मंदिर में गैर हिंदुओं के बिना मंजूरी प्रवेश पर पाबंदी क्यों लगाई गई है?
देखिए, तकरीबन एक माह पहले मंदिर में आए कुछ गैर हिंदुओं की सुरक्षाकर्मियों के साथ झड़प हो गई थी. उस घटना के बाद एक ऐसे नियम की जरूरत महसूस की गई जिससे भविष्य में आगे कोई बड़ा झगड़ा-फसाद न हो. इस कारण से ये नियम बनाया गया है. लोग इस नियम का पालन कर रहे हैं. ये तो सामान्य-सी बात है. पता नहीं मीडिया इस पर इतना हंगामा क्यों मचा रहा है.
लेकिन सुरक्षाकर्मियों के साथ झड़प तो किसी की भी हो सकती है. नियम गैर हिंदुओं को लेकर ही क्यों बनाया गया?
कोई बड़ी घटना घटित हो इसके पहले हमें इसे नियंत्रित करना जरूरी था. हर व्यवस्था का अपना एक नियम होता है. मान लीजिए कहीं धोती पहनकर प्रवेश करने का नियम है और कोई कुछ और पहनकर चला जाए तो दिक्कत होगी ही. झगड़ा हो जाएगा. सबका अलग-अलग नियम होता है. जहां पवित्रता है, यानी मंदिर है वहां सब देखकर करना पड़ता है.
क्या इस नियम के पीछे कहीं ये सोच तो नहीं है कि मंदिर में अगर कोई हिंदू आएगा तो वो कोई समस्या खड़ी नहीं करेगा, जबकि गैर हिंदू कर सकता है?
हां, बिलकुल ऐसा है. ये भी हो सकता है कि कोई दूसरे धर्म का आता है और उससे गलती से कुछ हो जाता है तो भी लोग यही मानेंगे कि इसने जानबूझकर किया होगा.
मंदिर में तो बड़ी संख्या में लोग आते हैं. उनके बीच आप ये कैसे पहचानेंगे कि कौन हिंदू है और कौन गैर हिंदू?
मंदिर के प्रवेश द्वार पर भारी सुरक्षा व्यवस्था है. वहां तैनात सुरक्षाकर्मी और गार्ड्स को जो गैर हिंदू और विदेशी दिखते हैं वो उन्हें अलग बुला लेते है. बाकी वो लोग भी साइनबोर्ड पढ़कर खुद आकर पूछते हैं कि बताइए साइन कहां करना है. वहां एक रजिस्टर रखा हुआ है उसमें उनका नाम-पता नोट करने और उनसे साइन कराने के बाद गार्ड उन्हें साथ लेकर मंदिर दर्शन कराने जाता है और अपने साथ ही वापस लाता है. सारे गैर हिंदुओं के लिए ये नियम है. इसमें कोई दिक्कत नहीं है. सब बिना किसी बाधा के चल रहा है.
गैर हिंदुओं के प्रवेश संबंधी नियम की काफी आलोचना हो रही है. क्या इस नियम पर पुनर्विचार की संभावना है?
बिलकुल नहीं. देखिए यहां अनेक धर्मों के लोग दर्शन के लिए आते हैं. किसी ने अभी तक इस नियम का विरोध नहीं किया है. रजिस्टर रखा हुआ है, लोग अपनी एंट्री करके जा रहे हैं. इसको लेकर अभी तक मंदिर में आने वाले किसी व्यक्ति ने कोई नाराजगी व्यक्त नहीं की है.
क्या ये धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं है. क्या इसे एक सांप्रदायिक कदम नहीं माना जाना चाहिए?
देखिए ये देश में पहली बार नहीं हो रहा है. कई धार्मिक स्थलों पर ऐसी व्यवस्था है. कहीं आपको सिर ढककर जाना होता है तो कहीं कुछ और नियम है. तिरुपति बालाजी से लेकर जगन्नाथ मंदिर, पद्मनाभम मंदिर, त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, द्वारिकाधीश मंदिर आदि अलग-अलग देवस्थानों के अपने नियम-कायदे हैं. हमने पाबंदी नहीं लगाई है लेकिन उसको नियंत्रित किया है. हमें कोई दिक्कत नहीं है. हमारे कुछ नियम हैं, आप उसका पालन करके दर्शन कीजिए.