एक विशेष एसआईटी अदालत ने गुलबर्ग सोसाइटी कत्लेआम मामले में 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. वहीं 12 दोषियों को सात साल जबकि एक अन्य को 10 साल की सजा सुनाई गई. 2002 के गुजरात दंगों में गुलबर्ग सोसाइटी में कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी समेत 69 लोगों की हत्या कर दी गई थी. इससे पहले दो जून को विशेष अदालत ने हत्या और अन्य अपराधों के लिए 11 लोगों को दोषी ठहराया था जबकि विहिप नेता अतुल वैद्य सहित 13 अन्य हल्के अपराधों के तहत दोषी ठहराए गए थे. अदालत ने मामले में 36 अन्य को बरी कर दिया था. बड़े अपराधों के लिए दोषी ठहराए गए लोगों में मुख्य आरोपियों में से एक कैलाश धोबी भी शामिल है, जिसने 13 जून को अदालत में आत्मसमर्पण किया. उसे 2002 में गिरफ्तार किया गया था. इस साल वह फरवरी में अस्थायी जमानत पर रिहा होने के बाद फरार हो गया था. गुलबर्ग सोसाइटी दंगा 28 फरवरी, 2002 को हुआ था. उस वक्त नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे. इसने पूरे देश को दहला दिया था क्योंकि तकरीबन 400 लोगों की भीड़ ने अहमदाबाद के केंद्र में स्थित सोसाइटी पर हमला किया था और जाफरी समेत अन्य निवासियों की हत्या कर दी थी.