महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए गठित जस्टिस सीएस धर्माधिकारी समिति ने महाराष्ट्र सरकार से डांस बारों पर ‘ पूर्ण प्रतिबंध’ लगाने को कहा है. समिति ने साथ में यह भी सुझाव दिया है कि फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग साइटों पर अश्लील सामग्री रोकने के लिए सरकार को एक नीति बनानी चाहिए.
समिति ने ये बातें बांबे हाई कोर्ट में दायर एक जनहित याचिका के जवाब में दाखिल अपनी चौथी और पांचवी अंतरिम रिपोर्ट में कही हैं. डांस बारों पर पूर्ण प्रतिबंध के पक्ष में दलील देते हुए समिति ने कहा है कि जब राज्य में इनपर प्रतिबंध था उस दौरान महिलाओं के खिलाफ अपराधों में कमी देखी गई थी.
साल 2012 में डांस बारों पर प्रतिबंध को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक ठहरा दिया था. लेकिन इस साल 13 जून को महाराष्ट्र विधानसभा ने एक बिल पारित करके बड़ी होटलों और अन्य विशिष्ट सार्वजनिक जगहों पर चल रहे डांस बारों पर भी प्रतिबंध लगा दिया है. इससे पहले 2005 में जब सरकार ने डांस बारों पर प्रतिबंध लगाया तब थ्री स्टार और उसे ऊपर की होटलों को इससे बाहर रखा गया था. यह फैसला तुरंत विवादित हो गया था. बाद में जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट गया तो वहां सरकार अपने फैसले के पक्ष में उचित तर्क नहीं रख पाई और कोर्ट ने प्रतिबंध को पक्षपाती करार दिया.
2010 में बनी धर्माधिकारी समिति ने अपनी चौथी रिपोर्ट में कुल 22 और पांचवीं अंतरिम रिपोर्ट में 6 सिफारिशें राज्य सरकार से की हैं. समिति ने राज्य सरकार को यह सलाह भी है कि शादी के पंजीयन के समय विवाहिता से शपथ द्वारा यह पूछा जाना चाहिए कि विवाह के दौरान दहेज का लेन देन तो नहीं हुआ और महिला सुरक्षा से जुड़े तमाम कानूनों का इस दौरान पालन हुआ है. समिति ने इन सुझावों को दहेज विरोधी कानूनों को और प्रभावी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना है.