Home सहज अर्थात अविस्मरणीय बाल ठाकरे: मैं तस्वीरें खींच ही रहा था कि अचानक उन्होंने मुझे रोका और कहा कि अब उनका वाइन पीने का वक्त हो गया है. मैंने कहा कि कोई बात नहीं, आप पहले यह काम कर लें. वे अपनी पसंदीदा कुर्सी पर बैठे थे जिसके पीछे बाघ और शिवाजी की तस्वीरें थीं. अब बाल ठाकरे अपनी रौ में थे. उन्होंने सिगार का कश लगाया और उसी पल मैंने यह तस्वीर खींच ली.

बाल ठाकरे: मैं तस्वीरें खींच ही रहा था कि अचानक उन्होंने मुझे रोका और कहा कि अब उनका वाइन पीने का वक्त हो गया है. मैंने कहा कि कोई बात नहीं, आप पहले यह काम कर लें. वे अपनी पसंदीदा कुर्सी पर बैठे थे जिसके पीछे बाघ और शिवाजी की तस्वीरें थीं. अब बाल ठाकरे अपनी रौ में थे. उन्होंने सिगार का कश लगाया और उसी पल मैंने यह तस्वीर खींच ली.

भीमसेन जोशी: किराना घराने के गौरव भीमसेन जोशी को अच्छी कारों का बहुत शौक था. बड़े ही गर्व के साथ वे मुझे अपनी इस मर्सिडीज में साथ बिठाकर ले गए थे. तब तक हमें अंदाजा नहीं था कि पुणे के पास भी इतने सुंदर नजारे हो सकते हैं
सत्यजीत रे:सब्जेक्ट को थोड़ा चौंकाकर कैसे एक अनोखा प्रभाव पैदा किया जा सकता है, सत्यजीत रे की यह तस्वीर इसका उदाहरण है. मैंने अचानक कहा कि अच्छा मैं चलता हूं. रे ने मुझे देखने के लिए गर्दन घुमाई. मैं इसी पल के लिए तैयार खड़ा था.
हरिप्रसाद चौरसिया: यह तस्वीर हरिप्रसाद साहब के मुंबई स्थित घर की है. वे हारमोनियम पर एक नई धुन बजा रहे थे. उसी दौरान उनके घर में रहने वाला यह बच्चा उनके पास आकर बैठ गया. उसकी तल्लीनता देखिए. मुझे यह बहुत अच्छी लगी.