“कर्नाटक: हिजाब पहनने पर लगे प्रतिबंध हटाने के निर्णय ने राज्य में राजनीतिक हलचल मचा दी है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने हाल ही में स्कूलों में हिजाब पहनने पर लगे प्रतिबंध को उठाने का ऐलान किया था, जिसके परंपरागत उत्तर में भाजपा ने सरकार को धार्मिक आधार पर युवाओं को बांटने का आरोप लगाया है।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र ने सोशल मीडिया पर एक्सप्रेस करते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री का फैसला शैक्षणिक स्थलों की ‘धर्मनिरपेक्ष प्रकृति’ के बारे में चिंता पैदा करता है और यह सरकार धार्मिक प्रभाव को बढ़ावा दे रही है। उनका कहना है कि इस निर्णय से युवा पीढ़ी को धार्मिक आधार पर बांटने का मौका मिलेगा, जिससे समावेशी शिक्षा के माहौल में बाधा उत्पन्न हो सकती है।
कर्नाटक के विधायक ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय दी है और कहा है कि शिक्षण संस्थानों में धार्मिक पोशाक की अनुमति देकर सिद्धरमैया सरकार धार्मिक आधार पर युवाओं के दिमाग को बांटने को बढ़ावा दे रही है। इससे समाज में विभाजनकारी प्रथाएं बढ़ सकती हैं और एक सहिष्णुता की भावना को कमजोर किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का कहना है कि उनका निर्णय यहां तक है कि हर विद्यार्थिनी को अपनी पसंद के अनुसार विशेषज्ञता चयन करने का अधिकार है और वे किसी भी प्रकार के पहनावे या आचार-विचार की बाधा महसूस न करें। सिद्धारमैया ने यह भी कहा है कि ऐसा कोई निर्णय नहीं हो सकता जिससे किसी का धर्म या सामाजिक स्थिति उसे उचित सुरक्षा ना दे।
इस परंपरागत निर्णय का असर राज्य में देखा गया है और यह चर्चा का केंद्र बन गया है कि क्या हिजाब पहनने की परंपरा को स्कूलों में बरकरार रखा जाए या उसे निरस्त किया जाए। यह मुद्दा समाज में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की तरफ से लिए गए सकारात्मक कदम के बारे में एक विवाद को भी उत्पन्न कर रहा है।”