क्या विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की इतनी बड़ी जीत की उम्मीद आपको थी?
पूरा दो सौ प्रतिशत. जदयू और कांग्रेस के संग महागठबंधन बनने के दिन से ही उम्मीद थी. बिहार में राजग के किसी भी नेता में मुझे हरा देने का दम नहीं है. प्रचार के दौरान ही हमने देख लिया था कि लहर हमारे पक्ष में है.
बहुत सारे चुनाव सर्वेक्षणों में आपको या महागठबंधन को बढ़त में नहीं दिखाया गया या फिर ज्यादा भाव नहीं दिया गया. क्या आप इससे निराश हुए?
देखिए, हम राजनीति विज्ञान का पढ़ाई किया हूं और बहुत अच्छे से जानता हूं कि चुनाव सर्वेक्षण और एग्जिट पोल कइसे किया जाता है. जब आप लोगों का हाल-चाल लीजिएगा, उन लोगों के सुख-दुख में भागीदार बनिएगा त किसी भी परीक्षा में कभी फेल नहीं होइएगा, फिर चाहे उ विधानसभा या लोकसभा चुनाव ही काहे न हो.
आपने पहली बार नॉन प्लेइंग कैप्टन के रूप में 2014 के चुनाव का सामना किया और राजद 40 में से कुल 4 सीट ही जीत सकी. 2014 के चुनावों में आप इतनी बुरी तरह से क्यों हारे?
बिहार में एक कहावत है, जब परिवार बंटता है न त उसका नाजायज फायदा गांव का लोग उठाता है. हम और हमारा छोटा भाई नीतीश अलग-अलग रास्ता पकड़ लिया था, इसीलिए सांप्रदायिक ताकतों को लाभ मिला. अब जब हम एक हो गए हैं तब लोगों ने उन्हें दूर बिहार से उखाड़ फेंका.
आपको ऊंची जातियों का दुश्मन माना जाता है, खासकर जब आपने घोषणा की कि यह लड़ाई अगड़ों और पिछड़ों की है. क्या आप वाकई अगड़ों के दुश्मन हैं?
हम अगड़ा जाति के गरीबों के विरोध में कभी नहीं रहा हूं. हम उन लोगों को पिछड़ा मानता हूं क्योंकि उ सब जरूरी साधनों से वंचित रहे हैं. हम बांटो और राज करो की राजनीति में विश्वास नहीं करता हूं. हमारा विरोध समाज के शोषकों से है. ये वीपी सिंह थे जिन्होंने मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू किया. क्या वे पिछड़ी जाति के थे? वे हमारे नेता हैं. आज भी हमारी पार्टी में अगड़ी जाति के बहुत सारा नेता भरा हुआ है.
क्या आपको लगता है कि ध्रुवीकरण के बावजूद अगड़ी जातियों ने भी राजद उम्मीदवारों को वोट दिया?
बिहार का लोग जाति और संप्रदाय से ऊपर उठ रहा है. उन्होंने हमारी पार्टी और महागठबंधन की दूसरी पार्टियों को भी वोट दिया है. इनमें अन्य पिछड़ा वर्ग है, अति पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक, गरीब और अगड़ी जाति के शोषित लोग भी हैं. यह गणित और रसायन (केमिस्ट्री) दोनों के हिसाब से स्पष्ट बहुमत है.
तो क्या अगली सरकार नीतीश के नेतृत्व में बनने जा रही है?
हम पहले ही घोषित कर चुका हूं कि नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री होंगे. मेरे और उनके बीच कोई मतभेद नहीं है. वे परखे हुए मुख्यमंत्री हैं और बिहार में रहकर लोगों के कल्याण के लिए काम करेंगे.
हम और हमारा छोटा भाई नीतीश अलग-अलग रास्ता पकड़ लिया था, इसीलिए सांप्रदायिक ताकतों को लाभ मिला
राजग नेता यह दावा करते हैं कि जल्दी ही जंगलराज लौट आएगा और आपका व नीतीश कुमार का गठबंधन लंबे समय तक नहीं चल पाएगा.
हमारा दृढ़ विश्वास मंगलराज में है. हमने अपने 15 वर्ष के शासन के दौरान बेजुबान लोगों को जुबान दिया. हाशिये का लोग बंधुआ मजदूर का जीवन जी रहा था, हमने उनको बंधन से मुक्त कराया. और राजग नेताओं को हमारे गठबंधन के बारे में क्यों चिंता होती है? जल्द ही उनको पता चल जाएगा कि इस गठबंधन पर सदा के लिए मोहर लग गई है.
बढ़ती असहिष्णुता को देखते हुए लेखक, फिल्मकार और वैज्ञानिक अपने राष्ट्रीय सम्मान लौटा रहे हैं. क्या अब विरोध के तौर तरीके बदलेंगे?
अगर आपको याद हो तो इस साल की शुरुआत में जब अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा भारत आए थे तो उन्होंने भारत में यहां बढ़ते रंगभेद/नस्लभेद के लिए चेताया था. अमेरिका लौटने के बाद ओबामा ने कहा था कि अगर महात्मा गांधी आज जिंदा होते तो वे दुखी होते. उनके इस वक्तव्य का क्या अर्थ था? भाजपा सत्ता के लिए लाशों पर राजनीति करती है. भाजपा के लिए आरएसएस एजेंडा सेट करती है. लेकिन जब तक हम जिंदा हूं तब तक ये ताकतें अपने मंसूबों में कामयाब नहीं होंगी.
आपका अगला लक्ष्य क्या है? क्या आप भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपना प्रचार जारी रखेंगे?
देखिए, अब हम सबसे पहले हाथ में लालटेन लेकर बुनकरों का हाल जानने बनारस जाऊंगा. मोदी ने कई मौकों पर कहा है कि गंगा मईया ने मुझे यहां लोगों की सेवा के लिए बुलाया है. हम देखूंगा कि मोदी ने उहां कौन सी सेवा की है. फिर कोलकाता जाऊंगा और उसके बाद दूसरे राज्यों में भी जाऊंगा. आखिर में हस्तिनापुर (दिल्ली) पहुंचूंगा. बिहार में महागठबंधन की महाविजय से मोदी घबरा गए हैं. अब वे गुजरात जाने की सोच रहे हैं.