ग्रीनपीस के दो पूर्व कर्मचारियों पर आपकी ही एक पूर्व महिला कर्मचारी द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न और बलात्कार के आरोपों पर आपका क्या कहना है?
जी, संबंधित महिला ने 2012 में यौन उत्पीड़न के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी हालांकि उस शिकायत पर उचित तरीके से कार्रवाई नहीं हुई, जिसके लिए हम क्षमा प्रार्थी हैं. जहां तक बलात्कार के आरोप की बात है, ये घटना 2013 में एक निजी पार्टी में हुई थी और इसका जिक्र सबसे पहले फरवरी 2015 में एक फेसबुक पोस्ट में किया गया, फिर जून में एक ब्लॉग पर. संबंधित महिला इस बारे में न तो पुलिस में और न ही ग्रीनपीस में कोई शिकायत दर्ज करना चाहती हैं. ये उनका अपना फैसला है और हम इसका पूरी तरह सम्मान करते हैं. ग्रीनपीस इंटरनेशनल ने भी इस मामले की जांच कर समीक्षा की है और 16 जून को अपना निष्कर्ष दिया. ग्रीनपीस ने एक एक्सटर्नल ऑडिट करवाने का भी सोचा है. वैसे आंतरिक मूल्यांकन के बाद ग्रीनपीस इंडिया के पूर्व कार्यकारी निदेशक समित एच और प्रोग्राम डायरेक्टर दिव्या रघुनंदन ने इस्तीफा दे दिया है. अब हम कर्मचारियों को काम करने के लिए एक सुरक्षित माहौल देने के लिए आतंरिक प्रक्रियाएं और व्यवस्थाएं सुधारने की ओर कार्य कर रहे हैं.
पीड़िता का आरोप यह भी है कि ग्रीनपीस ने कभी भी उनकी शिकायतों पर गौर नहीं किया और ग्रीनपीस की आतंरिक शिकायत समिति ने भी कभी इस मामले की जांच नहीं की, जो कि विशाखा गाइडलाइंस और कार्यस्थल पर महिलाओं का शारीरिक शोषण एक्ट, 2013 का साफ-साफ उल्लंघन है.
हां, ये बात सही है कि स्टाफ के सदस्य की 2012 में की गई आधिकारिक शिकायत, विशाखा गाइडलाइंस पर बनी आंतरिक शिकायत कमेटी तक नहीं पहुंची थीं, जैसा कि उन्हें पहुंचना चाहिए था. ग्रीनपीस इंटरनेशनल के मूल्यांकन में ये बात सामने आई कि उस समय के एचआर मैनेजर की ये सबसे बड़ी गलती यही थी कि उन्होंने इस केस को सेक्सुअल हरासमेंट की श्रेणी में नहीं रखा.
2015 में बनी आंतरिक शिकायत कमेटी ने अपनी ओर से इस मामले को संज्ञान में लिया हालांकि कार्यस्थल पर महिलाओं के शारीरिक शोषण एक्ट, 2013 के अनुसार ये शिकायत खारिज हो चुकी थी. एक समय पर जब जांच की विश्वसनीयता पर संदेह हुआ तो कानूनी सलाह पर पूर्व कार्यकारी निदेशक ने आरोपी कर्मचारी को चेतावनी देने का निर्णय लिया. अब एक बाहरी ऑडिट किया जाएगा जिससे हमें सही फैसले लेने में मदद मिलेगी. जहां तक बलात्कार के मामले की बात है संबंधित महिला शिकायत दर्ज नहीं करवाना चाहतीं, जिसके बिना हम कोई जांच नहीं कर सकते हैं. हमने उन्हें एफआईआर और पुलिस जांच करवाने की भी सलाह दी थी पर वो ऐसा नहीं करना चाहतीं.
अब जब सभी शिकायतें सार्वजानिक हो चुकीं हैं, तो ग्रीनपीस ने इन शिकायतों पर क्या कार्रवाई की है?
जैसा मैंने बताया कि ग्रीनपीस इंटरनेशनल ने भारत ऑफिस में हुई जांच के मूल्यांकन के बाद कहा था कि आतंरिक प्रक्रियाओं में बहुत चूक हुई हैं. जिसके बाद तीन दिन तक ग्रीनपीस इंडिया के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने इस केस से जुड़ी पिछली बातचीत और दस्तावेजों की जांच की. समित एच और दिव्या रघुनंदन ने इन खामियों की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दिया जिसे बोर्ड ने मंजूर भी कर दिया. यौन प्रताड़ना के मामले के कथित आरोपी ने भी हाल ही में इस्तीफ़ा दे दिया. बलात्कार के कथित आरोपी ने भी पिछले दिनों अपना इस्तीफा सौंप दिया जिसके बाद हमने उन्हें नोटिस पीरियड पूरा किए बिना ही जाने को कह दिया.
क्या प्रबंधन एफआईआर दर्ज करने की सोच रहा है?
इस मामले में काफी स्पष्ट कानून हैं, जिनके अनुसार हम पीड़िता की सहमति के बिना कोई कदम नहीं उठा सकते. हमने उन्हें एफआईआर करवाने का अनुरोध किया है और कानूनी मदद देने का भी प्रस्ताव रखा है.
ग्रीनपीस महिला अधिकारों के प्रति सतर्कता और लोकतंत्र में उठती असंतुष्टों की आवाज सामने लाने का दावा करता रहा है, इस तरह देखें तो दफ्तर के माहौल में लोकतंत्र की कमी और असंतुष्टों की बात को तवज्जो न दिए जाने के पीड़िता के आरोप पर आपका क्या कहना है? इन आरोपों पर संस्थान ने क्या कदम उठाए हैं?
हमें लगता है कि हमने अपने पूर्व कर्मचारियों को बहुत निराश किया है और इसके लिए हम बेहद शर्मिंदा हैं और माफी मांगते हैं. ये मामला रोशनी में तब आया जब इस साल फरवरी में पीड़िता के सोशल मीडिया अकाउंट पर एक पोस्ट आई, जिससे संस्थान में आक्रोश बढ़ गया. इसके बाद हमने कई आतंरिक स्टाफ मीटिंग की, जिससे ये फैसला हो सके कि हम किस तरह इस मुद्दे से वाकिफ हो सकें. बोर्ड ने इस केस में हुई चूकों को संज्ञान में लिया और स्थिति की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उस समय के कार्यकारी निदेशक और प्रोग्राम डायरेक्टर दोनों ने इस्तीफा दे दिया. हमारा संस्थान सभी के लिए सुरक्षित वर्क स्पेस की अवधारणा में पूरा विश्वास रखता है और इसे बेहद जरूरी भी समझता है. हम इन स्थितियों में सुधार लाने के लिए काम करेंगे. हम स्टाफ से सक्रिय बातचीत का सिलसिला बनाए रखेंगे.
अब जब इस मुद्दे से जुड़े हर व्यक्ति ने इस्तीफा दे दिया है, तो इसके प्रति जवाबदेह कौन होगा?
हम अपने किए हर वादे के लिए जवाबदेह हैं. ग्रीनपीस ही इसके लिए जिम्मेदार और जवाबदेह होगा.
क्या यौन उत्पीड़न की शिकार से सिर्फ माफी मांग लेना काफी है?
नहीं, पीड़िता माफी से कहीं ज्यादा की हकदार है. पीड़िता को समझना होगा कि दोषियों को सामने लाया जा चुका है. हमने पिछले कुछ दिनों में कुछ बेहद कठिन निर्णय लिए हैं जो हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं. जो हो गया उसे तो बदला नहीं जा सकता पर हम कोशिश करेंगे कि फिर ग्रीनपीस में ऐसा कभी न हो.
क्या उन आरोपियों के रिलीविंग लेटर पर उनके संस्थान छोड़ने का कारण स्पष्ट लिखा गया है?
जैसा मैंने पहले भी कई बार कहा कि बलात्कार के मामले की कोई जांच नहीं की गई थी. उत्पीड़न के मामले के दोषी को शिकायत के आधार पर ही संस्थान छोड़ने के लिए कहा गया था और ये बात उनके रिकॉर्ड में दर्ज होगी.
ग्रीनपीस ने माना है कि संस्थान के वर्क कल्चर और माहौल में खामियां हैं, अब सुधार की दिशा में क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
नए बदलावों के लिए संस्थान में भरपूर ऊर्जा है. हम खुद से नाराज और निराश हैं और माहौल बदलना चाहते हैं. ये एक नई शुरुआत के लिए सही समय होगा. एक बार ऑडिट की रिपोर्ट आ जाने के बाद हमारे लिए व्यवस्थाएं सही करना आसान होगा.
इस केस में बातचीत के दौरान हमें ऐसे कई और मामलों का पता चला जिसमें अलग-अलग दफ्तरों में यौन उत्पीड़न की शिकायतें दर्ज कराई गईं पर ग्रीनपीस की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई. इन मामलों के बारे में आपका क्या कहना है? क्या मैनेजमेंट ने कभी ऐसी शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया?
हम इन मामलों का ब्योरा गोपनीयता के चलते बता नहीं सकते. ग्रीनपीस अब बदलाव लाने के लिए प्रतिबद्ध है और कार्यस्थल पर सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है.