कोरोना काल में यू तो हर क्षेत्र में तबाही जैसा आलम है, लेकिन सबसे ज्यादा असर प्राॅपर्टी सेे जुड़ी परियोजनाओं पर पड़ा है। बड़ी संख्या में लोगों की नौकरियां जाने के बाद पहले से ही मंदी की मार झेल रहा प्राॅपर्टी का कारोबार और अधिक अंधकारमय हो गया है। पहले से ही कई बड़ी कंपनियों के प्रोजेक्ट अटके पड़े हैं, जिनमें से कुछ मामले देश की सर्वोच्च अदालत में भी जा चुके हैं। इन्हीं में से एक आम्रपाली से जुड़ा है, जिसमें अटकी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक आफ इंडिया को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि इसेक लिए जरूरी पैसे बैंक दें।
शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही आम्रपाली के सभी घर खरीदारों को 31 अक्तूबर तक बकाया रकम जमा करने के लिए कहा है। ऐसा न करने वालों का फ्लैट रद्द कर दिया जाएगा। बता दें कि ऐसे डिफॉल्टर घर खरीदारों की संख्या बहुत ही कम है। सर्वोच्च अदालत में अब इस मामले की अगली सुनवाई पांच अक्टूबर को होगी।
जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने सोमवार को आम्रपाली के उन तमाम डिफॉल्टर घर खरीदारों को बकाया रकम का भुगतान करने के लिए कहा है जिन्होंने बिल्डर-बायर्स करार के हिसाब से भुगतान नहीं किया है। सभी को 31 अक्टूबर तक का समय दिया गया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने आरबीआई से यह स्पष्ट करने के लिए कहा है कि आम्रपाली की रुकी पड़ी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए बैंकों द्वारा की जाने वाली फंडिंग को लेकर कोई नियम है या नहीं। इसके लिए बैंकों को पैसे मुहैया कराने को कहा है।