अभिव्यक्ति का हनन

बीबीसी के दफ़्तरों में आईटी सर्वे के नाम पर छापेमारी से केंद्र की हो रही आलोचना

क्या सरकार अपनी आलोचना से इतनी बौखला गयी है कि वह कुछ भी करने पर आमादा है? बीबीसी के दिल्ली और मुम्बई दफ़्तरों पर आयकर विभाग (आईटी) के छापे (कथित सर्वे) ज़ाहिर करते हैं कि मोदी सरकार बौखलाहट में है और आलोचना बर्दाश्त नहीं कर पा रही है। सरकार में केबिनेट मंत्री अनुराग ठाकुर ने यह कहकर कि भारत में कोई भी क़ानून से ऊपर नहीं है, इन छापों को सही ठहराने की कोशिश की; लेकिन सरकार को देश ही नहीं, विदेशों में भी इस कार्रवाई के लिए निंदा सहनी पड़ी है।

सरकार की बीबीसी पर कार्रवाई इतनी हैरानी भरी थी कि एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने इसके दिल्ली और मुम्बई के दफ़्तरों पर छापों के कुछ ही देर के भीतर इसकी आलोचना की। अमेरिका से लेकर दुनिया के अन्य हिस्सों में इन छापों की $खबर तुरन्त फैल गयी और प्रतिक्रियाएँ आने लगीं।

दरअसल आयकर विभाग की टीम 14 और 15 फरवरी को बीबीसी के दिल्ली और मुंबई के दफ़्तर में सर्वे के लिए पहुँची, जिसके बाद इस मसले पर बड़ा विवाद शुरू हो गया।

इन छापों के बाद अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने घटना पर बिना टिप्पणी करते हुए कहा- ‘हम दुनिया भर में स्वतंत्र प्रेस की महत्ता का समर्थन करते हैं। हम दुनिया भर में लोकतंत्रों को मज़बूत करने में योगदान देने वाले मानवाधिकारों के तौर पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की महत्ता पर ज़ोर देते हैं। इसने भारत के लोकतंत्र को मज़बूत किया है।’

बीबीसी पर यह छापे (आईटी सर्वे) उसकी उस डाक्यूमेंटरी के ठीक एक महीने बाद आये हैं, जिसमें उसने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री के तौर पर गुजरात दंगों में नरेंद्र मोदी की भूमिका पर गम्भीर सवाल खड़े किये थे। इसके बाद मोदी सरकार ने इस डाक्यूमेंट्री पर पाबंदी लगा दी थी। विपक्ष ने इसकी आलोचना करते हुए इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया। ज़ाहिर है सरकार की आलोचना करने वाले मीडिया संस्थान मोदी सरकार के निशाने पर हैं। इसका दायरा देश के मीडिया संस्थानों से आगे निकलकर अब अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों तक जा पहुँचा है।

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने इन छापों के बाद एक बयान में कहा- ‘बीबीसी की ओर से गुजरात हिंसा और भारत में अल्पसंख्यकों के वर्तमान हालात को लेकर बनीं दो डॉक्यूमेंट्री रिलीज किये जाने के ठीक बाद हुआ है। इन डॉक्यूमेंट्रीज की रिलीज के बाद इस मसले को राजनीतिक रंग दिया गया है। हम इन छापों की कड़ी आलोचना करते हैं।’

उधर आईटी सर्वे पर भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा- ‘कांग्रेस को याद रखना चाहिए कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने बीबीसी पर प्रतिबंध लगा दिया था। आयकर विभाग ने बीबीसी ऑफिस पर क़ानूनी रूप से कार्रवाई की। बीबीसी दुनिया का सबसे भ्रष्ट, बकवास कॉर्पोरेशन बन गया है।’

आईटी सर्वे के छापे के तुरन्त बाद दिल्ली में कनॉट प्लेस स्थित बीबीसी के दफ़्तर में कर्मचारियों के फोन ज़ब्त और दफ़्तर सील कर दिये गये और दफ़्तरों में उपस्थित लोगों से कम्प्यूटर क़ब्ज़े में लेकर उन उनके पासवर्ड लिखवाये गये। सरकार ने कहा कि मामला वित्तीय अनिमितता से जुड़ा है। हालाँकि सरकार के विरोधियों ने मीडिया की आवाज़ दबाने का आरोप लगाया। मुंबई में बीबीसी के दो दफ़्तरों बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेजे) और खार में भी आईटी छापे पड़े। एक वायरल वीडियो में आईटी अधिकारी और बीबीसी कर्मचारियों के बीच बहस होती दिखी।

यह छापे पडऩे के क़रीब तीन घंटे के बाद बीबीसी ने अपनी प्रतिक्रिया दी। इसमें कहा गया- ‘आयकर अधिकारी हमारे नई दिल्ली और मुंबई कार्यालयों में हैं और हम उनका पूरा सहयोग कर रहे हैं। हम उम्मीद करते हैं कि यह स्थिति जल्द-से-जल्द सुलझ जाएगी। बीबीसी सर्वे की रिपोर्ट पर बारीक़ी से नज़र रखे हुए है।

कांग्रेस ने बीबीसी पर रेड को लेकर अपनी प्रतिक्रिया में कहा- ‘पहले बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री आयी, उसे बैन किया गया। अब बीबीसी पर आईटी का छापा पड़ गया है। ये अघोषित आपातकाल है।’ आलोचना भरी प्रतिक्रियाएँ जेकेपीडीपी, आम आदमी पार्टी सहित पूरे विपक्ष से आयीं। शिवसेना सांसद संजय राऊत ने कहा- ‘छापे की टाइमिंग से ये स्थापित होता है कि भारत धीरे-धीरे अपनी लोकतांत्रिक छवि खो रहा है।’