बुधवार को अदालत से रिहाई के बाद सामाजिक कार्यकर्त्ता इरोम चानू शर्मिला को आज मणिपुर पुलिस ने फिर गिरफ्तार कर लिया. उनको सरकारी अस्पताल के बाहर बने एक अस्थाई निवास स्थल से गिरफ्तार किया गया है. इरोम वहां सैकड़ों महिला प्रदर्शनकारियों और सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं के साथ आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पॉवर एक्ट (आफ्स्पा) को हटाने की अपनी मांग को जारी रखते हुए अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठी थीं.
सन 2000 में असम राइफल्स के जवानों ने दस कथित विद्रोहियों को गोली मार दी थी. इसके विरोध में इरोम ने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की थी और आत्महत्या के प्रयास के आरोप में वे तब से ही पुलिस हिरासत में थीं. इस 42 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता को पिछले 14 साल से इंफाल के जेएन अस्पताल के एक कमरे में नजरबंद रखा गया था. यहां इरोम को ड्रिप लगाकर नाक के जरिए खाना दिया जा रहा था. इरोम को इन सालों में समय-समय पर रिहा करके दोबारा हिरासत में लिया जाता रहा है. लेकिन बीते 20 अगस्त को सेशन कोर्ट ने उनको आत्महत्या के प्रयास के आरोप से मुक्त कर दिया था.
आज सुबह पुलिस उनको मेडिकल चेकअप के लिए ले जाना चाहती थी लेकिन इरोम ने इससे मना कर दिया. इसके बाद पुलिस उन्हें जबर्दस्ती वहां से ले गई. मणिपुर के गृह मंत्री गैखंगम का कहना है कि सरकार उनकी सेहत और सुरक्षा को लेकर पूरी तरह तत्पर है.
अपनी गिरफ्तारी से पहले इरोम का कहना था कि वे कोर्ट के अपनी रिहाई के फैसले का स्वागत करती हैं लेकिन जब तक विवादित कानून हटाया नहीं जाता वे अपना अनशन जारी रखेंगी.