फिल्म लव आजकल
निर्देशक इम्तियाज अली
कलाकार सैफ अली खान, दीपिका पादुकोण
‘हम आम आदमी हैं. मैंगो पीपल..और हमें अमर नहीं होना. हमें इसी जन्म में मिलना है और साथ रहना है.’ यह मौजूदा दौर की प्रेम कहानी है जो अगले जन्म के वादों के भरोसे यह पूरा जन्म अलग अलग बिताने को कतई तैयार नहीं
इम्तियाज बॉलीवुड की अब तक की सबसे मासूम प्रेम-कहानियां बना रहे हैं और यह तब, जब उनके किरदारों के पास अभूतपूर्व खिलंदड़पना है. ओमकारा या कल हो न हो से कहीं अधिक लव आजकल के लिए सैफ को याद रखा जाएगा. यह ऐसी फिल्म है जिसे सैफ खास बना देते हैं और जो सैफ को और भी खास बना देती है. यह सिर्फ एक संयोग नहीं है कि इम्तियाज ने करीना और सैफ दोनों को उनके करियर की क़रीब क़रीब सर्वश्रेष्ठ फिल्में दी हैं. पिछले दशक की सतही प्रेमकथाओं से निकल कर हम भाग्यशाली समय में हैं कि ऐसी फिल्में देख पा रहे हैं. इम्तियाज के पास वास्तविक और मजेदार संवादों का ऐसा खजाना है कि आप हंसते और अभिभूत रहते हैं. दीपिका भी इतनी शोख और मुखर इससे पहले कभी नहीं दिखी. अगर आपने सोचा न था और जब वी मेट देखी है तो आपको पहले से ही पता होगा कि नतीजा क्या होगा? कहानी के कुछ हिस्से अलग परिस्थितियों में अलग ढंग से दोहराए जाते हैं और आप उन्हें हर बार पकड़ भी लेते हैं. साथ ही प्रीतम का मधुर संगीत है जिसके कुछ हिस्से इधर उधर से उठा लिए गए हैं. लेकिन तभी आप फिर से फिल्म में डूब जाते हैं क्योंकि कहानी वो तत्व नहीं है जो इम्तियाज की फिल्मों को इतना रोचक बनाती है. वह तत्व है उस कहानी को कहने का तरीका और उसके पीछे की ईमानदारी. आप जानते हैं कि मिलन होगा ही और सब कुछ अच्छा हो जाएगा, लेकिन आप नायक-नायिका के बीच होने वाले संवाद को सुनने को उत्सुक रहते हैं. वे जब पहली बार एक दूसरे को छूते हैं, तब से फिल्म के अंत तक उनके रिश्ते में बच्चों की सी मासूमियत है.
‘हम आम आदमी हैं. मैंगो पीपल..और हमें अमर नहीं होना. हमें इसी जन्म में मिलना है और साथ रहना है.’ यह मौजूदा दौर की प्रेम कहानी है जो अगले जन्म के वादों के भरोसे यह पूरा जन्म अलग अलग बिताने को कतई तैयार नहीं. वह हीर रांझा या रोमियो जूलियट की तरह अमर होने की बजाय साथ रहने को ज्यादा जरूरी समझता है. मोबाइल और इंटरनेट के युग में हमारे रिश्तों में जो दोस्ती, प्यार और कमिटमेंट के बीच की दुविधाएं हैं, यह उन दुविधाओं की फिल्म है. इसमें आपसी सहमति से होने वाले ब्रेक अप हैं, उनको मनाने के लिए दी गई पार्टियां भी और फिर दूरियों से बढ़ने वाला प्रेम भी जिसे आजकल की आपाधापी भरी जिन्दगी भी मैला नहीं कर पाई है. यह युवाओं की फिल्म है जिसमें गजब की मिठास है.
गौरव सोलंकी