म्युनिसिपल स्कूल बोर्ड (एएमसी) के प्रशासनिक अधिकारी एलडी देसाई के द्वारा जारी किए गए इस विवादास्पद सर्कुलर के अनुसार ‘सभी नगर निगम के स्कूलों को सूचितकिया जाता है कि बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की अराधना की जाती है, वो ज्ञान की देवी हैं. बच्चों के जीवन में शिक्षा का महत्व समझाने के लिए इस अवसर पर सभी छात्रों को सरस्वती वंदना और पूजन कराया जाए. इस आदेश का पालन सभी स्कूल सुनिश्चित करें.’
अहमदाबाद में 300 सरकारी स्कूल हैं. इनमें करीब 10,000 मुस्लिम छात्र भी पढ़ते हैं. यह आदेश उन बच्चों पर भी लागू होगा. ऐसे में एक धार्मिक विवाद खड़ा होने कीप्रबल संभावना है. शहर के 50 उर्दू मीडियम स्कूलों के प्रधानाध्यापकों ने इस विवादास्पद सर्कुलर को लागू करने के प्रति अपनी असमर्थता जतायी है. उर्दू माध्यम के स्कूलों के शिक्षक खुद को सरकारी सर्कुलर और अभिभावकों के बीच फंसा हुआ पा रहे हैं. यह आदेश जारी करने वाले अधिकारी देसाई से स्थानीय पत्रिका अहमदाबाद मिरर ने बातचीत की जिसमें उनका कहना था ‘मां सरस्वती हिन्दू, मुसलमान, सिख, ईसाई सबके लिए ज्ञान की देवी हैं. मुझे नहीं लगताकी उर्दू माध्यम के स्कूलों को इस आदेश का पालन करने में कोई दिक्कत होगी. सर्कुलर सभी एएमसी विद्यालयों पर लागू है लिहाजा उर्दू स्कुलों सहित सबको इसका पालन करना है.’ ऐसा पहला वाक्या नहीं है जब देसाई ने विवादित सरकुलर जारी किया हो. इससे पहले भी वह सरकारी स्कुलों में हिन्दु प्रथानाओं की वंदना करने जैसे आदेश जारी कर चुके हैं.
महीने भर के भीतर गुजरात में धार्मिक भावनाओं के टकराव का यह दूसरा बड़ा मामला सामने आया है. इससे पहले सूरत में पुलिस ने मॉक ड्रिल के दौरान आंतकवादी की भूमिका निभा रहे एक व्यक्ति को नमाजी टोपी पहना दिया था. देश भर में सूरत पुलिस के इस कृत्य की कड़ी अलोचना हुई थी.