हिन्दू संगठनों के ही निशाने पर आदिपुरुष!

भगवान राम के जीवन पर आधारित बॉलीवुड फ़िल्म ‘आदिपुरुष’ को जिस हिन्दुत्व के एजेंडे को मज़बूत करने के तहत बनाया गया, वो एजेंडा फेल हो चुका है। हिन्दुओं में धार्मिकता का प्रसार करने के लिए बनी यह फ़िल्म रिलीज होते ही हिन्दू संगठनों के निशाने पर आ गयी। अब इस फ़िल्म का विरोध हिन्दू संगठन ही कर रहे हैं। इस फ़िल्म के डायलॉग और पटकथा लेखक मनोज मुंतशिर से लेकर फ़िल्म के सभी किरदार निशाने पर हैं। कोई इस फ़िल्म को भद्दा मज़ाक़ बता रहा है, कोई इसे फूहड़ता की पराकाष्ठा बता रहा है, तो कोई इसे भगवान राम और राम भक्त हनुमान के साथ-साथ सभी पात्रों की वेशभूषा, शारीरिक बनावट और बातचीत के तरीक़ों को बकवास बता रहा है। सबसे ज़्यादा बवाल डायलॉग्स को लेकर मचा है।

इतने पर भी फ़िल्म की टीआरपी बढ़ाने के लिए फ़िल्म के रिलीज से पहले ही करोड़ों की कमायी करने का प्रोपेगेंडा रचकर यह दिखाया जा रहा है कि फ़िल्म बहुत अच्छी है। राजनीतिक लोग भी इस फ़िल्म के विवाद में कूद गये हैं। भाजपा ने तो इस फ़िल्म में इतनी रुचि दिखायी है कि भाजपा नेताओं ने चंद अज्ञात हिन्दू दानियों के नाम पर मुफ़्त टिकट तक बँटवाये हैं। लेकिन जब विवाद हुआ और फ़िल्म आदिपुरुष के ख़िलाफ़ हिन्दू संगठनों ने ही मोर्चा खोल दिया, तो ये हिन्दू दानी ख़ामोशी से ग़ायब होने लगे। लेकिन बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है।

महाराष्ट्र से लेकर पूरे देश में हिन्दू संगठन इस फ़िल्म के विरोध में उतर आये हैं। नेपाल के काठमांडू में तो इस फ़िल्म का इतना विरोध हो रहा है कि हर भारतीय फ़िल्म को नेपाल में बैन करने के लिए मोर्चा खुल गया है। कहा जा रहा है कि काठमांडू में अब कोई बॉलीवुड फ़िल्म नहीं चलने दी जाएगी। हालाँकि भारत में इस फ़िल्म पर हिन्दू संगठन और भाजपा के लोग बंटे हुए नज़र आ रहे हैं। भाजपा के लोग इस फ़िल्म में ओछे डायलॉग बदलने से ख़ुश हैं और कह रहे हैं कि जिन डायलॉग्स का विरोध हुआ, उन्हें बदल दिया गया है। लेकिन वहीं फ़िल्म का विरोध करने वाले हिन्दू संगठनों का कहना है कि इस फ़िल्म के ज़रिये हिन्दुओं की आस्था से खिलवाड़ किया गया है। कहा जा रहा है कि इस फ़िल्म के डायलॉग और पटकथा लेखक मनोज मुंतशिर, हीरो (राम बने) प्रभास और हीरोइन (सीता बनीं) कृति सेनन का विरोध हो रहा है। कुछ लोग कह रहे हैं कि इस फ़िल्म को हिन्दुत्व के एजेंडे के तहत बनाया गया है और बड़ी चालाकी से रावण की भूमिका एक मुस्लिम एक्टर को दी गयी है। इससे ब्राह्मण कुल में जन्मे प्रकांड पंडित रावण को एक ख़तरनाक विलेन की तरह दिखाकर मुस्लिम समाज को रावण का चेहरा दिखाने की कोशिश की गयी है। हालाँकि फ़िल्म का विरोध हिन्दू संगठन ही कर रहे हैं, मुस्लिम समाज इस पर ख़ामोश है। यह विरोध इतना तगड़ा है कि हिन्दू संगठन सिनेमा घरों में ताले लगाने की माँग कर रहे हैं। कुछ हिन्दू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने इस फ़िल्म के विरोध में अपना सिर मुंडवा लिया है। मनोज मुंतशिर को पुलिस सुरक्षा देनी पड़ी है।

इस बीच एक फोटो वायरल हो रहा है, जिसमें मनोज मुंतशिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगे हाथ जोड़े खड़े हैं और प्रधानमंत्री एक हाथ से उनके हाथों के थामे दूसरे हाथ से उनकी बाँह पकडक़र उन्हें उम्मीद भरी नज़रों से देख रहे हैं। बता दें कि पिछले कुछ महीनों से मनोज मुंतशिर के नाम में उनका जातीय सरनेम शुक्ला जोडक़र दिखाया जा रहा है और उनके कुछ ऐसे कार्यक्रम कराये जा रहे हैं, जिसमें वो हिन्दुत्व का एजेंडा बढ़ाते हुए दिख रहे हैं। वायरल हो रही प्रधानमंत्री के साथ उनकी तस्वीर को इसी हिन्दुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाने और फ़िल्म आदिपुरुष को बनाने का एजेंडा बताया जा रहा है।

इस फ़िल्म में एक-एक किरदार का विरोध किया जा रहा है और लोग रामानंद सागर की रामायण और उसके डायलॉग लिखने वाले राही मासूम रज़ा की तारीफ़ कर रहे हैं। विरोध इतना हो रहा है कि माता सीता की भूमिका निभाने वाली कृति सेनन के बचाव में उनकी माँ को आना पड़ा है। उनकी माँ गीता सेनन ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट डाली है, जिसमें लिखा है कि ‘जय श्री राम। जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत तिन तैसी…। इसका अर्थ है कि अच्छी सोच और दृष्टि से देखो, तो सृष्टि सुन्दर ही दिखायी देगी। भगवान राम ने ही हमें सिखाया है कि शबरी के बेर में उसका प्रेम देखो, न कि ये कि वो जूठे थे। इंसान की ग़लतियों को नहीं देखो, उसकी भावनाओं को समझो। लेकिन विरोध करने वाले इतने ख़फ़ा हैं कि वो किसी भी हाल में इस फ़िल्म को नहीं चलने देना चाहते। लोग इस फ़िल्म को नौटंकी कह रहे हैं और इसे भगवान राम, माता सीता और राम भक्त हनुमान का अपमान बता रहे हैं। आदिपुरुष के डायलॉग्स पर आम लोगों से लेकर हिन्दू संगठन, कुछ चर्चित लोग भी ख़फ़ा बताये जा रहे हैं। सबसे बड़ी बात है कि फ़िल्मों और फ़िल्मी सितारों के विरोध पर हमेशा एकजुट हो जाने वाले बॉलीवुड कलाकार इस फ़िल्म के विरोध पर ख़ामोश हैं, बचाव उन्हें ही करना पड़ रहा है, जिनका विरोध हो रहा है। अगर ग़ौर करें, तो देखेंगे कि पिछले कुछ वर्षों में हिन्दुत्व को बढ़ावा देने को लेकर बनी कुछ फ़िल्मों के विरोध पर फ़िल्म में एक्टिंग करने वालों को छोडक़र बाक़ी के बॉलीवुड कलाकार ख़ामोश रहे हैं।

दरअसल लोग ‘आदिपुरुष’ फ़िल्म को ‘द कश्मीर फाइल्स’ और ‘द केरला स्टोरी’ जैसी फ़िल्मों की तरह ही एक प्रोपेगेंडा मान रहे हैं। इस फ़िल्म का प्रोपेगेंडा इस बात से भी साबित होता है कि इसे दिखाने के लिए मुफ़्त हॉल टिकट बाँटने वाले कहाँ से आ गये, जबकि आज तक ऐसा नहीं हुआ कि किसी फ़िल्म के टिकट बाँटने के लिए एक नये तरह के दानदाता प्रकट हो जाएँ।

किसी थिएटर में फ़िल्म मुफ़्त दिखाने और फ़िल्म को टैक्स मुफ़्त करने जैसे मामले तो सामने आये हैं; लेकिन मुफ़्त टिकट बाँटने के लिए ऐसे अज्ञात लोगों का सामने आना, जिनका फ़िल्म से कोई सीधा रिश्ता तक नहीं है; समझ से बाहर की बात है।

फ़िल्म आदिपुरुष के विरोध का यह हाल है कि इसके डायरेक्टर ओम राउत के ट्विटर और इंस्टाग्राम पर उनका जमकर विरोध हो रहा है। प्रभास की लोकप्रियता भी इस फ़िल्म से ख़तरे में आयी है और मनोज मुंतशिर पर भी हिन्दू विरोधी होने के आरोप लग रहे हैं। हालाँकि लोग कुछ दिनों में भूल जाएँगे, हो सकता है कि इस फ़िल्म और इसके बनाने वालों का विरोध शान्त करने के लिए जल्द ही कोई और धार्मिक फ़िल्म बन जाए, जिससे हिन्दू संगठन ख़ुश हो जाएँ। क्योंकि जिन लोगों ने इस फ़िल्म से राजनीतिक फ़ायदे लेने चाहे, वो ऐसी फ़िल्मों को जानबूझकर जनता को परोसेंगे, जिससे उनका फ़ायदा हो। बॉलीवुड का ऐसे लोगों के लिए इस्तेमाल करोड़ों लोगों के साथ-साथ फ़िल्मी दुनिया से भी एक छलावा है।

अच्छा यह है कि इस फ़िल्म के विरोध में हिन्दू संगठन शान्ति से विरोध कर रहे हैं। सिनेमा घरों में फ़िल्म देखने आने वालों को हिन्दू संगठनों के लोग हाथ जोडक़र फ़िल्म देखने से मना कर रहे हैं। जिस फ़िल्म को देखने के लिए हिन्दू संगठन काफ़ी उत्साहित थे, फ़िल्म के डायलॉग सुनने और फ़िल्म का ट्रेलर देखने के बाद से ही वो ही ख़फ़ा हो गये। जबकि यह प्रचार किया गया था कि फ़िल्म आदिपुरुष पूरी दुनिया में धूम मचा देगी। देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी फ़िल्म को देखने के लिए एडवांड बुकिंग हो रही है। लेकिन भारत के पड़ोसी देश नेपाल में ही फ़िल्म का जबरदस्त विरोध हुआ है। कई सिनेमा घरों से फ़िल्म हट चुकी है। बताया जा रहा है कि आदिपुरुष फ़िल्म बनने के समय से ही इसका विरोध हो रहा था; लेकिन वो विरोध चंद लोगों का था, इसलिए फ़िल्म बनाने वालों पर इसका कोई असर नहीं हुआ, और उन्होंने हिन्दुओं के आस्था वाले त्रेता युग के पात्रों को अभद्र ढंग से पेश करते हुए उनकी भाषा और उनकी वेशभूषा को भी अजीबोग़रीब बना दिया, जो कि उन ऐतिहासिक पात्रों का अपमान है। इस फ़िल्म को बनने मे तीन वर्ष लगे, और इन तीन वर्षों में इस फ़िल्म को लेकर कई विवाद हुए। बताया जा रहा है कि जब अगस्त 2020 में फ़िल्म आदिपुरुष का टाइटल जारी करने के दौरान प्रभास का पोस्टर भगवान राम के नये रूप में जारी किया, तब कुछ लोगों ने इस पर सवाल उठाये; लेकिन फ़िल्म बनाने वालों पर इसका कोई असर नहीं हुआ। यह भी कहा गया कि इस फ़िल्म का ये पोस्टर एक एनिमेटेड फ़िल्म लॉर्ड शिवा के एक पोस्टर की नक़ल है। इसके बाद सैफ़ अली ख़ान के रावण की भूमिका में आने की चर्चा हुई, तो भी कुछ लोगों ने विरोध दर्ज कराया। तब सैफ़ अली ख़ान ने अपने रोल और उसके महत्त्व को लोगों को बताया कि वह किस प्रकार एक बड़े राजा की बहन की नाक काटने को लेकर जस्टिस करने के लिए लड़ाई को लेकर उत्सुक हैं। लेकिन सैफ़ अली ख़ान के इस बयान पर भी ख़ूब विवाद हुआ। इसके बाद अक्टूबर, 2022 में आदिपुरुष का पहला टीजर अयोध्या में हुए ग्रैंड इवेंट के साथ शेयर किया गया, तो लोगों ने इसे ख़राब बताया। अब फ़िल्म का विरोध इतना बढ़ गया है कि फ़िल्म के डायलॉग बदलकर उसे दबाने की कोशिश की गयी है।

इसी साल अप्रैल में मुंबई हाई कोर्ट में इस फ़िल्म के मेकर्स, कलाकारों और डायरेक्टर ओम राउत के ख़िलाफ़ एक याचिका दर्ज भी हुई थी, जिसमें फ़िल्म के किरदारों को अनुचित तरीक़े से दिखाने और इस फ़िल्म के द्वारा हिन्दुओं की भावनाओं का आहत करने का आरोप लगाया गया है। इस फ़िल्म में फ़िल्माये गये सीन के अलावा एक विवाद इस बात को लेकर भी छिड़ा हुआ है कि आदिपुरुष के डायरेक्टर ओम राउत ने तिरुमाला मंदिर में पूजा के बाद वापस जा रही कृति सेनन को किस किया। इस किस का वीडियो जब सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तो हंगामा हो गया। खैर 16 जून जब सिनेमा घरों में आदिपुरुष फ़िल्म रिलीज हुई, तो इसे देखने के लिए भारी भीड़ जुटी, क्योंकि इसमें ज़्यादातर के पास मुफ़्त में मिले सिनेमा के टिकट थे; लेकिन इस फ़िल्म के विरोध ने मुफ़्त में फ़िल्म देखने वालों के इरादों पर भी पानी फेर दिया, क्योंकि हिन्दू संगठन सिनेमा घरों के सामने पहुँचकर फ़िल्म का विरोध करने लगे। हाल यह हुआ कि अभद्र भाषा में लिखे गये डायलॉग बदलने के बावजूद विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है।