समय की यात्रा: पैग्स, महलों और लोगों की दास्तान — पंजाब के शाही अतीत को फिर से जीवंत करती पुस्तक

इतिहास केवल तारीखों और तथ्यों का जोड़ नहीं, बल्कि एक जीवित, सांस लेती सत्ता है

तेहलका ब्यूरो द्वारा पुस्तक समीक्षा

Of Pegs, Palaces, and the People छोटे-छोटे लेकिन प्रभावशाली किस्सों का मनमोहक संग्रह है, जो पाठकों को पंजाब के समृद्ध और अक्सर भूले हुए इतिहास के बीच ले जाता है। हर कहानी, जो वास्तविक घटनाओं पर आधारित है, उन बादशाहों, योद्धाओं, रानियों, विद्रोहियों और आम लोगों को फिर से जीवंत करती है, जिन्होंने पंजाब के अतीत पर अमिट छाप छोड़ी। हरशित नारंग एक प्रथम बार लेखक और अनुभवी नौकरशाह इन भूली-बिसरी शख्सियतों को जिस जीवंतता और गहराई से प्रस्तुत करते हैं, वह विद्वता और संवेदनशील कहानी कहने की कला का बेहतरीन मेल है।

11 अगस्त 2025 को नई दिल्ली में जारी हुई यह पुस्तक भारतीय नॉन-फिक्शन की दुनिया में नारंग की एंट्री का ऐलान करती है। यह सिर्फ एक ऐतिहासिक दस्तावेज़ नहीं, बल्कि उस पंजाब को समर्पित एक भावनात्मक श्रद्धांजलि है—जो शाही किस्सों, बगावत, परंपराओं और गर्व से भरा था, लेकिन जिसकी कहानियों से नई पीढ़ी का रिश्ता धीरे-धीरे टूटता जा रहा है।

नारंग की कहानी कहने की क्षमता पूरे पुस्तक में चमकती दिखती है। शोधकर्ता की बारीकी और कथाकार की आत्मा के साथ, वह पंजाब के अतीत के उन अध्यायों को सामने लाते हैं जो अक्सर पाठ्यपुस्तकों में जगह नहीं बना पाते। दुले भट्टी—जिसे पंजाब का रॉबिन हुड कहा जाता है—से लेकर कपूरथला की स्पैनिश महारानी प्रेम कौर तक, हर अध्याय पंजाब के शाही वैभव और क्रांतिकारी तेवरों की एक सजीव तस्वीर पेश करता है। “पटियाला पैग” की अनोखी विरासत भी इस पुस्तक को धरातल से जोड़ती है—जहाँ इतिहास सिर्फ राजसी नहीं, बल्कि रोजमर्रा की संस्कृति में भी सांस लेता है।

हर अध्याय एक अलग यात्रा है—कभी ढहते महलों की गूंज, कभी पीढ़ियों से चली आ रही लोककथाओं की सरगोशियाँ, तो कभी उन तकनीकी नवाचारों की झलक, जिन्हें इतिहास में शायद ही कहीं दर्ज किया गया, जैसे पटियाला स्टेट मोनोरेल। नारंग सिर्फ घटनाओं का वर्णन नहीं करते—वह उन्हें पुनर्जीवित करते हैं, ऐसा महसूस कराते हैं मानो पाठक स्वयं उस दौर में मौजूद हों।जैसा कि नारंग कहते हैं, “यह वही पंजाब है जिसे मैंने बचपन में सुना—परतों से भरी विरासतें, जिद्दी रानियाँ, अजीबोगरीब राजा और पीढ़ियों से फुसफुसाई जाती कहानियाँ। ये कहानियाँ आगे बढ़ाए जाने लायक हैं।”

विषय के प्रति लेखक का यह भावनात्मक जुड़ाव पुस्तक में सर्वत्र महसूस होता है और इसे एक सांस्कृतिक दायित्व जैसा महत्व देता है—पंजाब की भूलती हुई विरासत को सहेजने का प्रयास। आज जब इतिहास को अक्सर एकरूप कथाओं में ढाल दिया जाता है, Of Pegs, Palaces, and the People एक महत्वपूर्ण पुनःअभिग्रहण बनकर सामने आती है। नारंग याद दिलाते हैं कि इतिहास केवल तारीखों और तथ्यों का जोड़ नहीं, बल्कि एक जीवित, सांस लेती सत्ता है—भावनाओं, जटिलताओं और रंगों से भरी। पुस्तक पंजाब के अतीत की परतें खोलती है—कभी प्रसिद्ध तो कभी गुमनाम किरदारों के माध्यम से—दुले भट्टी के विद्रोह से लेकर महारानी प्रेम कौर की रहस्यमयी ज़िंदगी तक।

पुस्तक की संरचना—हर अध्याय का स्वतंत्र होना—इसे विविधता से भर देता है। चाहे लाहौर के खोये खजाने हों या पटियाला की मोनोरेल—पाठक एक समय-यात्रा में प्रवेश करता है। नारंग सिर्फ स्थानों और व्यक्तियों का परिचय नहीं देते; वह पाठक को उन्हें महसूस करने के लिए आमंत्रित करते हैं। शीश महल का वर्णन पढ़ते हुए लगता है मानो उसके आइने आज भी अपनी चमक बिखेर रहे हों।

लेखन शैली जीवंत, सटीक और पंजाब की मिट्टी में रची-बसी है। भाषा अकादमिक बोझिलता से दूर है—यह सांस्कृतिक स्पंदन और भावनात्मक बनावट से भरी है। यहाँ इतिहास स्थिर नहीं—पन्नों के बीच फुसफुसाता, धड़कता और कभी-कभी रहस्यों की तरह झिलमिलाता है।

हालाँकि कुछ स्थानों पर अध्यायों के बीच बदलाव अचानक महसूस होता है। यदि एक संक्षिप्त टाइमलाइन या अध्याय-पूर्व परिचय होता तो यह पाठकीय अनुभव को और सहज बना सकता था। साथ ही, नए पाठकों के लिए क्षेत्रीय शब्दों का एक ग्लॉसरी भी उपयोगी होता।

अंत में, Of Pegs, Palaces, and the People पंजाब के शाही और लोक इतिहास के अनमोल पहलुओं को उजागर करने वाली एक महत्वपूर्ण, रोचक और पठनीय कृति है। हरशित नारंग की यह पहली पुस्तक उनकी जड़ों के प्रति व्यक्तिगत समर्पण भी है और व्यापक पाठकों के लिए एक आह्वान भी—कि उस इतिहास को संजोएं, जिसने इस शानदार धरती को आकार दिया।

पुस्तक के बारे में

पेपरबैक, 256 पृष्ठ / मूल्य: ₹399

प्रकाशक: सप्तऋषि पब्लिकेशन्स