जम्मू कश्मीर सीमा पर फिर आग के गोले खूनी खेल खेल रहे हैं। खेत सूने हो रहे हैं और किसान सुरक्षित ठिकानों की तलाश में भटक रहे हैं। हमेशा मुस्तैद सेना प्रभावित लोगों को राहत शिविरों में पहुंचा रही है और दुश्मन की गोलियों का जवाब उसी की भाषा में दे रही है। साल २००२ में अटल बिहारी वाजपयी सरकार के वक्त हुआ ”सीजफायर” का दोनों देशों का समझोता गोलियों की आग में झुलस कर रह गया है। सीमा पर रहने वाले किसान और आम जान इस आग में झुलसने वाले सबसे बड़े शिकार हैं। ”तहलका” की जानकारी के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) पर तनाव पिछले कुछ सालों की बनिस्बत ज्यादा है और यह २००१ की सर्दियों की याद दिलाता है जब सीमा पर युद्ध जैसे हालात बन गए थे।
पिछले एक हफ्ते के बक़्फ़े में दर्जन भर लोग सीमा के इस पार अपनी जान गँवा चुके हैं जिनमें सैनिक भी हैं। चिंता की बात यह है कि सीमा पर हो रही यह गोली बारी इस बार सामान्य जैसी नहीं है। बीएसएफ के एक उच्च अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर इस संवाददाता को बताया कि पाकिस्तान की तरफ से पिछले दशक में सीजफायर का यह सबसे गंभीर तरह का उल्लंघन है। उनके मुताबिक डोकलाम में चीन के साथ उपजे तनाव के बाद किसी सीमा पर यह सबसे गंभीर रूप तक पहुँच रहा तनाव है। सुरक्षा एजेंसियों और सेना के केंद्र सरकार को दिए इनपुट के मुताबिक चीन परदे के पीछे से पाकिस्तान की पीठ थपथपा रहा है।
भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान ने खासी चोट खाई है, लेकिन उसकी तरफ से गोली बारी लगातार जारी है। आरएस पुरा सेक्टर पिछले करीब इक हफ्ते से पाकिस्तान ने कई बार संघर्ष विराम का उल्लघंन किया है। पाक की गोलाबारी में एक जवान के शहीद होने के अलावा कपूरपुर गाँव के युवा गारू राम, अब्दुल्लियां के गार सिंह और गजनसू के तरसेम रसेम लाल की जान चली गयी जबकि पिछले दो दिन में पाकिस्तानी गोलीबारी में एक दर्जन से ज्यादा ग्रामीण घायल हुए हैं। अब्दुल्लियां गाँव सीमा पर तनाव के वक्त हमेशा ज्यादा प्रभावित होता है। इस गाँव के सामने ही पाकिस्तान का छपरार गांव है और दोनों तरफ लोगों की हलचल साफ़ दिखती है। बीएसएफ के प्रवक्ता के अनुसार सुचेतगढ़ सेक्टर में चुंगी से लेकर चिनाब के किनारे बसे अखनूर तक पाकिस्तान ने गोले दागे हैं। अखनूर वही इलाका है जहाँ नब्बे के दशक से लेकर २००२ में सीजफायर समझोते के दस सालों में लोगों ने भयानक त्रासदी झेली थी। इन सालों में स्कूलों और अस्पतालों की इमारतों पर बड़ी-बड़ी घास उग आई थी और खेत उजाड़ हो गए थे।
ताजा गोलीबारी के बाद जम्मू कश्मीर प्रशासन ने सीमा के सटे इलाकों में राहत और बचाव के लिए लगभग 200 एंबुलेंस को तैनात की हैं। पिछले एक हफ्ते में गोलीबारी से प्रभावित गाँवों से बड़ी तादाद में ग्रामीणों को सुरक्षितको ठिकानों पर पहुँचाया गया है। सेना के बंकर वाहन और जेके पुलिस इस काम में लोगों की मदद कर रही है। प्रशासन इस इलाकों में पहले ही अलर्ट जारी कर चुका है।
सेना के एक उच्च अधिकारी ने बताया कि एहितियात के तौर पर सीमा पर पांच किलोमीटर तक के गाँवों में लोगों को घर खाली करने को कहा गया है। यही नहीं इन इलाकों के तमाम स्कूल और कालेज बंद कर दिए गए हैं। लोगों को स्वास्थ्य सम्बन्धी दिक्क्तों से दो चार होना पद रहा है क्योंकि इन सीमावर्ती इलाकों में अस्पताल भी बंद कर दिए गए हैं। जबसे ज्यादा प्रभावित बुजुर्ग और बच्चे हो रहे हैं जिन्हें राहत शिविरों में न के बराबर उपलब्ध सुविधाओं की मार झेलनी पड़ रही है।
सिर्फ अंतर्राष्ट्रीय सीमा ही नहीं नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर भी पाकिस्तान सीजफायर का उल्लंघन कर गोलियां बरसा रहा है। पूंछ के मनकोट सेक्टर में अग्रिम चौकी पर तैनात सिपाही सीके रॉय तीन दिन पहले शहीद हो गए थे। गुरूवार (१८ जनवरी) से लेकर यह रिपोर्ट लिखे जाने तक नियंत्रण रेखा (एलओसी) और अंतरराष्ट्रीय सीमा (इंटरनेशनल बॉर्डर) से सटे पांच जिलों जम्मू, कठुआ, सांबा, पूंछ और राजौरी में अब तक एक दर्जन लोगों की जान गयी है जिनमें सात नागरिक, सेना के तीन और बीएसएफ के जवान शामिल हैं। अकेले गुरूवार को एक बीएसएफ जवान और एक युवती की जान चली गई थी जबकि शुक्रवार को पाकिस्तानी फायरिंग में चार लोगों की मौत हो गई। इनमें दो नागरिक और एक बीएसएफ जबकि एक सेना का जवान शामिल है। उधर शनिवार को पाकिस्तानी गोलीबारी में पुंछ के मनकोट सेक्टर में एक अग्रिम चौकी पर तैनात सिपाही सीके रॉय शहीद हो गए। वह ३७ आरआर रेजिमेंट में सिग्नल मैन थे।
इसके बाद पाकिस्तानी सैनिकों ने जम्मू और राजौरी जिलों में अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर भारी गोलाबारी की, जिसमें एक नागरिक की मौत हो गई । भारतीय बलों ने भी जवाबी गोलीबारी की। पाक सैनिकों ने लगातार चौथे दिन रविवार को भी संघर्ष विराम का उल्लंघन किया। जम्मू जिले में रविवार रात अंतरराष्ट्रीय सीमा पर कंचक-परगवाल सेक्टर में एक मकान पर गोले गिरने से दो सगे भाई घायल हो गए। बीएसएफ प्रवक्ता ने बताया, ” पाकिस्तान रेंजर्स ने रविवार रात जम्मू के कंचक सेक्टर में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर फिर से गोलाबारी की।” राजौरी के उपायुक्त शाहिद इकबाल चौधरी के मुताबिक पाकिस्तानी सैनिकों ने रजौरी के भवानी, कराली, सैद, नुंब और शेर मकरी इलाकों में रविवार शाम से देर रात तक भारी गोलाबारी की। भारतीय जवानों ने इसका मुहंतोड़ जवाब दिया।
बीएसएफ प्रवक्ता के मुताबिक सांबा और कठुआ जिलों में सोमवार दोपहर सीमा पार से गोलीबारी बंद हो गई लेकिन जम्मू जिले के कुछ इलाकों में यह बीच-बीच में जारी रही। लोगों को अपने घरों के अंदर ही रहने को कहा गया है। गोलीबारी के चलते हजारों लोगों को अपना घर बार छोड़ कर पलायन करने और राहत शिविरों या अपने रिश्तेदारों के यहां शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है। अब तक पिछले पांच दिन में करीब चार दर्जन लोग घायल हुए हैं जबकि दो दर्जन के करीब मवेशियों की भी जान गयी है।
सूत्रों ने बताया कि सीमा पर पाकिस्तानी गोलीबारी को लेकर सेना पूरी एहितियात बरत रही है। सेना के एक अधिकारी ने सोमवार दुपहर तहलका संवाददाता को फ़ोन पर बताया कि सीमा पार से गोलीबारी का पूरी ताकत से जवाब दिया जा रहा है। अधिकारी के मुताबिक़ गोलीबारी के पीछे एक कारण आतंकवादियों की घुसपैठ कराना भी हो सकता है। अधिकारी ने बताया – ”पिछले कुछ महीनों में इस स्तर पर आतंकवादियों का सफाया किया गया है उससे आतंकवादी ही नहीं सीमा पार उनकी मदद करने वाले भी बौखलाए हुए हैं। आतंकवादियों की घटती तादाद से परेशान वे घुसपैठ करवा सकते हैं। लेकिन उनकी इस कोशिश को किसी सूरत सफल नहीं होने दिया जाएगा। ”
अधिकारी ने माना कि सीमा पर पाकिस्तान के सीजफायर के बार बार उल्लंघन से तनाव है। ‘हम दुश्मन की गोलीबारी का जवाब पूरी ताकत से दे रहे हैं।” अपुष्ट सूत्रों के मुताबिक अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास बनी डिच-काम-बंध (डीसीबी) को कुछ जगह पानी से भरा गया है। गौरतलब है कि डीसीबी को सीमा पर बहुत तनाव के हालात में ही पानी से भरा जाता है। आमतौर पर डीसीबी को पानी से भरने के पीछे मकसद दुश्मन को युद्ध की स्थिति में इस पार आने से रोकना होता है। डीसीबी कमसे काम १५ फुट गहरी और इतनी ही चौड़ी होती है और कोइ भी इसे आसानी से पार नहीं कर सकता।