आईपीएल में भ्रष्टाचार पर जस्टिस मुकुल मुदगल की रिपोर्ट आ चुकी है लेकिन जैसा कि सोचा जा रहा था, इसने भ्रष्टाचार को एक हद तक उजागर तो किया लेकिन गोल-गोल तरीके से. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी तरह का 29 पृष्ठ वाला यह दस्तावेज अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट संघ (आईसीसी) के मुखिया एन श्रीनिवासन के लिए राहत भरा साबित हुआ है. हालांकि उनके दामाद गुरुनाथ मयप्पन और साथ ही लीग के सीओओ सुंदर रमन को मुदगल रिपोर्ट ने अज्ञात सट्टेबाजों से संबंध रखने के लिए दोषी ठहराया है. पहले माना जा रहा था कि रिपोर्ट जेंटलमैन्स गेम कहे जाने वाले इस खेल की गंदगी उजागर करते हुए कुछ साफ-साफ निष्कर्ष देगी. इस लिहाज से रिपोर्ट कुछ हद तक निराश करने वाली है. फिर भी आईपीएल के लिए यह एक ऐसा मौका है जिसका लाभ उठाकर वह अपने चारों ओर छाए अविश्वास के माहौल और शंकाओं को दूर कर सकता है. फिर से इस रिपोर्ट की बात करें तो अभी इससे तीन सबसे महत्वपूर्ण बातें सामने आई हैं. क्रिकेट प्रबंधन के सबसे ताकतवर व्यक्ति श्रीनिवासन साफ-साफ बच गए हैं. मयप्पन और राजस्थान रॉयल्स के मालिक राज कुंद्रा को सट्टेबाजी में लिप्त पाया गया है. तीसरी बात यह है कि रमन सटोरियों के संपर्क सूत्रों से ‘एक सीजन में आठ बार मिले’ थे. आईपीएल के सीओओ (चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर) ने यह बात मानी है कि वे एक व्यक्ति के संपर्क में थे लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि उसके सटोरियों से संबंध हैं. इस रिपोर्ट के बाद ऐसा लग रहा है कि इसने क्रिकेट के इन संदिग्ध सामंतों को और अड़ियल बना दिया है. ये नाम उजागर होने के बाद तुरंत ही स्पष्टीकरण दिया गया था कि रमन के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं होने जा रही है. रमन को श्रीनिवासन का दाहिना हाथ माना जाता है. दूसरी तरफ सट्टेबाजी और मैच फिक्सिंग के आरोपों से मुक्त होने के बाद श्रीनिवासन को अब कोई खतरा नहीं है. रिपोर्ट के निष्कर्ष उन्हें उनकी महत्वाकांक्षा पूरी करने यानी बीसीसीआई का मुखिया बनाने में मददगार साबित होंगे. रिपोर्ट में यह जरूर कहा गया है कि उन्होंने आईपीएल के ‘कोड ऑफ कंडक्ट’ का उल्लंघन किया था लेकिन यह बहुत ही हल्का आरोप है और तकनीकी गलती मानकर इसे ज्यादा तूल नहीं दिया गया. आईपीएल में चल रहे गड़बड़झालों को उजागर करने के लिए जब मुदगल समिति गठित की गई थी तब से मयप्पन के सट्टेबाजी में शामिल होने की बात कही जा रही थी. अपनी अंतरिम रिपोर्ट से इतर इस बार की रिपोर्ट में श्रीनिवासन के दामाद के बारे में कहा गया है कि वह लीग आयोजन के समय चेन्नई सुपरकिंग्स का अधिकारी था. आईपीएल के कोड ऑफ कंडक्ट के प्रावधानों के हिसाब से यदि कोई भी फ्रेंचाइजी, उसका मालिक या कंपनी, लीग की प्रतिष्ठा को धक्का पहुंचाने वाले कामों में लिप्त पाए जाते हैं तो उस टीम को आईपीएल से बाहर किया जा सकता है.
यह बात बेहद दिलचस्प है कि कई नियमों का उल्लंघन, जिनमें मयप्पन और कुंद्रा द्वारा सटोरियों को सूचना पहुंचाना भी शामिल है, को आईसीसी की भ्रष्टाचार निरोधक इकाई ने कार्रवाई लायक आरोप नहीं माना था. इस इकाई ने मैच फिक्सिंग के आरोपों की जांच के बाद रमन के खिलाफ कार्रवाई की बात जरूर कही थी लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया कि कार्रवाई क्या होनी चाहिए.
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किसने क्या किया
आईपीएल के कुछ बड़े ‘खिलाड़ियों’ का नाम मुदगल समिति की रिपोर्ट में आया है.
एन श्रीनिवासन
जस्टिस मुदगल समिति की रिपोर्ट कहती है कि श्रीनिवासन मैच फिक्सिंग में शामिल नहीं थे. उन्होंने जांच प्रभावित करने का काम भी नहीं किया. लेकिन उनकी जानकारी में यह बात थी कि कुछ खिला़ड़ियों (जिनके नाम उन्हें नहीं पता थे) ने आईपीएल के कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन किया है.
सुंदर रमन
आईपीएल के पिछले सीजन में सुंदर रमन की सटोरियों के एक संपर्क सूत्र से आठ बार मुलाकात या बात हुई थी. उन्हें पहले से यह जानकारी थी कि गुरुनाथ मयप्पन और राज कुंद्रा सट्टेबाजी में शामिल थे लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की.
गुरुनाथ मयप्पन
समिति ने माना है कि मयप्पन चेन्नई सुपरकिंग्स से आधिकारिक रूप से जुड़े हुए थे और आईपीएल के दौरान सट्टेबाजी में शामिल रहे हैं.
राज कुंद्रा
सटोरियों से संपर्क थे. एक दिलचस्प तथ्य यह है कि राजस्थान पुलिस ने कुंद्रा के खिलाफ इस मामले की जांच बीच में ही रोक दी थी. कुंद्रा का एक दोस्त, जो जानामाना सट्टेबाज है, ने माना है कि उसने कुंद्रा की तरफ से कई बार सट्टे में दांव लगाए थे.
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आईपीएल मैच फिक्सिंग मामले का खुलासा पिछले साल मई में हुआ था. उसके तुरंत बाद श्रीसंत सहित तीन खिलाड़ियों को मुंबई पुलिस ने हिरासत में ले लिया था. इस मामले में दूसरी बड़ी गिरफ्तारी मयप्पन की हुई थी. मयप्पन की गिरफ्तारी के बाद लगातार ये खबरें आने लगी थीं कि वे चेन्नई सुपरकिंग्स से आधिकारिक रूप से नहीं जुड़ें हैं. यह एक तरह से मयप्पन को बचाने का जनसंपर्क अभियान था. लेकिन मुदगल समिति की जांच में पहले यही बात साफ हुई कि मयप्पन टीम से आधिकारिक रूप से जुड़े थे. अंतरिम रिपोर्ट के पहले समिति के सदस्य और वरिष्ठ वकील निलय दत्ता मयप्पन के खिलाफ और सबूत जुटाना चाहते थे जबकि बाकी सदस्यों के हिसाब से उनके पास पर्याप्त सबूत थे. तब समिति एकराय नहीं थी. इस बार ऐसा नहीं है. फिर भी यह देखना होगा कि वर्तमान कानूनी प्रावधानों के तहत आरोपित लोगों के खिलाफ क्या प्रभावी कार्रवाई संभव होगी.
समिति की रिपोर्ट आने के साथ ही बीसीसीआई ने रमन को बचाने की कोशिश शुरू कर दी है. इस बारे में बीसीसीआई का कहना है कि रमन ने पहले ही इस मामले में आईसीसी की भ्रष्टाचार निरोधक इकाई से हस्तक्षेप की मांग की थी. सटोरियों के संपर्क सूत्रों से उनकी आठ मुलाकातों पर भी पर्दा डालने की कोशिश हो रही हैं.
एक आम क्रिकेट प्रेमी की नजर से देखें तो आईपीएल में जो कुछ चल रहा है और जांच से जो कुछ निकल रहा है वह किसी पहेली से कम नहीं है. जो लोग लीग के रोजाना के कामकाज पर नजर रखते हैं वे उन रास्तों और अवसरों को खत्म नहीं कर पा रहे जिनसे होकर भ्रष्टाचार फल-फूल रहा है. ऐसे में एक सवाल अब भी अनुत्तरित है- क्या आईपीएल के आयोजनकर्ता भ्रष्टाचार के खिलाफ एक साथ हैं? शायद नहीं और इस ‘शायद’ की वजह सबसे ऊपर से शुरू होती है. इंडिया सीमेंट्स कंपनी के मालिक श्रीनिवासन का बीसीसीआई का मुखिया बनना मुदगल समिति की अंतरिम रिपोर्ट के हिसाब से ‘हितों में टकराव’ का मामला था. चेन्नई सुपरकिंग्स का मालिकाना हक इंडिया सीमेंट्स के पास ही है. हितों के टकराव की बात मयप्पन का नाम सामने आने के बाद और स्पष्ट हुई. समिति की रिपोर्ट आने के बाद यह बात साबित हो चुकी है. मयप्पन सट्टेबाजी में शामिल रहे हैं और उन्होंने टीम की जानकारी भी सटोरियों को मुहैया करवाई थी. लेकिन शुरुआत में इन्हीं आरोपों पर श्रीनिवासन का कहना था कि मयप्पन तो बस एक ‘जुनूनी क्रिकेट प्रशंसक’ हैं. फिर मयप्पन को चेन्नई सुपरकिंग्स से अलग दिखाने की कोशिशें शुरू हुईं पर आखिरकार मुदगल समिति ने इन सब कोशिशों पर पानी फेर दिया. कहा जा रहा है कि यह सब फ्रेंचाइजी बचाने के लिए किया जा रहा था.
इस पूरे प्रकरण से यह बात फिर से खुलकर सामने आई है कि बीसीसीआई ने आईपीएल टीम की फ्रेंचाइजी लेने के जो नियम बनाए हैं उनमें कई झोल हैं और भविष्य में ऐसी और घटनाएं सामने आ सकती हैं. एक प्रोफेशनल लीग की कमान नाकाबिल लोगों के हाथों में है. चेन्नई सुपरकिंग्स के ‘प्रिंसिपल’ रहे मयप्पन को तो अपने कारगुजारियों का नतीजा भुगतना ही होगा, अभी तक चर्चा से दूर रहे कुंद्रा का भविष्य भी अब उतना सुरक्षित नहीं है. कुंद्रा के बारे में बड़ा मजेदार तथ्य है कि जब आईपीएल में सट्टेबाजी की बात सामने आई तब वे यह कहते सुने गए थे कि उन्हें तो मालूम ही नहीं था कि भारत में सट्टेबाजी गैरकानूनी है. कुंद्रा की इस अदा को चाहे क्रिकेट के प्रति उनका ‘जुनून’ कही जाए या उनकी ‘मासूमियत’ लेकिन वे कार्रवाई से बच नहीं पाएंगे.
मुदगल समिति की रिपोर्ट सामने आने के बाद एक सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिर बीसीसीआई बीते पंद्रह सालों से कुंभकर्णी नींद मे क्यों सो रही थी. आज से डेढ़ दशक पहले सीबीआई जांच में दक्षिण अफ्रीका के पूर्व कप्तान हैंसी क्रोन्ये और कुछ भारतीय खिलाड़ियों की मैच फिक्सिंग में भूमिका सामने आई थी. उसके बाद भी बोर्ड की भ्रष्टाचार निरोधक इकाई कोई ऐसा तंत्र विकसित नहीं कर पाई जिससे क्रिकेट की छवि धूमिल करने वाली घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके. यही वजह है कि क्रिकेट को एक बड़ा ब्रांड बनाने के लिए शुरू की गई आईपीएल लगातार उसकी बदनामी की वजह बनती जा रही है.
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क्रिकेट पर रमन प्रभाव
क्या आईपीएल के सीईओ सुंदर रमन क्रिकेट पर अपना असर बरकरार रख पाएंगे?
यह आईपीएल शुरू होने की कुछ महीने पहले की बात है. 2008 में आईपीएल की वजह से क्रिकेट हर दिन चर्चा में आ रहा था. यह भी पहली बार हो रहा था कि कोई क्रिकेट खिलाड़ी नहीं बल्कि एक खेल मैनेजर अखबारों की सुर्खियां बटोर रहा था. आईपीएल के चेयरमैन और कमिशनर ललित मोदी क्रिकेट के उभरते हुए सितारे बन चुके थे. इन्हीं दिनों रमन की मोदी से मुलाकात हुई थी. माइंडशेयर नाम की एक मीडिया कंपनी (जो विज्ञापनों के लिए इलेक्टॉनिक या प्रिंट मीडिया में जगह खरीदने का काम करती है) के सीईओ रमन ने आईपीएल कमिश्नर के सामने प्रेजेंटेशन दिया. मोदी रमन से बहुत प्रभावित हुए. मोदी विज्ञापन जगत के इस रणनीतिकार को आईपीएल में ले आए. इसे रमन की काबलियत ही माना जाएगा कि जब मोदी विवादों से घिरे और उन्हें आईपीएल से बाहर होना पड़ा तब भी उन्होंने अपनी जगह बनाए रखी. यही नहीं वे मोदी की जगह पर भी आ गए. श्रीनिवासन रमन की प्रतिभा से इतने प्रभावित थे कि उन्होंने रमन को आईसीसी की व्यावसायिक शाखा में भी जगह दे दी. कहा जाता है कि आईपीएल सहित भारत में होने वाले हर टूर्नामेंट की कॉमेंट्री टीम का फैसला रमन ही लेते हैं. इसके जरिए उन्होंने पूर्व क्रिकेट खिलाड़ियों से मजबूत संबंध बनाए हैं और उनकी स्वीकार्यता क्रिकेट के हर स्तर पर है. यह भी कहा जाता है कि वे श्रीनिवासन के सबसे विश्वासपात्र हैं. मुदगल समिति में नाम आने से उनके लिए खतरे की घंटी तो बज गई है लेकिन अभी भी उनका भविष्य इस पर निर्भर है कि बीसीसीआई का कमान संभालने वाले लोग क्या चाहते हैं.
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