओं से जैसा तालमेल है, उसे देखते हुए पार्टी को उनकी हमेशा ज़रूरत रहेगी।


नेहरू / गाँधी परिवार के अध्यक्ष

2 पंडित नेहरू : 5 साल
2 इंदिरा गाँधी : 7 साल
2 राजीव गाँधी : 6 साल
2 सोनिया गाँधी : 22 साल (19 पूर्ण, 3 साल अंतरिम)
2 राहुल गाँधी : 2 साल

कांग्रेस के अध्यक्ष
देश की सबसे पुरानी पार्टी और भारत के हर विकास और संकट को सत्ता में रहकर अन्य दलों के मुक़ाबले ज़्यादा क़रीबी से देखने वाली कांग्रेस में नया अध्यक्ष बनने की तैयारी है। यदि नज़र दौड़ाएँ, तो सन् 1947 में स्वतंत्रता के बाद अब तक कांग्रेस के 19 अध्यक्ष बने, जिनमें नेहरू-गाँधी परिवार से पाँच जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गाँधी, राजीव गाँधी, सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी अध्यक्ष रहे। हालाँकि कुल 75 वर्षों में से 41 साल नेहरू-गाँधी परिवार के सदस्य अध्यक्ष रहे और इनमें से भी सबसे लम्बा 22 साल का कार्यकाल सोनिया गाँधी का रहा। नेहरू-गाँधी परिवार से बाहर के नेताओं की बात करें, तो इनमें जे.बी. कृपलानी, बी. पट्टाभि सीतारमैया, पुरुषोत्तम दास टंडन, यूएन ढेबर, नीलम संजीव रेड्डी, के. कामराज, एस. निजलिंगप्पा, जगजीवन राम, शंकर दयाल शर्मा, डी.के. बरुआ, राजीव गाँधी, पी.वी. नरसिम्हा राव, सीताराम केसरी, सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी प्रमुख रहे हैं।

कई बार टूटी है कांग्रेस

आज़ादी के बाद से आज तक कांग्रेस कई बार टूटी है। जे.बी. कृपलानी से लेकर ग़ुलाम नबी आज़ाद तक कांग्रेस ने टूटने के गहरे ज़ख़्म कई बार झेले हैं। राजस्थान में पार्टी के संकट का भले बिना टूटे हल निकल आये, देश में बने अधिकतर क्षेत्रीय दल कांग्रेस से ही निकले हैं। वैसे तो कांग्रेस सबसे पहले आज़ादी से पूर्व तब टूटी थी, जब सन् 1923 में चौरी चौरा कांड के बाद गाँधी जी के असयोग आन्दोलन वापस लेने के विरोध में चितरंजन दास, नरसिंह चिंतामन केलकर, मोतीलाल नेहरू और बिट्ठलभाई पटेल कांग्रेस से अलग हो गये और कांग्रेस स्वराज्य पार्टी बना ली। इसके बाद सन् 1939 में सुभाष चंद्र बोस ने भीतरी खींचतान से परेशान होकर कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया और भारतीय फारवर्ड ब्लॉक का गठन किया। आज़ादी के बाद की बात करें, तो सन् 1951 में आचार्य जे.बी. कृपलानी जवाहर लाल नेहरू और सरदार पटेल से सैद्धांतिक मतभेद के कारण कांग्रेस से बाहर चले गये। उन्होंने किसान मज़दूर पार्टी का गठन किया, जिसका बाद में समाजवादी पार्टी में विलय हो गया। कांग्रेस से एक और बड़े नेता की विदाई सन् 1956 में स्वतन्त्र भारत के दूसरे गवर्नर जनरल और प्रथम भारतीय गवर्नर जनरल सी. राजगोपालाचारी के रूप में हुई, जिन्होंने इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी गठित की। तीन साल बाद सन् 1959 में कांग्रेस में पहली बड़ी टूट हुई, जब उसकी राजस्थान, गुजरात, बिहार और ओडिशा की राज्य इकाइयों में बग़ावत के बाद के.एम. जॉर्ज के नेतृत्व में केरल कांग्रेस बनी। इसके बाद किसान नेता चरण सिंह सन् 1967 में कांग्रेस छोडक़र चले गये और भारतीय क्रान्ति दल का गठन किया।

इसी पार्टी को आज राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के नाम से जाना जाता है। नेहरू-गाँधी परिवार में मोती लाल के बाद कांग्रेस से अलग होकर पार्टी बनाने वाली इंदिरा गाँधी दूसरी नेता थीं। सन् 1969 में जब उन्हें कांग्रेस से बर्ख़ास्त करने का फ़रमान जारी हुआ, तो उन्होंने कांग्रेस (आर) का गठन कर लिया, जो बाद में कांग्रेस(आई) कहलायी। यही पार्टी आज तक अस्तित्व में है और इसे अब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) कहते हैं। हालाँकि इसके बाद भी कांग्रेस से कई नेता बाहर गये, जिन्होंने अलग दल बना लिये। इनमें पहला बड़ा नाम वी.पी. सिंह का था, जिन्होंने राजीव गाँधी से अलग होकर अरुण नेहरू के साथ जनमोर्चा का गठन किया। बाद में जनमोर्चा भी एकजुट नहीं रहा और उसके नेताओं ने जनता दल, जनता दल (यू), राजद और समाजवादी पार्टी जैसी क्षेत्रीय दल बनाये। एक और बड़ा विद्रोह कांग्रेस में सन् 1999 में हुआ, जब पहले शरद पवार, तारिक अनवर और पी.ए. संगमा ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) बनायी और उसी साल ममता बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का गठन किया। इसके बाद आंध्र प्रदेश में कांग्रेस से अलग जाकर वाईएसआर कांग्रेस और जनता कांग्रेस, ओडिशा में बीजू जनता दल, जबकि जम्मू-कश्मीर में मुफ़्ती मोहम्मद सईद और उनकी बेटी महबूबा मुफ़्ती ने पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) बना ली। इनमें से कई दल राज्यों में सत्ता में भी आये या आज भी हैं। सोनिया गाँधी के कांग्रेस का ज़िम्मा सँभालने के बाद यह टूट हुई। हालाँकि उनके ही नेतृत्व में कांग्रेस का यूपीए गठबंधन केंद्र में सत्ता में आया। इसके बाद कुछ नेता कांग्रेस से बाहर गये। हालाँकि उनमें से ज़्यादातर भाजपा में शामिल हुए। इनमें असम में हिमंत बिस्वा सरमा, मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया, उत्तर प्रदेश में जितिन प्रसाद जैसे नाम शामिल हैं। सन् 2021 में कांग्रेस में पंजाब में बड़ी टूट हुई, जब कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस छोडक़र पंजाब लोक कांग्रेस बनायी और सितंबर, 2022 में इसका भाजपा में विलय कर दिया। इस दौरान सुनील जाखड़ भी भाजपा में शामिल हो गये थे। इसी साल कांग्रेस का मुस्लिम चेहरा माने जाने वाले ग़ुलाम नबी आज़ाद कांग्रेस से विदा हो गये और गृह राज्य जम्मू कश्मीर में डेमोक्रेटिक आज़ाद पार्टी का गठन कर लिया।

खडग़े का सफ़र

मज़दूर आन्दोलन से राजनीतिक सफ़र की शुरुआत करने वाले मल्लिकार्जुन खडग़े ज़मीन पर कितने मज़बूत हैं, यह इस बात से साफ़ हो जाता है कि सन् 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की लहार में जब कांग्रेस 54 सीटों पर ही सिमट गयी थे और पार्टी के बड़े-बड़े दिग्गज चुनाव में पटखनी खा गये थे, खडग़े ने कर्नाटक के गुलबर्ग से चुनाव जीता था। जीत का फ़ायदा उन्हें यह मिला कि पार्टी ने लोकसभा में कांग्रेस दल का नेता बना दिया।

क़रीब 50 साल से ज़्यादा समय से खडग़े राजनीति में पैर जमाये हुए हैं। कांग्रेस में उनकी पहली बड़ी शुरुआत तब हुई, जब सन् 1969 में कर्नाटक के गुलबर्गा शहर का उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया। इसके बाद सन् 1972 में वह विधायक बन गये और जनता में अपनी जबरदस्त पैठ के चलते सन् 2008 तक लगातार विधायक चुने जाते रहे। खडग़े अपने राजनीतिक करियर में नौ बार विधायक बने। सन् 2009 में पार्टी ने उन्हें गुलबर्गा लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया और उन्होंने जीत हासिल की। इसके बाद सन् 2014 में भी वह इसी सीट से सांसद बने।

इसके बाद सन् 2019 में महाराष्ट्र में जब धुर-विरोधी शिवसेना के साथ गठबंधन की बात आयी, तो पार्टी अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने उन पर भरोसा जताते हुए उन्हें दूत बनाकर वहाँ भेजा। खडग़े ने पार्टी अध्यक्ष की ज़िम्मेदारी को बख़ूबी निभाया और मिशन में सफल रहे।

एक मौक़े पर सन् 2013 में खडग़े कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे थे। हालाँकि उन्हें केंद्र की राजनीति में रहने का आग्रह किया गया, जिसके बाद सिद्धरमैया कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने। उस समय खडग़े मनमोहन सिंह सरकार में केबिनेट मंत्री थे। कर्नाटक के चुनाव के बाद उन्हें रेल मंत्री बना दिया गया। खडग़े पाँच साल (सन् 2009 से सन् 2014) तक मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री रहे। खडग़े भले सन् 2019 के लोकसभा चुनाव में हार गये; लेकिन उन्हें पार्टी ने बिना देर किये राज्यसभा भेज दिया। ग़ुलाम नबी आज़ाद का कार्यकाल जब ख़त्म हुआ, तो खडग़े ही राज्यसभा में पार्टी के नेता बने।

खडग़े की छवि वैसे ईमानदार नेता की रही है। कोई बड़ा विवाद भी उनके नाम नहीं। हालाँकि सन् 2000 में खडग़े तब संकट में फँसते दिखे थे, जब चंदन तस्कर वीरप्पन ने कन्नड़ सुपरस्टार राजकुमार का अपहरण किया था। खडग़े के प्रदेश के गृह मंत्री रहते यह हुआ। लिहाज़ा विपक्ष ने उन पर कई सवाल उठाये थे। अब 2022 में नेशनल हेराल्ड मामले में प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने उनसे पूछताछ की थी। इसके अलावा कभी उन पर भ्रष्टाचार या कोई गम्भीर आरोप कभी नहीं लगा है।

खडग़े की एक और ख़ासियत यह है कि दक्षिण भारत का होने के बावजूद उन्हें बोलना अच्छा लगता है। वह सदन में हमेशा हिन्दी में अपनी बात रखते रहे हैं। उन्हें राहुल गाँधी का नजदीकी माना जाता है और लोकसभा में राहुल गाँधी ने रफाल से लेकर नोटबंदी, महँगाई और बेरोज़गारी पर जब भी बोला, खडग़े ने इन मुद्दों को आगे तक बढ़ाने का काम बख़ूबी किया। खडग़े के परिवार में पत्न राधाबाई और तीन बेटियाँ और दो बेटे हैं। एक बेटे का कर्नाटक के बेंगलूरु में स्पर्श नाम से अस्पताल है, जबकि दूसरा बेटा विधायक है। सन् 2019 चुनाव के दौरान घोषणा में खडग़े ने अपनी सम्पत्ति 10 करोड़ के क़रीब ज़ाहिर की थी।

आज़ाद ने बना ली नयी पार्टी
कांग्रेस से बाहर होने के बाद आख़िर वरिष्ठ नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ग़ुलाम नबी आज़ाद ने 26 सितंबर को अपनी नयी पार्टी के नाम की घोषणा कर दी। उन्होंने अपनी नयी पार्टी का नाम डेमोक्रेटिक आज़ाद पार्टी रखा है। पार्टी के नाम की घोषणा के बाद आज़ाद ने कहा कि वह नवरात्रि के शुभ अवसर पर पार्टी की शुरुआत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी का नाम डेमोक्रेटिक आज़ाद पार्टी है। उन्होंने कहा कि पार्टी की अपनी सोच होगी, किसी से प्रभावित नहीं होगी। आज़ाद का मतलब होता है स्वतंत्र। नीचे से चुनाव होंगे और एक हाथ में ताक़त नहीं रहेगी और जो हमारा संविधान होगा उसमें प्रावधान होगा पूर्ण लोकतंत्र के आधार पर। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में किसी भी पार्टी का नाम रखना मुश्किल होता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आज़ाद भविष्य में क्या फ़ैसला करते हैं। उनके भाजपा के साथ जाने की अटकलें लगती रही हैं; लेकिन अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। वह भाजपा के विरोधी रहे हैं। लेकिन यह तय है कि आज़ाद ने अपनी राजनीति गृह राज्य तक सीमित रखने का फ़ैसला किया है। उनके साथ कुछ लोग गये हैं; लेकिन ज़िला इकाइयाँ अभी भी मूल कांग्रेस के साथ हैं। लिहाज़ा उनका रास्ता उनका सरल नहीं दिखता।

अनुच्छेद-370 ख़त्म होने के बाद जम्मू-कश्मीर में काफ़ी बदल गया है। राजनीति का रंगरूप भी। ख़ुद आज़ाद का कहना है कि अनुच्छेद-370 ख़त्म होने के बाद जब वह पहली बार सूबे में आये, तो यहाँ ट्रांसपोर्ट ख़त्म हो गया था। दुकानें ख़त्म हो गयी थीं, और 70 फ़ीसदी इंडस्ट्री बन्द हो गयी थीं। उनके मुताबिक, उन्होंने पता किया कि ऐसा क्यों हुआ? तो पता लगा कि उनमें अधिकतर सामान श्रीनगर जाता था। फ़िलहाल आज़ाद जम्मू-कश्मीर पर फोकस कर रहे हैं और यदि भाजपा के साथ उनके जाने की बात सामने आती है, तो कश्मीर में उन्हें लेने-के-देने पड़ जाएँगे।


थरूर का राजनीतिक सफ़र

कांग्रेस के भीतर अभी तक जी-23 के धड़े के साथ रहने वाले शशि थरूर पूर्व राजनयिक हैं। सन् 2009 के बाद से वह केरल के तिरुवनंतपुरम से लोक सभा सदस्य हैं। सन् 2009 से सन् 2010 तक वह मनमोहन सिंह सरकार में विदेश राज्य मंत्री और सन् 2012 से सन् 2014 तक मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री रहे। सन् 2007 तक वह संयुक्त राष्ट्र के करियर अधिकारी थे। थरूर सन् 2006 में यूएन महासचिव पद के लिए चुनाव लड़ चुके हैं। हालाँकि बान की मून की तुलना में वह दूसरे स्थान पर रहे।

एक उपन्यासकार के रूप में भी उनकी अच्छी पहचान है। उन्होंने सन् 1981 से कथा और ग़ैर-कथाओं की 17 बेस्टसेलिंग पुस्तकें लिखी हैं। यह पुस्तकें भारत के इतिहास, संस्कृति, फ़िल्म, राजनीति, समाज, विदेश नीति और अधिक सम्बन्धित विषयों पर हैं। मार्च, 2009 में थरूर ने केरल के तिरुवनंतपुरम में कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में पहली बार चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार में राज्य मंत्री बनाया गया। इसके बाद मई, 2009 में उन्होंने विदेश मामलों के राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली। मई, 2014 में थरूर ने तिरुवनंतपुरम से फिर से चुनाव जीता और मोदी की लहर में भाजपा के उम्मीदवार राजगोपाल को क़रीब 15,700 वोटों के अन्तर से हराया। अब वह कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में उम्मीदवार हैं।

अपंग क़ानून

चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के छात्रावास की लड़कियों के निजी वीडियो की रिकॉर्डिंग और उसके प्रसार और वायरल होने की ख़बर ने जहाँ भय और क्रोध की आँधी पैदा की, वहीं इसकी ज़रूरत भी अब महसूस होने लगी है कि निजता के अधिकार के लिए एक सुरक्षित क़ानून बने। चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में इसकी माँग ज़ोर पकडऩे लगी है। नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ स्टडी एंड रिसर्च इन लॉ में एसोसिएट प्रोफेसर और डीन संगीता लाहा की ‘तहलका’ के इस अंक की कवर स्टोरी ‘निजता में ताक-झाँक’ बताती हैं कि हाल में छात्राओं के निजी वीडियो के कथित रूप से लीक पर क्यों विवाद पैदा हुआ है। मोहाली स्थित चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में छात्राओं की निजता के सार्वजानिक होने से इस मुद्दे की संवेदनशीलता और बढ़ गयी है। इस घटना के बाद छात्रों के ग़ुस्से से उपजे प्रदर्शन के बाद जिस तरह यह घटना राष्ट्रीय सुर्ख़ियों में आयी और चिन्तित माता-पिता अपनी बेटियों को घर ले जाने के लिए अगले दिन यूनिवर्सिटी परिसर पहुँच गये, उससे गम्भीरता का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।

छात्रावास में साथी छात्राओं के आपत्तिजनक वीडियो के कथित रूप से साझा होने ने इस निजी यूनिवर्सिटी में भय, अफ़वाहों और अशान्ति का माहौल बना दिया। घटना सामने आने के बाद कुछ गिरफ़्तारियाँ भी हुई हैं। हालाँकि अधिकारियों ने दावा किया कि किसी तरह की गोपनीयता भंग नहीं हुई है। लेकिन तब तक चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के प्रो-चांसलर डॉ. आर.एस. बावा ने एक बयान में कहा- ‘सोशल मीडिया पर ऐसा कहा गया कि 60 आपत्तिजनक एमएमएस साझा किये गये, जिसके बाद कुछ लड़कियों ने आत्महत्या का प्रयास किया। यह पूरी तरह से झूठ और निराधार है। यूनिवर्सिटी की प्रारम्भिक जाँच के दौरान किसी भी छात्र से कोई वीडियो नहीं मिला, सिवाय एक लडक़ी के शूट किये गये निजी वीडियो के। इसे उसने अपने प्रेमी के साथ साझा किया था।’

वैसे घटना की ख़बर जंगल में आग की तरह फैल गयी थी। छात्रों का सवाल है कि अगर कोई वीडियो नहीं था, तो यूनिवर्सिटी की पोस्ट ग्रेजुएट प्रथम वर्ष की एक छात्रा, जो विवाद के केंद्र में थी; को सेना के एक कर्मचारी (कथित प्रेमी) और हिमाचल प्रदेश के शिमला ज़िले के रोहड़ू गाँव के एक मूल निवासी के साथ गिरफ़्तार क्यों किया गया?

निजता का उल्लंघन वाली इस घटना ने यूनिवर्सिटी के मेनेजमेंट, क़ानून और समाज के सामने कई सवाल खड़े कर दिये हैं। यह जगाने वाली घटना है, क्योंकि देश में हर दिन और हर घंटे इसी तरह की घटनाएँ होती रहती हैं। क़ानूनी प्रावधानों के बारे में जागरूकता की कमी, सामाजिक कलंक के डर और क़ानून लागू करने वाली एजेंसियों के भरोसे की कमी के कारण ऐसी अधिकांश घटनाओं की रिपोर्ट नहीं की जाती है। इस मामले में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस प्रकरण की जाँच शुरू करवायी है, जिसमें कहा गया है कि बेटियाँ पंजाब की गरिमा और गौरव हैं। मजिस्ट्रियल जाँच के आदेश के अलावा एक विशेष जाँच दल का गठन किया गया है। राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने भी इस मामले में स$ख्ती से निपटने के लिए पंजाब के डीजीपी को पत्र लिखा है। इसके बाद घटना की प्राथमिकी धारा-66(ई) आईटी अधिनियम (गोपनीयता का उल्लंघन) के तहत दर्ज की गयी, जिसमें आरोपियों पर दृश्यरतिकता यानी छिप-छिपकर देखने (जो आईपीसी की धारा-354 (सी) के तहत एक अपराध है) का आरोप लगाया गया है।

इस घटना ने एक बार फिर निजता के अधिकार को सुरक्षित रखने का साफ़ सन्देश दिया है? वास्तव में छात्राओं की निजता का उल्लंघन बड़ी चिन्ता का विषय है, जो सार्वजनिक रूप से उभरे रोष के बीच इस बात पर ज़ोर देता है कि निजता की रक्षा की जानी चाहिए। इन मामलों से यह भी ज़ाहिर हुआ है कि उपलब्ध क़ानून साइबर अपराधों से निबटने में नाकाम रहा है।