रास्थान के टोंक ज़िले के दूनी क़स्बे की 30 महिलाओं के एक सेल्फ हेल्प ग्रुप ने बकरी के दूध से जब साबुन बनाया था, उसकी क़ीमत रखी थी 55 रुपये। महिलाओं ने सोचा नहीं होगा कि उन्हें कोई बड़ा मौक़ा मिलेगा। कुछ समय बाद स्पेन की एक महिला ने उन्हें साबुन की 40,000 टिकियाँ तैयार करने का ऑर्डर दिया। बकरी का दूध कई बीमारियों के लिए उपयोगी है। इस साबुन को त्वचा के लिए उपयोगी बताया गया।
स्टार्टअप की क़ानूनी प्रक्रिया के बारे में अवगत कराया जाए, तो देश की जीडीपी में बड़ा योगदान महिला उद्यमियों का होगा। इंडिया स्किल रिपोर्ट-2023 से पता चलता है कि भारत में पुरुषों के मुक़ाबले कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बेशक 33 फ़ीसदी है। लेकिन महिला प्रतिभा रोज़गार क्षमता 5.6 फ़ीसदी है, जो पुरुषों से ज़्यादा है। इस दिशा में राजस्थान में रोज़गार योग्य महिलाओं का प्रतिशत देश में सबसे ज़्यादा 54 फ़ीसदी है। वहीं उत्तर प्रदेश 46.51 फ़ीसदी के साथ दूसरे नंबर पर है।
प्रधानमंत्री मोदी का कहना है कि नयी पीढ़ी के युवाओं का कौशल विकास एक राष्ट्रीय ज़रूरत है। आत्मनिर्भर भारत का बहुत बड़ा आधार है। भारत के पास ऐसे युवा हैं जिनमें कौशल, मूल्य, जुनून और कार्य के प्रति ईमानदारी है।
कृष्मन सिंह उन्हीं युवा महिला उद्यमियों में से है, जिन्होंने कुछ साल पहले अपना स्टार्टअप शुरू किया था। कृष्मन ने देश से एमबीए (गोल्ड मेडल) करके उच्च शिक्षा के लिए कनाडा की क्वींस यूनिवर्सिटी में मास्टर ऑफ इंटरनेशनल बिजनेस (एमआईबी) की पढ़ाई की। कुछ समय के लिए फेलोशिप के साथ अमेरिका भी रहीं। कृष्मन प्रोडक्ट की मार्केटिंग, ब्रांडिंग और बिक्री करना सब कुछ जानती थीं; लेकिन जब स्टार्टअप शुरू किया तो उन्हें काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा, जिसके चलते प्रोजेक्ट रोकना पड़ा।
बाद में किसी बड़ी कम्पनी में नौकरी पाने के बाद उन्हें अपनी टीम का निर्देशन करते हुए तीन राज्यों की सरकारों राजस्थान, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के साथ सेतु की तरह काम करने का अवसर मिला। राजस्थान में आजीविका मिशन और पंचायती राज के तहत राज्य के स्वयं सहायता समूहों के लिए फील्ड वर्क किया। इसमें महिलाओं को सरकारी योजनाओं से जोडऩे के अलावा सामान की प्रेजेंटेशन, पैकिंग, ब्रांडिंग और बिक्री आदि के लिए काम किया गया।
कृष्मन ने कहा कि राजस्थान सरकार ने सोशल प्लेटफाम्र्स के साथ भागीदारी की है। इसके लिए पिछले वर्ष जयपुर में महिला सशक्तिकरण पर राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें राज्य की हज़ारों महिलाओं ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर स्वयं सहायता समूहों की ग्रामीण महिला उद्यमियों ने अपने अनुभव साझा किये। उत्तर प्रदेश में महिलाएँ काफ़ी जागरूक है; लेकिन सरकारी योजनाओं तक उनकी पहुँच नहीं है। कृष्मन बताती हैं कि उन्होंने लाइवलीहुड मिशन के तहत राज्य के चार ज़िलों में फील्ड वर्क किया। इसके लिए आपकी दुकान नाम का कॉन्सेप्ट लॉन्च करके ग्रामीण महिला उद्यमियों के स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों को एक प्लेटफार्म पर लाया गया। इससे कनाडा और अमेरिका के बाज़ारों में उन्हें काम करने का अवसर मिला।
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत बेरोज़गार युवाओं को हर राज्य तथा शहर में क़रीब 40 तकनीकी क्षेत्रों में नि:शुल्क प्रशिक्षण दिया जाता है। बजट भाषण 2023-24 में वित्त मंत्री सीतारमण के मुताबिक, युवाओं को ऑन जॉब प्रशिक्षण, उद्योग साझेदारी और ज़रूरतों के साथ आधुनिक पाठ्यक्रम भी शामिल किये जाएँगे। इनमें रोबोटिक्स, मेडट्रॉनिक्स, कोडिंग, एआई आईओटी, प्रिंटिंग, ड्रोन, स्किल्स और 3डी शामिल है। योजना के पहले चरण में 5,000 प्रशिक्षण केंद्र खोले जाएँगे। देश में स्टार्टअप्स की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है। अब महिलाओं के स्टार्टअप्स को सपोर्ट करने के लिए गूगल कम्पनी भी आगे आयी है। नैसकॉम के अनुसार, महिला नेतृत्व वाले स्टार्टअप्स वर्ष 2014 में आठ फ़ीसदी बढ़े हैं, जबकि वर्ष 2019 में इनकी संख्या 13 फ़ीसदी रही।
भारत की शीर्ष आठ महिला उद्यमी : फाल्गुनी नायर (नाईका), वंदना लूथरा (वीएलसीसी), सूची मुखर्जी (लाइम रोड), रिचा कर (जीवेम), वाणी कोला (कलारी कैपिटल), प्रांशु पाटनी (हेलो इंग्लिश), उपासना टाकू (मोबिक्विक) शायरी चहल (शीरोज)।
योजनाएँ : भारतीय महिला बैंक व्यवसाय ऋण, देना शक्ति योजना, उद्योगिनी योजना, महिला उद्यमिता मंच, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना।
पाँच कौशल : ऐसे पाँच कौशल, जो अपना स्टार्टअप शुरू करना चाहने वाली हर महिला के लिए ज़रूरी हैं। जैसे वित्त कौशल, संचार कौशल, नेतृत्व कौशल, समय प्रबंधन और बिक्री।