सांख्यिकी आयोग के दो स्वतंत्र सदस्यों के इस्तीफे

कहा, सरकार से कुछ मुद्दों पर असहमति के चलते छोड़ा पद

मोदी सरकार में बड़े पदों पर बैठे लोगों के इस्तीफों का दौर जारी है। आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल के बाद अब राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (एनएससी) के दो स्वतंत्र सदस्यों पीसी मोहनन और जेवी मीनाक्षी ने सरकार के साथ कुछ मुद्दों पर असहमति होने के चलते इस्तीफा दे दिया है।

मोहनन आयोग के कार्यकारी चेयरपर्सन भी थे। दो सदस्यों के छोड़ने के बाद अब आयोग में केवल दो सदस्य- मुख्य सांख्यिकीविद प्रवीण श्रीवास्तव और नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ही बचे हैं। एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारी ने कहा – ”दो सदस्यों ने राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग आयोग से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने २८ जनवरी, २०१९ को इस्तीफा दिया।” दोनों का कार्यकाल २०२० में खत्म होना था।

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अधीन आने वाले आयोग में सात सदस्य होते हैं। उसकी वेबसाइट के मुताबिक, तीन पद पहले से ही रिक्त हैं। आयोग के कार्यकारी चेयरपर्सन मोहनन ने चैनल को बताया – ”हमें लगा कि आयोग का जो काम है, वह उसका निर्वहन करने में बहुत प्रभावी नहीं रहा। पिछले कुछ समय से हमें महसूस हो रहा था कि हमें किनारे कर दिया गया और हमें गंभीरता से नहीं लिया गया। यह देश के सभी आंकड़ों के लिए एक शीर्ष संस्था है। लेकिन वह अपने उद्देश्य में कामयाब नहीं हो रही,  ऐसा हमें महसूस हो रहा था।”

रिपोर्ट के मुताबिक इसके साथ ही उन्होंने पुष्टि की है कि नौकरियों के आंकड़ों की रिपोर्ट जारी न होना उनके इस्तीफे की वजहों में से एक है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण की २०१७-१८ की पीएलएफएस रिपोर्ट को सांख्यिकी आयोग ने दिसंबर महीने में ही मंजूरी दे दी गई थी, लेकिन उसे रिलीज नहीं किया गया। इस रिपोर्ट में रोजगार और बेरोजगारी के आंकड़ें होते हैं।  मोहनन ने कहा – ”रिलीज करने के लिए इस रिपोर्ट को आयोग ने मंजूरी दे दी थी, क्योंकि राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण विभाग की सभी रिपोर्ट्स को सांख्यिकी आयोग ही मंजूरी देता है और हम हमने रिपोर्ट को रिलीज के लिए मंजूरी दे दी थी।”

आयोग के दो सदस्यों के इस्तीफे के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम  ने बुधवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा और कहा – ”इस संस्था की आत्मा को शांति मिले, जब तक कि इसका दोबारा जन्म न हो जाए।” चिदंबरम ने एक के बाद एक लगातार तीन ट्वीट किए और मोदी सरकार पर हमला बोला। उन्होंने लिखा – ”सरकार की बदनीयत के चलते २९ जनवरी, २०१९ को एक और सम्मानित संस्थान ख़त्म हो गयी।” इसके अलावा पूर्व वित्त मंत्री ने ट्वीट कर कहा – ”हम राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग की मौत का शोक मनाते हैं। साफ-सुथरे जीडीपी डेटा और रोजगार डेटा को रिलीज करने के लिए इसकी साहसिक लड़ाई को आभार के साथ याद करते हैं।”