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बलूचिस्तान में हुए धमाके में पाकिस्तान ने भारत पर लगाया आरोप

आरोपों को खारिज करते हुए भारत ने दिया मुंहतोड़ जवाब

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने पाकिस्तान के आरोपों की निंदा करते हुए कहा कि पाकिस्तान अपने मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए इस तरह के हथकंडे अपनाता रहा है। भारत ने सोमवार को बलूचिस्तान के खुजदार शहर में एक स्कूल बस पर हुए आत्मघाती हमले में भारत की संलिप्तता के पाकिस्तान के आरोपों को खारिज करते हुए मुंहतोड़ जवाब दिया है। इस हमले में चार बच्चे मारे गए थे।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने आरोपों की निंदा करते हुए कहा कि पाकिस्तान अपने मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए इस तरह के हथकंडे अपनाता है। भारत ने घटना में हुई मौतों पर भी संवेदना व्यक्त की। जायसवाल ने एक बयान में कहा, “भारत आज खुजदार में हुई घटना में भारत की संलिप्तता के बारे में पाकिस्तान द्वारा लगाए गए निराधार आरोपों को खारिज करता है। भारत ऐसी सभी घटनाओं में हुई मौतों पर शोक व्यक्त करता है। हालांकि, आतंकवाद के वैश्विक केंद्र के रूप में अपनी प्रतिष्ठा से ध्यान हटाने और अपनी खुद की बड़ी विफलताओं को छिपाने के लिए, अपने सभी आंतरिक मुद्दों के लिए भारत को दोष देना पाकिस्तान के लिए दूसरी प्रकृति बन गई है। दुनिया को धोखा देने की यह कोशिश विफल होने के लिए अभिशप्त है।”

पाकिस्तान ने बुधवार सुबह बलूचिस्तान के खुजदार शहर में एक स्कूल बस पर हुए संदिग्ध आत्मघाती हमले में भारत की संलिप्तता का आरोप लगाया था। जब विस्फोट हुआ, तब खुजदार में सेना द्वारा संचालित स्कूल जा रही बस में लगभग 40 छात्र सवार थे, जिनमें से कई घायल हो गए। पाकिस्तान की सेना और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हमले की निंदा की और इस घटना के लिए ‘भारतीय आतंकी एजेंटों’ को दोषी ठहराया। हालांकि, हर बार की तरह इस बार भी इस दावे का समर्थन करने के लिए कोई सबूत नहीं दिया गया। पाकिस्तानी सेना की मीडिया शाखा ने कहा, ”इस कायरतापूर्ण प्रायोजित हमले के योजनाकारों, उकसाने वालों का पता लगाया जाएगा और उन्हें न्याय के कटघरे में लाया जाएगा।” बलूचिस्तान में हुए इस हमले में अभी तक किसी भी समूह ने जिम्मेदारी नहीं ली है। साल 2014 में पाकिस्तान में सबसे घातक आतंकी हमलों में से एक में 130 से अधिक स्कूली बच्चों की जान चली गई थी। यह पेशावर के एक सैन्य स्कूल पर हुआ था। उस हमले की जिम्मेदारी तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने ली थी।

युद्धविराम के बावजूद सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय पूरी तरह अलर्ट मोड

अंजलि भाटिया 

नई दिल्ली ,20 मई, भारत-पाकिस्तान के बीच 10 मई को भले ही युद्धविराम हो गया हो, लेकिन सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय पूरी तरह अलर्ट मोड पर बना हुआ है। मंत्रालय की ओर से बनाए गए कंट्रोल रूम अब भी सक्रिय हैं और पूरे देश में हाईवे से लेकर अहम बुनियादी ढांचे तक पर नजर बनाए हुए हैं।

सूत्रों के मुताबिक, कंट्रोल रूम में 24×7 ड्यूटी के लिए वरिष्ठ अधिकारियों समेत कुल 71 कर्मचारियों की तैनाती की गई है। मंत्रालय ने 16 मई को आदेश जारी कर साफ किया कि ये व्यवस्था 23 मई तक जारी रहेगी। कंट्रोल रूम में तीन-तीन की शिफ्ट में अधिकारी और कर्मचारी तैनात हैं, जो हर पाली में निगरानी का काम कर रहे हैं। इन कंट्रोल रूम्स की जिम्मेदारी सिर्फ निगरानी तक सीमित नहीं है। इन्हें राज्यों के एनएचएआई और मंत्रालय के क्षेत्रीय अधिकारियों (RO) से लगातार इनपुट लेकर मंत्रालय तक पहुंचाना है। इसके अलावा इमरजेंसी लैंडिंग वाले हाईवे, बुनियादी ढांचे की लिस्टिंग, और ट्रैफिक की निगरानी भी इनकी जिम्मेदारी है।

मंत्रालय ने सेना की इमरजेंसी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए हाईवे पर त्वरित प्रतिक्रिया टीम (क्विक रिस्पॉन्स टीम) और इमरजेंसी रिपेयर टीम तैनात रखने के आदेश दिए हैं। ठेकेदारों और निर्माण कंपनियों की लिस्ट पहले ही तैयार कर ली गई है। साथ ही राष्ट्रीय राजमार्गों पर भारी मशीनों का रिकॉर्ड भी अपडेट किया गया है।

कंट्रोल रूम के अधिकारियों को सोशल मीडिया और न्यूज चैनलों पर चल रही हर खबर पर पैनी नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं, टोल प्लाजा के कर्मचारियों को साफ तौर पर हिदायत दी गई है कि वे वाहनों की आवाजाही से जुड़ी कोई भी जानकारी किसी से साझा न करें।

अगर कंट्रोल रूम में किसी तरह की समस्या आती है तो नोडल अधिकारियों की मदद ली जाएगी। इसके लिए एनएचएआई और एनएचएआईडीसीएल के चेयरमैन के साथ-साथ मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।

कुल मिलाकर, भले ही सीमा पर गोलियां थम गई हों, लेकिन मंत्रालय की तैयारियों में कोई ढिलाई नहीं है। हाईवे से लेकर कंट्रोल रूम तक हर मोर्चे पर मुस्तैदी बरकरार है।

अटारी-वाघा, हुसैनीवाला और फाजिल्का की सादकी सीमाओं पर बीटिंग रिट्रीट समारोह आज से फिर शुरू

अंजलि भाटिया
नई दिल्ली , 20  मई

भारत-पाकिस्तान सीमा पर पंजाब के अमृतसर के अटारी-वाघा, फिरोजपुर में हुसैनीवाला और फाजिल्का की सादकी  सीमाओं पर छोटे स्तर पर बीटिंग रिट्रीट समारोह आज फिर से शुरू करेगा। यह समारोह दोनों देशों के बीच 12 दिन के सैन्य संघर्ष के बाद आयोजित किया जा रहा है।  अधिकारियों ने बताया कि बीटिंग रिट्रीट समारोह में बीएसएफ के जवान पाकिस्तान रेंजर्स से हाथ नहीं मिलाएंगे और ध्वज उतारने की प्रक्रिया के दौरान गेट नहीं खोले जाएंगे, जैसा कि पहले घोषित किया गया था. बीएसएफ ने 8 मई को ‘सार्वजनिक सुरक्षा’ का हवाला देते हुए इन तीन स्थानों पर रिट्रीट सेरेमनी के लिए जनता के प्रवेश पर रोक लगा दी थी. बुधवार से आम लोग को इस समारोह  को देखने की अनुमति होगी . कार्यक्रम का समय शाम 6 बजे होगा.
भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के दौरान सरहद पर फेंसिंग पर लगे गेट  भी  बंद कर दिए गए थे।फेंसिंग पर लगे गेट भी किसानों के लिए खोल दिए गए हैं। अब वो   उस पार जाकर खेती भी  कर सकेंगे। बीएसएफ अधिकारियों ने बताया कि जवानों ने फेंसिंग पार सारी जमीन को चेक किया कि कहीं दुश्मन ने लैंड माइन तो नहीं बिछा दी है। पूरी तरह से संतुष्ट होेने के बाद सोमवार से गेट खोल दिए गए।
बीटिंग रिट्रीट अमृतसर के पास दोनों देशों की सीमा पर 1959 से होने वाला एक अनूठा और उत्साहपूर्ण सैन्य समारोह है, जिसमें राष्ट्रीय झंडे उतारने की प्रक्रिया शामिल होती है। इतना ही नहीं, दोनों देशों के सीमा रक्षक आमतौर पर दीवाली, ईद, स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस जैसे विशेष अवसरों पर मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं। अटारी-वाघा जॉइंट चेक पोस्ट अमृतसर से लगभग 30 किमी और पाकिस्तान के लाहौर से 22 किमी दूर है, जहां करीब 25,000 दर्शक बीटिंग रिट्रीट समारोह को देखने आते हैं।

उधारी और ठगी के शिकार हो रहे किसान

योगेश

हमारे देश के किसानों को अगर उनकी फ़सलों के बेचने पर नक़द पैसा मिलने लगे और उनके संग में ठगी न हो, वे इतने दु:खी नहीं रहेंगे, जितने दु:खी रहते हैं। इन दो कारणों से अभावों में जीवन काटने को मजबूर किसान अपनी और अपने परिवार की ज़रूरतों के लिए क़र्ज़ लेने को मजबूर होते हैं। क़र्ज़ मिलने पर वे ज़रूरतों का गला घोट देते हैं या घर में रखे अनाज, जानवर बेच देते हैं। अपने खेतों और ज़ेवर को गिरवी रख देते हैं या बेच ही देते हैं। किसानों को उनकी फ़सलों का सही भाव न मिलने से भी यह समस्या पैदा होती है। किसानों की समस्याओं को लेकर हमने जब गाँव के किसानों से बात की, तो उनके जवाबों में दु:ख और परेशानी साफ़-साफ़ दिखायी दी। रमेश नाम के एक ग़रीब किसान ने कहा कि खेती तो ज़्यादा है नहीं, तीन साल पहले बेटे की शादी में 50 हज़ार रुपये क़र्ज़ लिया था, बेटे के दहेज़ में मिले कुछ पैसे भी उधारी चुकाने में चले गये और अभी क़र्ज़ चढ़ा हुआ है। अब बहू को बच्चा होने वाला है और घर में पैसा नहीं है। बिना ब्याज के कोई पैसा देता नहीं है। बैंक भी क़र्ज़ नहीं देते। दीनदयाल नाम के एक दूसरे किसान ने कहा कि खेती में कोई फ़ायदा नहीं है, बस घर का गुज़ारा जैसे-तैसे चल जाता है।

सही बात तो यह है कि ज़्यादातर किसानों को अपनी समस्याओं को भी ठीक से रखना नहीं आता है, उनकी मुख्य समस्याएँ कई हैं। किसानों की सबसे पहली समस्या उनकी फ़सलों का सही भाव नहीं मिलना है, जो कि अभी भी ए2 प्लस एफएल, सी2 फार्मूले के हिसाब से न्यूनतम समर्थन मूल्य के रूप में मिल रहा है, जिसमें ए2 के तहत खादों और कीटनाशकों और मज़दूरी की लागत, एफएल श्रम है और सी2 के तहत भूमि का किराया और अन्य निश्चित लागत है। लेकिन किसानों को स्वामीनाथन आयोग की सिफ़ारिश के आधार पर सी2 प्लस 50 प्रतिशत के हिसाब से न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलना चाहिए। इसके साथ ही किसानों की ज़्यादातर फ़सलें उधारी में जाती हैं, जिनका समय पर भुगतान नहीं मिल पाता। उधारी के अलावा किसानों के साथ फ़सलों की तौल में, चुंगी में और फ़सलों के सही मूल्यांकन में ठगी होती है। किसानों से होने वाली ठगी के कई स्तर हैं, जिसके दो रूप हैं। एक में किसान जब कुछ ख़रीदते हैं, तो ठगे जाते हैं और दूसरे रूप में जब किसान अपनी फ़सलों को बेचते हैं, कई स्तरों पर ठगे जाते हैं। इसके अलावा किसानों की फ़सलों को जब सहकारी, निजी और सरकारी संस्थाएँ उधार लेती है, तो किसानों को उनके पैसे पर ब्याज नहीं मिलता है; लेकिन जब किसान क़र्ज़ या कोई चीज़ उधार लेते हैं, तो उन्हें ब्याज देना पड़ता है। खादों, बीजों और कीटनाशकों को उधार लेने पर ये सब उन्हें नक़ली और महँगे ख़रीदने पड़ते हैं।

किसानों की फ़सलें अक्सर उधार बिकती हैं, जिसके चलते छोटे और सीमांत किसानों को तत्काल नक़दी की ज़रूरत होने के चलते वे अपनी फ़सलों को स्थानीय व्यापारियों को सस्ते में बेच देते हैं, नहीं तो क़र्ज़ लेते हैं। इस एक वजह से हमारे देश के किसानों को हर साल करोड़ों रुपये का नुक़सान उठाना पड़ता है। कई बार व्यापारी किसानों की फ़सलें उधार लेकर फ़रार हो जाते हैं। हमारे देश के ज़्यादातर किसान पिछला क़र्ज़ चुकाने के लिए अपनी फ़सलों को नक़द बेचना चाहते हैं, जिसके चलते उन्हें हर फ़सल में 15 प्रतिशत तक का नुक़सान उठाना पड़ता है।

अगर कुल नुक़सान की बात करें, तो किसान को अपनी फ़सल की कम क़ीमत पर बेचने और महँगे बीज, खाद, कीटनाशक ख़रीदने के अलावा अपनी फ़सलों पर मज़दूरी, बुवाई, ढुलाई, जुताई, कटाई, निराई-गुड़ाई और आढ़त देने के चलते उन्हें कुल 40 प्रतिशत तक का नुक़सान हर फ़सल पर उठाना पड़ता है। क़र्ज़ का ब्याज लगाकर किसानों का ये नुक़सान और बढ़ जाता है। सरकार की कई व्यवस्थाएँ किसानों को अपनी फ़सलों को स्वतंत्र रूप से महँगे भाव में बेचने और अपनी फ़सलों की मनचाही क़ीमत तय करने से रोकती हैं, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति नहीं सुधर पाती है। अब केंद्र सरकार किसानों के किसान क्रेडिट कार्ड देकर भी अल्पकालीन क़र्ज़ देने का काम कर रही है, जिसके समय पर न चुकाने पर किसानों को 30 प्रतिशत से ज़्यादा तक का ब्याज देना पड़ेगा। किसानों के लिए सरकारी योजनाओं का लाभ भी उन्हें बिना दलालों के नहीं मिल पाता, जो कि किसानों के लाभ में से बड़ी रक़म रिश्वत के रूप में ले लेते हैं। कम पढ़े-लिखे किसान मजबूरी में दलालों के माध्यम से अपने काम कराने को मजबूर होते हैं, क्योंकि ज़्यादातर बैंक कर्मचारी, कृषि सम्बन्धी कर्मचारी उनकी फाइलों को सीधे तरीक़े से आगे नहीं बढ़ाते।

ऐसा न होने की वजह से ही किसान व्यापारियों और आढ़तियों को अपनी फ़सलें बेचते हैं, जिसमें उनके साथ ठगी होती है। अभी हाल ही में मध्य प्रदेश के ग्वालियर ज़िले में कई व्यापारी किसानों से धान लाखों रुपये के धान उधारी में ख़रीदकर फ़रार हो गये। ठगे गये किसानों ने इन व्यापारियों की शिकायत थाने में दर्ज करायी है। बिहार के शेख़पुरा ज़िले में भी रविंद्र साहू नाम का एक व्यापारी भी 15 दिन में पैसा देने का वादा करके कुछ किसानों से लगभग 50 लाख रुपये के धान ख़रीद फ़रार हो गया। उत्तर प्रदेश के फ़तेहपुर ज़िले में गुड़ बनाने वाले कुछ कोल्हू संचालक किसानों से उधार गन्ना लेकर गुड़ बनाकर उसे लेकर फ़रार हो गये। स्थानीय किसानों का कहना है कि सैकड़ों गन्ना किसान इस ठगी का शिकार हुए हैं, जिनका करोड़ों रुपया मारा गया है। मध्य प्रदेश के सनावद में भी कई किसानों से स्थानीय मंडी में एक व्यापारी 5 करोड़ रुपये की फ़सलें उधार लेकर फ़रार हो गया।

युवतियों के लिए प्रेरणा बनीं सोफ़िया और व्योमिका

ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी सारी दुनिया को देने वाली भारतीय सेना की कर्नल सोफ़िया क़ुरैशी और वायु सेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने भारत में न जाने कितनी युवतियों को सेना में शामिल होने के लिए प्रेरित किया होगा। भारत सरकार ने इन दोनों महिला अधिकारियों के द्वारा 07 मई, 2025 को नई दिल्ली में मीडिया को पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर हमले के बारे में जानकारी देने का जो फ़ैसला लिया, उसके पीछे सशक्त भारतीय नारी का संदेश देना है। इस तरह की ब्रीफिंग में पहली बार दो महिला अधिकारियों को शामिल करने के फ़ैसले की प्रशंसा हुई और सोशल मीडिया पर लाखों लोगों ने इन दोनों महिलाओं के करियर को सर्च किया।

बहरहाल इस बात का ज़िक्र करना ज़रूरी है कि देश में महिलाओं के लिए सेना में अधिकारी बनने की यात्रा सहज नहीं थी। यही नहीं, आज भी यह संघर्ष जारी है। इसके लिए इसी 09 मई को सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से फ़िलहाल शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) के तहत सेना में भर्ती होने वाली उन 69 महिला अधिकारियों को सेवामुक्त नहीं करने का निर्देश दिया है, जिन्होंने स्थायी कमीशन (परमानेंट कमीशन यानी पीसी) नहीं दिये जाने को चुनौती दी थी। सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है। केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल भाटी ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि सेना को युवा अधिकारी चाहिए और हर साल सिर्फ़ 250 अधिकारियों को ही स्थायी कमीशन दिया जाता है।

ग़ौरतलब है कि भारतीय सेना में शॉर्ट सर्विस कमीशन एक विशिष्ट अवधि के लिए सेना में सेवा करने का एक रास्ता है। इसके तहत चयनित व्यक्ति आमतौर पर 10 साल के लिए काम कर सकता है, और इस अवधि को चार साल तक बढ़ाया जा सकता है; लेकिन स्थायी कमीशन (परमानेंट कमीशन यानी पीसी) सेवानिवृत्ति तक सेना में सेवा करने की अनुमति देता है।

दरअसल 2020 में सर्वोच्च अदालत ने एक मामले में सुनवायी में एसएससी में महिलाओं की माँगों को बरक़रार रखा और सेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन प्रदान किया। ध्यान देने वाली बात यह भी है कि अपने पुरुष समकक्षों के साथ कंधा-से-कंधा मिलाकर काम करके देश के लिए महिला एसएससी अधिकारियों द्वारा दी गयी सेवा को स्वीकारते हुए सर्वोच्च अदालत ने उन महिला अधिकारियों की उपलब्धियों को सूचीबद्ध किया, जिन्होंने सशस्त्र बलों को गौरवान्वित किया था। उस सूची में पहला नाम सोफ़िया क़ुरैशी का था, जो उस समय लेफ्टिनेंट कर्नल थीं। इस मामले में केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुत अपने नोट में महिलाओं को सेना के कर्तव्य से परे आह्वान का जवाब देने के लिए शारीरिक रूप से अयोग्य बताया था। मामले की सुनवायी कर रहे तत्कालीन न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा था कि किसी भी तरह के लैंगिक भेदभाव से छुटकारा पाने के लिए दो चीज़ों की आवश्यकता होती है; प्रशासिनक इच्छाशक्ति और मानसिकता में बदलाव। सरकारी आँकड़ों के अनुसार, भारतीय थल सेना में 8,000; भारतीय वायुसेना में 1,636 और नौसेना में 748 महिला अधिकारी हैं। तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने इसी साल जनवरी में पुरुष प्रधान परिवेश में सेना में लिंग तटस्थता के लिए चल रहे प्रयासों के बाबत कहा था कि महिला अधिकारी बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। उन्होंने कहा था कि सशस्त्र बलों में महिलाओं की संख्या बढ़ती रहेगी, क्योंकि समाज के साथ-साथ सेना में भी लिंग-तटस्थता धीरे-धीरे बढ़ रही है। हालाँकि वर्तमान में तीनों सेनाओं में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की संख्या अभी बहुत कम है, जो धीरे-धीरे बढ़ रही है। थल सेना में इस साल के अंत तक महिला अधिकारियों की संख्या बढ़कर 2037 हो जाएगी।

दरअसल महिला अधिकारियों ने 2023 के बाद से ही वायु रक्षा, सिग्नल, आयुष, इंजीनियर, ख़ुफ़िया, सेवा कोर और इसी तरह की इकाइयों की कमान सँभालनी शुरू की है। पर उन्हें अभी भी सेना की पैदल सेना, बख़्तरबंद कोर और मशीनीकृत पैदल सेना की मुख्य लड़ाकू शाखाओं में शामिल होने की अनुमति नहीं है। सेना की इन शाखाओं में उन्हें पुरुषों से कमतर ही समझा जाता है। शारीरिक व मानसिक रूप से कब उन्हें फिट समझा जाएगा? यह पता नहीं।

एकता ही भारत की ताक़त

भारत-पाकिस्तान सीमा पर संक्षिप्त युद्ध ख़त्म हो गया है। एक और युद्ध है, जिसे ख़त्म किया जाना है। और यह अवसर इसी युद्ध ने दिया है। यह युद्ध है- देश के भीतर पैदा की गयी नफ़रत का; ख़ासकर हिन्दू-मुस्लिम नफ़रत का। अफ़सोस है कि नफ़रत का यह युद्ध किसी सीमा तक अब भी जारी है। इस युद्ध को भड़काने वाले गिरोह अब भी सक्रिय हैं। यह गिरोह राजनीतिक संरक्षण में ताक़तवर हुए हैं, लिहाज़ा उन्हें कोई रोकता नहीं। ज़मीन पर बेशक नफ़रत का यह सैलाब न रुका हो, देश के सर्वोच्च स्तर पर यह साबित किया गया है कि देश भक्ति धर्म से नहीं आँकी जाती, बल्कि यह ख़ून में होती है। और इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं भारतीय सेना की कर्नल सोफ़िया क़ुरैशी। जब भी वह प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए टीवी पर दिखीं, देश ने अपने भीतर एक ऊर्जा, एक भरोसा महसूस किया। यही भारत की असली ताक़त है।

पहलगाम की बैसरन घाटी की घटना याद कीजिए। आतंकवादियों ने जब 25 पर्यटकों और एक स्थानीय नागरिक की हत्या की, तो उन्होंने पर्यटकों से उनका धर्म पूछा था। आतंकवादियों का यह तरीक़ा है; क्योंकि आतंक और नफ़रत फैलाना उनका काम है। लेकिन इसकी सज़ा नफ़रती गिरोह, ट्रोल्स ने किसे दी? बेक़ुसूर कश्मीरी मुसलामानों को। दूसरे राज्यों में पढ़ रहे उनके बच्चों को। देश के दूसरे मुसलमानों को भी। उन्हें परेशान किया गया। मारा-पीटा गया। और जब पाकिस्तान के साथ तीन दिन तक युद्ध चला, पाकिस्तान की तोपों की सबसे ज़्यादा त्रासदी इन्हीं कश्मीरियों ने झेली। यह कश्मीरी मुसलमान ही थे, जो पहलगाम की घटना के बाद पूरी ताक़त से आतंकवादियों के ख़िलाफ़ सड़कों पर उतरे थे।

और उदाहरण देखिये। पाकिस्तानी मीडिया के घटिया प्रोपेगेंडा का सबसे ज़्यादा पर्दाफ़ाश किसने किया? भारतीय पत्रकार और तथ्यों के जाँचकर्ता मोहम्मद ज़ुबैर ने। पहलगाम की घटना के बाद पाकिस्तान क्रिकेट के पूर्व कप्तान अफ़रीदी ने जब बकवास की, तो उनके ख़िलाफ़ सबसे कड़े अल्फ़ाज़ का इस्तेमाल किसने किया? असदुद्दीन ओवैसी ने, जिनके ख़िलाफ़ नफ़रत भरी आग यह गैंग उगलता रहता है। उन्होंने उसके बाद भी युद्ध स्थिति में लगातार भारतीय सेना का हौसला बढ़ाने वाले बयान दिये। जब ट्रोल्स और नफ़रती गिरोह नफ़रत फैलाने में लगा था, ये तमाम मुस्लिम भारत की आवाज़ बुलंद कर रहे थे। ज़ाहिर है जब देश पर हमला होता है, सब भारतीय होते हैं और तमाम चीज़ें भूल जाते हैं।

मुस्लिम छोड़िए, इस नफ़रती गिरोह से ज़्यादा उम्मीद नहीं की जा सकती। उन्होंने तो विदेश सचिव विक्रम मिस्री को ही नहीं छोड़ा, जो एक हिन्दू हैं। क्यों? क्योंकि मोदी सरकार के युद्ध-विराम (सीजफायर) के फ़ैसले की सूचना प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने दी थी। प्रेस कॉन्फ्रेंस के तुरंत बाद हिन्दूवादी ट्रोलर उनके पीछे पड़ गये। बेहद ही सभ्य, मेहनती और ईमानदार राजनयिक मिस्री के ख़िलाफ़ हिन्दूवादी नफ़रती गैंग की इस हरकत से हर समझदार भारतीय हतप्रभ था। और उनके बचाव में सबसे पहले कौन आगे आया? हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी।

इसी तरह मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री विजय शाह ने एक सभा में कर्नल सोफ़िया क़ुरैशी का नाम लिए बिना उन्हें पाकिस्तानी आतंकियों से जोड़कर बेहूदा टिप्पणी की, कि ‘हमने उनकी बहन भेजकर उनकी ऐसी-तैसी करवायी।’ मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह के इस विवादित बयान को लेकर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सख़्त रुख़ अपनाया है। कोर्ट ने कर्नल सोफ़िया क़ुरैशी को लेकर दिये गये इस बयान पर स्वत: संज्ञान लेते हुए विजय शाह के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया, जिसके बाद मऊ क्षेत्र में उनके ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज हुई। जब इस एफआईआर के ख़िलाफ़ शाह सुप्रीम कोर्ट पहुँचे, तो वहाँ उन्हें कड़ी फटकार लगी। ऑपरेशन सिंदूर की प्रेस ब्रीफिंग में पाँच दिन तक कर्नल सोफ़िया क़ुरैशी, विंग कमांडर व्योमिका सिंह के साथ विक्रम मिस्री चेहरा रहे थे। उच्चतम तनावपूर्ण स्थिति में भारत की स्थिति और पक्ष को यह तीन देश के सामने लाये। अफ़सोस की बात है कि एक राजनीतिक पलने में पल रहे इन नफ़रतियों ने विदेश सचिव को भी नहीं बख़्शा। यहाँ तक कि कर्नल सोफ़िया क़ुरैशी पर भी भद्दी टिप्णियाँ करने से बाज़ नहीं आये।

नफ़रत का सिलसिला तो दश में 2014 के बाद ही शुरू हो गया था; लेकिन हाल के वर्षों में इसे इस हद तक आगे बढ़ाया गया है कि इसके नतीजों की कल्पना करके भी सिहरन होती है। आज देश में कितने लोग हैं, जो यह दावा कर सकें कि उनके पूर्वजों ने देश की स्वतंत्रता के संघर्ष में भागीदारी की? लेकिन कर्नल सोफ़िया को यह गौरव हासिल है। कर्नल सोफ़िया की परदादी सन् 1857 के विद्रोह में रानी लक्ष्मीबाई के साथ लड़ी थीं। ख़ुद सोफ़िया ने सन् 2017 में एक इंटरव्यू के दौरान यह बात कही थी। उनके दादा भी सेना में रहे। सच यह है कि उनके परिवार का इतिहास भारतीय सेना से जुड़ा है। उनके पिता सन् 1971 के बांग्लादेश युद्ध में लड़े थे। चाचा बीएसएफ में थे। सोफ़िया ने उस इंटरव्यू में कहा था कि दादी उन्हें झांसी की रानी के साथ सन् 1857 के विद्रोह की कहानियाँ सुनाया करती थीं।

जाने-माने लेखक और हिंदी के विद्वान सुरेश पंत कहते हैं कि ‘प्रेस ब्रीफिंग में एक मुसलमान और एक हिन्दू चेहरा होना बड़ा स्वाभाविक है, क्योंकि धर्मनिरपेक्षता भारत की और भारतीय सेना की पहचान रही है।’ नफ़रती गैंग पर कटाक्ष करते हुए वह कहते हैं- ‘धर्मनिरपेक्ष विचारधारा में विश्वास रखने वालों को सेकुलर, लिबरांडू जैसे शब्दों से लपेटकर भद्दी गालियाँ परोसने वाले संप्रदाय को भी विश्व में अपनी छवि बनाये रखने के लिए यही उचित लगा, क्योंकि यही उचित है। यही सनातन रवायत भी है।’

लेकिन नफ़रती टोला ख़ुद को और देश को सेक्युलर (धर्मनिरपेक्ष) नहीं मानता। यह माना जाता है कि सेना की तरफ़ से (ज़ाहिर है इसमें कहीं-न-कहीं सरकार का सुझाव रहा होगा) कर्नल सोफ़िया क़ुरैशी को प्रेस कॉन्फ्रेंस में लाने के पीछे बड़ा कारण उनकी योग्यता तो था ही, युद्ध पाकिस्तान से होने के कारण दुनिया को यह संदेश देना भी था कि हम धर्मनिरपेक्ष हैं। बेशक दिल्ली में सत्तारूढ़ भाजपा का घोषित नारा हिन्दू राष्ट्र हो, अंतरराष्ट्रीय मंच पर देश की एकता का संदेश देने के लिए उसे भी यह ज़रूरी लगा कि एक मुस्लिम अधिकारी को सामने रखा जाए। बेशक सेना में काम करते हुए कोई हिन्दू-मुस्लिम न होकर, सिर्फ़ भारतीय होता है। और यह भी देखिए। पाकिस्तानी आकाओं के इस आरोप कि ‘भारतीय सैनिकों ने उनकी मस्जिदों को निशाना बनाया और उन्हें नुक़सान पहुँचाया’ का जवाब भी कर्नल क़ुरैशी ने 10 मई की प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह कहकर दिया- ‘भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। हमारी सेना देश के संवैधानिक मूल्यों का बहुत प्यारा उदाहरण है।’ बाद में यही बात विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में अंग्रेजी में दोहरायी, जिन्होंने अपने सभी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कर्नल सोफ़िया की ही तरह मज़बूत और निर्भीक अधिकारी वाली झलक दिखायी।

तो नफ़रती गैंग और हिन्दूवादी ट्रोल गैंग को यह समझ लेना चाहिए कि देश की एकता और धर्मनिरपेक्षता कैसे एक-दूसरे के पूरक हैं। और जो वे कर रहे हैं, उससे सिर्फ़ और सिर्फ़ पाकिस्तान का मक़सद पूरा होता है। देश का तो सिर्फ़ नुक़सान हो रहा है। देश की यही ताक़त है। ज़्यादातर लोगों का मानना है कि जब पहली बार ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी देने के लिए उन्होंने भारतीय सेना की सिग्नल कोर की अधिकारी कर्नल सोफ़िया क़ुरैशी को टीवी पर देखा, तो उन्होंने ख़ुशी और गर्व महसूस किया। बहुत-से लोगों से इस पत्रकार की बातचीत से यही सामने आया कि वे सोचते हैं कि पाकिस्तान को जवाब देने के लिए उनसे बेहतर चेहरा शायद ही और कोई होता।

अब ज़रा कर्नल सोफ़िया के ससुर की बात भी सुनिए। मीडिया ब्रीफिंग के बाद ससुर गौसाब बागेवाडी ने जो कहा उसने हर भारतीय का दिल जीत लिया। कर्नाटक के बेलगावी ज़िले के कोन्नूर गाँव में रहने वाले गौसाब साहब ने कहा कि उनकी बहू ने पूरे परिवार को गौरवान्वित किया है। उन्होंने यह भी बताया कि कोई छ: महीने पहले कर्नल सोफ़िया गाँव आयी थीं। उन्होंने जब यह कहा कि टीवी पर देश की सेना की बात रखने का उनको अवसर देने का जब उन्हें पता चला, तो उनकी आँखों में ख़ुशी के आँसू भर गये। लोगों ने उन्हें बधाई दी। उनके बेटे और कर्नल सोफ़िया के पति भी भारतीय सेना में अधिकारी हैं। यह बताते हुए उनका चेहरा गर्व से भरा था कि गाँव भर में जश्न का माहौल है। और पूरे परिवार को अपने इन बच्चों पर गर्व है।

युद्ध बुरा होता है और सिरफिरों को छोड़कर कोई भी युद्ध से प्यार नहीं करता। लेकिन भारत और पाकिस्तान के इस युद्ध ने देश को एक अवसर दिया है कि वह ख़ुद को सही तस्वीर में परिभाषित करे। यह तस्वीर जो इस समृद्ध संस्कृति वाले देश की मूल पहचान है अर्थात् धर्मनिरपेक्षता। सभी धर्मों के लोग मिलकर इस भारत को ताक़त देते हैं। संकट की हर घड़ी में जो देश के लिए प्राणों को न्योछावर कर देने का जज़्बा रखते हैं। सीमा पर इन कुछ दिनों में पाकिस्तानी हमलों में कई आम मुसलमान नागरिकों ने अपनी जान गँवायी है और सुरक्षा बलों का हिस्सा होते हुए मुस्लिम जवान शहीद भी हुए हैं। इसलिए जो सिर्फ़ नफ़रत की भाषा समझते हैं और इतिहास को नहीं जानते, वे मौलाना अबुल कलाम आज़ाद, ख़ान अब्दुल ग$फ्फ़ार ख़ान, मौलाना मोहम्मद अली जौहर, डॉक्टर ज़ाकिर हुसैन, मौलाना हसरत मोहानी, अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ और बेग़म हज़रत महल जैसे नाम याद कर लें, जिन्होंने देश के स्वतंत्रता संग्राम में बड़ी भूमिकाएँ अदा कीं।

ऑपरेशन सिंदूर और नये भारत का निर्णय

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मई की रात को राष्ट्र के नाम अपना सबसे दृढ़ संबोधन प्रेषित किया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में घोषणा की- ‘यदि पाकिस्तान को जीवित रहना है, तो उसे आतंकवादी बुनियादी ढाँचे को नष्ट करना होगा। आतंक और वार्ता एक साथ नहीं चल सकते। आतंक और व्यापार एक साथ नहीं चल सकते। पानी और ख़ून एक साथ नहीं बह सकते।’ इन शब्दों के साथ प्रधानमंत्री ने एक नये राष्ट्रीय सिद्धांत को रेखांकित किया कि प्रत्येक आतंकवादी हमले को युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा। मोदी ने अपने भाषण में ऑपरेशन सिंदूर के लिए सशस्त्र बलों, ख़ुफ़िया एजेंसियों और वैज्ञानिकों को शुक्रिया कहा। यह ऑपरेशन 22 अप्रैल के पहलगाम नरसंहार के प्रतिशोध में 06 मई को शुरू किया गया, जो एक त्वरित और निर्णायक जवाबी हमला था। सांप्रदायिक अशान्ति फैलाने के उद्देश्य से किये गये आतंकी हमले में 25 पर्यटकों और एक टट्टू संक्रियक (टट्टू से पर्यटकों को ढोने वाले) सहित 26 लोगों को निशाना बनाया गया। प्रधानमंत्री ने तब ऐसा प्रतिशोध लेने का वादा किया था, जो उनकी (आतंकवादियों की) कल्पना से परे होगा, ऐसा माना गया। अपने वचन के अनुसार, तीनों भारतीय सेनाओं के संयुक्त हमले में भारतीय लड़ाकू विमानों ने 25 मिनट के भीतर जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख ठिकानों को नष्ट कर दिया।

ऑपरेशन का नाम ‘सिंदूर’ मोदी द्वारा चुना गया था और इसका सांस्कृतिक महत्त्व बहुत बड़ा है। विवाहित हिन्दू महिलाओं द्वारा लगाया जाने वाला लाल सिंदूर पवित्रता, पहचान और निरंतरता का प्रतीक है। पहलगाम में मारे गये कई पुरुष विवाहित हिन्दू थे। उनकी विधवाओं के सिंदूर, जो आतंकवाद द्वारा लाक्षणिक रूप से मिटा दिये गये थे; इस प्रतीकात्मक नामकरण में प्रतिध्वनित हुए। यह महज़ एक सैन्य युद्धाभ्यास नहीं था, बल्कि यह एक सांस्कृतिक दृढ़-संकल्प और भावनात्मक प्रतिक्रिया थी। हमले के बाद प्रेस वार्ता का नेतृत्व करती दो महिला अधिकारियों- कर्नल सोफ़िया क़ुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह की छवि ने लचीलेपन और सशक्तिकरण की कहानी को और मज़बूत किया। जैसा कि श्रीनगर में नियुक्त ‘तहलका’ के विशेष संवाददाता रियाज़ वानी ने आवरण कथा- ‘युद्ध-विराम के मायने’ में लिखा है कि जिस क्षण निर्दोष पर्यटकों को निशाना बनाया गया, एक बड़ा टकराव अपरिहार्य हो गया। नई दिल्ली की नपी-तुली, रणनीतिक जवाबी कार्रवाई, जिसमें नागरिकों को हताहत होने से बचाया गया और साथ ही पाकिस्तान की हवाई क्षमताओं को काफ़ी हद तक कमज़ोर कर दिया गया; यह दृढ़ संकल्प और संयम दोनों का प्रदर्शन था।

प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान के साथ भविष्य में होने वाली कोई भी बातचीत केवल आतंकवाद और पाक अधिकृत कश्मीर पर ही केंद्रित होगी। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि युद्ध-विराम पाकिस्तान के अनुरोध पर किया गया था, वैश्विक दबाव में नहीं। इस तरह मोदी ने तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की अटकलों को चुपचाप शान्त कर दिया। उन्होंने यह भी दोहराया कि भारत परमाणु ब्लैकमेल के आगे नहीं झुकेगा और किसी भी उकसावे का अपनी शर्तों पर जवाब देगा। वास्तव में ऑपरेशन सिंदूर भारत की आतंकवाद-रोधी नीति में एक बड़े बदलाव को दर्शाता है, जिसमें तुष्टिकरण की जगह कार्रवाई और कूटनीति की जगह निवारण को प्राथमिकता दी गयी है। विश्व ने अब एक नये भारत को देखा है, जो कथनी को करनी से जोड़ता है। जैसा कि प्रधानमंत्री ने निष्कर्ष निकाला, भविष्य पूरी तरह से पाकिस्तान के आचरण पर निर्भर करेगा।

इस बीच ‘तहलका’ एसआईटी द्वारा पड़ताल की गयी ‘तहलका’ की दूसरी प्रमुख रिपोर्ट- ‘बिक रहे आईपीएल के कॉर्पोरेट पास’ यह उजागर करती है कि कैसे ख़ास लोगों को मिलने वाले आईपीएल के नि:शुल्क पास और टिकट की कालाबाज़ारी फिर से शुरू हो गयी है, और पिछली पुलिस कार्रवाई के बावजूद कॉर्पोरेट बॉक्स पास चाहने वालों को मिलने वाले मुफ़्त पास की धड़ल्ले से अवैध बिक्री की जा रही है। एक अन्य सुर्ख़ियाँ बटोरने वाली बात यह है कि महान् क्रिकेटर विराट कोहली ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया है, जिससे भारतीय क्रिकेट का एक स्वर्णिम अध्याय समाप्त हो गया है। इससे कुछ दिन पहले ही महान् बल्लेबाज़ रोहित शर्मा ने भी अपनी लंबी पारी खेलकर टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह दिया था। दोनों की स्वैच्छिक-विदाई एक ऐसे युग का अंत है, जिसने भारत को एक वैश्विक क्रिकेट महाशक्ति के रूप में स्थापित किया था।

बिक रहे आईपीएल के कॉर्पोरेट पास

2023 में ‘तहलका’ के ख़ुलासे के बावजूद आईपीएल मैच के मुफ़्त पास ब्लैक कर रहे हैं दलाल

इंट्रो- क्रिकेट मैचों, ख़ासकर आईपीएल के प्रति लोगों की दीवानगी ने इस खेल को खिलाड़ियों और व्यावसायियों के लिए तो कमायी का ज़रिया बनाया ही है, इसे अवैध कमायी का धंधा भी बनाया है। आईपीएल से लेकर तमाम खेलों में लगने वाले सट्टे के साथ-साथ क्रिकेट मैदान में बैठकर क्रिकेट का आनंद लेने के लिए बिकने वाले मुफ़्त कॉम्प्लीमेंट्री पास और टिकट की कालाबाज़ारी को भी बढ़ावा दिया है। सन् 2023 में ‘तहलका’ ने आईपीएल मैच के मुफ़्त वाले पास की ब्लैकमेलिंग का भंडाफोड़ किया था, जिसके पुलिस ने इस मामले में बड़ी कार्रवाई की थी। इसके बावजूद इस बार भी दलाल भारी मुनाफ़े के लिए खुलेआम ‘बिक्री के लिए नहीं’ लिखे आईपीएल हाई ऐंड कॉर्पोरेट बॉक्स चाहने वाले प्रशंसकों को मिलने वाले कॉर्पोरेट बॉक्स पास के साथ-साथ टिकट भी महँगी दरों पर बेच रहे हैं। पढ़िए, तहलका एसआईटी की यह ख़ास रिपोर्ट :-

सन् 2023 में ‘तहलका’ ने आईपीएल मैच से जुड़े एक रैकेट का पर्दाफ़ाश किया था, जो मुफ़्त में मिलने वाले कॉम्प्लीमेंट्री पास की अवैध तरीक़े से बिक्री कर रहा था। जबकि इन पास पर स्पष्ट रूप से ‘बिक्री के लिए नहीं’ लिखा हुआ था। यह ख़बर आने के तुरंत बाद दिल्ली पुलिस हरकत में आयी और दिल्ली के अरुण जेटली क्रिकेट स्टेडियम के बाहर नक़ली आईपीएल टिकट बेचने और असली टिकट और पास की अवैध रूप से बिक्री करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया। पुलिस ने 80 नक़ली टिकट सहित 104 असली टिकट और पास ज़ब्त भी किये थे। किसी ने सोचा होगा कि इस कार्रवाई के बाद आईपीएल टिकट, विशेषकर कॉम्प्लीमेंट्री पास की कालाबाज़ारी पर पूरी तरह रोक नहीं लग पाएगी? लेकिन 2024 में थोड़ी-सी ख़ामोशी या कहें कि सतर्कता के बाद 2025 में दलाल फिर वापस आ गये हैं; बल्कि इस बार वे उच्च-स्तरीय पास की ब्लैकमेलिंग के साथ वापस आये हैं। दलाल अब फिर से प्रतिष्ठित ओल्ड क्लब हाउस (ओसीएच) कॉर्पोरेट बॉक्स 01 कॉम्प्लीमेंट्री पास को महँगी दर पर ब्लैक में बेचने की पेशकश कर रहे हैं, जो कि बिक्री के लिए नहीं हैं। असीमित बुफे और बीयर के साथ अग्रिम पंक्तियों में बैठने की अनुमति वाले ये पास दलाल 40,000 रुपये प्रति पास तक की दर से अवैध रूप से बेच रहे हैं।

‘तहलका’ के रिपोर्टर को गुड़गाँव (गुरुग्राम) के अस्थायी निवासी एक दलाल, जो एक प्रतिष्ठित भारतीय एयरलाइन्स में कार्यरत है; ने इस तरह के पास अवैध रूप से बेचने के लिए कई कॉल कीं और व्हाट्सएप संदेश भेजे। इन कॉल्स और व्हाट्सएप संदेश के ज़रिये उसने रिपोर्टर को ओसीएच कॉर्पोरेट बॉक्स कॉम्प्लीमेंट्री पास 40,000 रुपये प्रति पास की दर से बेचने की पेशकश की। पिछली बार 2023 में ‘तहलका’ ने मानक (स्टैंडर्ड) नि:शुल्क पास से जुड़े एक रैकेट का पर्दाफ़ाश किया था। इस वर्ष अभिजात्य कॉर्पोरेट बॉक्सों की बारी है, चाहे वो ओसीएच हों या वेस्ट कॉर्पोरेट पास; अब दलाल इन्हें बाज़ार में खुलेआम बेच रहे हैं।

‘यदि आप 29 अप्रैल, 2025 को दिल्ली में दिल्ली कैपिटल्स और कोलकाता नाइट राइडर्स के बीच होने वाले आईपीएल मैच के लिए ओल्ड क्लब हाउस (ओसीएच) कॉर्पोरेट बॉक्स कॉम्प्लीमेंट्री पास चाहते हैं, तो आपको मुझे 70 प्रतिशत अग्रिम भुगतान करना होगा। मैं अपनी जेब से पैसे नहीं लगाऊँगा। ये एक बार का किराया समेत 40,000 रुपये से 45,000 रुपये के बीच होगा।’ -‘तहलका’ के अंडरकवर रिपोर्टर से बातचीत में दलाल पंकज वर्मा ने कहा।

‘मेरे पास दिल्ली में 29 अप्रैल को होने वाले मैच के लिए वेस्ट कॉर्पोरेट बॉक्स 09 के दो टिकट हैं। इनकी मूल क़ीमत 27,000 रुपये प्रति टिकट है; लेकिन ये ब्लैक में 40,000 रुपये प्रति टिकट पर उपलब्ध हैं; असीमित बुफे और बीयर के साथ। मेरे पास फ़िलहाल दो टिकट हैं और मैं तीसरे की व्यवस्था कर रहा हूँ। यदि आप केवल 29 अप्रैल को दिल्ली में होने वाले मैच के लिए ओसीएच कॉर्पोरेट बॉक्स 01 कॉम्प्लीमेंट्री पास चाहते हैं, तो मेरे पास वो भी हैं। मेरे पास तीन ओसीएच कॉर्पोरेट बॉक्स कॉम्प्लीमेंट्री पास भी हैं, जिनमें से प्रत्येक की क़ीमत 40,000 रुपये है।’ – पंकज वर्मा ने ‘तहलका’ रिपोर्टर को बताया।

‘यदि आप 29 अप्रैल के मैच के लिए तीन ओसीएच कॉर्पोरेट बॉक्स 01 कॉम्प्लीमेंट्री पास चाहते हैं, तो आपको मुझे 84,000 रुपये अग्रिम भुगतान करना होगा। 40,000 रुपये प्रति पास के हिसाब से तीन पास के लिए 1,20,000 रुपये का 70 प्रतिशत।’ – पंकज ने आगे कहा।

पंकज वर्मा पूर्वी दिल्ली के रहने वाला है। एयरलाइन की नौकरी के कारण वह सन् 2019 में गुड़गाँव चला गया था, जबकि उनके माता-पिता अभी भी पूर्वी दिल्ली में ही रहते हैं। पंकज के अनुसार, वह वर्तमान में एक प्रतिष्ठित भारतीय एयरलाइन में वरिष्ठ प्रबंधक के पद पर कार्यरत है। अपनी एयरलाइन की नौकरी के साथ-साथ पंकज एक दलाल के रूप में भी काम करता है, जो न केवल नियमित और नि:शुल्क आईपीएल पास और टिकट, बल्कि अवैध रूप से प्रतिष्ठित कॉर्पोरेट बॉक्स नि:शुल्क पास की भी बिक्री करता है। पहली बार पंकज सन् 2023 में ‘तहलका’ के संपर्क में आया था, जब उसने हमारे रिपोर्टर को भारत में आयोजित 50 ओवर के आईसीसी क्रिकेट विश्व कप के लिए नि:शुल्क पास बेचे थे।

इस वर्ष 26 अप्रैल को पंकज ने ‘तहलका’ रिपोर्टर को एक व्हाट्सएप संदेश भेजा, जिसमें उसने रिपोर्टर को 27 अप्रैल, 2025 को दिल्ली कैपिटल्स और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलूरु के बीच होने वाले आईपीएल मैच के लिए ओल्ड क्लब हाउस (ओसीएच) कॉर्पोरेट बॉक्स के 01 नि:शुल्क आईपीएल पास की पेशकश की, जो बिक्री के लिए नहीं होते हैं। इसके लिए उसने रिपोर्टर से 45,000 रुपये प्रति पास की दर से ब्लैक में बेचने की पेशकश की। उसने बताया कि उनके पास दो बॉक्स पास हैं, जिनमें बुफे तक पहुँच भी शामिल है। ‘तहलका’ रिपोर्टर ने आगे खोजबीन की और पूछा कि क्या पंकज के पास 29 अप्रैल को दिल्ली में दिल्ली कैपिटल्स और कोलकाता नाइट राइडर्स के बीच होने वाले आईपीएल मैच के लिए और कॉर्पोरेट बॉक्स पास हैं? इस पर पंकज ने जवाब दिया कि वह पास की जानकारी लेकर उन्हें (रिपोर्टर को) सूचित करेगा। चूँकि बॉक्स पास बहुत महँगे थे, इसलिए हमने उन्हें न ख़रीदने का निर्णय लिया। हालाँकि पंकज को पकड़ने के लिए निर्णायक सुबूत के तौर पर उससे कुछ ख़रीदना ज़रूरी था। इसलिए ‘तहलका’ रिपोर्टर ने 27 और 29 अप्रैल को दिल्ली के अरुण जेटली स्टेडियम में दिल्ली कैपिटल्स और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलूरु, और दिल्ली कैपिटल्स और कोलकाता नाइट राइडर्स के बीच होने वाले मैचों के लिए नियमित टिकट ख़रीदने का फ़ैसला किया, जो बॉक्स पास से सस्ते हैं। तदनुसार, पंकज वर्मा और ‘तहलका’ के अंडरकवर रिपोर्टर के बीच 27 अप्रैल को दिल्ली में बैठक तय हुई।

27 अप्रैल को पंकज की मुलाक़ात ‘तहलका’ रिपोर्टर से पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार फेज-1 स्थित स्टार सिटी मॉल में हुई। यह मुलाक़ात कैफे कॉफी-डे (सीसीडी) में हुई थी। इस मुलाक़ात के दौरान पंकज ने हमारे रिपोर्टर को बताया कि वह 29 अप्रैल को दिल्ली में होने वाले आईपीएल मैच के लिए तीन ओसीएच कॉर्पोरेट बॉक्स 01 पास का इंतज़ाम कर सकता है; लेकिन इसके लिए उसे 70 से 80 प्रतिशत भुगतान पहले ही करना होगा। निम्नलिखित बातचीत में दलाल ने खुलेआम पैसे के बदले मुफ़्त आईपीएल पास बेचने की बात स्वीकार की है। उसने रिपोर्टर को बताया कि क्रिकेट टिकट और पास की ब्लैकमेलिंग आम बात है और यह सब फ़ायदे के लिए किया जाता है। उसने रिपोर्टर को पास ख़रीदने से पहले 70 से 80 प्रतिशत अग्रिम भुगतान पर ज़ोर दिया, यह समझाते हुए कि वह घाटे का जोखिम नहीं उठाना चाहता। जब पंकज से तीन टिकट की क़ीमत के बारे में पूछा गया, तो उसने स्पष्ट जवाब देने से परहेज़ किया। लेकिन यह वादा किया कि वह उपलब्ध टिकट और पास की सबसे सस्ती दरें उनसे लेगा।

रिपोर्टर : जो बॉक्स आपने मुझे (व्हाट्सएप पर) भेजा था, वो 45 के (45,000 रुपये) का है?

पंकज : हाँ।

रिपोर्टर : वो तो कॉम्प्लीमेंट्री है?

पंकज : कॉम्प्लीमेंट्री तो है, मगर जिसको ख़रीदनी है, वो ख़रीद रहे हैं। पैसे कमा रहे हैं लोग; …कुछ नहीं कर सकते।

रिपोर्टर : सर! इसके बॉक्स करवा दो 29 के?

पंकज : 29 वाला! मैंने बोला है, आप मुझे पहले पेमेंट करोगे, तभी मैं लूँगा। मैं अपने पर रिस्क नहीं लूँगा।

रिपोर्टर : कितना पेमेंट करना होगा?

पंकज : जो भी पेमेंट करना होगा, बॉक्स 45 के (हज़ार) का बोलता है या 40 का बोलता है; राइट (ठीक है)। उसकी 70 प्रतिशत, 80 प्रतिशत पेमेंट पहले होगी। उसके बाद में उनसे टिकट मँगवाऊँगा और ख़ुद ही उसको वर्क करते हैं, पोर्टर वग़ैरह करके भेजते हैं।

रिपोर्टर : तीन टिकट्स का कितना होगा पंकज भाई?

पंकज : अभी मुझे नहीं पता, कोलकाता का क्या रेट चल रहा है; मगर जो भी होगा, चीपेस्ट (सस्ता) होगा।

रिपोर्टर : 29 का किसका मैच है?

पंकज : दिल्ली वर्सेस (बनाम) कोलकाता।

अब पंकज ने ‘तहलका’ रिपोर्टर को बताया कि ओसीएच का मतलब ओल्ड क्लब हाउस है, जो स्टेडियम में एक विशिष्ट स्टैंड है। यहाँ से मैदान का शानदार दृश्य दिखायी देता है और विशेष सुविधाएँ मिलती हैं।

पंकज : ये देखिए (मुफ़्त वाला कॉम्प्लीमेंट्री क्रिकेट पास दिखाते हुए), …ये वाला दिया था मैंने आपको। कॉम्प्लीमेंट्री मैंने आपको बॉक्स का दिया था।

रिपोर्टर : ये ओसीएच का क्या मतलब है?

पंकज : ओसीएच एक्चुअली एक स्टैंड का नाम है। ये आपको मैंने फोटो भेजी थी ना ओसीएच की; …(मुफ़्त वाला कॉम्प्लीमेंट्री क्रिकेट पास दिखाते हुए) ये रहा, इसमें लिखा होता है ओल्ड क्लब हाउस।

रिपोर्टर : ओल्ड क्लब हाउस सबसे आगे है और सबसे ऊपर?

पंकज : हाँ।

रिपोर्टर : (मुफ़्त वाले कॉम्प्लीमेंट्री क्रिकेट पास दिखाकर इशारे से समझाते हुए) ये पिच है ना! सबसे ऊपर है। (लिखा हुआ दिखाते हुए) ओसीएच पॉकेट वाला ये है देखिए।

पंकज से मिलने पर ‘तहलका’ रिपोर्टर ने कॉर्पोरेट बॉक्स के क्रिकेट पास के बारे में गहनता से जानकारी हासिल की। हालाँकि रिपोर्टर इरादा पास ख़रीदने का नहीं था; क्योंकि वे महँगे हैं। लेकिन फिर भी रिपोर्टर पंकज से जानना चाहते थे कि उसके पास कितने कॉर्पोरेट बॉक्स के आईपीएल पास हैं? पंकज ने फिर दोहराया कि वह ग्राहक बनकर उससे मिले ‘तहलका’ रिपोर्टर के लिए 29 अप्रैल के कॉर्पोरेट बॉक्स पास की व्यवस्था कर देगा; लेकिन इसके लिए उसे 70 से 80 प्रतिशत अग्रिम भुगतान मिलना चाहिए।

रिपोर्टर : मुझे 29 का दीजिए सर! तीन (टिकट)।

पंकज : 29 का सर दिलवा दूँगा, कंडीशन (शर्त) वही है, पैसे मैं आपने नहीं लगाऊँगा।

रिपोर्टर : कितना होगा? …70 प्रतिशत एडवांस का?

पंकज : मुझे अभी मालूम नहीं है। आज का मैच होने के बाद कल के प्राइस खुलेंगे, 10:00 बजे के बाद।

रिपोर्टर : लेकिन हो जाएगा?

पंकज : हो जाएगा। पैसा दो और हो जाएगा। हाँ; बट (परन्तु) मुझको उसको पेमेंट पहले ही करनी होगी; ये कंडीशन रहेगी। ये वाला वो मँगवाता नहीं है, बट मैं बोल दूँगा।

रिपोर्टर : ये भी कॉम्प्लीमेंट्री होगा?

पंकज : कॉम्प्लीमेंट्री होगा या जो होगा, वो बता देगा। बट (लेकिन) एडवांस (अग्रिम भुगतान) देना होगा।

अब पंकज ने नक़ली ग्राहक बने ‘तहलका’ रिपोर्टर की माँग पर कहा कि 29 अप्रैल को दिल्ली में दिल्ली कैपिटल्स और कोलकाता नाइट राइडर्स के बीच होने वाले मैच के लिए आईपीएल ओसीएच कॉर्पोरेट बॉक्स टिकट या कॉम्प्लीमेंट्री पास के लिए 70 प्रतिशत अग्रिम राशि चाहिए। पंकज ने कहा कि हमें (रिपोर्टर को) तीन आईपीएल ओसीएच कॉर्पोरेट बॉक्स टिकट या कॉम्प्लीमेंट्री पास के लिए 84,000 रुपये का अग्रिम भुगतान करना होगा।

रिपोर्टर : मुझे 70 परसेंट बता दीजिए, …एडवांस कितना देना होगा?

पंकज : 40 थाउजेंड (40 हज़ार) का अगर है; …एक 40 (हज़ार) का हो गया, तो 70 परसेंट लगभग हो गया 27-28 थाउजेंड; ऐंड (और) तीनों का 84 थाउजेंड।

रिपोर्टर : गारंटी है ऐसा ना हो…?

पंकज : वो कोई नहीं. हम ऐसा नहीं करेंगे। आपकी भी गारंटी होनी चाहिए और हमारी भी।

रिपोर्टर : फिर पैसे कैसे लोगे आप? फिर आना पड़ेगा?

पंकज : हाँ; नहीं तो पेमेंट करवा देना।

रिपोर्टर : तो आ मुझे कब कन्फर्म करेंगे (कब बताएँगे)?

पंकज : मैं आपको कल (कन्फर्म) करूँगा। …आज 10:00 बजे के बाद बोलूँगा; क्यूँकि सब बिजी (व्यस्त) हैं। …कह रहे हैं, फोन मत करना हमको।

 27 अप्रैल को पंकज ने ‘तहलका’ के अंडरकवर रिपोर्टर को तीन सामान्य टिकट दिये, जिनमें से एक दिल्ली में उसी दिन होने वाले दिल्ली कैपिटल्स और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलूरु के बीच क्रिकेट मैच का था और दो टिकट 29 अप्रैल को दिल्ली कैपिटल्स और कोलकाता नाइट राइडर्स के बीच होने वाले मैच के थे। दोनों मैचों के तीनों टिकट पंकज ने ‘तहलका’ रिपोर्टर को ब्लैक में बेचे। लेकिन इससे पहले कि ‘तहलका’ रिपोर्टर टिकट पर ध्यान केंद्रित करते, उन्होंने पंकज से कहा कि उन्हें 29 अप्रैल के उच्च-स्तरीय ओसीएच कॉर्पोरेट बॉक्स के तीन मुफ़्त वाले कॉम्प्लीमेंट्री पास चाहिए। इससे पहले पंकज ने 28 अप्रैल को ‘तहलका’ रिपोर्टर को वेस्ट कॉर्पोरेट बॉक्स टिकट के स्क्रीनशॉट के साथ एक व्हाट्सएप मैसेज भेजा, जिसमें बताया कि उसके पास 29 अप्रैल को दिल्ली में होने वाले आईपीएल मैच के लिए वेस्ट कॉर्पोरेट बॉक्स 09 के तीन टिकट हैं, जिनकी असली क़ीमत 27 हज़ार रुपये प्रत्येक है, जिसमें अनलिमिटेड बुफे और बीयर शामिल है। पंकज ने कहा कि वह बॉक्स के तीनों टिकट उन्हें (रिपोर्टर को) 40,000 रुपये प्रति टिकट की दर से दे देगा।

इसके बाद ‘तहलका’ रिपोर्टर ने पंकज से और पूछताछ की और उसे व्हाट्सएप पर संदेश भेजा कि हमें ओसीएच कॉर्पोरेट बॉक्स पास चाहिए, न कि वेस्ट कॉर्पोरेट बॉक्स टिकट। इस पर पंकज ने रिपोर्टर को 29 अप्रैल के मैच के ओसीएच कॉर्पोरेट बॉक्स कॉम्प्लीमेंट्री पास का स्क्रीनशॉट भी व्हाट्सएप पर भेजा, जिसमें बताया कि उसके पास 40 हज़ार रुपये प्रति पास की दर से तीन ओसीएच कॉर्पोरेट बॉक्स कॉम्प्लीमेंट्री पास भी हैं। हालाँकि ये पास बेचे जाने के लिए नहीं हैं; लेकिन पंकज उन्हें ब्लैक में बेच रहा है।

05 मई, 2025 को पंकज ने ‘तहलका’ रिपोर्टर को फिर एक व्हाट्सएप संदेश भेजा, जिसमें उसने लिखा कि उसके पास 11 मई को दिल्ली में होने वाले आख़िरी आईपीएल मैच के 10 सामान्य मानार्थ पास भी हैं, जिनकी क़ीमत 7,000 रुपये प्रति पास है। पंकज के अनुसार, 7,000 की क़ीमत 04 मई के लिए है; मैच की तारीख़ नज़दीक आने पर क़ीमत बढ़ सकती है। उसने व्हाट्सएप पर यह भी लिखा कि उसके पास 11 मई को दिल्ली में होने वाले दिल्ली कैपिटल्स और गुजरात टाइटन्स के मैच के कॉर्पोरेट बॉक्स कॉम्प्लीमेंट्री पास और टिकट भी हैं। पंकज के अनुसार, यदि रिपोर्टर उससे दिल्ली में 11 मई को होने वाले मैच के 10 कॉम्प्लीमेंट्री पास ख़रीदते हैं, तो रिपोर्टर को उसे 70 हज़ार रुपये देने होंगे। उसने बताया कि ये मुफ़्त पास उसके पास उपलब्ध हैं। आईपीएल के मुफ़्त पास की ब्लैकमेलिंग की और पड़ताल के लिए ‘तहलका’ रिपोर्टर ने पंकज से कॉर्पोरेट बॉक्स कॉम्प्लीमेंट्री पास, टिकट और सामान्य टिकट माँगे, जो कि उसके अनुसार उसके पास उपलब्ध हैं। रिपोर्टर ने 11 मई को दिल्ली में हुए आख़िरी आईपीएल मैच के बारे में भी पूछा। तब पंकज ने बताया कि उसके पास नि:शुल्क पास, उस मैच के टिकट और कॉर्पोरेट बॉक्स पास, सभी उपलब्ध हैं।

चलिए, 27 अप्रैल को सीसीडी में पंकज के साथ हुई ‘तहलका’ रिपोर्टर की बैठक पर वापस आते हैं। उस मीटिंग में रिपोर्टर ने पूछा था कि उसे (पंकज को) आईपीएल के सारे पास, कॉर्पोरेट बॉक्स के पास और सामान्य टिकट कहाँ से मिलते हैं? इसके जवाब में पंकज ने कहा कि उसे ये सारे मुफ़्त-पास और टिकट प्रायोजकों (मैच आयोजकों) से मिलते हैं। प्रायोजकों को सारे पास और टिकट मिलते हैं और वे उन्हें खुले तौर पर बाज़ार में इच्छुक पार्टियों को बेच देते हैं।

रिपोर्टर : इससे पहले जो आपने भेजे थे, वो कॉम्प्लीमेंट्री थे शायद?

पंकज : नहीं, कॉम्प्लीमेंट्री भी थे और पासेज थे। मैं आपको बताता हूँ, ये स्टैंड होता है ना! वहाँ कुछ कॉम्प्लीमेंट्री भी होती हैं। 80 परसेंट सेल भी होती हैं टिकट्स, 20 परसेंट निकलती हैं कॉम्प्लीमेंट्री, जो कि अगर आपके लिंक्स होते हैं आईपीएल में या स्पॉन्सर्स होते हैं, उनको दे दिये जाते हैं, ताकि उनके जो गेस्ट हैं, वो आ जाएँ। रेट उसका भी 95 हंड्रैस (9,500 रुपये), 10 के (10 हज़ार) की है, मगर वो उसको सेल कर देते हैं। आपकी टिकट वो ही है 95 (9,500 रुपये) वाली।

पंकज ने ‘तहलका’ रिपोर्टर को यह भी बताया कि उसका एक दोस्त है, जिसके माध्यम से वह आईपीएल के मुफ़्त वाले पास और टिकट का कारोबार (अवैध रूप से) कर रहा है।

रिपोर्टर : क्या-क्या है आईपीएल में, 2025 में?

पंकज : देखो सर! मेरा तो एक फ्रेंड है, जो करता है। मैं उसी के लिए करता हूँ।

जैसे-जैसे 27 अप्रैल को ‘तहलका’ रिपोर्टर की पंकज के साथ मुलाक़ात आगे बढ़ी, उसने बताया कि उसके पास उस दिन दिल्ली और बेंगलूरु के बीच होने वाले मैच के 25 सामान्य टिकट हैं। उसने कहा कि यह दो बेहतरीन टीमों के बीच एक हाई वोल्टेज मैच है, इसलिए स्टेडियम खचाखच भरा हुआ है और टिकट ब्लैक में बेची जा रहे हैं। उसने कहा कि उस दिन के मैच के लिए उसके पास जो टिकट हैं, उनकी सामान्य दर 2,700 रुपये है; लेकिन ब्लैक में वह 5,000 से 8,000 रुपये में बिक रहे हैं। कॉर्पोरेट बॉक्स के बारे में पंकज ने रिपोर्टर को बताया कि यह एक कॉम्प्लीमेंट्री पास है, जो कि बिक्री के लिए नहीं होता। लेकिन अभी भी यह 45,000 रुपये प्रति पास के हिसाब से बिक रहा है और लोग (इन्हें बेचने वाले) इसके ज़रिये पैसा कमा रहे हैं।

पंकज : अब देखो, 2025 में क्या होता, अभी तो दिल्ली अच्छा खेल रही है, फर्स्ट पर गुजरात है।

रिपोर्टर : थर्ड पर बेंगलूरु है।

पंकज : आज काफ़ी अच्छा खेल रही है। आज है आरसीबी और दिल्ली का। आज की टिकट्स तो बहुत ब्लैक हुई हैं। स्टेडियम पैक्ड है पूरा। टफ मैच (कठिन मुक़ाबला) है आज।

रिपोर्टर : तो क्या रेट चल रहा है आज?

पंकज : मैंने बताया था आपको, मेरे पास 25 टिकट्स थीं, वो 8,000 रुपये की बिक रही हैं। बॉक्स की तो आप बात ही मत करो।

रिपोर्टर : जो बॉक्स आपने मुझे भेजा, वो 45 है?

पंकज : हाँ।

रिपोर्टर : वो तो कॉम्प्लीमेंट्री है?

पंकज : कॉम्प्लीमेंट्री तो है; मगर जिसको ख़रीदनी है, वो ख़रीद रहे हैं। पैसे कमा रहे हैं लोग। …कुछ नहीं कर सकते।

रिपोर्टर : आज के टिकट के क्या रेट हैं सर! …दिल्ली वाले के?

पंकज : मैंने बताया था आपको 5,000 रुपये के 8,000 रुपये में बिक रहे हैं।

अब पंकज ने ‘तहलका’ रिपोर्टर को आश्वासन दिया कि वह उन्हें (रिपोर्टर को) जो भी आईपीएल टिकट और पास देगा, वे सभी असली होंगे; वे नक़ली नहीं होंगे। जैसे कुछ दलाल स्टेडियम में नक़ली टिकट बेचते हैं और ऐसा करते हुए कुछ पकड़े भी गये थे।

पंकज : सबसे आगे, कोई चीटिंग नहीं है सर! …देखिए (टिकट दिखाते हुए)।

रिपोर्टर : क्या कह रहे हो आप, आपसे चीटिंग की उम्मीद! …मगर कई बार ऐसा होता है, वहाँ जो टिकट मिलते हैं, जो ब्लैक करते हैं; फ़िरोज़ शाह कोटला, अरुण जेटली स्टेडियम के बाहर, वो फेक भी दे देते हैं।

पंकज : यस, एब्स्लूटली (हाँ, बिलकुल); …कलर प्रिंटआउट ले आते हैं।

रिपोर्टर : कलर प्रिंटआउट निकालकर वो फेक दे देते हैं? …और कई लोगों के साथ हुआ है ऐसा।

पंकज : हुआ है। …हुआ होगा ऐसा।

अब पंकज ने 27 अप्रैल को दिल्ली कैपिटल्स और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलूरु के बीच होने वाले आईपीएल मैच के लिए दो मानक (स्तरीय) टिकट पेश किये, जिनमें से प्रत्येक का अंकित मूल्य 2,700 रुपये है। उसने बताया कि ये टिकट कालाबाज़ारी करके 5,000 रुपये से लेकर 8,000 रुपये तक (प्रति टिकट) में बेचे जा रहे हैं।

रिपोर्टर : ये आज का है। …संडे 27 अप्रैल, 2025; …ये 27,00 की है क्या?

पंकज : ये 27,00 की है; मगर इसकी ऑलरेडी ब्लैक हो गयी है। कोई मुझको 5,000 (रुपये) दे रहा है।

रिपोर्टर : इसका ऑलरेडी ब्लैक में 8,000 है? आज के मैच का, दिल्ली वर्सेस बेंगलूरु?

चल रही पड़ताल को और पुख़्ता करने के लिए ‘तहलका’ एसआईटी ने पंकज से सीधे आईपीएल टिकट ख़रीद लिया। हालाँकि टिकट की क़ीमत 2,700 रुपये थी; लेकिन पंकज ने रिपोर्टर से शुरुआत में 5,000 रुपये माँगे। मोल-तोल के बाद वह अपने पास मौज़ूद दो टिकट में से एक को 4,000 रुपये में बेचने को तैयार हो गया। यह लेन-देन ‘तहलका’ के गुप्त कैमरे में क़ैद हो गया, जो कि आईपीएल के टिकट की कालाबाज़ारी का ठोस सुबूत है।

रिपोर्टर : आज का तो 2,700 (रुपये) है? …मुझे कितना देना होगा आज का?

पंकज : 4 के (4,000 रुपये) दे देना। कोई आपसे वो नहीं है।

रिपोर्टर : 4,000? …ठीक है डन।

इस बातचीत में पंकज ने ‘तहलका’ रिपोर्टर को बताया कि उसने आईपीएल का एक टिकट 4,000 रुपये में बेचा था; लेकिन स्टेडियम के पास वही टिकट 8,000 रुपये तक में बिक रहा है। उसने इस बात पर ज़ोर दिया कि मैच के नज़दीक आने पर क़ीमतें बढ़ जाती हैं, विशेष रूप से 27 अप्रैल को दिल्ली कैपिटल्स और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलूरु के बीच होने वाले मुक़ाबले जैसे उच्च माँग वाले मैचों के लिए।

रिपोर्टर : आज का ये महँगा होगा?

पंकज : बहुत महँगा होगा। …वहाँ पर जाओगे स्टेडियम पर, तो और महँगा होगा।

रिपोर्टर : 8,000 रुपये?

पंकज : आराम से।

इस बातचीत में पंकज 27 अप्रैल को दिल्ली में होने वाले आईपीएल मैच के लिए ओल्ड क्लब हाउस (ओसीएच) कॉर्पोरेट बॉक्स पास बेचने के लिए रिपोर्टर को समझा रहा था। उसने इन पास में से प्रत्येक की क़ीमत 35,000 रुपये है। पंकज ने इस बात पर ज़ोर दिया कि ये कॉम्प्लीमेंट्री पास हैं, तथा इनमें बुफे सेवाएँ भी शामिल हैं, जो एक प्रीमियम अनुभव का संकेत देती हैं।

पंकज : देखो, (अपने मोबाइल में आईपीएल पास के ब्लैक में रेट दिखाते हुए) आज के मैच के मेरे पास ये आ गये।

रिपोर्टर : (आईपीएल मुफ़्त पास की ब्लैक की दरों को पढ़ते हुए) ओल्ड क्लब हाउस एसी एन्क्लोजर …आरएस 35,000/- ईच (35,000 रुपये प्रत्येक), आज का?

पंकज : हाँ; आज का।

रिपोर्टर : (ब्लैक दरें पढ़ते हुए) ओल्ड क्लब एली इन्क्लोजर इन्टू 3, …आरएस 35,000/- (35,000 रुपये)।

पंकज : इन्क्लूडिंग बुफे, जबकि ये कॉम्प्लीमेंट्री पास है। …इसकी प्राइज है 35,000 रुपये।

अधिक निर्णायक साक्ष्य प्राप्त करने के लिए ‘तहलका’ रिपोर्टर ने पंकज से 29 अप्रैल को दिल्ली में दिल्ली कैपिटल्स और कोलकाता नाइट राइडर्स के बीच होने वाले आईपीएल मैच के लिए दो अतिरिक्त टिकट ख़रीदे, जिनमें प्रत्येक टिकट की मूल क़ीमत 4,500 रुपये है, यानी दोनों पास के लिए कुल 9,000 रुपये। लेकिन पंकज ने रिपोर्टर से 1,000 रुपये का प्रीमियम जोड़कर 10,000 रुपये लिये। कैमरे के सामने किये गये इस लेन-देन से यह पुष्टि होती है कि पंकज आईपीएल टिकट और पास को अवैध रूप से ब्लैक में बेच रहा है। ‘तहलका’ रिपोर्टर ने पंकज को भुगतान व्यक्तिगत रूप से किया, जिससे बिक्री की अवैध प्रकृति की पुष्टि होती है।

रिपोर्टर : (पैसे देते हुए) इसके लीजिए सर!

पंकज : (पैसे लेकर) बस ठीक है।

रिपोर्टर : काउंट कर (गिन) लीजिए।

पंकज : (रुपये गिनने के बाद) ठीक है।

रिपोर्टर : 10 थाउजेंड (10,000 रुपये) हैं।

पंकज : (पुष्टि करते हुए) हाँ; है सर!

पंकज के साथ ‘तहलका’ रिपोर्टर की बैठक तब संपन्न हुई, जब उन्होंने एटीएम से नक़दी निकालने के बाद उसे 4,000 रुपये दिये। यह सब रिपोर्टर के गुप्त कैमरे में क़ैद हुआ। यह भुगतान 27 अप्रैल को दिल्ली में दिल्ली कैपिटल्स और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलूरु के बीच होने वाले आईपीएल मैच के एक टिकट के लिए किया गया था। जैसा कि पहले बताया गया है कि पंकज ने ‘तहलका’ रिपोर्टर को 2,700 रुपये वाला यह टिकट अवैध रूप से 4,000 रुपये में बेचा। इस लेन-देन से यह पता चला कि पंकज अनधिकृत रूप से मैच के मुफ़्त पास और टिकट की बिक्री में शामिल है। पंकज ने इस बात पर ज़ोर दिया कि उनके द्वारा उपलब्ध कराये गये टिकट असली हैं तथा उसने रिपोर्टर को पास और टिकट की प्रामाणिकता का आश्वासन दिया।

रिपोर्टर : ठीक है सर! एक टिकट के पैसे देने हैं मुझे आपको; …ये तो सेम है ना, जो आपने सीरीज वाली दी थी? इसका आरएस 4,000 (4,000 रुपये) मुझे पे करना (देना) है।

पंकज : हाँ सर!

रिपोर्टर : देता हूँ एटीएम से निकालकर; …(पूछते हुए) भैया एटीएम है यहाँ?

पंकज : हाँ; हैं यहाँ, बहुत सारे।

पिछले वर्षों की तरह जयपुर और बेंगलूरु में पुलिस ने चालू सीजन में भी आईपीएल के जनरल टिकटों की कालाबाज़ारी करने के आरोप में कई लोगों को गिरफ़्तार किया है। हालाँकि इस वर्ष पहली बार एक व्यक्ति दिल्ली में उच्च-स्तरीय ओसीएच और वेस्ट कॉर्पोरेट बॉक्स के कॉम्प्लीमेंट्री पास का सौदा करते हुए और टिकट बेचते हुए ‘तहलका’ के गुप्त कैमरे में क़ैद हुआ है। ये प्रीमियम पास, जिनमें असीमित बुफे और बीयर शामिल हैं तथा जिन्हें दोबारा बेचा नहीं जा सकता; एक प्रमुख एयरलाइन के अधिकारी पंकज वर्मा द्वारा खुलेआम बेचे जा रहे हैं। यह पड़ताल क्रिकेट टिकट और पास की कालाबाज़ारी के बढ़ते पैमाने को उजागर करती है। साथ ही इस अवैध धंधे के ख़िलाफ़ अधिक कठोर कार्रवाई और निगरानी की आवश्यकता पर बल देती है।

युद्ध-विराम के मायने

आतंकवादियों को नये भारत के जवाब ऑपरेशन सिंदूर से उजागर हुई पाकिस्तान की असलियत

इंट्रो- पहलगाम में भारतीय पर्यटकों और एक स्थानीय युवक पर पाकिस्तान की तरफ़ से आये आतंकियों के बर्बर हमले ने हर भारतीय को गहरे आहत किया। भारतीय सेना और सरकार ने आतंकवादियों का जड़ से ख़ात्मा करने के लिए उचित क़दम उठाया। लेकिन इसमें पाकिस्तान और पाकिस्तानी समर्थक देशों, ख़ासकर चीन ने अपने-अपने हित देखने शुरू कर दिये और युद्ध का बिगुल फूँकने की कोशिश की। लेकिन भारत के करारे जवाब ने उसे न सिर्फ़ डराया, बल्कि अमेरिका को भी बीच में आकर युद्ध-विराम के लिए दोनों देशों से अपील करनी पड़ी। हालाँकि इसमें कई बातें हो रही हैं और सवाल भी उठ रहे हैं। पूरे घटनाक्रम पर ‘तहलका’ के वरिष्ठ पत्रकार रियाज़ वानी की रिपोर्ट :-

22 अप्रैल को जब पहलगाम के बैसरन में 25 पर्यटकों और एक टट्टू संक्रियक (पर्यटकों को टट्टू पर यात्रा कराने वाले) की हत्या हुई, तो यह निश्चित लग रहा था कि यह वीभत्स घटना भारत और पाकिस्तान के बीच एक बड़े गतिरोध का कारण बनेगी। चूँकि निर्दोष पर्यटक निशाना बन रहे थे, इसलिए नई दिल्ली के पास हमलावरों और उनके समर्थकों को जवाब देने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। इसके तुरंत बाद बिहार में एक सार्वजनिक रैली में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत पहलगाम नरसंहार के अपराधियों का पृथ्वी के अंत तक पीछा करेगा। ठीक 16 दिन बाद भारत ने पाकिस्तान में नौ स्थानों पर आतंकवादी शिविरों पर सटीक हमले किये, जो कि पहली बार किया गया था। सेना ने कहा कि न्याय हुआ है और नई दिल्ली ने कहा कि उसकी कार्रवाई केंद्रित, नपी-तुली तथा बढ़ावा न देने वाली प्रकृति की रही है। अगले दिन भारत ने पड़ोसी देश द्वारा ड्रोन और मिसाइलों से भारत के रक्षा प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने के असफल प्रयास के जवाब में पाकिस्तान की वायु रक्षा प्रणाली को नष्ट कर दिया। भारत ने पाकिस्तान के भीतरी इलाक़ों में ड्रोन हमले करके अपनी सैन्य प्रतिक्रिया को भी बढ़ा दिया, लाहौर और कराची में रणनीतिक स्थानों को निशाना बनाया, जिससे संघर्ष में उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जो पहले नियंत्रण रेखा पर केंद्रित था।

जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाकर ड्रोन हमलों की एक श्रृंखला शुरू कर दी। पाकिस्तानी ड्रोन सेना के शिविरों, संचार केंद्रों और ईंधन भंडारण सुविधाओं पर निशाना साध रहे थे। सतर्क भारतीय वायु रक्षा ने उन्हें तुरंत निष्क्रिय कर दिया। यह सबसे गंभीर है कि सन् 2014 में केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के आने के बाद से यह दोनों देशों के बीच तीसरा बड़ा संकट था। और तीनों ही मौक़ों पर संकट कश्मीर में आतंकवादी हमलों के बाद शुरू हुआ। सितंबर, 2016 में भारत ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार पाकिस्तान के क़ब्ज़े वाले कश्मीर में आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाकर सर्जिकल स्ट्राइक की थी। यह ऑपरेशन उरी हमले के जवाब में किया गया था, जिसमें आतंकवादियों ने एक सैन्य अड्डे पर 19 भारतीय सैनिकों को शहीद कर दिया था। यह भारत की आतंकवाद-रोधी रणनीति में एक महत्त्वपूर्ण बदलाव था, जो रक्षात्मक उपायों से सक्रिय उपायों की ओर अग्रसर हुआ। फिर फरवरी, 2019 में पुलवामा आत्मघाती बम विस्फोट, जिसमें 40 केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवान शहीद हो गये; के बाद भारत ने पाकिस्तान की सीमा के काफ़ी अंदर बालाकोट में हवाई हमले किये। सन् 2019 के ऑपरेशन में भारत ने आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद प्रशिक्षण शिविर को निशाना बनाया। दोनों हमलों ने दो परमाणु-सशस्त्र पड़ोसियों के बीच तनाव बढ़ा दिया और सीमा पार आतंकवाद का मज़बूती से जवाब देने की भारत की विकसित होती नीति को रेखांकित किया। पहलगाम हमले के बाद से ही दोनों देशों ने एक-दूसरे के ख़िलाफ़ कई ग़ैर-सैन्य क़दम उठाये हैं। पाँच प्रमुख उपायों की घोषणा की गयी- सिंधु जल संधि, जिसे लंबे समय से सीमा पार सहयोग का प्रतीक माना जाता रहा है; को स्थगित कर दिया गया। अटारी भूमि पारगमन को बंद कर दिया गया। पाकिस्तानियों को अब सार्क के तहत वीजा छूट नहीं मिलेगी और दोनों देशों में राजनयिक उपस्थिति को काफ़ी कम कर दिया गया। ये क़दम प्रतीकात्मकता से कहीं आगे हैं और भारत के अपने पश्चिमी पड़ोसी के प्रति दृष्टिकोण पर गहन पुनर्विचार को दर्शाते हैं।

जवाब में पाकिस्तान ने द्विपक्षीय व्यापार पहल को निलंबित कर दिया है और सन् 1972 के शिमला समझौते सहित भारत के साथ सभी द्विपक्षीय समझौतों से हटने की धमकी दी है। शिमला समझौता दोनों देशों के बीच एक ऐतिहासिक शान्ति समझौता है, जिस पर सन् 1971 में बांग्लादेश के निर्माण के तुरंत बाद हस्ताक्षर किये गये थे। 08 मई को भारत ने अपनी सैन्य प्रतिक्रिया को तेज़ करते हुए पाकिस्तान के काफ़ी अंदर तक ड्रोन हमले किये, जिनमें लाहौर और कराची के रणनीतिक स्थानों को निशाना बनाया गया। भारतीय रक्षा सूत्रों के अनुसार, इन हमलों का उद्देश्य आतंकवादी बुनियादी ढाँचे और प्रमुख सैन्य परिसंपत्तियों को नष्ट करना था, जिससे संघर्ष में उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जो पहले नियंत्रण रेखा पर केंद्रित था। लाहौर में एक सैन्य एयरबेस के पास और कराची में एक गोला-बारूद डिपो पर विस्फोट की ख़बरें आयीं, जिसके बाद की फुटेज सोशल मीडिया पर सामने आयी। यह हमला भारत द्वारा लाहौर की वायु रक्षा प्रणालियों पर किये गये हवाई हमले के ठीक एक दिन बाद हुआ, जो पहलगाम आतंकवादी हमले के जवाब का हिस्सा था।

जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तानी ड्रोन हमलों को भारत की वायु रक्षा द्वारा रोके जाने की ख़बरें हैं। लेकिन राजौरी और पुंछ के पास नुक़सान की भी पुष्टि हुई है। एक-दूसरे पर आक्रमण करने वाले ड्रोन युद्ध ने युद्ध के और अधिक बढ़ने की आशंकाओं को बढ़ा दिया है और दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर आक्रमण का आरोप लगाते हुए बयान जारी किये हैं, जबकि दोनों पक्षों ने आत्मरक्षा के अपने अधिकार पर ज़ोर दिया है। अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों ने सुरक्षा स्थिति के तेज़ी से बिगड़ने पर बढ़ती चिन्ता व्यक्त की। 09 अप्रैल की रात को भारत ने शनिवार तड़के तीन प्रमुख पाकिस्तानी एयरबेसों- नूर ख़ान (रावलपिंडी), मुरीद (चकवाल) और रफ़ीक़ी (झंग) पर सटीक हमले किये। पाकिस्तान ने भारत के ख़िलाफ़ ऑपरेशन बुनयान उन मार्सोस शुरू किया, जिसमें जम्मू-कश्मीर और पंजाब में सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया गया। इस आक्रमण में सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों और युद्ध सामग्री का प्रयोग किया गया। इस ऑपरेशन का नाम क़ुरान की एक आयत से लिया गया है, जिसका अर्थ है- अटूट दीवार। 10 मई को अचानक हुए घटनाक्रम में दोनों देशों के बीच युद्ध विराम हुआ, जो तत्काल अंतरराष्ट्रीय कूटनीति का परिणाम था। संभावित परमाणु वृद्धि की चिन्ताओं के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने घोषणा की कि दोनों देश उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस और विदेश मंत्री मार्को रूबियो सहित अमेरिकी अधिकारियों की मध्यस्थता में गहन वार्ता के बाद पूर्ण और तत्काल युद्ध विराम पर सहमत हो गये हैं। युद्ध विराम का अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा स्वागत किया गया और सऊदी अरब और चीन जैसे देशों ने भी मध्यस्थता प्रयासों में सहायक भूमिका निभायी। हालाँकि यह युद्ध विराम समझौता नाज़ुक था; कुछ ही घंटों के भीतर भारत और पाकिस्तान दोनों ने एक-दूसरे पर समझौते का उल्लंघन करने का आरोप लगाया, और कश्मीर में विस्फोटों और ड्रोन घुसपैठ की ख़बरें आने लगीं। लेकिन इसके बाद चीज़ें स्थिर हो गयीं और अंतत: शान्ति बहाल हो गयी।

पाकिस्तान को दंडित करने की नीति

क्या पाकिस्तान पर ताज़ा हमला कश्मीर में भविष्य में होने वाली हिंसा को रोक पाएगा? यह एक ऐसा प्रश्न है, जो भारत की विदेश नीति की दीर्घकालिक दुविधा रहा है। हालाँकि अतीत से जो बदलाव आया है, वह यह है कि भारत ने अब कश्मीर या अन्यत्र प्रत्येक आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान को दंडित करने की नीति अपना ली है। पहलगाम हमले और उसके बाद हुए सैन्य संघर्ष ने भारत-पाकिस्तान सम्बन्धों को, जो पहले से ही पिछले कई वर्षों से ख़राब चल रहे थे; और भी बदतर बना दिया है। आतंकवादी शिविरों पर सैन्य हमले और पाकिस्तान की प्रतिक्रिया ने स्थिति को बिलकुल नये स्तर पर पहुँचा दिया है, जिससे क्षेत्र के चरमराने का ख़तरा पैदा हो गया है। पहलगाम हमले के बाद प्रधानमंत्री मोदी को पिछले हमलों से भी अधिक आक्रामक रुख़ अपनाने के लिए बाध्य होना पड़ा। और इसके पीछे कारण भी थे- सन् 2016 और सन् 2019 में सेना के जवानों पर हुए आतंकवादी हमले, जो कश्मीर में होता रहा है। पिछले तीन दशकों से जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा ठिकानों पर बड़े हमले निर्बाध रूप से जारी हैं।

पहलगाम हमला निर्दोष पर्यटकों के ख़िलाफ़ था, इसलिए पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कोई भी ताज़ा सैन्य कार्रवाई बड़ी और दृश्यमान होनी चाहिए, जिससे नाराज़ जनता संतुष्ट हो सके और पाकिस्तानी सेना पर भी प्रहार हो। हालाँकि जब प्रहार हुआ, तो दोनों देशों के परमाणु हथियारों के इस्तेमाल होने की भी आशंका बढ़ी, जो एक प्रलयकारी युद्ध साबित होता और विश्व के लिए चिन्ता का विषय बनता। लेकिन यह टल गया। हालाँकि फिर भी सबका ध्यान कश्मीर में सीमा पार से लगातार हो रहे आतंकी हमलों पर होना चाहिए। और जब तक भारत और पाकिस्तान के बीच कोई सकारात्मक बातचीत नहीं होगी, आतंकवादी घटनाओं का रुकना संभव नहीं लगता। सन् 2016 के पुलवामा बम विस्फोट ने भारत-पाकिस्तान के बीच दीर्घकालिक वार्ता की किसी भी उम्मीद को करारा झटका दिया। और तबसे भारत पाकिस्तान के साथ किसी भी प्रकार की बातचीत से बचता रहा है। पिछले वर्ष अपने चुनाव अभियान के दौरान एक टेलीविजन चैनल को दिये साक्षात्कार में प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया था कि भारत को पाकिस्तान के बारे में ज़्यादा चिन्ता नहीं करनी चाहिए और न ही इसकी परवाह करनी चाहिए कि वह अपना दृष्टिकोण बदलता है या नहीं। उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों से उन्होंने भारत को चलाने में पाकिस्तान की भूमिका पर रोक लगा रखी थी। उन्होंने पाकिस्तान की ख़स्ता आर्थिक स्थिति की ओर इशारा करते हुए कहा कि पाकिस्तान को दो वक़्त की रोटी का जुगाड़ करने दो। हमें अपना समय बर्बाद करने की ज़रूरत नहीं है।

वास्तव में पहले मामला कश्मीर के शान्तिपूर्ण समाधान पर पहुँच गया था; लेकिन सन् 2008 के मुंबई हमले के बाद से दोनों देश किसी प्रकार की बातचीत पुन: शुरू करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जबकि भारत ने इस प्रयास को पूरी तरह छोड़ दिया है। अब भारत-पाकिस्तान के सम्बन्ध ख़राब होते जा रहे हैं। जबसे भारत के संविधान के तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को निरस्त करने के बाद दोनों देशों ने अपने-अपने उच्चायोगों में राजनयिक कर्मचारियों का स्तर घटा दिया, तबसे दोनों देशों के पास संकट के समय भी एक-दूसरे से संवाद करने के लिए कोई राजनयिक साधन नहीं बचा है। लेकिन भारत को भी इस्लामाबाद के साथ बातचीत करने की कोई ज़रूरत महसूस नहीं हुई है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी विदेश नीति को पाकिस्तान से पूरी तरह अलग कर लिया है। दोनों देशों के बीच बढ़ती आर्थिक और पारंपरिक सैन्य असमानता के साथ भारत ने पाकिस्तान से अपनी अलग पहचान बनाने में भी सफलता प्राप्त की।

आतंकवादी ठिकानों पर ताज़ा हमलों से भारत को न केवल पाकिस्तान पर कुछ हद तक प्रभुत्व स्थापित करने की उम्मीद है, बल्कि इसकी लागत में अत्यधिक वृद्धि करके सीमा-पार आतंकवाद को रोकने की भी उम्मीद है। हालाँकि इसकी सफलता अभी देखी जानी बाक़ी है और ऐसा होने के लिए कश्मीर में आतंकवाद का अंत होना ज़रूरी है। लेकिन ऐसा कुछ पिछले 35 वर्षों में नहीं हुआ है, भले ही इसमें उतार-चढ़ाव आते रहे हों। इसका कारण घुसपैठ है, जो सीमा के बड़े हिस्से पर बाड़ लगाने के बावजूद जारी है।

स्थानीय आतंकवाद में कमी

यह सच है कि पिछले पाँच वर्षों में स्थिति में भारी बदलाव आया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा हाल ही में बताये गये आँकड़ों के अनुसार, 2004 में जम्मू-कश्मीर में हिंसा की 1,587 घटनाएँ दर्ज की गयीं; लेकिन 2024 में यह संख्या घटकर सिर्फ़ 85 रह गयीं। इसी प्रकार, गृह मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार, इसी अवधि में नागरिकों की मृत्यु की संख्या 733 से घटकर 26 हो गयी है और सुरक्षाकर्मियों की मृत्यु की संख्या 331 से घटकर 31 हो गयी है। यह भी स्पष्ट है कि अब पत्थरबाज़ी लगभग समाप्त हो गयी है। हड़तालें, जो कभी असहमति व्यक्त करने का एक नियमित तरीक़ा हुआ करती थीं, अब नहीं होती हैं। अलगाववादी राजनीति सचमुच विलुप्त हो गयी है। इससे भी अधिक आतंकवाद में स्थानीय भर्ती में भी भारी गिरावट आयी है। आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकवादियों की संख्या घटकर 76 रह गयी है। इनमें से लगभग 59 पाकिस्तानी हैं और सिर्फ़ 17 स्थानीय हैं – तीन जम्मू क्षेत्र में और 14 घाटी में। विदेशियों में तीन हिजबुल मुजाहिदीन, 21 जैश-ए-मोहम्मद और 35 लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े बताये गये हैं।

दूसरी ओर आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार, युवाओं में बंदूक उठाने की दर में उल्लेखनीय गिरावट आयी है, जो 15 वर्षों में सबसे कम है। 2011-12 के बाद यह पहली बार है, जब सक्रिय स्थानीय आतंकवादियों की संख्या एकल अंक तक गिर गयी है, जो 2023 और 2024 से एक प्रवृत्ति को आगे बढ़ाती है, और 2025 में अब तक केवल एक नयी भर्ती दर्ज की गयी है। हालाँकि आतंकवाद अभी भी पहाड़ी इलाक़ों में मौज़ूद है और इसे कम करने का कोई उपाय नहीं है; क्योंकि घुसपैठ के कारण स्थानीय स्तर पर ताक़त बढ़ती जा रही है। क्या पाकिस्तान में आतंकवादी स्थलों पर हमलों से कश्मीर में आतंकवाद समाप्त हो जाएगा? यह भविष्यवाणी करना मुश्किल है। यानी अगर 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 के बालाकोट स्ट्राइक के बाद भी आतंकवाद जारी है; यद्यपि इसकी तीव्रता धीरे-धीरे कम होती जा रही है। क्या आतंकवाद-सम्बन्धी हिंसा में कमी की यह प्रवृत्ति जारी रहेगी? आशा है कि ऐसा होगा। हालाँकि अतीत में ऐसा नहीं हुआ, जिससे कई मौक़े हाथ से निकल गये। उदाहरण के लिए, स्थानीय और विदेशी दोनों प्रकार के आतंकवादियों की संख्या 2011 में कमोबेश उसी स्तर पर आ गयी थी। इससे क्षण भर के लिए शान्तिपूर्ण वातावरण क़ायम हो गया। लेकिन इसके बाद से संख्या में फिर से वृद्धि हुई, विशेष रूप से स्थानीय भर्ती, जिसका केंद्र दक्षिण कश्मीर था। और 2015 तक घाटी में 300 से अधिक स्थानीय आतंकवादी थे। हालाँकि तबसे स्थिति में भारी परिवर्तन आ गया है, और प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि चीज़ें फिर से पहले जैसी नहीं होंगी। लेकिन यह भी सच है कि कश्मीर एक अप्रत्याशित स्थान बना हुआ है।

पर्यटन पर मार

पिछले तीन वर्षों से कश्मीर में पर्यटन लगातार बढ़ रहा है। इतना ही नहीं, यह न केवल प्रचलित सामान्य स्थिति का प्रतीक बन गया, बल्कि इसका आधार भी बन गया। सन् 2024 में 2.95 मिलियन पर्यटक कश्मीर आये, जिनमें से 43,000 विदेशी पर्यटक थे, जो सन् 2023 में 2.71 मिलियन पर्यटकों और 2022 में आये 2.67 मिलियन पर्यटकों से अधिक है। इस वर्ष सरकार को उम्मीद थी कि यह रिकॉर्ड टूट जाएगा; लेकिन पहलगाम हमले के बाद यह आँकड़ा अचानक बहुत कम हो गया है। घाटी में होटल, हाउसबोट और टूर ऑपरेटर, जो कभी ग्रीष्म ऋतु के लिए पूरी तरह बुक हो जाते थे, अब पर्यटकों द्वारा बड़े पैमाने पर बुकिंग रद्द करने के बाद 70 प्रतिशत तक की छूट देने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

हाल के वर्षों में हिंसा में कमी के कारण फल-फूल रहे पर्यटन क्षेत्र में अचानक गिरावट बड़ी संख्या में उन लोगों की आजीविका को प्रभावित करने का ख़तरा पैदा करती है, जो कश्मीर की बर्फ़ से ढकी चोटियों, प्राचीन झीलों और हरे-भरे मुग़ल उद्यानों को देखने के लिए आने वाले पर्यटकों पर निर्भर हैं। बुकिंग साइटें भी क़ीमतों में भारी कटौती दिखा रही हैं; लेकिन पर्यटन हितधारकों को इससे कोई ख़ास उम्मीद नहीं है। ‘अगले दो महीनों के लिए हमारी सभी बुकिंग रद्द कर दी गयी हैं। कोई नयी बुकिंग नहीं है। इससे नुक़सान होगा।’ -श्रीनगर के एक गेस्ट हाउस के कर्मचारी उमर अहमद ने कहा। पहलगाम हमले के बाद स्थानीय निवासियों में सबसे बुरा भय व्याप्त हो गया है। उत्तरी राज्यों से पर्यटकों का आगमन रुक गया है; लेकिन दक्षिणी राज्यों से पर्यटकों का आना जारी है, जिससे सुरक्षा सम्बन्धी नयी चिन्ताएँ दूर हो गयी हैं। हालाँकि जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने पहलगाम की अपनी यात्रा के दौरान इनमें से कुछ आगंतुकों के साहस की सराहना की है। उन्होंने उन्हें क्षेत्र की लचीलेपन और आतिथ्य का आश्वासन दिया है। लेकिन ज़ाहिर है कि यह पर्याप्त नहीं है।

‘पाकिस्तान से बात सिर्फ आतंकवाद, पीओके पर होगी’- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह गुरुवार को जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर स्थित बादामी बाग कैंट पहुंचे। यहां उन्होंने सेना के जवानों से बातचीत की और उन्हें संबोधित भी किया। उन्होंने कहा कि मैं आज आपकी उस ऊर्जा को महसूस करने आया हूं, जिसने दुश्मनों को नेस्तनाबूद कर दिया।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, “पहलगाम में आतंकवादियों के हमले में हताहत हुए सभी निर्दोष नागरिकों और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए हमारे सैनिकों को नमन करता हूं। मैं, हमारे घायल सैनिकों के साहस को भी नमन करता हूं और ईश्वर से यह प्रार्थना करता हूं कि वो जल्द से जल्द स्वस्थ हों। इस विषम परिस्थिति में आप सबके बीच आकर आज मैं बहुत ही गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। हमारे प्रधानमंत्री के कुशल नेतृत्व और मार्गदर्शन में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान आपने जो कुछ किया, उसने पूरे देश को गर्व से भर दिया है। मैं अभी भले ही आपका रक्षा मंत्री हूं, लेकिन उससे पहले तो भारत का नागरिक हूं। रक्षा मंत्री के साथ-साथ मैं आज भारत के नागरिक के रूप में भी आपका आभार प्रकट करने आया हूं।” उन्होंने कहा, “मैं आपकी उस ऊर्जा को महसूस करने आया हूं, जिसने दुश्मनों को नेस्तनाबूद कर दिया। आपने जिस तरीके से सीमा के उस पार पाकिस्तान की चौकियों और बंकरों को ध्वस्त किया, दुश्मन उसे कभी भूल नहीं पाएगा। आपने देखा होगा कि आमतौर पर लोग जोश में होश खो देते हैं, लेकिन आपने जोश भी रखा, होश भी रखा और सूझबूझ के साथ दुश्मन के ठिकानों को बर्बाद किया। आज मैं यहां रक्षा मंत्री के साथ-साथ एक मैसेंजर के रूप में भी आया हूं। पूरे देश की शुभकामनाएं, उनकी प्रार्थनाएं और उनकी कृतज्ञता लेकर मैं आपके बीच आया हूं। एक तरह से आप समझिए कि मैं एक डाकिया बनकर आपके बीच आया हूं और देशवासियों का संदेशा लाया हूं। संदेश यह है, कि ‘हमें हमारी सेनाओं पर गर्व है’।”

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर की तारीफ की। उन्होंने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ सिर्फ एक ऑपरेशन का नाम भर नहीं है, बल्कि यह एक प्रतिबद्धता है। एक ऐसी प्रतिबद्धता, जिसमें भारत ने दिखा दिया कि हम सिर्फ डिफेंस नहीं करते, जब वक्त आता है, तो हम कठोर निर्णय भी लेते हैं। यह ऑपरेशन उस एक-एक जवान की आंखों में देखा गया सपना था कि हर आतंकी ठिकाना, चाहे वो घाटियों में छुपा हो या बंकरों में दबा हो, हम वहां पहुंचेंगे और दुश्मन की छाती चीरकर, हम उन आतंकी ठिकानों को खत्म करके ही लौटेंगे। उन्होंने कहा, “‘ऑपरेशन सिंदूर’ आतंकवाद के खिलाफ भारत द्वारा चलाई गई अब तक के इतिहास की सबसे बड़ी कार्रवाई है। 35-40 वर्षों से भारत सरहद पार से चलाए जा रहे आतंकवाद का सामना कर रहा है। आज भारत ने पूरी दुनिया के सामने स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद के खिलाफ हम किसी भी हद तक जा सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो-टूक शब्दों में आतंकवाद के खिलाफ भारत की नीति को फिर से परिभाषित कर दिया है, जो यह कहती है कि हिंदुस्तान की सरजमीं पर किया गया कोई भी आतंकी हमला एक ‘एक्ट ऑफ वॉर’ माना जाएगा। दोनों देशों में जो समझ अभी बनी है, वह इसी बात को लेकर है कि सरहद पार से कोई बेजा हरकत नहीं की जाएगी। अगर की गई तो बात निकलेगी तो बहुत दूर तलक जाएगी। साथ ही हमारे प्रधानमंत्री ने यह भी साफ कर दिया है कि आतंकवाद और बात एक साथ नहीं चलेंगे और अगर बात होगी तो आतंकवाद पर होगी, पीओके पर होगी।”

रक्षा मंत्री ने आतंकियों को भी चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की कामयाबी ने पाकिस्तान में छिपे आतंकी संगठनों और उनके आकाओं को भी यह साफ-साफ बता दिया है कि वो कहीं भी अपने आप को महफूज और सुरक्षित न समझें। अब वे भारतीय सेनाओं के निशाने पर हैं। दुनिया जानती है कि हमारी सेनाओं का निशाना अचूक है और जब वो निशाना लगाते हैं तो गिनती करने का काम दुश्मनों पर छोड़ देते हैं। आज आतंकवाद के खिलाफ भारत की प्रतिज्ञा कितनी कठोर है, इसका पता इसी बात से चलता है कि हमने उनके न्यूक्लियर ब्लैकमेल की भी परवाह नहीं की है। पूरी दुनिया ने देखा है कि कैसे गैर जिम्मेदाराना तरीके से पाकिस्तान द्वारा भारत को अनेक बार एटमी धमकियां दी गईं हैं। आज श्रीनगर की धरती से मैं पूरी दुनिया के सामने यह सवाल उठाना चाहता हूं कि क्या ऐसे गैर जिम्मेदार और दुष्ट राष्ट्र के हाथों में परमाणु हथियार सुरक्षित हैं? मैं मानता हूं कि पाकिस्तान के एटमी हथियारों को आईएईए यानी (अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी) की निगरानी में लिया जाना चाहिए।