बार बालाओं का अपना पेशा चुनने के अधिकार का ध्यान रखते हुए महाराष्ट्र में सुप्रीम कोर्ट ने डांस बारों पर लगी पाबंदी को रद्द कर दिया है और महाराष्ट्र सरकार को बार मालिकों को लाइसेंस देने का आदेश दिया है. शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार द्वारा 2014 में महाराष्ट्र पुलिस एक्ट में किए गए संशोधन को गलत माना और कहा कि 2013 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को निष्प्रभावी बनाने के लिए ये संशोधन किया गया था. हालांकि महाराष्ट्र सरकार की तरफ से दलील दी गई कि दोनों प्रस्ताव भिन्न थे और 2014 का संशोधन सही था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने ये दलील खारिज कर दी. अंतरिम आदेश की जरूरत को रेखांकित करते हुए बेंच ने कहा, ‘मुंबई पुलिस एक्ट की धारा 33ए (1) के प्रावधानों पर रोक सही है.
क्यों बंद किए गए थे डांस बार?
22 जुलाई 2005 को महाराष्ट्र विधानसभा ने बाॅम्बे पुलिस (संशोधन) बिल को मंजूरी दी जिसके तहत बॉम्बे पुलिस एक्ट में संशोधन करके बीयर बार और रेस्टोरेंट में नाच-गाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया. 15 अगस्त 2005 को राज्य के सभी डांस बारों को बंद कर दिया गया. दलील दी गई थी कि ये डांस बार अंडरवर्ल्ड और असामाजिक तत्वों के अड्डे बन गए हैं, राज्य के नौजवान इनके चलते गलत प्रवत्तियों में पड़ रहे हैं. बैन को होटल और रेस्टोरेंट एसोसिएशन (एएचएआर), डांस बार ओनर्स एसोसिएशन और भारतीय बार गर्ल यूनियन ने बाॅम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी. हाईकोर्ट ने संशोधन को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया था. राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.
फैसले का क्या होगा असर?
अप्रैल 2005 तक अकेले मुंबई में ही करीब 700 डांस बार थे. हालांकि आधिकारिक संख्या 307 थी, जबकि शेष महाराष्ट्र में 650 डांस बार थे. इन बारों में करीब डेढ़ लाख लोग काम करते थे. जिनमें से 75 हजार बार बालाएं थीं. इनमें से तमाम ने रोजगार की तलाश में दूसरे देशों में ठिकाना बना लिया था. इस फैसले के बाद उन्हें देश में फिर से काम करने का मौका मिल जाएगा. हालांकि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि राज्य सरकार फैसले के खिलाफ अपील करेगी.