आर्थिक फर्जीवाड़े के अलावा अमर सिंह आजकल प्रशांत और शांति भूषण की फर्जी सीडी के विवाद के केंद्र में भी हैं. इस पर अतुल चौरसिया और समर्थ सरन की उनसे हुई बातचीत के अंश –
आपने चार्टड प्लेन, पचास लाख रुपये अदा करने जैसे गंभीर आरोप भूषण परिवार पर लगाए हैं. आप चाहते क्या हैं?
शांति भूषण और प्रशांत को कमेटी से हट जाना चाहिए.
कथित टेप में जिन जज को फिक्स करने की बात चल रही है वे आपके फोन टैपिंग मामले की सुनवाई कर रहे हैं. क्या उनके ऊपर दबाव बनाने और खुद को बचाने के लिए आप ही तो ऐसा नहीं कर रहे हैं?
अगर यह मेरी चाल है तो मुझसे बड़ा मूर्ख कोई नहीं होगा कि मैं इस तरह के षडयंत्र में अपना ही नाम इस्तेमाल करूं. मैं फोन पर बात करते समय बेहद सावधानी बरतता हूं. जब से मेरे निजी टेलीफोन टैपिंग का मामला सामने आया है, मैं किसी से भी बातचीत में बेहद सावधानी बरतता हूं. मुझे किसी का ध्यान भटकाने की क्या जरूरत है? अगर मुझे अपने फोन टैपिंग मामले को प्रभावित करना होता तो मैं सुनवाई के दौरान ही ऐसा करता. पांच साल बाद जब फैसला सुरक्षित हो चुका है तब मैं ऐसा क्यों करूंगा? अगर इस मामले में कोई दोहरा रवैया अपना रहा है तो वह भूषण परिवार है जिसने हमेशा कहा कि मेरे फोन रिकॉर्ड वास्तविक हैं जबकि मैं हमेशा कहता रहा कि टेप अवैध और छेड़छाड़ करके तैयार किए गए हैं. देश के अटार्नी जनरल और सॉलीसिटर जनरल ने भी मेरी बात का समर्थन किया था.
ये भी कहा जा सकता है कि आप भूषण परिवार के साथ अपनी निजी दुश्मनी निकाल रहे हैं क्योंकि उन्होंने आपके फोन टैपिंग मामले में पीआईएल दायर की थी.
आप इसे बदला नहीं कह सकते हैं. आप जैसा बोते हैं वैसा ही काटते हैं. अगर आप तलवार से दोस्ती करेंगे तो उसके द्वारा मारे जाने की संभावना भी रहती है. इसमें बदले जैसा कुछ भी नही है.
जस्टिस सौमित्र सेन के महाभियोग मामले में प्रशांत भूषण ने मुझसे कहा था कि आप इस काम में साथ दीजिए मैं आपके फोन टैपिंग वाले मामले को आगे नहीं बढ़ाऊंगा
तो क्या भूषण परिवार के खिलाफ सामने आई सीडी आपने नहीं बंटवाई ?
अगर आपके पास प्रमाण हैं तो मुझे फांसी दे दें.
लोगों का मानना है कि अमर सिंह राजनीतिक रूप से अप्रासंगिक हो गए हैं. दूसरी तरफ कांग्रेस भ्रष्टाचार के घेरे में है. इसलिए आपने कांग्रेस के साथ मिलकर ये सारा नाटक रचा है. 18 अप्रैल को आप, दिग्विजय सिंह और सलमान खुर्शीद फर्रूखाबाद में एक मंच पर दिखते हैं, 19 अप्रैल को आप भूषण के खिलाफ एक साथ इतने सारे आरोप लगाते हैं. इससे संदेह पैदा होता है.
मेरा सवाल ये है कि अगर मैं राजनीतिक रूप से अप्रासंगिक हूं तो आप अपना और मेरा वक्त क्यों बर्बाद कर रहे हैं. मेरा जीना हराम मत करिए. रात में बारह बजे तक घर के बाहर मत खड़े होइए, मेरे पीछे-पीछे कैमरे लेकर मत दौड़िए. अप्रासंगिक तो यहां सुब्रमण्यम स्वामी भी नहीं हैं जो कि चुने हुए सांसद भी नहीं हैं फिर भी लोगों को तकलीफ दिए हुए हैं, तो मैं कैसे अप्रासंगिक हूं.
ऐसा लग रहा है कि आपसी विरोधाभासों को किनारे रखकर पूरा राजनीतिक वर्ग चाहे अमर सिंह हों, मोहन सिंह हों, दिग्विजय सिंह हों, रघुवंश प्रसाद हों या फिर कपिल सिब्बल, सारे लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ चले एक अभियान को पटरी से उतारने की मुहिम में लगे हुए हैं.
ये एकदम गलत बात है. जो बात शांति भूषण सीडी में कह रहे हैं, क्या वह पोलिटिकल क्लास ने उनके सर पर बंदूक रखकर कहलवाई है कि प्रशांत पैसा लेकर पीआईएल करते हैं, बहुत अच्छी तरह से मैनेज करते हैं और चार करोड़ लगेगा और मुख्य न्यायाधीश और कानूनमंत्री सब भ्रष्ट हैं.
कमेटी बनने के बाद जिस सुनियोजित तरीके से भूषण परिवार को निशाना बनाया जा रहा है उससे ये संकेत मिल रहा है कि राजनीतिक वर्ग नागरिक समाज के नैतिक बल को उस हद तक गिरा देना चाहता है जहां से दोनों पक्ष बातचीत की मेज पर बराबरी की स्थिति में हों. नागरिक समाज अपनी बात को मजबूती से कह पाने का अधिकार खो बैठेगा.
पहला हमला तो आपके घर से हुआ. बाबा रामदेव ने सवाल उठाया कि पिता-पुत्र को एक साथ कमेटी में क्यों रखा गया है. और मेरी समझ में नहीं आता कि कमेटी की ताकत कम क्यों हो जाएगी. क्या देश में कानून समझने वाले वही दो लोग हैं? उन्हें झूठ बोलने के लिए किसने कहा था कि अमर सिंह को नहीं जानते और मुलायम सिंह को नहीं जानते. हमारे लिए जो केस लड़ा है, दो बार लखनऊ हाई कोर्ट की बेंच में पेश हुए हैं, वो भी क्या झूठ है?
आपकी बात तकनीकी रूप से सही हो सकती है, लेकिन सीडी की बातचीत में जब आप कह रहे हैं कि शांति भूषण जी आपके साथ बैठे हैं, प्रशांत ने उस बात का खंडन किया था कि उनके पिता जी कभी भी आपके साथ न तो बैठे न इस तरह की बात हुई. तो फिर आपके इन प्रमाणों से प्रशांत के आरोप गलत कैसे साबित होते हैं?
भूषण बाप-बेटे हर दिन अपना बयान बदलते हैं. अगर वो कहते कि उन्हें याद नहीं तो भी माना जा सकता था. वो पीआईएल विशेषज्ञ हैं और रोज ही फिक्सिंग करते हैं. लीगल कट-पेस्ट और स्प्लाइस उनका रोज का काम है. जस्टिस सौमित्र सेन के महाभियोग मामले में, जिसमें मैंने वृंदा करात और सीताराम येचुरी के कहने पर दस्तखत किए थे, प्रशांत भूषण ने मुझसे कहा था कि आप इस मामले में साथ दीजिए मैं आपके खिलाफ फोन टैपिंग मामले को आगे नहीं बढ़ाऊंगा.
कथित तौर पर जब आपने मुलायम सिंह से शांति भूषण की बात करवाई उस समय आप उनके साथ मौजूद थे?
मैं आपको क्यों बताऊं? आप सीबीआई हैं या आप सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त एसआईटी हैं? होगें आप तहलका. बात ये है कि उस सीडी का एक हिस्सा बहुत गंभीर है. शांति भूषण कमेटी के चेयरमैन हैं, इसलिए उनकी जवाबदेही बनती है. जो आदमी भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम का नायक है वह चार करोड़ रुपये में यह सब कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह के अवैध टेप को सार्वजनिक करने और चर्चा करने पर रोक लगाई हुई है. और मैं सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करता हूं, इसलिए इस पर ज्यादा नहीं बोलूंगा. मैं प्रशांत भूषण की तरह लीगल गुंडा थोड़े ही हूं जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद मेरी सीडी सार्वजनिक कर दी.
क्या आप उनके इस कदम के खिलाफ कोर्ट में जाएंगे? यदि हां तो कब?
बिलकुल जाएंगे. जब जाएंगे तो आपको बता देंगे. कोर्ट की अवमानना करना तो उनकी पुरानी आदत है. इसके लिए वो एक बार कोर्ट से माफी भी मांग चुके हैं. उन्हें फार्महाउस मिले तो कानूनी है और सभरवाल के बेटे को मिले तो चोर है. खुद करें तो रामलीला और कोई और करे तो रासलीला.
ये देखा जाता है कि अमर सिंह की दुश्मनी से ज्यादा भारी लोगों को अमर सिंह की दोस्ती पड़ती है. मसलन अमिताभ बच्चन, अनिल अंबानी, मुलायम सिंह, जया बच्चन, संजय दत्त. एक समय में आप इन लोगों के घरेलू सदस्य की तरह थे.
संजय दत्त कहां हमसे अलग हुए हैं. अमिताभ बच्चन ने एक साक्षात्कार में साफ कर दिया है कि अगर अमर सिंह नहीं होते तो मैं बंबई में टैक्सी चला रहा होता. उल्टे आप यह कह सकते है कि मैंने लोगों के लिए इतना किया पर लोगों ने मुझे धोखा दिया है. 14 साल तक मैंने मुलायम सिंह को सिर्फ दिया है, कुछ लिया नहीं है. मैंने उन्हें नहीं छोड़ा है, उन्होंने मुझे निकाला है अपने पुत्र प्रेम में, भाई के प्रेम में.
इन लोगों से फिर से आपकी सुलह होगी?
सहाराश्री के साथ मेरी आज भी बनती है. जया बच्चन की महत्वाकांक्षा अमर सिंह के रिश्ते से ज्यादा राज्यसभा की सीट को तवज्जो देती थी. मैं ज्यादा भावुक हूं और लोग बहुत पेशेवर हैं. ये बात तो आप बच्चन परिवार से भी पूछ सकते हैं कि उनकी आज गांधी परिवार के साथ क्यों नहीं बनती, अमर सिंह से उनका क्यों बिगाड़ हो गया. यह सवाल आप मुलायम सिंह से भी पूछ सकते हैं कि चौधरी चरण सिंह ने उन्हें बनाया उनके साथ वो नहीं रहे, चंद्रशेखर जी ने उन्हें बनाया पर उनका साथ भी छोड़ दिया.
समाजवादी पार्टी आर्थिक तंगी से जूझ रही है. क्या 2012 विधानसभा चुनाव से पहले आप फिर से सपा के लिए यह भूमिका निभा सकते हैं?
हम किसी के घर में जाकर बर्तन मांज सकते हैं लेकिन मुलायम सिंह के पास कभी नहीं जाएंगे. अगर मेरे सामने मुलायम सिंह और मायावती में से एक को चुनने की बारी आएगी तो मैं मायावती को चुनूंगा. मैंने कभी भी सपा को नहीं छोड़ा था. अपनी दोनों किडनियां गंवाने के बाद भी मैंने सपा के लिए काम किया और उन्होंने मुझे पार्टी से निकाल दिया. रामगोपाल यादव ने मुझे गालियां दीं, आजम खान ने मुझे दलाल और सप्लायर कहा.
आपकी पार्टी लोकमंच ने पूर्वांचल आंदोलन शुरू किया, पर कोई राजनीतिक हलचल नहीं हुई. क्या भविष्य है इसका?
पूर्वांचल ने मुझे राजनीतिक पहचान दी है. जब तक पृथक पूर्वांचल राज्य बन नहीं जाता तब तक मेरी लड़ाई जारी रहेगी.
मुलायम सिंह के साथ आएंगे नहीं तो क्या चुनावों से पहले कांग्रेस के साथ जाने पर विचार करेंगे?
अभी मैंने किसी के साथ जाने का फैसला नहीं किया है. जब चुनाव आएंगे तो स्थिति स्पष्ट हो जाएगी.