होली की रंगत विभिन्न शहर और उनके बाजारों में नजर आने लगी है और यह तो सभी जानते हैं कि होली की बात कृष्ण की नगरी मथुरा-वृंदावन के बिना पूरी नहीं हो सकती. यहां एक हफ्ते पहले ही होली खेलने का सिलसिला शुरू हो गया है.
ये नजारा वृंदावन का है. तीन मार्च को यहां के विभिन्न आश्रमों में रहने वाली तकरीबन दो हजार विधवाओं ने जमकर होली खेली. भेदभाव और पुरातन परंपराओं का चश्मा उतार कर देखा जाए तो होली का त्योहार कई सामाजिक मान्यताओं को तोड़ता हुआ नजर आता है. अमीर-गरीब, ऊंच-नीच और दलित-सवर्ण सब एक रंग में रंगे नजर आते हैं. वृंदावन की इन विधवाओं की श्वेत-श्याम तस्वीर भी इस दौरान कई रंगों से खिल उठती है.
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार विधवाओं को होली खेलने और रंगीन कपड़े पहनने की मनाही है. तमाम कठमुल्ला संगठन इसकी आलोचनाओं करते हैं. इन सबके बीच सुलभ इंटरनेशनल नाम की संस्था इस अनोखी होली का आयोजन हर साल कराता है, ताकि ये विधवाएं अपनी बदरंग जिंदगी में खुशी के रंग तलाश सकें. तस्वीरें: विकास कुमार