Home Blog Page 1002

चक्रवाती तूफान ‘क्यार’ का खतरा बढ़ा। महाराष्ट्र के तटीय क्षेत्रों को भारी नुकसान।

चक्रवाती तूफान ‘क्यार’ से महाराष्ट्र के तटीय क्षेत्र कोकण को भारी नुक़सान हुआ है। समंदर में ऊंची ऊंची लहरों की वजह से तटीय किनारों पर बने घरों के भीतर पानी भर गया है पिछले तीन-चार दिनों से हो रही लगातार बारिश की वजह से चावल की खेती को भी बड़ा नुकसान हुआ है। समंदर में उठने वाली ऊंची लहरों के वजह से बस्ती में भरे पानी के चलते स्थानीय गांव में लोग डरे डरे से हैं ।अरब सागर में कम दबाव के चलते कोकण के तटीय क्षेत्रों में बसे दोडामार्ग, वेंगुर्ले, मालवण, कुडाल, सावंतवाडी, कणकवली आदि इलाकों में तेज हवा के साथ तेज बारिश हो रही है। मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों में और तेज बारिश होने की संभावना जाहिर की है।

तेज बारिश और ऊंचे समंदर की लहरों के चलते गांवों के भीतर पानी भर गया है जिसकी वजह से ग्रामीणों को परेशानियां झेलनी पड़ रही है। घरों का खाद्यान्न भंडारण भीगने से खराब हो गया है। गांवों के कुंवों में समंदर का पानी भर गया है जिसकी वजह से कुएं का पानी दूषित हो गया और पीने के पानी की बड़ी समस्या पैदा हो गई है। पिरावाडी, जामडूल, जैसे आइलैंड बसे गांव के साथ-साथ मालवण, आचरा, देवगड आदि तटीय इलाकों के गांव के हालात बिगड़ते जा रहे हैं।

मुंबई से 310 किमी दूर और पश्चिम रत्नागिरी से 200 किमी दूर चक्रवाती तूफान ‘क्यार’ का खतरा बढ़ने की खबर है। शनिवार को कर्नाटक के मंगलौर बंदरगाह पर 100 मछुआरे बोट के साथ साथ लगभग हजार मछुआरों को भी तटीय इलाकों से रेस्क्यू कर सुरक्षित जगहों ले जाया गया है। मौसम विभाग ने शुक्रवार को गोवा, कर्नाटक और दक्षिण कोंकण के तटीय जिलों में हल्की से मध्यम बारिश की चेतावनी जारी की थी। मौसम विभाग ने हवा की गति 90 किमी प्रति घंटे से 110 किमी प्रति घंटे के बीच होने का अनुमान जताया था। मुंबई मौसम विभाग के अनुसार अरब सागर में चक्रवाती तूफान ‘क्यार’ तेज हो गया है और इतवार तक हवा की गति बढ़कर 200 प्रति घंटे की रफ्तार होने की संभावना है।28 अक्टूबर से मााह के अंंत यानी 28 से 31 तारीख तक ईस्ट-सेंट्रल और वेस्ट-सेंट्रल अरब सागर में चिंताजनक हालात रहेंगे।

केरल, तामिलनाडु, गुजरात, कर्नाटक से कई बोट कोकण के सबसे सुरक्षित माने जाने वाले देवगड पोर्ट लाए गए हैं। चक्रवात ‘क्यार’ का असर मत्स्य और पर्यटन व्यवसाय पर बुरी तरह पड़ा है। फिलहाल मुंबई, नवी मुंबई ,थाने ,पालघर और आसपास के इलाकों में हल्की बूंदाबांदी हो रही है बेमौसम की बारिश से लोग परेशान हैं।

उपचुनावों में भाजपा की सीटें घटीं

देश में दो विधानसभाओं – हरियाणा और महाराष्ट्र – के चुनाव में भाजपा को जहां सीटें घटने का संताप झेलना पड़ा है वहीं देश भर में हुए ५२ उपचुनावों में भी भाजपा की सीटें पहले से घट गयी हैं।

विधानसभा चुनाव के अलावा देश के १८ सूबों की ५२ सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे भी सामने आये हैं। इनमें देखा जाये तो भाजपा के लिए कोइ बहुत अछ्हा संकेत नहीं मिला है। उपचुनाव ५० विधानसभा और दो लोकसभा सीटों पर थे।

उत्तर प्रदेश की ११, बिहार की ५,  गुजरात की ६, मध्यप्रदेश की एक, पंजाब की ४ और राजस्थान की दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे भाजपा के लिए बहुत उत्साह वाले नहीं रहे। केरल की ५, सिक्किम की तीन और तमिलनाडु की दो सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे भी आये हैं। अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, मेघालय, ओडिशा, पुडुचेरी और तेलंगाना की एक-एक विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के के अलावा बिहार की समस्तीपुर और महाराष्ट्र की सतारा लोकसभा सीट के उपचुनान के नतीजे भी आये हैं।

नतीजों के मुताबिक महाराष्ट्र की सतारा लोकसभा सीट पर एनसीपी के श्रीनिवास दादासाहेब पाटील ने जीत दर्ज की. वहीं बिहार की समस्तीपुर सीट पर लोक जन शक्ति पार्टी के प्रिंस राज ने जीत दर्ज की।

इसी तरह उत्तर प्रदेश की ११ में से सात सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की है। गंगोह, लखनउ कैन्‍टोनमेंट, इगलास, गोविन्दनगर, मानिकपुर, बलहा और घोसी सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की। वहीं प्रतापगढ़ सदर सीट अपना दल और जैदपुर, जलालपुर और रामपुर सीट पर समाजवादी पार्टी के जीत दर्ज की। उत्तर प्रदेश में बसपा को एक भी सीट नहीं मिली जो मायावती के लिए गंभीर चिंता का कारण हो सकता है।

गुजरात की छह सीटों पर चुनाव हुए उनमें थराद, राधनपुर, खेरालु, बायड, अमराईवाडी और लुणावाडा है। गुजरात में बीजेपी और कांग्रेस, दोनों ने ही ३-३ सीटें जीतीं।  इस तरह पीएम मोदी के गृह राज्य में कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत बेहतर रहा है।

बायड, थराद और राधनपुर सीटें कांग्रेस के तो खेरालु, अमराईवाडी और लुणावाडा सीटें बीजेपी के हिस्से में गईं।

बिहार की किशनगंज में एआईएमआईएम, सिमरी बख्तिायारपुर और बेलहर में राष्ट्रीय जनता दल, नाथनगर में जनता दल (यूनाइटेड) और दरौंदा में निर्दलीय उम्मीदवार को जीत मिली। वहीं असम की राताबाडी, रंगापारा और सोनारी सीटों पर बीजेपी ने तो जनिया सीट पर ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट ने जीत दर्ज की।

पंजाब में कांग्रेस ने तीन सीटों फगवाड़ा, मुकेरिया और जलालाबाद तो शिरोमणि अकाली दल ने एक सीट दाखा में जीत दर्ज की। वहीं मध्य प्रदेश की झाबुआ विधानसभा सीट कांग्रेस की झोली में गई। वहीं राजस्थान की मंडावा सीट पर कांग्रेस ने तो खींवसर सीट पर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने जीत दर्ज की।

केरल की एरनाकुलम और अरूर सीट कांग्रेस के हिस्से में गईं। वहीं कोन्‍नी और वट्टीयूरकावू सीटें सीपीआई (माकपा) को जीत हासिल हुई। वहीं मंजेश्‍वर सीट पर इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के एमसी कमरुद्दीन ने जीत दर्ज की।

सिक्किम में बीजेपी ने मारतम-रूमटेक और गंगटोक सीट जीत ली। वहीं एक सीट पोकलोक-कामरंग, सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा ने जीती। इसके अलावा तमिलनाडु की विक्रावांडी और नानगुनेरी सीट पर एआईएडीएमके को जीत मिली।

अरुणाचल प्रदेश की खोन्‍सा पश्चिम सीट से निर्दलीय उम्मीदवार चकात आबोह ने जीत दर्ज की। वहीं छत्तीसगढ़ की चित्रकोट सीट पर कांग्रेस के राजमन वेंजाम ने जीत दर्ज की। मेघालय की शेल्‍ला विधानसभा सीट, यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी के हिस्से में गई है।

ओडिशा की बिजेपुर सीट पर बीजू जनता दल के रीता साहु ने जीत दर्ज की है। वहीं पुडुचेरी की कामराज नगर सीट पर कांग्रेस केए जानकुमार और तेलंगाना की हुजूरनगर सीट पर तेलंगाना राष्ट्रीय समिति के सैदि रेड्डी शानंपुडि ने जीत दर्ज की।

शिव सेना की भाजपा को नसीहत – अति नहीं, उन्माद नहीं वर्ना खत्म हो जाओगे

महाराष्ट्र में भाजपा की सीटें क्या घटीं, सहयोगी शिव सेना ने उसपर दवाब बनाना शुरू कर दिया है। नतीजों के बाद शिव सेना ने अपने मुखपत्र सामना में भाजपा के लिए एक तरह से कड़ी टिपण्णी करते हुए कहा है – ”महाराष्ट्र की जनता का रुझान सीधा और साफ है। अति नहीं, उन्माद नहीं वर्ना खत्म हो जाओगे, ऐसा जनादेश ईवीएम की मशीन से बाहर आया।”

सामना में शिव सेना के भाजपा को यह नसीहत कई कुछ कहती है। कुल २८८  विधानसभा सीटों पर हुए चुनाव के नतीजे आ चुके हैं जिसमें भाजपा को २०१४ के मुकाबले २० सीटें कम मिली हैं। सेना को ५३ सीटें मिली हैं। नतीजों के बाद अब
अपने मुखपत्र ”सामना” के संपादकीय में शिवसेना ने कहा है – ”यह महाजनादेश नहीं है।”

यही नहीं महाराष्ट्र में शिवसेना के समर्थकों ने एक पोस्टर लगाया है जिसमें आदित्य ठाकरे को राज्य के भावी मुख्यमंत्री के तौर पर दिखाया गया है। वह वर्ली विधानसभा सीट से जीते हैं।

भाजपा के लिए एक तरह की चुनौतीदार बात कहते हुए सेना ने लिखा है – ”महाराष्ट्र की जनता का रुझान सीधा और साफ है। अति नहीं, उन्माद नहीं वर्ना खत्म हो जाओगे, ऐसा जनादेश ईवीएम की मशीन से बाहर आया। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को आखिरी समय तक यह आत्मविश्वास था कि ईवीएम से केवल कमल (भाजपा का चुनाव चिह्न) ही बाहर आएगा। मगर १६४ में से ६३ सीटों पर कमल नहीं खिला।’

सामना में लिखा गया है कि शिवसेना ने कहा कि यह महाजनादेश नहीं बल्कि जनादेश है। इसे मानना पड़ेगा। जनता के फैसले को अपनाकर बड़प्पन दिखाना पड़ता है। सामना के मुताबिक ”महाराष्ट्र में अपेक्षा अलग नतीजे आए हैं। साल २०१४  में गठबंधन नहीं था। साल २०१९ में गठबंधन के बावजूद सीटे कम हुई हैं। बहुमत मिला लेकिन कांग्रेस-एनसीपी (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) मिलकर १०० सीटों पर पहुंच गई। ये एक तरह से सत्ताधारियों को सबक मिला है।”

सबसे गंभीर बात सामना में यह कही गयी है – ”जनता ने धौंस, दहशत और सत्ता की मस्ती से प्रभावित न होते हुए जो मतदान किया है उसके लिए उसका अभिनंदन है। शिवसेना ने उन नेताओं को लेकर भी भाजपा पर निशाना साधा जिन्होंने एनसीपी छोड़कर कमल को अपनाया था। शिनसेना ने कहा भाजपा ने राष्ट्रवादी में इस तरह से सेंध लगाई कि ऐसा माहौल बन गया कि पवार की पार्टी में कुछ बचेगा या नहीं।

महाराष्ट्र विधान सभा मेंं बिराजेंंगी 21 माननीय महिलाएं !

महाराष्ट्र राज्य विधानसभा के नतीजे सामने हैंं। इस बार राज्य के विधानसभा में 21 महिलाएं विधानसभा में बिराजेंंगी। पिछले साल 2014 में 22 महिलाएं चुनकर आयी थींं। इस दफा विधान सभा मेंं 21 माननीय महिलाएं अपने अपने निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करेंगी। इनमे 12 बीजेपी,4 कांग्रेस,2 एनसीपी,2शिवसेना और 1 निर्दलीय इंडिपेंडेंट महिला हैंं।

1- आदिति तटकरे( एनसीपी)
2- प्रणीति शिंदे (कांग्रेस)
3- मंदा म्हात्रे( बीजेपी),
4- नमिता मुंदड़ा( बीजेपी)
5 -सुमन पाटिल (एनसीपी)
6 -विद्या ठाकुर (बीजेपी)
7 -मुक्ता तिलक (बीजेपी)
8 -भारती लवेकर (बीजेपी )
9 -यामिनी जाधव (शिवसेना)
10 यशोमती ठाकुर( कांग्रेस)
11- वर्षा गायकवाड (कॉन्ग्रेस)
12- मनीषा चौधरी (बीजेपी)
13- गीता जैन( इंडिपेंडेंट )
14 -माधुरी मिसाल (बीजेपी)
15- मोनिका राजाले (बीजेपी )
16 -सीमा हिरे (बीजेपी)
17 -देवयानी फंरादे (बीजेपी )
18- लताबाई सोनावणे ( शिवसेना)
19 – श्वेता महाले (बीजेपी )
20 – सुलभा खोडके (कांग्रेस)
21- मेघना बोर्डीकर (बीजेपी)

अस्सी साल के शरद पवार ‘मैन ऑफ द मैच’ !

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे भले ही बीजेपी- शिवसेना महागठबंधन के पक्ष में रहे होंं लेकिन इस पॉलिटिकल मैच मेंं शरद पवार ‘मैन ऑफ द मैच’ के रूप में उभरे। यह मानने मे कोई गुरेज़ नहीं कर सकता कि यह उनके प्रचार का नतीजा था कि बीजेपी महागठबंधन का ‘अबकी बार 220 पार’ का मंसूबा धरा का धरा ही रह गया।

सातारा में शरद पवार ने प्रचार सभा में जिस तरह बारिश में भीगते हुए भाषण किया उसने काफी हद तक चुनाव की तस्वीर बदल कर रख दी।देखते ही देखते बारिश में भीगते हुए शरद पवार सोशल मीडिया पर छा गए ।और इसका असर सतारा में हुए मध्यावधि चुनाव के नतीजों पर पड़ा। शिवाजी महाराज के वंशज उदयनराजे भोसले ने एनसीपी छोड़ बीजेपी में ज्वाइन कर ली। यह शरद पवार और एनसीपी के लिए एक बड़ा झटका था।

भोसले ही नहीं बीजेपी को भी पूरा पूरा भरोसा था जीत का। लेकिन शरद पवार के करीबी श्रीनिवास पाटिल ने उनके इस भरोसे की धज्जियां उड़ा दी। देवेंद्र फडणवीस ने भी भोसले की हार से आहत होने की बात स्वीकारी है । बीजेपी- शिवसेना महागठबंधन राज्य में 220 सीटों का दावा करते रहे लेकिन ऐन मौके पर 80 वर्षीय पवार के धुआंधार प्रचार और बारिश में भीगते हुए एक भाषण ने उनकी विजय यात्रा को 160 में रुका दिया। राजनीति के जानकार अब कहने लगे हैं शरद पवार की करिश्माई व्यक्तित्व को हावी होने से रोका नहीं जा सकता।

नतीजों के बाद सोशल मीडिया पर शरद पवार ‘मैन ऑफ द मैच’ के तौर पर उभरते नजर आए। जिस तरह से क्रिकेट मैच टीम के हारने पर भी उस टीम के एक अच्छे खिलाड़ी की धुआंदार पारी के चलते वह ‘मैन ऑफ द मैच’ का हकदार बनता है उसी तरह शरद पवार भी ‘मैन ऑफ द मैच’ के हकदार हैं ।

कश्मीर में आतंकियों ने दो ट्रक ड्राइवर की हत्या की

जम्मू कश्मीर के शोपियां में आतंकियों ने दो ट्रक ड्राइवर की गोली मारकर हत्या कर दी।

गुरुवार शाम को आतंकवादियों ने शोपियां के चित्रग्राम के पास दो ट्रकों पर गोलीबारी की जिसमें तीन लोग घायल हो गए। इनमे से दो ने दम तोड़ दिया।
घटना के बाद पुलिस और सुरक्षा बलों ने क्षेत्र को बंद कर दिया है, और तलाशी अभियान जारी है।

रघुराम राजन ने की मोदी सरकार की प्रशंसा लेकिन अर्थव्यवस्था में गिरावट पर चेताया

भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर और वर्तमान में शिकागो बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में वित्त के प्रतिष्ठित प्रोफेसर, रघुराम राजन ने कृषि क्षेत्र में हुए सुधारों जैसे – फसल बीमा, बिचैलियों को हटाना और सीधा लाभ हस्तांतरण जो कि मोदी सरकार द्वारा शुरू किए गए थे उनकी प्रशंसा की। उन्होंने बताया कि मोदी 1 जो सबसे अच्छा हासिल किया।

‘‘भारत की अर्थव्यवस्था: हम यहां कैसे पहुंचे?‘‘ विषय पर व्याख्यान देते हुए उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था में मंदी के कारणों को समझाया, लेकिन साथ ही बिजली क्षेत्र में सुधारों की भी सराहना की, जैसे बिजली वितरण कंपनियों में सुधार करना।

मोदी 1 ने जो अच्छा हासिल किया

रघुराम राजन की तरफ से अप्रत्याशित प्रशंसा तब आई जब उन्होंने मोदी 1 ने क्या ‘‘सर्वश्रेष्ठ हासिल किया है‘‘, पर बातचीत की, उन्होंने जन धन, आधार, सब्सिडी के प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण, पेंशन और छात्रवृत्ति जैसी योजनाओं का उल्लेख किया। उन्होंने स्वच्छ भारत: स्वच्छ भारत कार्यक्रम, सभी के लिए शौचालय, प्रधान मंत्री उज्ज्वला योजना, गरीबों के लिए रसोई गैस कनेक्शन, आयुष्मान भारत और गरीबों के लिए स्वास्थ्य सेवा जैसे प्रमुख कार्यक्रमों का उल्लेख किया, जहां मोदी 1 ने ‘‘सबसे अच्छा‘‘ हासिल किया।

राजन ने वर्ष 1999-2004 से अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान हुए सुधारों के लिए एनडीए 1 को श्रेय दिया, हालांकि, राजन ने कहा कि महत्वपूर्ण सुधारों के बावजूद, बाद में ‘‘इंडिया राइजिंग‘‘ अभियान ने 2004 के चुनावों में मतदाताओं को आश्वस्त नहीं किया।

एनडीए के काम पर यूपीए की सवारी

उन्होंने देखा कि इस अवधि के दौरान एनडीए 1 के कार्यकाल में सुधारों के बावजूद मजबूत वृद्धि नहीं देखी गई, लेकिन यूपीए 1 वास्तव में एनडीए सुधारों के प्रभावित प्रभावों से लाभान्वित हुआ। हालाँकि, गठबंधन भागीदारों ने और सुधारों को सीमित कर दिया। उन्होंने एक और दिलचस्प अवलोकन किया और कहा कि यूपीए दूसरी बार भाग्यशाली था जब वह 2009 में आर्थिक विकास के बजाय कृषि ऋण माफी की सफलता पर सवार हो गया। बुनियादी ढांचे सहित निवेश में एक विस्फोट हुआ लेकिन मजबूत विकास ने संसाधन आबंटन के लिए मौजूदा संस्थानों पर भी दबाव डाला। यूपीए 2 के दौरान अर्थव्यवस्था पर जो असर पड़ा, वह यह था कि विपक्षी और नौकरशाही ने जीएसटी जैसी नीतियों पर असहयोग किया था, जबकि इस अवधि के दौरान भ्रष्टाचार घोटालों ने अर्थव्यवस्था में गतिरोध में ला दिया, मुद्रास्फीति ने दोहरे अंक को छू लिया और भूमि अधिग्रहण बिल ने आर्थिक विकास में एक अवरोध पैदा कर दिया। तत्कालीन सरकार ने वेक-अप कॉल के बाद 2012-13 के दौरान मैक्रो-स्थिरता पर सुधार शुरू किया और कुछ राजकोषीय एकत्रीकरण शुरू किया।

इसके बाद मोदी 1 बड़ी उम्मीदों जैसे कि पारदर्शिता और नौकरियों का वादा के साथ आए। इसने कुछ महत्वपूर्ण मैक्रो, सेक्टोरल और लोकलुभावन सुधारों को लागू करना शुरू कर दिया, लेकिन इस प्रदर्शन को मिश्रित प्रदर्शन के रूप में सर्वश्रेष्ठ दर्जा दिया जा सकता है।

मोदी द्वितीय के दौरान विमुद्रीकरण और जीएसटी जैसे विषयों पर स्पर्श करते हुए, राजन ने कहा कि विमुद्रीकरण ‘‘गलत धारणा थी, जो पर्याप्त तैयारी के बिना शुरू किया गया था और इसने अनौपचारिक क्षेत्र और निर्माण और अचल संपत्ति को नुकसान पहुंचाया‘‘। क्षति इतनी बड़ी थी कि इसको ‘‘मापना मुश्किल‘‘ था। इसके बाद गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स आया, जो ‘‘कॉन्सेप्ट में मज़बूत था, लेकिन पर्याप्त तैयारी के बिना शुरू किया गया था और इस तरह के कम अनुपालन और निरंतर निरर्थकता ने अनिश्चितता पैदा की‘‘। उन्होंने मुद्रास्फीति नियंत्रण की सराहना की लेकिन कहा कि इसका परीक्षण किया जाना बाकी है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का बढ़ता एनपीए चिंता का विषय था।

धीमी होती अर्थव्यवस्था

अपने विषय पर आते हुए, उन्होंने देखा कि भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास धीमा हो रहा है। भारतीय अर्थव्यवस्था में एक गहरी अस्वस्थता के संकेत देने के बारे में बताते हुए, विख्यात वित्तीय विश्लेषक ने कहा कि यह न केवल वृद्धि काफी धीमी है, वित्तीय स्थान भी तेजी से संकीर्ण हो रहा है जबकि ऋण और संकट बढ़ रहा है।

उन्होंने कहा कि “निर्यात जीडीपी के एक अंश के रूप में सिकुड़ गया है। इसी तरह, कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती से बोझ बढ़ रहा है और ऑफ-बैलेंस शीट उधार आसमान छू रही है जबकि आकस्मिक देनदारियां बढ़ रही हैं। वित्त और आरबीआई मंत्रालय से उद्धृत करते हुए, उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की उधार की आवश्यकता जीडीपी के 9 से 10 प्रतिशत के बीच बढ़ रही थी और इसलिए निजी ऋण और संकट था।

बैंकिंग क्षेत्र के सुधारों के बारे में, उन्होंने कहा कि पीएसयू नियुक्तियां करने के लिए बैंक बोर्ड ब्यूरो के निर्माण सहित सीमित प्रयास थे। फिर पीएसबी बैंक बोर्डों में बहुत कम शक्ति है और उनका राजनीतिकरण जारी है। इसके अलावा, निजी बैंक, सहकारी समितियां और एनबीएफसी गलत प्रशासन से ग्रस्त हैं। एफडीआई स्थिर था। हालांकि चीन की हिस्सेदारी में गिरावट के बावजूद भी टेक्सटाइल क्षेत्र में बढ़ोतरी कम थी।

अकेले वैश्विक कारण नहीं

उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि वैश्विक कारकों को दोष देना गलत होगा क्योंकि आईएमएफ की वैश्विक वृद्धि 2013-16 में 2.7 फीसद थी, लेकिन यह वास्तव में 2017-19 में बढक़र 3 फीसद हो गई। 2013-16 में वैश्विक व्यापार की वृद्धि दर 3.1 फीसद थी और यह भी 2017-19 में 4.2 फीसद हो गई। इसी तरह, 2013-16 के दौरान तेल की कीमत 73.5 डॉनर प्रति बैरल थी। 2017-19 में यह घटकर 60.1 डॉलर प्रति बैरल हो गया। उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या यह सिर्फ वैश्विक कारक हैं?‘‘ आर्थिक वृद्धि में गिरावट का जि़क्र करते हुए और कहा कि वैश्विक कारक अनुमानित अपराधी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि वैकल्पिक संदिग्धों में एनडीएफसी संकट था, गिरती घरेलू बचत अर्थात कम खपत और नौकरी में वृद्धि। नतीजतन, निवेश घट रहा था और इसलिए विकास कम हो रहा था। हालांकि, केंद्र द्वारा करों के प्रत्यक्ष संग्रह में वृद्धि हुई थी।

बुद्धिजीवियों के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द पर बढ़ती असहिष्णुता पर सवाल बरकरार

अंतत: बिहार में मुज़फ्फरपुर जि़ले में पुलिस ने अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ते अपराधों को रोकने के लिए प्रधानमंत्री को एक खुला पत्र भेजने के लिए बुद्दिजीवियों के खिलाफ दर्ज मामले को बंद करके अच्छा काम किया है। हालांकि सवाल बरकरार है कि विचारों को व्यक्ति करने के लिए व्यक्ति कब तक रूढि़वादिता के निशाने पर रहेगा।

फिल्म निर्माता श्याम बेनेगल और मणिरत्नम और गयिका शुभा मुदगल सहित 49 बुद्धिजीवियों जिन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘मॉब लिचिंग’ और अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ते घृणा के अपराध पर चिंता व्यक्त करते हुए खुला पत्र लिखा था। उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करना एक धमकी से कम नहीं है। हालांकि बाद में किन्ही कारणों से इस एफआईआर को रद्द कर दिया गया पर जो नुकसान होना था वह तो हो चुका। इससे देश में अभिव्यक्ति के अधिकार पर तो एक प्रश्न चिन्ह लग ही गया। इस तरह यह देश में बढ़ती असहिष्णुता की गंभीर याद दिलाता है। समाज को इस तरह से ध्रुवीकृत किया गया है इसका अंदाजा इस बात से लग जाता है कि जैसे ही यह पत्र मीडिया में जारी किया गया उसके तुरंत बाद ही शास्त्रीय नर्तकी और राज्यसभा सांसद सोनल मानसिंह, अभिनेत्री कंगना रानौत, गीतकार प्रसुन जोशी सहित 61 हस्तियों ने संप्रदायवादी धारा के खिलाफ अपने विचार व्यक्त किए। अब बिहार के मुज़फ्फरपुर पुलिस स्टेशन में एक एफआईआर दर्ज होने के साथ ही वे सब कटघरे में है जिन्होंने याद दिलाया कि असहमति के बिना लोकतंत्र संभव नहीं है। ये सभी बुद्धिजीवी अपने अपने क्षेत्र में बहुत सम्मानित हैं। उन पर लगाए राजद्रोह के आरोप, एक सार्वजनिक उपद्रव उत्पन्न कर रहे हंै और धार्मिक भावनाओं को आहत कर रहे हैं।

किसी भी तर्कसंगत बात को दबाने के लिए किया गया कोई भी प्रयास लोकतंत्र के लिए एक गंभीर खतरा है। स्वाभाविक तौर पर प्रधानमंत्री को पत्र लिखने को लेकर केस दर्ज होने से नाराजग़ी हुई है। श्याम बेनेगल, अदूर गोपालकृष्णन, कोंकणा सेन शर्मा, अपर्णा सेन और रामचंद्र गुहा जैसी हस्तियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई सार्वजनिक चिंता के मामले में पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए असहिष्णुता का बदसूरत चेहरा दिखाती है।

जनमत के लिए अपराधिक उपेक्षा और राजद्रोह के प्रावधान का स्पष्ट उपयोग अनेकवाद और सहिष्णुता के साथ नही है।

विवाद में एक और मोड आया जब इतिहासकार रोमिला थापर, लेखक के सच्चिदानंदन, अभिनेता नसीरूद्दीन शाह और लेखक सबा दीवान सहित 185 हस्तियों ने उन 40 बुद्धिजीवियों को अपना समर्थन दिया जिन्होंने भारत में बढ़ती असहिष्णुता पर चिंता व्यक्त करते और लोकतंत्र की रक्षा के लिए मतभेद व्यक्त करने की इज़ाज़त मांगते हुए पत्र लिखा था। यह पत्र याद दिलाता है कि प्रधानमंत्री संसद में मॉब लिंचिंग की आलोचना करते हैं लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। इस तरह के अपराधों को गैर-जमानती घोषित करने की आवश्यकता है, और कठोर सज़ा तेजी से और निश्चित रूप से दी जानी चाहिए। पत्र को आपत्तिजनक पाते हुए एक वकील सुधीर कुमार ओझा ने धारा 124ए (देशद्रोह) 153बी और आईपीसी की धारा 160,190, 290, 297 और 504 के तहत सदर पुलिस स्टेशन में 49 बुद्धिजीवियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। पिछले दिनों ओझा ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी अरविंद केजरीवाल आदि नेताओं के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी। एफआईआर तर्कपूर्ण आवाज को दबाने की कोशिश है और सभी समझदार लोगों को इस पर नाराजग़ी होनी चाहिए, क्योंकि विचार व्यक्त करने के अधिकार के बिना लोकतंत्र संभव नहीं हो सकता ।

खाताधारकों की जान पर भारी पीएमसी बैंक घोटाला

करीब तीन साल पहले देश में अचानक जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया था तो किसी ने सोचा भी नहीं था कि लोगों को अपने ही पैसे लेने के लिए कतारों में खड़ा होने पड़ेगा और राशि भी एक निश्चित मात्रा में ही मिलेगी। कमोवेश कुछ वैसी ही स्थिति आज पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (पीएमसी) के खाताधारक झेल रहे हैं। उनपर अपने ही पैसे निकलने के लिए पाबंदियां लगा दी गयी हैं। इसका सबसे दुखद पहलू यह है कि यह रिपोर्ट फाइल करने तक तीन लोगों की जान पैसे न निकाल पाने के कारण पैड हुए दबाव से जा चुकी है।

क्या है मामला

पीएमसी बैंक की कुल जमा 137 शाखाएं हैं। बात यह है की पीएमसी बैंक देश के टॉप-10 को-ऑपरेटिव बैंकों में शुमार है। आरोप है कि पीएमसी बैंक के मैनेजमेंट ने अपने नॉन परफॉर्मिंग एसेट और लोन वितरण के बारे में आरबीआई को गलत जानकारी दी। इसके बाद आरबीआई ने बैंक पर कई तरह की पाबंदी लगा दी। इन पाबंदियों के तहत लोग बैंक में अपनी जमा राशि सीमित दायरे में ही निकाल सकते हैं। आरोप है कि बैंक के कुछ अधिकारियों ने फर्जी तरीके से ऋण वितरित करने के लिए निजी कंपनी एचडीआईएल के साथ साठगांठ की जिससे बैंक को 4355 करोड़ रुपये का चूना लगा। हजारों निवेशक पैसे निकाल पाने में असमर्थ हो गये और उनका पैसा खतरे में पड़ गया।

मामला सामने आने के बाद 24 सितंबर को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने नोटिस जारी कर बैंक पर छह महीनों के लिए लेनदेन समेत कई तरह का प्रतिबंध लगा दिया। इसके मुताबिक न तो बैंक कोई नया लोन जारी कर सकता है और न ही इसका कोई ग्राहक 25 हजार रुपये से अधिक की निकासी कर सकता था। इस मामले में कई गिरफ्तारियां हुईं हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एचडीआईएल) से संबंधित अन्य कंपनियों के बारे में जांच कर रहा है। रिजर्व बैंक ने 3 अक्टूबर को पीएमसी बैंक के ग्राहकों के लिए कैश निकालने की सीमा 10 हजार रुपये से बढ़ाकर 25 हजार रुपये कर दी थी लेकिन बाद में इसमें फिर तब्दीली की गई और विथड्रॉल रकम की सीमा बढ़ाकर 40 हजार कर दिया गया। बैंक अधिकारियों का कहना है कि खाता धारकों के हित और बैंक का रिवाइवल उनकी पहली प्राथमिकता है।

लेकिन इस मामले का सबसे दर्नाक पहलु यह है कि पैसे न निकाल पाने से फ्रस्ट्रेशन में आये खाताधारकों के बीच जो तनाव पनपा है उसके चलते यह रिपोर्ट फाइल करने तक तीन लोगों की जान जा चुकी है। इनमें से दो की जान दिल का दौरा पडऩे से हुई जबकि एक ने तो आत्महत्या ही कर ली। सबसे पहला मामला 14 अक्टूबर को सामने आया जब एक खाताधारक संजय गुलाटी की दिल का दौरा पडऩे से मौत हो गई। उनकी एक बेटी विशेष बच्ची (स्पेशल चाइल्ड) है और परिवार के सामने बहुत दिक्कत वाली स्थिति पैदा हो गयी है। गुलाटी को खाना खाने के दौरान की चक्कर आने के बाद अस्पताल ले जाय गया था लेकिन उन्हें डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था। इसके बाद से उनका परिवार गहरे सदमे में है। गुलाटी के साल के शुरू में नौकरी भी चली गयी थी। वे जेट एयरवेज में काम करते थे। संजय गुलाटी के बैंक में 90 लाख रुपये जमा हैं। गुलाटी के बाद 15 अक्टूबर को एक और खाताधारक मुलुंड के रहने वाले फत्तोमल पंजाबी (59) की दिल का दौरा पडऩे से मौत हो गयी। फत्तोमल पंजाबी मुलुंड में हार्डवेयर और इलेक्ट्रिकल स्टोर चलाते थे और उन्होंने भी पीएमसी बैंक में पैसे जमा कराए हुए थे। उनकी मौत मंगलवार दोपहर साढ़े 12 बजे हुई।

मामला यहीं नहीं थमा। अब मुंबई के वरसोवा इलाके में रहने वाली 39 वर्षीय एक डॉक्टर जो कि पीएमसी में खाताधारक भी थीं की आत्महत्या कर ली। डॉक्टर योगिता बिजलानी (39) ने मंगलवार रात नींद की गोलियों की ओवरडोज के जरिए आत्महत्या कर ली। बताया जा रहा है कि योगिता पहले से ही डिप्रेशन में थीं और उनके भी एक करोड़ से ज्यादा रुपए पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक में जमा थे। हालांकि वरसोवा पुलिस ने इस आत्महत्या का संबंध पीएमसी बैंक घोटाले से होने से इनकार कर दिया। पुलिस का कहना है कि उन्होंने शुरुआती जांच में पाया गया है कि योगिता ने बीते साल अमेरिका में भी सुसाइड करने की असफल कोशिश की थी। आरबीआई की तरफ से एक निश्चित मात्रा में ही पैसे निकालने की पाबंदी के चलते इस बैंक के खाताधारक आंदोलन भी कर रहे हैं। कुछ दिन पहले जब वित्त मंत्री मुम्बई में थीं तो खाताधारकों ने भाजपा दफ्तर के बाहर प्रदर्शन किया था। इसके बाद सीतारमण आरबीआई के गवर्नर से भी मिलीं थीं।

भाजपा नेताओं के विरूद्ध मामलों में विपक्ष ने घेरा योगी सरकार को

योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार और राज्य पुलिस ने जिस तरह से अपने उच्च प्रोफ़ाइल प्रमुख नेताओं- कुलदीप सिंह सेंगर (विधायक) और स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ बलात्कार के मामले दर्ज किए हैं, उसके बाद विपक्षी दलों ने सरकार पर गंभीर हमले किए हैं। दोनों मामलों में, जघन्य अपराध के पीडि़तों को न्याय मांगने के लिए आगे आने की कीमत चुकानी पड़ी।

सेंगर मामले में स्थानीय पुलिस ने पीडि़त के पिता को मनगढ़ंत मामले में फंसाया और पुलिस हिरासत में उसकी पीट-पीटकर हत्या कर दी और पीडि़त एम्स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) में जीवन यापन के लिए संघर्ष करती रही।साक्ष्य नष्ट करने के एक कथित प्रयास के बाद मामले में एक गवाह की मौत हो गई। दुर्घटना में मौके पर पीडि़त और उसके अधिवक्ता को भी जानलेवा चोटें आईं और अभी भी एम्स में भर्ती हैं।

चिन्मयानंद मामले में पीडि़त को आईजी रैंक के अधिकारी नवीन अरोड़ा की अध्यक्षता वाली एसआईटी (विशेष जांच दल) द्वारा उसके दोस्तों के साथ जबरन वसूली और ब्लैकमेल करने के आरोपों के तहत गिरफ्तार किया गया है। पुलिस के पूरे प्रयासों से आरोपों की गंभीरता पर पानी फिरता दिख रहा है क्योंकि उन्होंने बलात्कार की गंभीर (धारा 376) को आईपीसी की धारा 376-सी में बदल दिया है, जिसका मतलब है कि संभोग में किसी व्यक्ति द्वारा बलात्कार की धारा नहीं है।

28 अगस्त को, भाजपा के पूर्व सांसद स्वामी चिन्मयानंद को 23 वर्षीय कानून की छात्रा के अपहरण और आपराधिक धमकी के लिए बुक किया गया था, जिसने एक वायरल वीडियो में नेता पर यौन उत्पीडऩ का आरोप लगाया था, चिन्मयानंद को राजनीतिक दलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के काफी हंगामे के बाद, 20 सितंबर 2019 को गिरफ्तार कर लिया गया था।

विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया कि पूरी सरकारी मशीनरी चिन्मयानंद को ढालने की कोशिश कर रही थी क्योंकि वह आरएसएस परिवार के करीबी सहयोगी हैं जो तीन बार भाजपा एम.पी. और 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में आंतरिक सुरक्षा राज्य मंत्री का कार्यभार संभाल रहे थे। वह इस अवधि के दौरान उत्तर प्रदेश में जौनपुर निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के सदस्य थे। वह राम मंदिर आंदोलन के स्तंभों में से एक थे और उमा भारती, महंत अवैद्यनाथ, जी.एम. लोदा और अशोक सिंघल के साथ 25 अक्टूबर 1990 को गोंडा में गिरफ्तार हुए थे। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव के समक्ष आक्रामक तरीके से विहिप के प्रतिनिधिमंडल का भी नेतृत्व किया था।

20 सितंबर को कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने तीखा हमला करते हुए कहा, “सरकार ने पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ कार्रवाई पीडि़त महिला के आत्मदाह की धमकी के बाद की।” “यह जनता और पत्रकारिता की ताकत थी, जिसने चिन्मयानंद को गिरफ्तार करवाया।”

“भाजपा सरकार इतनी मोटी चमड़ी वाली है कि उसने तब तक कार्रवाई नहीं की जब तक कि बलात्कार पीडि़ता ने यह नहीं कहा कि वह खुद आत्महत्या कर लेगी। यह जनता की और पत्रकारिता की ताकत है कि एसआईटी को चिन्मयानंद को गिरफ्तार करना पड़ा।”

भाजपा नेता को उत्तर प्रदेश पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने 20 सितंबर 2019 को शाहजहांपुर में उनके आवास से गिरफ्तार किया था।एक महीने तक चलने वाले मोड़ और ट्विस्ट के बाद राष्ट्रीय सुर्खियों में आए 72 साल के चिन्मयानंद और 23 वर्षीय महिला लॉ स्टूडेंट दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया है।

यह सब तब शुरू हुआ जब 23 अगस्त को फेसबुक पर एक वीडियो वायरल होने के बाद, शाहजहाँपुर कॉलेज की एक लॉ स्टूडेंट ने आरोप लगाया कि उसका शक्तिशाली लोगों द्वारा शोषण किया जा रहा है। इस वीडियो को सोशल मीडिया पर खूब प्रचारित किया गया, जिसमें महिला ने पीएम नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ से उनके साथ न्याय करने के लिए मदद मांगी।

“संत समाज का एक बड़ा नेता जिसने कई अन्य लड़कियों के जीवन को नष्ट कर दिया है और मुझे मारने की धमकी भी दी हैज् मैं योगी जी और मोदी जी से मेरी मदद करने का अनुरोध कर रही हूं। उसने मेरे परिवार को मारने की धमकी दी है। कृपया मेरी मदद करें, ” पीडि़त ने 24 अगस्त को शाम 4 बजे अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट किए गए वीडियो में कहा। उसने यह भी दावा किया कि उसके पास प्रभावशाली स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ सबूत हैं और उसने आरोप लगाया कि जो जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक को अपनी जेब में रखने का दावा करता है। उसने वीडियो में चिन्मयनाद का स्पष्ट रूप से नाम नहीं लिया था। वह अगले दिन लापता हो गई।

चिन्मयानंद शाहजहाँपुर के स्वामी शुकदेवानंद स्नातकोत्तर महाविद्यालय की प्रबंध समिति के अध्यक्ष हैं, जहाँ महिला ने कानून की पढ़ाई की और काम में लगी रहीं। चिन्मयानंद का शाहजहाँपुर में एक आश्रम है और शहर में पाँच कॉलेज हैं। हरिद्वार और ऋषिकेश में भी उनके आश्रम हैं। 2011 में, चिन्मयानंद पर उनके आश्रम के एक सहवासी ने बलात्कार का आरोप लगाया था।

फेसबुक पर वीडियो पोस्ट करने के ठीक बाद महिला भूमिगत हो गईं और उनके पिता ने स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ उनके अपहरण की शिकायत दर्ज कराई। पिता ने यह भी आरोप लगाया कि उनकी बेटी का चिन्मयानंद द्वारा यौन शोषण किया गया था। अपहरण और आपराधिक धमकी के लिए धारा 364 और 506 के तहत एक मामला दर्ज किया गया था, लेकिन उनकी शिकायत से पहले, पुलिस ने चिन्मयानंद के वकील ओम सिंह द्वारा दर्ज कराई गई एक शिकायत की अनुमति दी, “चिन्मयानंद ने 22 अगस्त को मैसेजिंग ऐप व्हाट्सएप पर एक अज्ञात नंबर से एक टेक्स्ट संदेश प्राप्त किया, जिसमें कथित तौर पर धमकी दी गई थी कि अगर वह 5 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं करता है तो उसे नग्न और अश्लील परिस्थितियों में दिखाने वाले वीडियो ऑनलाइन लीक हो जाएंगे। पुलिस।”

बाद में स्थानीय मीडिया से बात करते हुए चिन्मयानंद ने कहा कि उन्हें फंसाया जा रहा है और आरोप लगाया कि महिला उनके खिलाफ साजिश का हिस्सा थी।उन्होंने दावा किया कि यह पूर्व सांसद से पैसे निकलवाने की कोशिश थी।”मामला योगी आदित्यनाथ सरकार को बदनाम करने का था। पहले कुलदीप सिंह सेंगर को फंसाया गया और अब मुझे निशाना बनाया जा रहा है।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि अगर चिन्मयानंद के बयान पर विश्वास किया जाए कि यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ एक साजिश है, तो उन्हें अस्थिर करने से राजनीतिक रूप से कौन लाभान्वित हो सकता है? उनके बीच निकटता एक छिपी हुई बात नहीं है क्योंकि योगी आदित्यनाथ उनके पूर्व सहवासी द्वारा दायर चिन्मयानंद के खिलाफ लंबित एक और बलात्कार के मामले को वापस लेने के रास्ते की कोशिश की। पीडि़त ने इसका विरोध किया और भारत के मुख्य न्यायाधीश और यूपी के मुख्य न्यायाधीश को लिखा। अदालत ने भी वापसी के आदेशों को नहीं माना और मुकदमे को आगे बढ़ाया।

इस बीच जब इस मामले पर राष्ट्रीय ध्यान जाना शुरू हुआ, तो सुप्रीम कोर्ट के वकीलों के एक समूह ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट के वकीलों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश से लापता कानून के छात्र की मीडिया रिपोर्टों के बारे में संज्ञान लेने के लिए कहा। वकीलों ने कहा कि वे उन्नाव बलात्कार मामले को दोहराना नहीं चाहते हैं। वकीलों की दलील ने इस मामले की उन्नाव बलात्कार मामले में समानता की बात नोट की जिसमें कुलदीप सिंह सेंगर मुख्य आरोपी हैं। उन्नाव बलात्कार मामले ने गवाहों की मौत की एक श्रृंखला देखी है।

पुलिस ने कहा कि शाहजहाँपुर की लडक़ी को नई दिल्ली ले जाया गया, साथ में एक लडक़ा था जिसने चिन्मयानंद से 5 करोड़ रुपये की मांग की थी। इस बीच, पुलिस ने छेड़छाड़ और सबूतों से छेड़छाड़ से बचने के लिए शाहजहाँपुर में महिला छात्रावास के कमरे को सील कर दिया। लापता होने के चार दिन बाद, महिला को 30 अगस्त को एक दोस्त के साथ राजस्थान में पाया गया था। पुलिस ने कहा कि महिला का अपहरण नहीं हुआ था, सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अदालत में पेश करने के लिए कहा।

इसके बाद कानून के छात्र के साथ सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीशों की एक बंद दरवाजे की बैठक हुई। बैठक में, न्यायाधीशों ने दिल्ली में महिला के लिए सुरक्षित और आरामदायक आवास के लिए कहा। उसके माता-पिता को राजधानी लाने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस को निर्देश दिया। न्यायाधीशों ने कहा कि जब तक वह अपने माता-पिता को नहीं देखती, तब तक किसी को भी उनसे मिलने की अनुमति नहीं दी जाएगी। बाद में, सुप्रीम कोर्ट ने शाहजहाँपुर की महिला को अन्य कॉलेजों में स्थानांतरित करने की अनुमति देते हुए कहा कि उसका “भविष्य महत्वपूर्ण है”

2 सितंबर को, सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच का आदेश दिया और एक विशेष जांच दल (स्ढ्ढञ्ज) का गठन किया। एसआईटी ने कॉलेज का दौरा किया और शिक्षकों और छात्रों से बात की। टीम ने आश्रम का भी दौरा किया, लेकिन चिन्मयानंद गायब रहे।

8 सितंबर को, कानून की छात्रा ने आगे आकर दिल्ली में चिन्मयानंद के खिलाफ बलात्कार की शिकायत दर्ज कराई। महिला ने आरोप लगाया कि स्वामी चिन्मयानंद ने मेरे साथ बलात्कार किया और एक साल तक मेरा शारीरिक शोषण भी किया। कानून की छात्रा ने आरोप लगाया कि वह पहले बलात्कार की शिकायत दर्ज कराना चाहती थी, लेकिन यूपी पुलिस ने उसे ठुकरा दिया, इसलिए उसने दिल्ली में मामला दर्ज कराया।

पीडि़ता ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया जहां उसने खुलासा किया कि चिन्मयानंद ने एक साल तक उसका शारीरिक शोषण किया। उसके परिवार को आरोपियों से धमकी मिल रही थी। उसके छात्रावास के सभी साक्ष्य, मीडिया के सामने खोलने को कहा। एक दिन बाद, एसआईटी ने महिला के छात्रावास के कमरे को खोला और सबूत एकत्र किए। छात्र ने दिल्ली पुलिस और मजिस्ट्रेट को एक बयान दिया।

पीडि़ता ने आरोप लगाया कि उसे चिन्मयानंद द्वारा बार-बार फिल्माया गया और बलात्कार किया गया। वह अपने कॉलेज में प्रवेश के लिए चिन्मयानंद से मिलीं जिसके बाद उन्होंने उनके प्रवेश की व्यवस्था की। “उसने मुझे भर्ती कराया, मुझे लाइब्रेरी में नौकरी दी और फिर उसे हॉस्टल में स्थानांतरित करने के लिए कहा,” उसने आरोप लगाया कि उसे शॉवर लेते समय फिल्माया गया था, जिसका वीडियो उसे ब्लैकमेल करने के लिए इस्तेमाल किया गया था।

पीडि़ता ने एक महिला रिपोर्टर के साथ एक साक्षात्कार में आरोप लगाया कि सुबह 6 बजे अनियंत्रित मालिश और 2.30 बजे “जबरन सेक्स” के लिए आरक्षित किया गया था। उसे चिन्मयानंद के कमरे में उसके बंदूकधारियों द्वारा ले जाया जाता, जो बाद में उसे वापस छोड़ देते।

पेन ड्राइव में पुलिस को विस्फोटक वीडियो साक्ष्य सौंपे गए। महिला ने कहा कि उसने चिन्मयानंद को उजागर करने के लिए अपने चश्मे में जासूसी कैमरे का उपयोग करके फिल्म बनाना शुरू कर दिया।

12 सितंबर को, एसआईटी ने आखिरकार चिन्मयानंद से पूछताछ की, जिसके बाद चिन्मयानंद के आश्रम के दो कमरे, जहां कथित मामला हुआ था, को सील कर दिया गया था।

आगे क्या हुआ?

14 सितंबर को छात्रा ने अपने आरोपों का समर्थन करने के लिए एसआईटी को 43 वीडियो युक्त एक पेन ड्राइव दिया। महिला ने जांच टीम को बीए-एलएलबी के छात्र के बारे में बताया, जिसे भी प्रताडि़त किया जा रहा था और उत्पीडऩ के बारे में उससे बात की थी।

इस बीच, और वीडियो टम्बल आउट हुए। एक में, चिन्मयानंद को महिला से मालिश करवाते हुए देखा गया था, लेकिन दूसरे ने ‘जबरन वसूली’ संबंधी बातें दिखाईं। वीडियो की सत्यता स्थापित रूप से स्थापित हो गई। अदालत ने एसआईटी को वीडियो क्लिप में दिखाई देने वाले लोगों के आवाज के नमूने लेने की अनुमति दी।

एसआईटी अभी भी जांच कर रही है और मुकदमे में आरोपों को प्रमाणित करने के लिए सबूत हासिल कर रही है। अदालत ने दोनों मामलों में आरोपी व्यक्तियों को जमानत नहीं दी है।