मशहूर शायर और बॉलीवुड को बेहतरीन नगमों से नवाजने वाले गीतकार निदा फाज़ली चिरनिद्रा में लीन हो गए. सोमवार को मुंबई में दिल का दौरा पड़ने की वजह से उनका निधन हो गया. उनके निधन पर कई जानी-मानी हस्तियों ने शोक व्यक्त किया है.
निदा का जन्म 12 अक्टूबर 1938 को दिल्ली के एक कश्मीरी परिवार में हुआ था. उनकी पढ़ाई-लिखाई ग्वालियर में हुई. 1958 में उन्होंने ग्वालियर कॉलेज से स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की. विभाजन के वक्त उनके माता-पिता पाकिस्तान चले गए, लेकिन उन्होंने भारत में ही रहने का फैसला किया था. उर्दू शायरी उन्हें विरासत में मिली थी क्योंकि उनके पिता भी एक शायर थे. निदा गालिब और मीर की रचनाओं से खासे प्रभावित थे. उनकी सरल और प्रभावकारी लेखन शैली ने उन्हें सम्मान और लोकप्रियता दिलाई. उर्दू कविता का उनका पहला संग्रह 1969 में प्रकाशित हुआ. वर्ष 1964 में नौकरी की तलाश उन्हें मुंबई ले आई. अपने करिअर के शुरुआती दिनों में उन्होंने ‘धर्मयुग’ और ‘ब्लिट्ज’ जैसी पत्रिकाओं में लिखा.
उन्होंने फिल्मों के लिए भी गीत लिखने शुरू किए लेकिन उन्हें सफलता 1980 में आई फिल्म ‘आप तो ऐसे न थे’ से मिली. फिल्म का गीत तू इस तरह से मेरी जिंदगी में शामिल है… उस दौर में काफी लोकप्रिय हुआ और आज भी एक सदाबहार नगमा है. इसके बाद उन्होंने फिल्म ‘रजिया सुल्तान’ में तेरा हिज्र मेरा नसीब है, तेरा गम मेरी हयात है…, ‘आहिस्ता-आहिस्ता’ में कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता…, ‘इस रात की सुबह नहीं’ में चुप तुम रहो, चुप हम रहें…, ‘सुर’ में आ भी जा-आ भी जा… और ‘सरफरोश’ में होशवालों को खबर क्या… जैसे गजल और गीत दिए. इसके अलावा टीवी पर धारावाहिक ‘नीम का पेड़’, ‘सैलाब’, ‘जाने क्या बात हुई’ और ‘ज्योति’ के लिए टाइटल गीत लिखे.
निदा फाज़ली को साल 2013 में ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया जा चुका है. 1998 में सांप्रदायिक सौहार्द्र पर आधारित उनके काव्य संग्रह ‘खोया हुआ सा कुछ’ (1996) के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया. 2003 में उन्हें फिल्म ‘सुर’ के गीत आ भी जा-आ भी जा… के लिए स्टार स्क्रीन पुरस्कार का श्रेष्ठतम गीतकार का सम्मान मिला. इसके अलावा ‘दीवारों के बीच’ उपन्यास के लिए मध्य प्रदेश सरकार का ‘मीर तकी मीर पुरस्कार’, उर्दू और हिंदी साहित्य के लिए मध्य प्रदेश सरकार का ही ‘खुसरो पुरस्कार’ और महाराष्ट्र उर्दू अकादमी की ओर से उर्दू साहित्य के लिए श्रेष्ठतम कविता पुरस्कार से नवाजा गया. उन्हें बिहार उर्दू अकादमी पुरस्कार, उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी का पुरस्कार आदि से भी नवाजा जा चुका है.